उत्तर- पूर्ति का नियम- पूर्ति और कीमत के सम्बन्ध को ही 'पूर्ति का नियम' कहते हैं। अन्य बातों के यथास्थिर रहने पर, किसी वस्तु या सेवा की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी पूर्ति में वृद्धि हो जाती है और कीमत में कमी होने पर पूर्ति में भी कमी हो जाती है। इसे ही पूर्ति का नियम कहते हैं। अतः पूर्ति का नियम कीमत तथा पूर्ति की मात्रा के बीच सीधे सम्बन्ध को व्यक्त करता है।
Solution : पूर्ति का नियम-यह बताता है कि अन्य बातें समान रहें तो वस्तु की कीमत तथा पूर्ति में धनात्मक संबंध पाया जाता है। अर्थात् ज्यों-ज्यों वस्तु की कीमत बढ़ती है, इसकी पूर्ति भी बढ़ती है। अन्य बातें समान रहे. की मान्यता का अर्थ है कि कीमत के अलावा .अन्य तत्व स्थिर रहें। इसमें अन्य पदार्थों की कीमत, आगतों की कीमतें, संबंधित वस्तुओं की कीमतों तथा करों में परिवर्तन भविष्य संबंधी सम्भावनाएँ तथा उत्पादन तकनीक आदि स्थिर रहें। अन्य कारक समान रहने पर वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उत्पादक उसकी अधिक पूर्ति करता है तथा वस्तु की कीमत में कमी होने पर उत्पादक वस्तु की कम मात्रा में पूर्ति करता है। इसे पूर्ति का नियम कहते हैं। पूर्ति के नियम को पूर्ति अनुसूची व वक्र की सहायता से समझाया जा सकता है
पूर्ति अनुसूची विभिन्न कीमतों पर वस्तु की पूर्ति की गई मात्राओं को दर्शाती है। जैसे-जैसे कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तो पूर्ति की मात्रा भी बढ़ती है पूर्ति वक्र का ढाल धनात्मक है जो इस बात को दर्शाता है कि पूर्ति की मात्रा वस्तु की कीमत बढ़ने पर बढ़ जाती है। 3. उत्पादक का उद्देश्य - सामान्यत: उत्पादक का उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना होता है। अत: वह वस्तु का केवल उतना ही उत्पादन करता हैं जिससे उसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो। लेकिन यह भी सभ्ंव है कि उत्पादक का उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करने के स्थान पर वस्तु की अधिकतम बिक्री करना हो। ऐसी स्थिति में वह लाभ की मात्रा का एक लक्ष्य अपने सामने रखता हैं आरै वस्तु की पूर्ति तब तक बढा़ता रहता है जब तक कि उसके लाभ के लक्ष्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पडे। इस प्रकार उत्पादक का उद्देश्य भी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करता है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (MSCS) संशोधन विधेयक, 2022 को मंज़ूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन करना है।
- सहकारिता क्षेत्र के विकास को नए सिरे से गति प्रदान करने के उद्देश्य से जुलाई 2021 में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया था।
विधेयक में प्रस्तावित संशोधन:
- यह संशोधन व्यवसाय करने में आसानी, अधिक पारदर्शिता और शासन को बढ़ाने का प्रयास करते है।
- इसमें बहु-राज्य सहकारी समितियों के बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के प्रतिनिधित्व से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- ये संशोधन चुनावी प्रक्रिया में सुधार, निगरानी तंत्र को मज़बूत करने और जवाबदेही बढ़ाने के लिये लाए गए हैं।
- यह बहु-राज्य सहकारी समितियों को धन जुटाने में सक्षम बनाने के अलावा बोर्ड की संरचना का विस्तार करेगा और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करेगा।
- बहु-राज्य सहकारी समितियों के शासन में सुधार के लिये विधेयक में सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी लोकपाल की स्थापना के लिये विशिष्ट प्रावधान हैं।
- बहु-राज्य सहकारी समितियों को धन जुटाने में मदद करने के लिये गैर मतदान शेयर जारी करने का भी प्रावधान होगा।
- इसके अलावा नव प्रस्तावित पुनर्वास, पुनर्निर्माण और विकास कोष रुग्ण सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा।
- विधेयक में 97वें संविधान संशोधन के प्रावधान शामिल होंगे।
- इसके अलावा विवेकपूर्ण मानदंडों को निर्धारित करने का प्रावधान वित्तीय अनुशासन लाएगा। ऑडिटिंग तंत्र से संबंधित संशोधन अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे।
MSCS अधिनियम, 2002:
- परिचय:
- बहु-राज्य सहकारी समितियाँ: हालाँकि सहकारिता राज्य का विषय है, फिर भी कई समितियाँ हैं जैसे कि चीनी और दूध, बैंक, दूध संघ आदि जिनके सदस्य तथा संचालन के क्षेत्र एक से अधिक राज्यों में फैले हुए हैं।
- उदाहरण के लिये, कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा क्षेत्य्र के ज़िलों की अधिकांश चीनी मिलें दोनों राज्यों से गन्ना खरीदती हैं।
