प्रति व्यक्ति आय कम होने के बावजूद केरल की मानव विकास रैंकिंग बेहतर क्यों है? - prati vyakti aay kam hone ke baavajood keral kee maanav vikaas rainking behatar kyon hai?

प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक पंजाब से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत है। चर्चा कीजिए। 

पंजाब और केरल के कुछ तुलनात्मक आँकड़े:

राज्य  शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 व्यक्ति (2003) साक्षरता दर % 2001  कक्षा 1 से 5 का निवल उपस्थिति अनुपात (1995-96)  प्रति व्यक्ति आय 2002-03
पंजाब  49 70 81 26000
केरल  11 91 91 22800

में उपर्युक्त कथन से किसी सीमा तक सीमित हूँ- 
(i) निसंदेह पंजाब की तुलना में केरल की प्रति व्यक्ति आय इस तालिका में दिए गए आँकड़ों के अनुसार कम है, लेकिन आय आँकड़ें जैसे की वर्ष 2002 में प्रति एक हज़ार शिशु मृत्यु दर केरल में मात्र 11 है तो उसी समय में पंजाब में यह दर काफी ऊँची अर्थात् 49 है जो केरल में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्धि का प्रतीक हैं।
(ii) इसी तरह साक्षरता दर प्रतिशत 2001 में केरल में 91 हैं तो पंजाब में उससे काफी निम्न हैं जो कि मात्र 70 हैं। यह केरल में उच्च साक्षरता या अच्छी शिक्षा सुविधाओं कि उपलब्धि का प्रतीक हैं।  
(iii) प्राथमिक शिक्षा में छात्रों की उपस्थिति की दृष्टि से केरल की स्थिति पंजाब की अपेक्षा बेहतर है। पंजाब में 1995-96 में केवल अनुपात 81 छात्रों का है तो केरल में यह अनुपात 91 है। 

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निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज़ से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?  

  • बांग्लादेश 

  • श्रीलंका

  • Nepal

  • Nepal

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सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है-

  • प्रतिव्यक्ति आय  

  • औसत साक्षरता स्तर    

  • लोगों की स्वास्थ्य स्थिति      

  • लोगों की स्वास्थ्य स्थिति      

D.

लोगों की स्वास्थ्य स्थिति      

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विश्व बैंक विभिन वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?    

विभिन्न देशों के वर्गीकरण में विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुख्य मापदंड:
प्रति व्यक्ति आय वाले देश जिनके प्रति वर्ष 12616 डॉलर प्रति वर्ष और उससे अधिक की राशि है, उन्हें अमीर देश कहा जाता है और जिनकी प्रति व्यक्ति आय 1035 अमेरिकी डॉलर या उससे कम है उन्हें कम आय वाले देश कहते हैं। भारत कम मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में आता है क्योंकि 2012 में प्रति व्यक्ति आय केवल 1530 डॉलर प्रति वर्ष थी। मध्य पूर्व और कुछ अन्य छोटे देशों को छोड़कर अमीर देशों को सामान्यतः विकसित देश कहा जाता है।

सीमियाएँ:
इस मापदंड की सीमाएं यह है कि जबकि औसत आय प्रतिस्पर्धा के लिए उपयोगी है, यह हमें यह नहीं बताती है कि लोगों के बीच यह आय कितनी है, एक देश में अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है। लोग न तो बहुत अमीर हो सकते हैं और न ही बहुत गरीब हैं लेकिन एक ही देश में एक ही औसत आय के साथ, एक व्यक्ति अत्यंत समृद्ध हो सकता है, जबकि अन्य बहुत खराब हो सकते हैं इसलिए, औसत आय की विधि किसी देश की सही तस्वीर नहीं देती है।
यह मापदंड लोगों के बीच असमानताओं को छुपाता है।

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विकास मापने का यू. एन. डी. पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग हैं?     

यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) देशों की तुलना उस देश के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनके स्वास्थ्य और प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष के आधार पर करता हैं। किन्तु उस देश के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनके स्वास्थ्य और प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष के आधार पर करता हैं किन्तु विकास को मापने के लिए विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाना वाला मापदण्ड केवल प्रति व्यक्ति अथवा औसत आय हैं।
संक्षेप में, मानव विकास मापदण्ड यूएनडीपी द्वारा उपयोग किया जाता है, जबकि विश्व बैंक द्वारा केवल आर्थिक विकास किया जाता है।

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मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रूपये हैं। अगर तीन परिवारों की आय क्रमश: 4,000, 7,000 और 3,000 रूपये हैं, तो चौथे परिवार की आय क्या हैं?

  • 7500 रूपये

  • 3000 रूपये

  • 2000 रूपये 

  • 2000 रूपये 

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