राजस्थान में कृषक आंदोलन के मुख्य कारण क्या थे? - raajasthaan mein krshak aandolan ke mukhy kaaran kya the?

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  • राजस्थान में किसान आंदोलन | Rajasthan me Kisan Andolan
    • 1. निमुचणा किसान आंदोलन
    • 2. बेंगू किसान आन्दोलन :- 1921-23
    • 3. एकी / भोमट किसान आंदोलन
    • 4. बीकानेर किसान आंदोलन
    • Must Read These Article
    • 5. दूधवाखारा किसान आंदोलन
    • 6. शेखावाटी किसान आंदोलन
    • 7. मारवाड़ किसान आंदोलन :- 1923 – 47
    • 8. बूंदी किसान आंदोलन
    • 9. भरतपुर किसान आंदोलन
    • 10. बिजोलिया किसान आंदोलन
    • 11. मीणा सुधार आंदोलन
    • 12. भगत आंदोलन / सम्पसभा

1. निमुचणा किसान आंदोलन

● 1925 में अलवर
👉🏻 जागीरदार – राव अनूप सिंह
👉🏻 किसान नेता – महेश मेव
👉🏻 सहयोगी – यासीन खाँ
👉🏻 समिति – अन्जुमन समिति
👉🏻 कारण – जंगल से लकड़ी प्राप्त करना निषेध, मादा पशु क्रय-विक्रय निषेध, मांस प्रयोग निषेध, पशु हिंसा निषेध
● घटनाक्रम :- अनूपसिंह द्वारा जंगली सुअर छुड़वाकर मेव किसानों की फसलें नष्ट करवाई जाती है। एवं किसानों द्वारा जंगली सुअरों को मार दिया जाता है।
● गोलीकांड :- 14 मई 1925 – अनूपसिंह के आदेश पर पुलिस अधीक्षक ‘छाजूसिंह’ (राजस्थान का डायर) द्वारा किये गए गोलीकांड में सैकड़ों मेव किसान मारे गए।
● इस निमूचणा हत्याकांड को दूसरा जलियांवाला बाग हत्याकांड एवं महात्मा गांधी ने दोहरी डायरशाही (Dyrism Double Distrilled) की संज्ञा दी।
● नोट – निमुचणा में महिला किसानों का नेतृत्व ‘सीता देवी मेव’ महिला द्वारा किया गया।
● तरुण समाचार पत्र ने निमूचणा हत्याकांड को सचित्र प्रकाशित किया। (Rajasthan me Kisan Andolan)

2. बेंगू किसान आन्दोलन :- 1921-23

● बेंगू मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था। वर्तमान में चितौड़गढ़ जिले में है।
● 1921 में मेनाल नामक स्थान से किसानों ने आंदोलन शुरू किया।
● यहाँ धाकड़ जाति के किसान थे।
● बेंगू के सामन्त अनूपसिंह ने किसानों से समझौता कर लिया।
● मेवाड़ महाराणा ने इस समझौते को मानने से इनकार कर दिया तथा इसे ट्रेंच ने बोल्शेविक समझौता कहा।
● मेवाड़ महाराणा ने ट्रेंच को जांच करने के लिए भेजा।
★ गोविंदपुरा हत्याकांड :- 13 जुलाई 1923 – ट्रेंच ने सभा मे फायरिग की जिसमे रूपाजी व कृपाजी शहीद हो गए।
● आंदोलन के नेता :- रामनारायण चौधरी व विजय सिंह पथिक

3. एकी / भोमट किसान आंदोलन

● प्रणेता – मोतीलाल तेजावत (बावजी, आदिवासियों का मसीहा)
● सम्बन्ध :-
👉🏻 मातृकुंडिया – चितौड़गढ़
👉🏻 झामर कोटड़ा – उदयपुर
👉🏻 विजयनगर – अजमेर
● कारण :-
👉🏻 अफीम रायफल्स एक्ट – 1983
👉🏻 झुमिंग पर पाबंदी
👉🏻 नाजायज कर भार
नोट – 1927 में मोतीलाल तेजावत के गुजरात पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिए जाने के कारण यह आन्दोलन कमजोर हो गया था।
● 1944 में पं. जवाहर लाल नेहरू के हस्तक्षेप से भीलों को निःशुल्क लाइसेंस वितरित करवाकर समाप्त करवाया गया था।