- महाराष्ट्र में ऐसी सहकारी समितियों की संख्या सबसे अधिक (567) है, इसके बाद उत्तर प्रदेश (147) और नई दिल्ली (133) का स्थान है।
- ऐसी सहकारी समितियों को संचालित करने के लिये MSCS अधिनियम पारित किया गया था।
- कानूनी क्षेत्राधिकार: इनके निदेशक मंडल में उन सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है जिनमें वे कार्य करते हैं।
- इन समितियों का प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास है एवं कानून यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी उन पर नियंत्रण नहीं रख सकता है।
- केंद्रीय रजिस्ट्रार का विशेष नियंत्रण राज्य के अधिकारियों के हस्तक्षेप के बिना इन समितियों के सुचारू संचालन की अनुमति देने के लिये था।
- बहु-राज्य सहकारी समितियाँ: हालाँकि सहकारिता राज्य का विषय है, फिर भी कई समितियाँ हैं जैसे कि चीनी और दूध, बैंक, दूध संघ आदि जिनके सदस्य तथा संचालन के क्षेत्र एक से अधिक राज्यों में फैले हुए हैं।
- संबद्ध चिंताएँ:
- नियंत्रण और संतुलन की कमी: जबकि राज्य-पंजीकृत समितियों की प्रणाली की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये कई स्तरों पर जाँच और संतुलन शामिल है।
- केंद्रीय रजिस्ट्रार केवल विशेष परिस्थितियों में ही समितियों के निरीक्षण की अनुमति दे सकता है।
- इसके अलावा, निरीक्षण समितियों को पूर्व सूचना के बाद ही कार्यान्वयित किया जा सकता है।
- केंद्रीय रजिस्ट्रार का कमज़ो संस्थागत ढाँचा: केंद्रीय रजिस्ट्रार के लिये बुनियादी ढाँचे का अभाव है, राज्य स्तर पर कोई अधिकारी या कार्यालय नहीं है, ज़्यादातर काम या तो ऑनलाइन या पत्राचार के माध्यम से किया जाता है।
- इससे शिकायत निवारण तंत्र बेहद कमज़ोर हो गया है।
- इसके कारण कई उदाहरण सामने आए हैं जब क्रेडिट सोसाइटियों ने इन खामियों का फायदा उठाते हुए पोंजी योजनाओं की शुरुआत की हैं।
- नियंत्रण और संतुलन की कमी: जबकि राज्य-पंजीकृत समितियों की प्रणाली की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये कई स्तरों पर जाँच और संतुलन शामिल है।
भारत में सहकारिता:
- परिभाषा:
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (The International Cooperative Alliance-ICA) सहकारी समिति को "संयुक्त स्वामित्त्व वाले और लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित उद्यम के माध्यम से अपनी आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक ज़रूरतों तथा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये स्वेच्छा से एकजुट व्यक्तियों के स्वायत्त संघ" के रूप में परिभाषित करता है।
- भारत में सफल सहकारी समितियों के उदाहरण:
- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED),
- भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO)
- अमूल
- भारत में सफल सहकारी समितियों के उदाहरण:
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (The International Cooperative Alliance-ICA) सहकारी समिति को "संयुक्त स्वामित्त्व वाले और लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित उद्यम के माध्यम से अपनी आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक ज़रूरतों तथा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये स्वेच्छा से एकजुट व्यक्तियों के स्वायत्त संघ" के रूप में परिभाषित करता है।
- संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान (97वाँ संशोधन) अधिनियम, 2011 ने भारत में काम कर रही सहकारी समितियों के संबंध में एक नया भाग IX B जोड़ा।
- संविधान के भाग III के तहत अनुच्छेद 19(1)(c) में "संघों और संघठनों" के रूप में "सहकारिता" शब्द जोड़ा गया था।
- यह सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार का दर्जा देकर सहकारी समितियों के गठन में सक्षम बनाता है।
- (भाग IV) में "सहकारी समितियों के प्रचार" के संबंध में एक नया अनुच्छेद 43B जोड़ा गया था।
- संविधान के भाग III के तहत अनुच्छेद 19(1)(c) में "संघों और संघठनों" के रूप में "सहकारिता" शब्द जोड़ा गया था।
- संविधान (97वाँ संशोधन) अधिनियम, 2011 ने भारत में काम कर रही सहकारी समितियों के संबंध में एक नया भाग IX B जोड़ा।
- सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:
- जुलाई 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने 97वें संशोधन अधिनियम, 2011 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, भाग IX B (अनुच्छेद 243ZH से 243ZT) ने अपने सहकारी क्षेत्र पर राज्य विधानसभाओं की ’अनन्य विधायी शक्ति’ को ‘महत्त्वपूर्ण और पर्याप्त रूप से प्रभावित’ किया है।
