रुक्मिणी Ke Pita Ka Naam
GkExams on 12-05-2019
राजा भीष्मक
सम्बन्धित प्रश्न
Comments चंद्रिका on 05-02-2022
क्या रुक्मिणी जी का जन्म मणिपुर में हुआ
Rambalak on 25-10-2021
Rukumni ki mata ka name
Seema on 14-10-2021
रूकमणि जी की माता का नाम क्या है
Rukmani k pita Ka nam on 01-07-2020
Bheeshmak
Manoj Mohan Madhukar on 10-04-2020
शिशुपाल के पिता का नाम क्या है
दिनेश नौटियाल on 03-01-2020
रुकमणी जी का मंगल विवाह कब हुआ
Gyan prakash gautam on 29-10-2019
Rukmani ji k pita ka kya naam tha or radha ji ka pita ka kya naam tha
Apoorv sharma on 03-10-2019
रूक्मणी जी का जन्म स्थान कुंदनपुर है जो वर्तमान में अमझेरा के नाम से जाना जाता है, जो कि धार जिले से 27 कि.मी. दुर है.. यहीं से श्री कृष्ण जी ने उनका हरण किया था, जिसके पुख्ता प्रमाण अमझेरा नगर में मौजूद है ......
Kaushalaya kumari on 20-08-2019
रुक्मणी की माता का नाम क्याहै
monu shakya on 16-06-2019
rukmani ka janam kundanpur me hua tha jo vartman me kudrkot k nam se jana jata h
Rukmini ke pita ka name on 03-06-2019
Rukmini ke pita ka name
नरेश on 12-05-2019
रुकमणी का जन्नम सथान कहा पर है।
गौरव शर्मा on 12-05-2019
रुक्मडी जी का जन्म कहा हुआ था
Sandeep on 06-05-2019
Rukmani ke pita mata ka naam kya hai
rukh mani ke bhai ka name on 12-04-2019
rukh mani ke bhai ka name
Ruama on 08-02-2019
Rukamani ke peta ka nam
ram ji ke nana ka naam kya hei on 18-12-2018
ram ji ke naana ka naam kya hei
ganesh kumar sah on 26-09-2018
who is father of rukmani ?
Anilsarma on 21-09-2018
रूकमणि के पिता का क्या नाम था
Nitin Thakur on 15-09-2018
Rukmani ke Pita ka naam kya hai
H.Debbarma on 13-09-2018
Rukmani ka janam isthan kaha hai
Manish sharma on 11-09-2018
रुक्मणी के पिता का नाम
Rukmani ji ke pita ji ka naam Arman gupta on 03-09-2018
Rukmani ji k pita ka kya naam tha
शास्त्रों में भगवान श्री
कृष्ण की पत्नी रूक्मिणी की जन्म तिथि पौष कृष्ण अष्टमी बतायी गयी है। इस वर्ष यह तिथि 5 जनवरी को है। रूक्मिणी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। तन्दनानरामायण और तुलसीदास जी के रामायाण में उल्लेख आया है कि नारद के शाप के कारण रामावतार में भगवान राम को सीता का वियोग सहना पड़ा। कृष्णावतार में राधा और कृष्ण का वियोग हुआ।
लेकिन सदा भगवान विष्णु के साथ रहने वाली माता लक्ष्मी रूक्मिणी रूप में भगवान श्री कृष्ण के साथ रही। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ, राधा भी अष्टमी तिथि को उत्पन्न हुई और रूक्मिणी का जन्म भी अष्टमी तिथि को हुआ है। इसलिए अष्टमी तिथि को शुभ माना गया है।
इनमें राधाष्टमी और रूक्मिणी अष्टमी को लक्ष्मी पूजन का दिन बताया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति रूक्मिणी अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और देवी रूक्मिणी सहित इनके पुत्र प्रद्युम्न की पूजा करते हैं उनके घर में धन धान्य की वृद्धि होती है। परिवार में आपसी सामंजस्य बढ़ता तथा संतान सुख की प्राप्ति होती है।
रूक्मिणी जन्म के संदर्भ पद्म पुराण एक अन्य कथा का वर्णन मिलता है। इस पुराण के अनुसार देवी रूक्मिणी पूर्व जन्म एक ब्राह्मणी थी। युवावस्था में ही इन्हें विधवा होना पड़ा। इसके बाद यह भगवान विष्णु की पूजा आराधना में समय बिताने लगी। निरन्तर भगवान विष्णु की भक्ति से इन्हें अगले जन्म में भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और यह लक्ष्मी तुल्य बन गयी।
राधा और रुक्मिणी में से लक्ष्मी कौन ?
चराचर जगत में रुक्मिणी और राधा का संबंध श्रीकृष्ण से है। संसार रुक्मिणी जी को श्रीकृष्ण की पत्नी और राधा जी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में मानता है। आम जगत में रुक्मिणी और राधा की यही पहचान है परंतु क्या कभी आपके मन में यह प्रशन उठा है की राधा...