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4. बीकानेर किसान आंदोलन

● 1927 में महाराजा गंगासिंह ने गंगनहर का निर्माण करवाया था।
● बढ़ी हुई लाग-बाग व गंगनहर से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण सर्वप्रथम 1937 में बीकानेर रियासत के उदासर गांव में किसान आंदोलन प्रारम्भ हुवा जिसका नेतृत्व जीवनराम चौधरी ने किया था। (Rajasthan me Kisan Andolan)

5. दूधवाखारा किसान आंदोलन

● अकाल के समय बढ़ी हुई लगान दरों के विरोध में हनुमानसिंह आर्य के नेतृत्व में आंदोलन प्रारम्भ हुवा था।
● इस आंदोलन में खेतुबाई नामक महिला के द्वारा भाग लिया गया।

6. शेखावाटी किसान आंदोलन

● शेखावाटी क्षेत्र में किसान आंदोलनों के मुख्य नेतृत्वकर्ता रामनारायण चौधरी, हरलाल सिंह, देशराज ने किया था।
● शेखावाटी में कुल 421 जागीर थी इनमें से पांच जागीर – डूंडलोद, बिसाऊ, मंडावा, नवलगढ़, मलसीसर पंचपाणे जागीर के नाम से प्रसिद्ध थी।
● जयसिंहपुर हत्याकांड :- 1934 में डूंडलोद ठिकाने के जयसिंह पुरा गांव में हल जोत रहे किसानों की हत्या कर दी गई, इस हत्या के आरोप में डूंडलोद ठाकुर ईश्वर सिंह को कारावास की सजा हुई। जयपुर रियासत में यह पहला अवसर था जब किसी किसान की हत्या के आरोप में किसी जागीरदार परिवार के सदस्यों को सजा हुई।
● 1934 में सीकर के कटराथल गांव में किशोरी देवी की अध्यक्षता में एक विशाल किसान महिला सम्मेलन का आयोजन हुआ है जिसमें 10000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया था। इस सम्मेलन की मुख्य वक्ता उत्तमा देवी थी
● कुदन हत्याकांड :- 1935 यह एकमात्र हत्याकांड है जिसकी चर्चा ब्रिटिश संसद में हुई थी।

7. मारवाड़ किसान आंदोलन :- 1923 – 47

● इस आंदोलन का मुख्य नेतृत्वकर्ता जयनारायण व्यास थे।
● जयनारायण व्यास ने 1923 में मारवाड़ हितकारिणी सभा का पुनर्गठन किया। ओर इस सभा के माध्यम से मारवाड़ के किसान आंदोलनों के संचालन किया।
● मूलतः मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना 1918 में चांदमल सुराणा ने की थी।
● जयनारायण व्यास ने राजस्थान सेवा संघ द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र तरुण राजस्थान के माध्यम से मारवाड़ के किसानों की दशा को उजागर किया था।
● जयनारायण व्यास ने किसानों की दशा से सम्बंधित 2 लघु पुस्तिकाएं – पोपा बाई का राज व मारवाड़ की दशा प्रकाशित की थी।
● 1941 में बलदेवाराम मिर्धा ने मारवाड़ किसान सभा की स्थापना की थी।
● इस सभा का प्रथम अखिल भारतीय अधिवेशन 1943 में जोधपुर में हुआ था जिसकी अध्यक्षता सर छोटूराम चौधरी ने की थी।
● डाबड़ा हत्याकांड :- डीडवाना (नागौर) के डाबड़ा नामक स्थान पर 13 मार्च 1947 को मारवाड़ किसान सभा द्वारा किसानों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, इस सम्मेलन के दौरान जागीरदार के कारिंदों ने किसानों पर हमला कर दिया, इस हमले में चुन्नीलाल शर्मा, जग्गू जाट नामक किसान नेता मारे गए थे। इसकी अध्यक्षता मथुरादास माथुर कर रहे थे।