- साथ ही 97वें संविधान संशोधन के प्रावधानों को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किये बिना संसद द्वारा पारित किया गया था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राज्यों के पास विशेष रूप से उनके लिये आरक्षित विषयों पर कानून बनाने की विशेष शक्ति है (सहकारिता राज्य सूची का एक हिस्सा है)।
- 97वें संविधान संशोधन के लिये अनुच्छेद 368(2) के तहत कम-से-कम आधे राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है।
- चूँकि 97वें संविधान संशोधन के मामले में अनुसमर्थन नहीं किया गया था, इसलिये इसे रद्द कर दिया गया।
- इसने भाग IX B के प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखा, जो ‘बहु-राज्य सहकारी समितियों’ (MSCS) से संबंधित हैं।
- इसने कहा कि ‘बहु-राज्य सहकारी समितियों’ का विषय केवल एक राज्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें विधायी शक्ति भारत संघ की होगी।
- जुलाई 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने 97वें संशोधन अधिनियम, 2011 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न
प्रश्न. अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण के अनुसार, "गाँवों में सहकारी समिति के अलावा कोई भी ऋण संगठन उपयुक्त नहीं होगा"। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि के आधार पर इस कथन की विवेचना कीजिये। कृषि वित्त की आपूर्ति करने वाले वित्तीय संस्थानों को किन बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण ग्राहकों तक बेहतर पहुँच एवं सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? (200 शब्द) (2014)
स्रोत: द हिंदू
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चौथा हेली-इंडिया शिखर सम्मेलन, 2022
- टैग्स:
- सामान्य अध्ययन-III
- वृद्धि एवं विकास
- आधारिक संरचना
प्रिलिम्स के लिये:
चौथा हेली-इंडिया समिट 2022, भारत का नागरिक उड्डयन क्षेत्र, उड़ान योजना, हेली-सेवा पोर्टल, हेली दिशा, हेलीकॉप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ।
मेन्स के लिये:
वृद्धि और विकास, आधारभूत संरचना, भारतीय विमानन बाज़ार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, नागरिक उड्डयन मंत्री ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चौथे हेली-इंडिया शिखर सम्मेलन, 2022 का उद्घाटन किया।
- थीम: हेलीकॉप्टर्स फॉर लास्ट माइल कनेक्टिविटी (Helicopters for Last Mile Connectivity)।
शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:
- नागरिक उड्डयन क्षेत्र में उपलब्धियों की घोषणा करते हुए यह बताया गया कि देश में वर्ष 1947 से 2014 तक केवल 74 हवाई अड्डे थे, लेकिन पिछले सात वर्षों में इनकी संख्या बढ़कर 141 हो गई है।
- जम्मू में एक सिविल एन्क्लेव बनाने का प्रस्ताव है और श्रीनगर के वर्तमान टर्मिनल का तीन गुना विस्तार किया जाएगा।
- फ्रैक्शनल ओनरशिप मॉडल और हेलीकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज़ (HEMS) नामक पायलट प्रोजेक्ट विकसित करने की घोषणा की गई है।
- आंशिक स्वामित्व मॉडल: यह गैर-अनुसूचित कार्यों में सहायता करता है।
- यह बहु-स्वामित्व द्वारा एकत्रित पूंजी के माध्यम से हेलीकाप्टरों और हवाई जहाज़ के अधिग्रहण में आने वाले अवरोधों को कम करेगा।
- HEMS: इसे प्रोजेक्ट संजीवनी भी कहा जाता है; एम्स ऋषिकेश में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने के लिये एक हेलीकॉप्टर तैनात किया जाएगा।
- इसके तहत हेलीकॉप्टर 20 मिनट की समय अवधि के भीतर अस्पताल में स्थित होगा और इसमें 150 किलोमीटर के दायरे को शामिल किया गया है।
- आंशिक स्वामित्व मॉडल: यह गैर-अनुसूचित कार्यों में सहायता करता है।
भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र का परिदृश्य:
- परिचय:
- हेलीकॉप्टरों की प्रमुख भूमिका शहरी संपर्क प्रदान करना है और साथ ही बचाव कार्यों आदि के दौरान आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना तथा आपदा प्रबंधन में उपयोग इसके अन्य विविध कार्य हैं।
- भारत में नागरिक उड्डयन उद्योग पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में सबसे तेज़ी से बढ़ते उद्योगों में से एक के रूप में उभरा है और इसे मोटे तौर पर अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइंस, गैर-अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा शामिल है, जबकि चार्टर सेवा में ऑपरेटर, एयर टैक्सी, एयर कार्गो सेवा शामिल है।
- महत्त्व:
- वर्तमान में भारत दुनिया का 7वाँ सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बाज़ार है और अगले 10 वर्षों में इसके तीसरा सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बाज़ार बनने की उम्मीद है।
- इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के अनुसार, भारत अगले दस वर्षों में (2030 तक) दुनिया के तीसरे सबसे बड़े हवाई यात्री बाज़ार के रूप में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका से आगे निकल सकता है।
- भारत में हवाई यात्रा से संबंधित अनुमान के अनुसार, घरेलू यात्री यातायात वित्त वर्ष-2022 में 58.5% की वृद्धि के साथ 166.8 मिलियन तक पहुँच जाएगा और इसी क्रम में अंतर्राष्ट्रीय यात्री यातायात प्रतिवर्ष 118% की वृद्धि के साथ 22.1 मिलियन तक पहुँच जाएगा।
- अवसर:
- FDI: ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड दोनों परियोजनाओं के साथ-साथ रखरखाव, मरम्मत एवं ओवरहाल (MRO) सेवाओं तथा ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं के लिये स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है।
- विस्तार क्षेत्र: भारतीय नागरिक उड्डयन MRO बाज़ार, वर्तमान में लगभग 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है और वर्ष 2025 तक लगभग 14-15% की CAGR से बढ़कर 4.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने का अनुमान है।
- यह अनुमान है कि वर्ष 2038 तक देश के विमानों का बेड़ा चौगुना हो जाएगा जिसकी क्षमता लगभग 2500 विमान की होगी।
- नए हवाई अड्डों को जोड़ना: सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024 तक (उड़ान-UDAN-योजना के तहत) 100 हवाई अड्डों का विकास करना है और वैश्विक मानकों के अनुरूप विश्व स्तरीय नागरिक उड्डयन बुनियादी ढाँचा तैयार करना है।
संबंधित पहलें:
- हेली-सेवा पोर्टल:
- हेली-सेवा पोर्टल पूरी तरह से ऑनलाइन है और सभी ऑपरेटरों द्वारा हेलीपैड के लिये लैंडिंग अनुमति प्राप्त करने हेतु उपयोग में लाया जा रहा है, यह देश में हेलीपैड के डेटाबेस का भी निर्माण कर रहा है।
- हेली-दिशा:
- राज्य प्रशासन के लिये हेलीकॉप्टर संचालन पर मार्गदर्शन सामग्री, हेली-दिशा को 780 ज़िलों में वितरित किया गया है।
- इसमें हेलीकॉप्टर के आकार, वज़न, संचालन आदि से संबंधित सभी नियम शामिल हैं जिसे देश भर में ज़िला प्रशासन को इसके बारे में जागरूक करने के लिये वितरित किया जाएगा।
- हेलीकॉप्टर एक्सेलेरेटर सेल:
- हेलीकॉप्टर एक्सेलेरेटर सेल हेलीकॉप्टर से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिये सक्रिय रूप से काम कर रहा है और व्यापार प्रतिनिधियों का सलाहकार समूह समस्या वाले क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता कर रहा है।
- उड़े देश का आम नागरिक:
- उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान) को वर्ष 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के रूप में लॉन्च किया गया था।
- यह क्षेत्रीय विमानन बाज़ार को विकसित करने के लिये एक अभिनव योजना है।
- कृषि उड़ान 2.0 योजना:
- यह कृषि-कटाई और हवाई परिवहन के बेहतर एकीकरण एवं अनुकूलन के माध्यम से मूल्य में सुधार, विभिन्न एवं गतिशील परिस्थितियों में कृषि-मूल्य शृंखला को स्थिरता व लचीलापन प्रदान करने में सहायता करता है।
आगे की राह
- नागरिक उड्डयन अब न केवल भारत के लिये बल्कि दुनिया भर में मानव जाति हेतु समय की आवश्यकता बन गया है क्योंकि यह हमेशा अपने साथ दो महत्त्वपूर्ण गुणक- आर्थिक गुणक और रोज़गार गुणक लाता है।
- उद्योग के हितधारकों को भारत के नागरिक उड्डयन उद्योग को बढ़ावा देने वाले कुशल और तर्कसंगत निर्णयों को लागू करने के लिये नीति निर्माताओं के साथ जुड़ना एवं सहयोग करना चाहिये।
- सही नीतियों और गुणवत्ता, लागत तथा यात्री हित पर निरंतर ध्यान देने के साथ भारत वर्ष 2020 तक तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाज़ार बनने के अपने दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये अच्छी स्थिति में होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत संयुक्त उद्यमों के माध्यम से भारत में हवाई अड्डों के विकास का परीक्षण कीजिये। इस संबंध में अधिकारियों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं? (मुख्य परीक्षा, 2017)।
प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन कानून सभी देशों को उनके क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र पर पूर्ण और अनन्य संप्रभुता प्रदान करते हैं। 'हवाई क्षेत्र' से आप क्या समझते हैं ? इस हवाई क्षेत्र के ऊपर अंतरिक्ष पर इन कानूनों के क्या प्रभाव हैं? इससे उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और खतरे को नियंत्रित करने के उपाय सुझाएँ। (मुख्य परीक्षा, 2014)
स्रोत: पी.आई.बी.
