प्याज और लहसुन ब्राह्मण क्यों नहीं खाते? - pyaaj aur lahasun braahman kyon nahin khaate?

धर्म डेस्क:  भारत देश एक ऐसा देश है जहां पर कई धर्म, कई तरह की संस्कृति है। इन्हीं धर्मो में से एक धर्म है- हिंदू धर्म। इस धर्म में अनेक रीति-रिवाज, परंपराएं है जो दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह एक ऐसा धर्म है जिसमें अनेक जातियां, उपजातियां है। जिसमें अपने रिवाज, खान-पान औप परंपराएं है। इन्ही में से एक समाज है। वो है ब्राह्मण समाज।

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ब्राह्मण समाज एक ऐसा समाज है। जिसे हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा माना जाता है।इनकी पूजा की जाती है। इन्हें भगवान का दूसरा रुप माना जाता है। इनका जीवन बहुत ही सात्विकता से बीतता है। शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करना। इसमें लहसुन और प्याज का इस्तेमाल न करना।

आपने देखा होगा कि ब्राह्मण अक्सर प्याज और लहसुन आदि से परहेज करते देखे जा सकता है। इसको लकर अपने-अपने मत है। कोई इसे वैज्ञानिक कारण मानता है तो कोई इसे धार्मिक कारण मानता है। आज हम आपको अपनी खबर में इससे जुडे कुछ पहलुओं के बारें में बताएगे कि आखिर ब्राह्मण लहसुन और प्याज से परहेज क्यों करता है?

आयुर्वेद के अनुसार खाद्य पदार्थो को तीन भागों में बांटा गया है जो निम्न है

  1. सात्विक जिसके अंदर शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति के गुण आते है
  2. राजसिक इसमें जुनून और खुशी के गुण आते है।
  3. तामसिक इसमें जुनून, क्रोध, अंहकार और विनाश के गुण आते है।

ब्राह्मण लोग लहसुन और प्याज अंहिसा के चलते नहीं खाते है, क्योंकि यह सब पौधे राजसिक और तामसिक रूप में बंटे हुए है। जिनका मतलब है कि जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते है। क्योंकि यह जमीन पर कई जीवाणुओं की मौत का कारण बनते है। इसलिए इसके सेवन पर मनाही है।

अगली स्लाइड में पढ़े कि शास्त्र क्या कहते है

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हम अकसर ये भी कहते हैं कि प्याज और लहसन तो पेड़ में उगते हैं तो फिर ब्राह्मणों को इसके सेवन पर मनाही क्यों है? कुछ ब्राह्मणों का इस सवाल के जवाब में ये कहना होता है कि चूंकि ये रिवाज कई पीढ़ीयों से उनके परिवार में चलता आ रहा है और इसी वजह से वो भी इसका पालन करते हैं।

वहीं कुछ ब्राह्मणों का ये भी कहना होता है कि ऐसा करना उनके शान के खिलाफ है और इसी के चलते वो ऐसा करने से कतराते हैं। हालांकि शास्त्रों में इस बात का वर्णन बेहद ही अच्छे ढग़ से किया गया है।

समुद्र मंथन के बारे में तो हम सभी ने सुना है। समुद्र मंथन के दौरान जब समुद्र से अमृत का कलश निक ाला गया था, तो भगवान विष्णु सभी देवताओं को अमरत्व प्रदान करने के लिए अमृत बांट रहे थे,उसी दौरान राहु और केतु नामक दो राक्षस भी उनके बीच आकर बैठ गये थे, ऐसे में गलती से भगवान ने उन्हें भी अमृत पिला दिया था लेकिन जैसे ही देवताओं को इस बात का पता चला तो विष्णुजी ने अपने सुदर्शन चक्र से राक्षसों के सिर से उनके धड़ को अलग कर दिया। हालांकि जब तक उनका सिर धड़ से अलग हुआ तब तक अमृत की कुछ बुंदें उनके मुंह के अंदर चली गई थी, ऐसे में उनका सिर अमर हो गया।

विष्णुजी द्वारा जब उन पर प्रहार किया गया तो खून की कुछ बुंदे नीचे गिर गई थी और उन्हीं से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई और यहीं वजह है कि इन्हें खाने से इंसान के मुंह से गंध आती है। हालांकि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी है जैसे कि आयुर्वेद में खाद्य पदार्थो को तीन श्रेणियों में बांटा गया है सात्विक, राजसिक, तामसिक। बता दें कि प्याज ओर लहसुन को राजसिक और तामसिक में बांटा गया है।

ये तामसिक चीजें मनुष्य में कुछ केमिकल सिक्रिएशन्स को बढ़ावा देते हैं जिससे उत्तेजना बढ़ाने वाले हार्मोन्स शरीर में ज्य़ादा प्रवाह होते है। अब यदि इसी बात को आध्यात्म से जोड़े तो उत्तेजना से आध्यात्म के मार्ग पर चलने में समस्या उत्पन्न होती है, जिससे एकाग्रता बाधित होती है और संयम क्षमता का नाश होता है। इसी कारण सनातन धर्म में प्याज,लहसून जैसी तामसिक चीज़ों के सेवन पर मनाही है। ये पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है और इसी विज्ञान को आध्यात्म से जोड़ा गया है।

आपने देखा होगा की ब्राह्मण और जैनी लोग लहसुन और प्याज से दूर रहते है यानी की उनके भोजन में लहसुन – प्याज नहीं होता हैं। परन्तु आप जानते है की आखिर क्यों नहीं खाते ब्राह्मण लहसुन – प्याज। नहीं जानते होंगे। तो कोई बात नहीं आज हम आपको बताने वाले है की आखिर क्यों नहीं खाते ब्राह्मण लहसुन – प्याज।

