राम के जाने के बाद लव कुश का क्या हुआ? - raam ke jaane ke baad lav kush ka kya hua?

  • लव कुश की शक्ति का रहस्य

    बैशाख मास की नवमी तिथि को देवी सीता का जन्म हुआ तो जिसे सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह शुभ तिथि 1 मई दिन शुक्रवार को है। उत्तर रामामयण में एक प्रसंग है जिसमें भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा लव कुश पकड़ लेते हैं और बाल हठ कर बैठते हैं कि जबतक राम स्वयं नहीं आएंगे तब तक वह घोड़े को नहीं वापस करेंगे। इस बात पर पहले तो लव कुश को घोड़े के रक्षक प्यार से समझाते हैं और घोड़े को छोड़ देने के लिए कहते हैं। लेकिन जब वह किसी भी तरह नहीं मनाते हैं तो रामजी की सेना बल प्रयोग करने लगती है। इसके बाद तो महासंग्राम आरंभ हो जाता है। लव कुश के बाणों से घायल होकर सेनापति अचेत हो जाते हैं। इसके बाद भगवान राम के छोटे भाई शत्रुघ्न सेना लेकर आते हैं और घोड़े को मुक्त करवाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह भी अचेत हो जाते हैं।

  • लव कुश ने किया लक्ष्मणजी को अचेत

    शत्रुघ्न के अचेत हो जाने पर लक्ष्मणजी आवेश में आ जाते हैं और अश्व को छुड़ाने सेना लेकर महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में आ जाते हैं। लक्ष्मणजी को मेघनाद को पराजित करने का अहंकार हो गया था। इसलिए लव कुश को अपनी शक्ति का बखान करके डराने की कोशिश करते हैं लेकिन लक्ष्मणजी भी युद्ध में अचेत हो जाते हैं। इसके बाद भरतजी का भी यही हाल होता है। अंत में भगवान राम स्वयं आते हैं तब जाकर अश्वमेध का अश्व लव कुश छोड़ते हैं। क्या आपके मन में यह सवाल नहीं उठता है कि लव कुश ने आखिर कैसे लक्ष्मण और भरतजी को भी पराजित कर दिया।

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  • देवी सीता महाशक्ति

    दरअसल लव कुश के विजय के पीछे वही शक्ति काम कर रही थी जिस शक्ति के बल पर भगवान राम और लक्ष्मणजी ने रावण और मेघनादका अंत किया था। वह शक्ति थीं देवी सीता। देवी सीता को जगत जननी आदि शक्ति का स्वरूप कहा गया है। इन्होंने बचपन में ही अपने एक हाथ से भगवान शिव के दिव्य धनुष को उठा लिया था। इसी को देखकर जनकजी ने स्वयंवर के लिए शिवजी के धनुष पर प्रत्यंचा चढाने की शर्त रखी थी। देवी सीता भगवान राम को मन ही मन पति मान चुकी थीं इसलिए स्वयंवर में देवी सीता की इच्छा के अनुसार भगवान राम धनुष भंग कर पाए।

  • सीता बन गईं काली

    रामेश्वर चरित मिथिला रामायण में लिखा है कि देवी सीता ने रावण वध के बाद कहा कि जो भी सहस्रानंद का वध करेगा वह सही मायने में वीर होगा। भगवान राम अपनी वीरता साबित करने के लिए सहस्रानंद से युद्ध करने लगे लेकिन एक बाण लग जाने से रामजी अचेत हो गए। इस पर देवी सीता क्रोधित हो गईं और उनका रंग सांवला हो गया। देवी के इसी स्वरूप की पूजा मिथिला क्षेत्र दरभंगा में श्यामा काली के रूप में होती है।

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  • लव कुश पर देवी सीता की कृपा

    देवी सीता का साथ जब तक राम लक्ष्मण को प्राप्त था तब-तक राम लक्ष्मण ने अपने पराक्रम से चारों दिशाओं में अपने विजय का परचम लहराया। जब माता सीता के पुत्रों पर संकट के बादल मंडराने लगे तब देवी सीता ने अपने पुत्रों का साथ दिया। देवी सीता के आशीर्वाद से लव कुश ने अजेय सेना को भी जीत लिया।

जानिए लव-कुश के जन्म के बाद माता सीता के पाताल में जाने की वजह

लव-कुश ने हनुमान जी को बंधक बना लिया था.