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भारत- न्यूज़ीलैंड संबंध
- टैग्स:
- सामान्य अध्ययन-II
- भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते
प्रिलिम्स के लिये:
QUAD, सप्लाई चेन रेज़ीलियेंस इनीशिएटिव (SCRI), हिंद-प्रशांत क्षेत्र
मेन्स के लिये:
भारत-ऑस्ट्रेलिया सामरिक संबंध
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री (EAM) ने न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया।
- बैठक में विभिन्न भू-राजनीतिक मुद्दे शामिल थे जैसे कि भारत-न्यूज़ीलैंड एक साथ्, इंडो-पैसिफिक जैसे बड़े क्षेत्र के प्रगति में किस प्रकार सहयोग कर सकता है। इसके अलावा उन्होंने भारत-प्रशांत में वर्तमान सुरक्षा स्थिति और यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न परिणामों पर भी चर्चा की।
भारत न्यूज़ीलैंड संबंध के विभिन्न आयाम:
- ऐतिहासिक संबंध: भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच लंबे समय से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। ये संबंध 1800 के दशक से हैं, जब 1850 के दशक में भारतीय क्राइस्टचर्च में बसे थे। 1890 के दशक में पंजाब और गुजरात से बड़ी संख्या में अप्रवासी न्यूज़ीलैंड आए। वर्ष 1915 में गैलीपोली में एंज़ैक के साथ भारतीय सैनिकों ने लड़ाई लड़ी थी।
- राजनीतिक संबंध: भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच सौहार्दपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण संबंध हैं जो राष्ट्रमंडल, संसदीय लोकतंत्र तथा अंग्रेज़ी भाषा के संदर्भ में निहित हैं। दोनों देश एक ही वर्ष में स्वतंत्र हुए और भारत का राजनयिक प्रतिनिधित्त्व वर्ष 1950 में एक व्यापार आयोग के उद्घाटन के साथ स्थापित किया गया, जिसका अद्यतन बाद में उच्चायोग के रूप में किया गया।
- दोनों देश निरस्त्रीकरण, वैश्विक शांति, उत्तर-दक्षिण वार्ता, मानवाधिकार, पारिस्थितिक संरक्षण और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता में विश्वास रखते हैं।
- कोविड-19 महामारी पर सहयोग: दोनों देशों ने आवश्यक वस्तुओं, दवाओं और टीकों की आपूर्ति शृंखला की निरंतरता सुनिश्चित करके महामारी के खिलाफ लड़ाई में व्यापक द्विपक्षीय सहयोग किया। दोनों देशों ने कोविड-19 के मद्देनज़र फँसे एक-दूसरे के नागरिकों को स्वदेश लाने में भी मदद की।
- व्यापारिक संबंध: 11वाँ सबसे बड़ा टू-वे ट्रेडिंग पार्टनर जिसका कुल टू-वे ट्रेड वर्ष 2020 के दौरान 1.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। शिक्षा और पर्यटन भारत के साथ न्यूज़ीलैंड के विकास क्षेत्र हैं। लगभग 15000 (महामारी से पहले) भारतीय विद्यार्थी न्यूज़ीलैंड के लिये अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं।
- वर्ष 2018 में न्यूज़ीलैंड में भारतीय पर्यटकों की संख्या 67,953 थी, जो विश्व में 9वीं सबसे बड़ी संख्या थी।
- भारत मुख्य रूप से न्यूज़ीलैंड से लकड़ी और वानिकी उत्पाद, लकड़ी का गूदा, ऊन एवं खाद्यान्न, फल एवं मेवा आयात करता है।
- न्यूज़ीलैंड को होने वाला भारतीय निर्यात में ज़्यादातर फार्मास्यूटिकल्स / दवाएँ, कीमती धातु और रत्न, कपड़ा एवं मोटर वाहन तथा गैर-बुना हुआ परिधान व सहायक उपकरण शामिल हैं।
- भारत, न्यूज़ीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) साझा करता है।
- व्यापारिक गठबंधन: भारत-न्यूज़ीलैंड व्यापार परिषद (INZBC) और भारत-न्यूज़ीलैंड व्यापार गठबंधन (INZTA) दो प्रमुख संगठन हैं जो भारत- न्यूज़ीलैंड व्यापार एवं निवेश संबंधों को बढ़ावा देने के लिये काम कर रहे हैं।
- सांस्कृतिक संबंध: दिवाली, होली, रक्षाबंधन, बैसाखी, गुरुपर्व, ओणम, पोंगल आदि सहित सभी भारतीय त्योहार पूरे न्यूज़ीलैंड में बहुत उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। दिवाली की कहानी को दर्शाने वाले चार नए टिकटों का एक समूह न्यूज़ीलैंड पोस्ट द्वारा वर्ष 2021 में जारी किया गया है। न्यूज़ीलैंड में भारतीय मूल के लगभग 2,50,000 व्यक्ति और NRI हैं, जिनमें से अधिकांश ने न्यूज़ीलैंड को अपना स्थायी घर बना लिया है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध के विभिन्न आयाम:
- ऐतिहासिक संबंध: ऑस्ट्रेलिया और भारत ने सर्वप्रथम स्वतंत्रता से पूर्व राजनयिक संबंध स्थापित किये, जब भारत के वाणिज्य दूतावास को पहली बार वर्ष 1941 में सिडनी में एक व्यापार कार्यालय के रूप में खोला गया था। शीत युद्ध की समाप्ति और साथ ही 1991 में प्रमुख आर्थिक सुधारों को शुरू करने के भारत के निर्णय ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों के विकास की दिशा में सकारात्मक पहल की। समय बीतने के साथ, मौजूदा आर्थिक संबंधों के साथ-साथ रणनीतिक संबंध को भी प्रोत्साहन मिला।
- भारत-ऑस्ट्रेलिया सामरिक संबंध: बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ ऑस्ट्रेलिया द्वारा भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखा जाता है। इससे द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी' में उन्नत किया गया,, जिसमें 2009 में सुरक्षा सहयोग पर एक संयुक्त घोषणा शामिल है। द्विपक्षीय तंत्रों में उच्च स्तरीय दौरे, प्रधानमंत्रियों की वार्षिक बैठकें, विदेश मंत्रियों की वार्ता, संयुक्त व्यापार और वाणिज्य मंत्रालयी आयोग शामिल हैं। भारत-ऑस्ट्रेलिया '2+2' विदेश सचिव और रक्षा सचिव संवाद, क्वाड, रक्षा नीति वार्ता, ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा परिषद आदि कुछ अन्य आयाम हैं।
- व्यापार संबंध: बढ़ते भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध दोनों देशों के बीच तेज़ी से विविधीकरण एवं गहन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिरता तथा मज़बूती में योगदान करते हैं।
- ऑस्ट्रेलिया, भारत का 17वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत, ऑस्ट्रेलिया का 9वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय व्यापार (वस्तु और सेवाओं दोनों का) 2021 में 5 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का रहा है।
- ऑस्ट्रेलिया को होने वाला भारत से वस्तु निर्यात 2019 और 2021 के बीच 135% बढ़ा है। भारत के निर्यात में मुख्य रूप से तैयार उत्पाद शामिल हैं और यह वर्ष 2021 में 6.9 बिलियन अमेरिकी डाॅलर था।
- वर्ष 2021 में ऑस्ट्रेलिया से होने वाला भारत में वस्तु आयात 15.1 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का था, जिसमें बड़े पैमाने पर कच्चे माल, खनिज और मध्यवर्ती वस्तुएँ शामिल थीं।
- भारत ने वर्ष 2022 में ऑस्ट्रेलिया के साथ एक भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (Ind- Aus ECTA) पर हस्ताक्षर किये।
- भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ त्रिपक्षीय ‘सप्लाई चेन रेज़ीलियेंस इनीशिएटिव’ (SCRI) में शामिल है जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति शृंखलाओं में लचीलेपन को बढ़ाने का प्रयास करता है।
आगे की राह
- भारत की मज़बूत अर्थव्यवस्था, विशाल जनसंख्या और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार बनाते हैं। इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव और आक्रामकता के कारण हिंद-प्रशांत के देशों के साथ संबंध स्थापित करना एक प्राथमिकता है। यह भारत के लिये इस क्षेत्र में एक प्रमुख नेता के रूप में उभरने की एक विशाल क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न
प्रश्न. चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) स्वयं को एक सैन्य गठबंधन से एक व्यापार संगठन के रूप में परिवर्तित कर रहा है, वर्तमान संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
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अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस
- टैग्स:
- सामान्य अध्ययन-II
- सामान्य अध्ययन-I
- महिलाओं की भूमिका
- महिलाओं से संबंधित मुद्दे
- रोज़गार
- समावेशी विकास
प्रिलिम्स के लिये:
अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस नागरिक समाज संगठन, मनरेगा, यूपीएससी, आईएएस, यूपीएससी सीएसई विगत वर्ष के प्रश्न
मेन्स के लिये:
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं के मुद्दे, ग्रामीण महिला श्रमिकों के उत्थान के लिये किये जा सकने वाले उपाय
चर्चा में क्यों?