8. बूंदी किसान आंदोलन

● बूंदी में किसान आंदोलनों के प्रमुख क्षेत्र डाबी ओर बरड़ थे, डाबी में 2 अप्रैल 1923 को आयोजित किसान सभा पर पुलिस द्वारा गोलाबारी कर दी गयी थी जिसमें नानक भील व देवलाल गुर्जर शहीद हो गए थे। नानक भील की शहादत पर माणिक्यलाल वर्मा ने अर्जी गीत लिखा था।

9. भरतपुर किसान आंदोलन

● भरतपुर में किसान आंदोलनों का नेतृत्व भौजी लम्बरदार नामक किसान ने किया था। (लम्बरदार – भूराजस्व अधिकारी) (Rajasthan me Kisan Andolan)

10. बिजोलिया किसान आंदोलन

● बिजोलिया वर्तमान में भीलवाड़ा जिले में है।
● इसको उपरमाल क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है।
● बिजोलिया मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था।
● इस ठिकाने का संस्थापक अशोक परमार था जिसने 1527 में राणा सांगा की कृपा से इस ठिकाने की स्थापना की थी।
● बिजोलिया में मुख्यतः धाकड़ जाति के किसान थे।
● बिजोलिया किसान आंदोलन राजस्थान का प्रथम व लंबे समय (सर्वाधिक)तक चलने वाला किसान आंदोलन था।
● यह आंदोलन 1857 से प्रारंभ होकर 1941 तक कुल 44 वर्षों तक चला था।
● इस आंदोलन के प्रारंभ के समय बिजोलिया के जागीरदार किशन सिंह / कृष्ण सिंह था मेवाड़ का शासक राणा फतेह सिंह था।
● इस आंदोलन का प्रारंभ गिरधरपुरा से माना जाता है।
● 1903 में जागीरदार किशन सिंह ने चँवरी कर नामक कर लगाया व 1905 में इस कर को हटा दिया गया।
● 1906 में नए जागीरदार पृथ्वीसिंह ने तलवार बंधाई नामक कर लगाया जो उत्तराधिकार शुल्क से सम्बंधित था।
● बिजोलिया आंदोलन का सर्वप्रथम नेतृत्व साधु सीतारामदास और फतेहकरण चरण ने किया था।
● 1916 में विजय सिंह पथिक ने बिजोलिया आंदोलन का नेतृत्व संभाला और उमा जी खेड़े को आंदोलन का केंद्र बनाया।
● 1916 में ही विजय सिंह पथिक ने बिजोलिया में किसान पंच बोर्ड की स्थापना की और साधु सीतारामदास को इसका अध्यक्ष बनाया।
● 1917 में विजय सिंह पथिक ने ऊपर माल पँचबोर्ड की स्थापना की और मन्ना जी पटेल को इसका अध्यक्ष बनाया। (हरियाली अमावस्या के दिन)
● सिंह पथिक ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय रूप देने के लिए कानपुर से प्रकाशित गणेश शंकर विद्यार्थी के समाचार पत्र प्रताप का सहारा लिया।
● 1920 के बाद इस आंदोलन का नेतृत्व राजस्थान सेवा संघ के नेताओं माणिक्य लाल वर्मा, रामनारायण चौधरी, हरिभाऊ उपाध्याय आदि ने किया।
● 1919 में सरकार ने बिजोलिया आंदोलन की जांच के लिए बिंदुलाल भट्टाचार्य आयोग का गठन किया।
● 1919 में ही गांधीजी के सचिव महादेव देसाई ने बिजोलिया के किसानों की दशा जानने के लिए बिजोलिया की यात्रा की।
● तत्कालीन AGG हॉलैंड ने बिजोलिया की यात्रा की और 84 में से 35 लागे हटाने की सिफारिश की।
● 1929 में रामनारायण चौधरी व माणिक्यलाल वर्मा में मतभेद होने के कारण विजय सिंह पथिक इस आंदोलन से अलग हो गए।
● 1941 में माणिक्य लाल वर्मा के प्रयासों से मेवाड़ के प्रधानमंत्री विजय राघवाचारी एवं बिजोलिया के किसानों के मध्य समझौता हो गया। परिणामतः 1941 में ही यह आंदोलन समाप्त हो गया।
● इस समझौते में बिजोलिया के किसानों का प्रतिनिधित्व राजस्थान सेवा संघ के नेताओं ने किया था।