जब श्री राम रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस आए और उनका राज्याभिषेक किया गया उसके बाद श्री राम ने माता सीता को त्याग दिया था और उन्हें उस समय वन में रहना पड़ा था. तब माता सीता गर्भवती थीं और उन्हें ऋषि वाल्मीकि ने अपने आश्रम में शरण दी थी.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : May 20, 2022, 14:35 IST

रामायण हिन्दू धर्म के प्रमुख धर्म ग्रंथों में से एक है, और हम सभी ने रामायण पढ़ी या देखी तो ज़रुर होगी. रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी. जिसमें प्रभु श्री राम (Lord Shri Ram) के जीवन को दर्शाया गया है. रामायण में एक वृतांत मिलता है जिसका सम्बन्ध श्री राम के पुत्रों लव और कुश के जन्म और माता सीता (Goddess Seeta) के पाताल जाने से जुड़ा हुआ है. वह कुछ इस प्रकार है कि जब श्री राम रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस आए और उनका राज्याभिषेक किया गया उसके बाद श्री राम ने माता सीता को त्याग दिया था और उन्हें उस समय वन में रहना पड़ा था. तब माता सीता गर्भवती थीं और उन्हें ऋषि वाल्मीकि ने अपने आश्रम में शरण दी थी. वहीं माता सीता ने अपने दोनों पुत्रो को जन्म दिया. जिन्हे महर्षि वाल्मीकि ने शिक्षा दी और यहीं आश्रम में लव-कुश का बाल्यकाल व्यतीत हुआ. कथा के बारे में हमें बता रहे हैं भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिष, आइए जानते हैं.

पौराणिक कथाओं के अनुसार
एक बार श्री राम ने अश्वमेघ यज्ञ कराया. कोई भी राजा उस यज्ञ के अश्व को पकड़ने का साहस नहीं जुटा सका, लेकिन जब यह अश्व विचरण करते हुए वाल्मीकि आश्रम के समीप पहुंचा. तो लव-कुश ने इस अश्व को पकड़ कर बांध लिया. जब यह बात श्री राम को पता चली तो उन्होंने हनुमान जी को अश्व को छुड़ाने भेजा.

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लव-कुश के साथ हनुमान जी का युद्ध हुआ और इस युद्ध में हनुमान जी पराजित हुए और लव-कुश ने उन्हें भी वहीं बंधक बना लिया. हनुमान जी की कोई खबर न मिलने से लक्ष्मण जी हनुमान जी को ढूंढ़ते हुए वहां पहुंचे, और उन्हें भी लव-कुश ने बंधक बना लिया.

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जब ये बात श्री राम को पता चली तो वे स्वयं युद्ध करने के लिए लव-कुश के सामने जा पहुंचे. लव-कुश से युद्ध करते हुए उन्हें इस बात का पता चला कि ये दोनों उन्हीं के बालक हैं. तब महर्षि वाल्मीकि ने उनको उनके पुत्रों और माता सीता से मिलवाया. ऐसा माना जाता है कि जब श्री राम माता सीता से कई वर्षों बाद मिले और उन्होंने सीता माता को छूने के लिए हाथ बढ़ाया तब माता सीता वहीं उस स्थान पर धरती में समा गईं.

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Tags: Dharma Aastha, Lord Ram, Religion

FIRST PUBLISHED : May 20, 2022, 14:35 IST

राम की मृत्यु के बाद लव कुश का क्या हुआ?

राम के बाद लव-कुश और अयोध्या का क्या हुआ ? लव और कुश राम के जुड़वां बेटे थे. जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने. अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया.

राम के पुत्र लव कुश की मृत्यु कैसे हुई?

असुर दुर्जया से युद्ध करने के समय लव कुश की मृत्यु हुई

लव कुश वंश कब तक चला?

कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है। एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, ‍जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यह इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारतकाल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व।

लव कुश के बाद क्या हुआ?

लव-कुश से युद्ध करते हुए उन्हें इस बात का पता चला कि ये दोनों उन्हीं के बालक हैं. तब महर्षि वाल्मीकि ने उनको उनके पुत्रों और माता सीता से मिलवाया. ऐसा माना जाता है कि जब श्री राम माता सीता से कई वर्षों बाद मिले और उन्होंने सीता माता को छूने के लिए हाथ बढ़ाया तब माता सीता वहीं उस स्थान पर धरती में समा गईं.

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