प्रत्येक वर्ष 15 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस
- पृष्ठभूमि:
- इस दिवस की स्थापना ग्रामीण महिलाओं को सम्मानित करने के उद्देश्य से वर्ष 1995 में बीजिंग में आयोजित महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों द्वारा विशेष दिवस के रुप में की गई थी।
- ग्रामीण महिलाओं का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 15 अक्तूबर, 2008 को मनाया गया। इस नए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना महासभा ने वर्ष 2007 में अपने संकल्प 62/136 में की थी।
- परिचय:
- इस दिन का उद्देश्य इस तथ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना है कि ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी पारिवारिक आजीविका में विविधता लाती है, फिर भी उनके प्रयासों की काफी हद तक सराहना नहीं की जाती है।
- यह "कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा में सुधार तथा ग्रामीण गरीबी उन्मूलन" में स्थानीय महिलाओं सहित ग्रामीण महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका एवं योगदान को मान्यता देता है।
- वर्ष 2022 के लिये थीम:
- "ग्रामीण महिलाएँ, भूख और गरीबी से मुक्ति हेतु दुनिया की कुंजी।""
भारत में ग्रामीण महिला कामगारों के समक्ष चुनौतियाँ:
- डेटा की अपूर्ण प्रस्तुति:
- कुछ ग्रामीण महिलाओं ने इस विश्वास के कारण कार्य की तलाश करना बंद कर दिया कि ‘कोई काम उपलब्ध नहीं है’, उन्हें भ्रमित रूप से कार्य ‘छोड़ने’ (Dropping out) या श्रम ‘बाज़ार छोड़ने’ वाली श्रमिक महिलाओं के रूप में वर्णित किया जाता है। इस प्रकार उनके कार्य छोड़ने को विवशता के बजाय उनके ‘चयन’ के रूप में दर्शाया जाता है।
- वेतन में समानता का अभाव:
- शारीरिक श्रम कार्य के क्षेत्र में मात्रानुपाती दर (Piece rate) के संदर्भ में महिलाओं को पुरुषों से कम भुगतान किया जाता है क्योंकि भारी वज़न उठाने में वे अपेक्षाकृत कम शारीरिक क्षमता रखती हैं।
- शिक्षा की कमी:
- अधिकांश महिला निर्माण श्रमिक, ‘निर्माण श्रमिक’ (Construction Workers) के रूप में पंजीकृत नहीं हैं और इसलिये निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड से किसी भी लाभ की प्राप्ति हेतु पात्रता नहीं रखतीं।
- भुगतानयुक्त औपचारिक नौकरियाँ उच्च शैक्षणिक योग्यता-प्राप्त पुरुषों और महिलाओं के हिस्से में जाती हैं, जिससे माध्यमिक स्तर तक ही शिक्षा प्राप्त महिलाओं को गैर-कृषि, निर्माण, घरेलू देखभाल कार्य तथा अन्य भूमिकाओं के लिये विवश होना पड़ता है।
- मनरेगा की सीमितता:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) एक श्रम मांग-संचालित कार्यक्रम है जो प्रतिवर्ष सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं में केवल 100 दिनों के भुगतान योग्य श्रम प्रदान करने तक ही सीमित है।
- शेष अवधि के लिये महिला श्रमिकों को लगातार आय के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में रहना पड़ता है ताकि वे अपने खर्चों की पूर्ति कर सकें।
- वित्तीय बाधाएँ:
- महिलाएँ अपने विभिन्न कार्यों (जिनके लिये कोई निश्चित दर भी नहीं होती) से जो आय अर्जित करती हैं, वह उनके श्रम के उचित मूल्य की पुष्टि नहीं करती।
पर्याप्त धन की अनुपलब्धता और ज्ञान की कमी के कारण वे ऋण जाल में उलझने के प्रति सर्वाधिक भेद्य या असुरक्षित होती हैं।
- महिलाएँ अपने विभिन्न कार्यों (जिनके लिये कोई निश्चित दर भी नहीं होती) से जो आय अर्जित करती हैं, वह उनके श्रम के उचित मूल्य की पुष्टि नहीं करती।
ग्रामीण महिला श्रमिकों के उत्थान के लिये की गई पहलें:
- ई-श्रम पोर्टल:
- श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने ई-श्रम (e-Shram) पोर्टल लॉन्च किया है।
- इसका लक्ष्य श्रमिक, प्रवासी कार्यबल, स्ट्रीट वेंडर्स और घरेलू कामगारों जैसे 38 करोड़ असंगठित कामगारों को पंजीकृत करना है।
- यदि कोई कामगार ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत है तो दुर्घटना की स्थिति में मृत्यु या स्थायी विकलांगता का शिकार होने पर 2 लाख रुपए और आंशिक विकलांगता पर 1.0 लाख रुपए पाने का पात्र होगा।
- महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना (MKSP):
- ग्रामीण विकास मंत्रालय ने वर्ष 2011 में MSKP को लॉन्च किया।
- इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के लिये कौशल विकास और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की पेशकश करना है।
- यह योजना DAY-NRLM (दीनदयाल अन्त्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के एक उप-घटक के रूप में शुरू की गई थी और भारत भर में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) के माध्यम से लागू की गई।
- NRLM योजना के तहत कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन (CRP) और विस्तार एजेंसियों के माध्यम से महिला किसानों को नवीनतम कृषि एवं संबद्ध तकनीकों के उपयोग तथा कृषि-पारिस्थितिक सर्वोत्तम अभ्यासों के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY):