शास्त्रों के अनुसार क्यों नहीं खाते लहसुन – प्याज

शास्त्रों में भी इसका उल्लेख किया गया है की क्यों नहीं खाते है ब्राह्मण लहसुन – प्याज। आप ये तो जानते होंगे की समद्र मंथन हुआ था। लेकिन इसके पीछे की वजह नहीं जानते होंगे तो आज हम आपको बताते है की क्या हुआ था समुद्र मंथन में की उस एक वजह से ब्राह्मण लहसुन – प्याज नहीं खाते है।

समुद्र मंथन से जुड़ा है बहुत बड़ा कारण

हुआ यूँ था की जब समुद्र मंथन हुआ था तो उसमे से जो अमृत निकला था वह अमृत भगवान विष्णु सभी देवताओं को पीला रहे थे लेकिन देवताओं में दो राक्षस राहु – केतु भी रूप बदल कर आ गए थे जिन्हे भगवान विष्णु ने अमृत पीला दिया था लेकिन जैसे ही पता चला की ये देवता नहीं है तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दोनों का सर धड़ से अलग कर दिया था। लेकिन इतने में कुछ बुँदे मुँह में थी तो कुछ शरीर में चली गई थी। लेकिन जो उनके शरीर से रक्त की बुँदे निकली थी वो नीचे गिर गई। और उसी रक्त की बूंदों से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। जिसकी वजह से लहसुन – प्याज खाने से मुँह से गंध आती हैं।

आपको यह जानकर हैरानी हुई होगी लेकिन यह सत्य घटना हैं। और ब्राह्मण इसलिए नहीं खाते लहसुन प्याज क्योकि लहसुन – प्याज से राक्षसों के खून की गंध आती हैं इसलिए ब्राह्मण इसका सेवन नहीं करते हैं। और ब्राह्मणों का यह मानना है की लहसुन – प्याज में राक्षसों का वास होता हैं।

वैज्ञानिक कारण भी है जो ब्राह्मणों को रोकता है लहसुन – प्याज खाने से

इसके साथ ही इसके कुछ वैज्ञानिक कारण भी होते है जिनकी वजह से ब्राह्मण लहसुन – प्याज नहीं खाते है। जिसकी जानकारी भी हम आपको दे रहे हैं। अगर आयुर्वेद की माने तो खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बाटा गया हैं। जिसमे सात्विक, राजसिक और तामसिक यह तीन श्रेणियां हैं।

अब अगर हम इनके बारे में देखे तो सबसे पहले आता है सात्विक भोजन जिसमे शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण होते है। फिर आता है राजसिक भोजन जिसमे जुनून और खुशी जैसे गुण होते है और आखरी में आता है तामसिक भोजन जिसमे क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण होते है।

अब अगर लहसुन और प्याज को इन भागों में देखा जाए तो प्याज़ और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस (लशुनी) पौधों को राजसिक और तामसिक भाग में वर्गीकृत किया गया है। जिसका अर्थ होता है जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करना। अहिंसा और हत्या हिंदू धर्म में निषिद्ध है। और देखा जाए तो लहसुन – प्याज जमीन के अंदर उगते है और इसके लिए जमीन की सफाई होती हैं जिसकी वजह से सूक्ष्म जीवों की मृत्यु हो जाती हैं यह एक कारण भी है जो ब्राह्मणों के लिए यह निषेद हो जाता है। लेकिन फिर आप सोच रहे होंगे की आलू, मोल्ली और गाजर भी तो जमीन में उगते है।

इसके लिए कुछ लोगो का मानना है की मांस, प्याज और लहसुन का अधिक मात्रा में ग्रहण करना इंसान के व्यवहार में बदलाव का कारण भी बन जाता हैं। शास्त्रों में देखा जाए तो लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं। क्योकि ये अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में भी आते हैं। और ब्राह्मणों को पवित्र रहना होता है क्योकि वह देवी – देवताओं की पूजा करते हैं। जो की सात्विक होते हैं।

ब्राह्मणों को लहसुन प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए?

ब्राह्मण लोग लहसुन और प्याज अंहिसा के चलते नहीं खाते है, क्योंकि यह सब पौधे राजसिक और तामसिक रूप में बंटे हुए है। जिनका मतलब है कि जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते है। क्योंकि यह जमीन पर कई जीवाणुओं की मौत का कारण बनते है। इसलिए इसके सेवन पर मनाही है।

लहसुन और प्याज मांसाहारी है क्या?

प्याज़ और लहसुन शाकाहार हैं किन्तु ये बदबू करते हैं अतः इन्हें खुशी के अवसरों पर प्रयोग नहीं किया जाता। यदि कोई मनुष्य अनजाने में, भूलवश, गलती से या किसी के दबाव में आकर मांसाहार कर लेता है तो भी उसे शाकाहारी ही माना जाता है।

लहसुन और प्याज का आविष्कार कैसे हुआ?

भगवान विष्णु द्वारा सिर काटते ही अमृत की जो बूंदें रक्त के रूप में जमीन पर गिरी, उससे प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई। अमृत से उत्पन्न होने के कारण इन दोनों सब्जियों को रोगनाशक और जीवनदायी माना गया है। लेकिन राक्षसों के मुंह से जन्म लेने के कारण इन्हे देवताओं को अर्पित नहीं किया जाता है।

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