11. मीणा सुधार आंदोलन

● 1924 में भारत सरकार ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट पारित किया था।
● 1930 में जयपुर रियासत ने जयाराम पेशा कानून पारित किया।
● 1944 में सीकर के नीमकाथाना में जैन मुनि मगन सागर की अध्यक्षता में मीणा जाति का एक सम्मेलन किया गया।
● इसी सम्मेलन के दौरान नीमकाथाना में जयपुर राज्य मीणा सुधार समिति का गठन किया गया और बंशीधर शर्मा को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
● 1946 में टक्कर बप्पा के प्रयासों से जयाराम पेशा कानून को समाप्त कर दिया गया, इस कारण ठक्कर बप्पा को मीणा जाति का उद्धारक कहा जाता है।
● 1952 में क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट को भी समाप्त कर दिया।

12. भगत आंदोलन / सम्पसभा

● सम्पसभा की स्थापना – 1883, सिरोही
● संस्थापक – गोविंद गिरी (भीलों के मसीहा)
● उद्देश्य – भील समाज में शिक्षा के प्रति नवजागृति
● प्रेरणा – स्वामी दयानंद सरस्वती
● प्रमुख अधिवेशन – मानगढ़ पहाड़ी (बांसवाड़ा) 17 नवंबर 1913 को
● गोलीकांड – जागीरदार निर्भय सिंह के आदेश पर 1500 स्त्री-पुरुष शहीद हुए।
● इस घटना को प्रथम जलियांवाला बाग हत्याकांड भी कहा जाता है।

राजस्थान में किसान आंदोलन के क्या कारण थे?

राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन का प्रमुख कारण शासक एवं सामन्त वर्ग द्वारा लगाये गये ऊँचे भूमिकर (लगान) कई प्रकार के लाग-बाग (भूमिकर के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के उपकर जो अनिश्चित एवं अनियमित होते थे) तथा बेठ-बेगार लेना था।

कृषक आंदोलन के कौन से कारण है?

भारत में कृषक आंदोलन के मुख्य कारण क्या हैं भारत में कृषक आंदोलन के मुख्य कारण है किसानों पर होने वाले अत्याचार, अवैध करारोपण, अवैतनिक श्रम, उच्च लगान, मनमानी बेदखली एवं भू-राजस्व। भारत में कृषक की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है जिसके कारण कृषि श्रमिक कर्ज में डूबते जा रहे हैं।

राजस्थान में कृषक आंदोलन का प्रारंभ सर्वप्रथम कहाँ हुआ?

1922 ई. में बुंदी रियासत में बरड़ के किसानों द्वारा भंवरलाल सोनी के नेतृत्व मे बरड़ किसान आंदोलन प्रारंभ किया । बूंदी आंदोलन का नेतृत्व पं..
2 अप्रेल, 1923 ई. ... .
डाबी नामक स्थान वर्तमान में बूंदी जिले में स्थित है ।.

किसानों का विद्रोह करने का प्रमुख कारण क्या था?

भारतीय कृषक लगान की ऊँची दरों, अवैध करों, भेदभावपूर्ण बेदखली एवं जमींदारी क्षेत्रों में बेगार जैसी बुराइयों से त्रस्त थे। रैयतवाड़ी क्षेत्रों में सरकार ने स्वयं किसानों पर भारी कर आरोपित कर दिये।

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