चराचर जगत में रुक्मिणी और राधा का संबंध श्रीकृष्ण से है। संसार रुक्मिणी जी को श्रीकृष्ण की पत्नी और राधा जी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में मानता है। आम जगत में रुक्मिणी और राधा की यही पहचान है परंतु क्या कभी आपके मन में यह प्रशन उठा है की राधा और रुक्मिणी में से कौन लक्ष्मी का अवतरण था ? इस लेख के माध्यम से हम शास्त्रों के अनुसार इस तथ्य से आप सभी पाठकों को रूबरू करवाते हैं।
शास्त्रों में लक्ष्मी जी के रहस्य को इस प्रकार उजागर किया है कि लक्ष्मी जी क्षीरसागर में अपने पति श्री विष्णु के साथ रहती हैं एवं अपने अवतरण स्वरुप में राधा के रूप में कृष्ण के साथ गोलोक में रहती हैं। महाभारत में लक्ष्मी के ‘विष्णुपत्नी लक्ष्मी’ एवं ‘राज्यलक्ष्मी’ ऐसे दो प्रकार बताए गए हैं। इनमें से लक्ष्मी हमेशा विष्णु के पास रहती हैं एवं राज्यलक्ष्मी पराक्रमी राजाओं के साथ विचरण करती हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार विष्णु के दक्षिणांग से लक्ष्मी का, एवं वामांग से लक्ष्मी के ही अन्य एक अवतार राधा का जन्म हुआ था। ब्रह्मवैवर्त पुराण में निर्दिष्ट लक्ष्मी के अवतार एवं उनके प्रकट होने के स्थान इस प्रकार है 1.महालक्ष्मी जो वैकुंठ में निवास करती हैं।
2. स्वर्गलक्ष्मी जो स्वर्ग में निवास करती हैं।
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3. राधा जी गोलोक में निवास करती हैं।
4. राजलक्ष्मी (सीता) जी पाताल और भूलोक में निवास करती हैं।
5. गृहलक्ष्मी जो गृह में निवास करती हैं।
6. सुरभि (रुक्मणी) जो गोलोक में निवास करती हैं।
7. दक्षिणा जो यज्ञ में निवास करती हैं।
8. शोभा जो हर वस्तु में निवास करती हैं।
लक्ष्मी रहस्य का रूपकात्मक दिग्दर्शन करने वाली अनेकानेक वृतांत और कथाएं महाभारत जैसे शास्त्रों में वर्णित हैं। जिनमें से एक वृतांत है "लक्ष्मी-रुक्मिणी संवाद" महाभारत के एक प्रसंग में लक्ष्मी के रहस्य से संबंधित एक प्रशन युधिष्ठिर ने भीष्म से पूछा था, जिसका जवाब देते समय भीष्म ने लक्ष्मी एवं रुक्मिणी के दरम्यान हुए एक संवाद की जानकारी युधिष्ठिर को दी। महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार, लक्ष्मी ने रुक्मिणी से कहा था, की मेरा निवास तुममे (रुक्मिणी) और और राधा में समानता से है तथा गोकुल कि गाएं एवं गोबर में भी मेरा निवास है।
श्रीकृष्ण के तत्व दर्शन अनुसार रुक्मिणी को देह और राधा को आत्मा माना गया है। श्रीकृष्ण का रुक्मिणी से दैहिक और राधा से आत्मिक संबंध माना गया है। रुक्मिणी और राधा का दर्शन बहुत गहरा है। इसे सम्पूर्ण सृष्टि के दर्शन से जोड़कर देखें तो सम्पूर्ण जगत की तीन अवस्थाएं हैं।
1. स्थूल; 2. सूक्ष्म; 3. कारण
स्थूल जो दिखाई देता है जिसे हम अपने नेत्रों से देख सकते हैं और हाथों से छू सकते हैं वह कृष्ण-दर्शन में रुक्मणी कहलाती हैं। सूक्ष्म जो दिखाई नहीं देता और जिसे हम न नेत्रों से देख सकते हैं न ही स्पर्श कर सकते हैं, उसे केवल महसूस किया जा सकता है वही राधा है और जो इन स्थूल और सूक्ष्म अवस्थाओं का कारण है वह हैं श्रीकृष्ण और यही कृष्ण इस मूल सृष्टि का चराचर हैं। अब दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो स्थूल देह और सूक्ष्म आत्मा है। स्थूल में सूक्ष्म समा सकता है परंतु सूक्ष्म में स्थूल नहीं। स्थूल प्रकृति और सूक्ष्म योगमाया है और सूक्ष्म आधार शक्ति भी है लेकिन कारण की स्थापना और पहचान राधा होकर ही की जा सकती है।
यदि चराचर जगत में देखें तो सभी भौतिक व्यवस्था रुक्मणी और उनके पीछे कार्य करने की सोच राधा है और जिनके लिए यह व्यवस्था की जा रही है और वो कारण है श्रीकृष्ण। अतः राधा और रुक्मणी दोनों ही लक्ष्मी का प्रारूप है परंतु जहां रुक्मणी देहिक लक्ष्मी हैं वहीं दूसरी ओर राधा आत्मिक लक्ष्मी हैं।
आचार्य कमल नंदलाल
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