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने वर्ष 2015 में PMKVY को लॉन्च किया।
- यह ग्रामीण युवाओं एवं महिलाओं को अल्पकालिक प्रशिक्षण (STT) और पूर्व शिक्षण की मान्यता (RPL) जैसे कई लघु आवधिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है ताकि वे आजीविका का अर्जन कर सकें। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) ग्रामीण युवाओं के लिये मज़दूरी, रोजगार हेतु नियोजन संबद्ध कौशल विकास कार्यक्रम है।
- बायोटेक-कृषि नवाचार विज्ञान अनुप्रयोग नेटवर्क (Biotech-KISAN) कार्यक्रम:
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने बायोटेक-किसान कार्यक्रम शुरू किया है।
- यह पूर्वोत्तर भारत के किसानों के लिये वैज्ञानिक समाधान प्रदान करता है जहाँ नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों को छोटे और सीमांत किसानों, विशेष रूप से क्षेत्र की महिला किसानों उपलब्ध कराया जाता है।
- प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY)
- PMJDY ने आर्थिक गतिविधियों में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी के प्रति भरोसे और संभावनाओं को बढ़ाया है। जन धन अभियान ने ग्रामीण महिलाओं के लिये वहनीय तरीके से बैंकिंग/बचत एवं जमा खाते, विप्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित की है।
- कुछ अन्य पहलें:
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
- कृषि मशीनीकरण योजना उप-अभियान
- पीएम-किसान योजना
आगे की राह
- सर्वेक्षण संचालन:
- समय-समय पर ग्रामीण सर्वेक्षण आयोजित किये जाने चाहिये ताकि वास्तविक परिदृश्यों का पता चल सके, क्योंकि ग्रामीण भारत में पूंजीवादी प्रक्रियाओं की गहरी पैठ के साथ ग्रामीण श्रमिकों के लिये आजीविका विकल्पों का संकट उत्पन्न हुआ है।
- गरीब ग्रामीण महिलाओं और उनके दैनिक कार्यकलापों का व्यापक सर्वेक्षण कराना एक तात्कालिक आवश्यकता है।
- वयस्क शिक्षा और प्रशिक्षण:
- गुणवत्तापूर्ण वयस्क शिक्षा और प्रशिक्षण तक महिलाओं की पहुँच कम है, जो उनके सतत् विकास के लिये सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
- महिलाओं को क्षमता निर्माण और वयस्क प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में जीवन कौशल, एवं सामाजिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिये।
- मनरेगा मानक:
- मनरेगा के तहत निर्धारित निष्पादन मानकों को लिंग-वार स्थापित किया जाना चाहिये और कार्य स्थलों को अधिक श्रमिक अनुकूल बनाया जाना चाहिये।
- महिला कार्यकर्त्ता को उसके मुद्दों को संबोधित करने वाले कानूनों एवं नीतियों द्वारा मान्यता प्राप्त और संरक्षित किया जाना अनिवार्य होना चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:
प्रश्न. प्रायः समाचारों में देखे जाने वाले 'बीजिंग घोषणा और कार्रवाई मंच’ (बीजिंग डिक्लरेशन एंड प्लेटफाॅर्म फॉर ऐक्शन) निम्नलिखित में से क्या है?
(a) क्षेत्रीय आतंकवाद से निपटने की रणनीति (स्ट्रैटजी),
(b) एशिया- प्रशांत क्षेत्र में धारणीय आर्थिक संवृद्धि की एक कार्ययोजना, एशिया-प्रशांत आर्थिक मंच (एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक फोरम) के विचार-विमर्श का एक परिणाम
(c) महिला सशक्तीकरण हेतु एक कार्यसूची, संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित विश्व सम्मेलन का एक परिणाम
(d) वन्यजीवों के दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) की रोकथाम हेतु पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईस्ट एशिया समिट) की एक उद्घोषणा
उत्तर: (c)
व्याख्या:
- बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन दुनिया भर में महिलाओं के लिये समानता, विकास और शांति हासिल करने हेतु एक वैश्विक प्रतिबद्धता है। यह सितंबर 1995 में बीजिंग में आयोजित महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में अपनाया गया। यह पिछले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों, विशेष रूप से 1985 के नैरोबी महिला सम्मेलन में प्राप्त सर्वसम्मति और प्रगति पर आधारित है।
- प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन महिलाओं के सशक्तीकरण का एजेंडा है। इसका उद्देश्य महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये नैरोबी की दूरंदेशी रणनीति के कार्यान्वयन में तेज़ी लाना और अर्थव्यवस्था, सामाजिक, संस्कृतिक व राजनीतिक क्षेत्र में निर्णय लेने की शक्ति के साथ उनकी पूर्ण तथा समान भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक और निजी जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाना है।
अतः विकल्प C सही उत्तर है।
मेन्स
प्रश्न. सूक्ष्म-वित्त एक गरीबी-रोधी टीका है जो भारत में ग्रामीण दरिद्र की परिसंपत्ति के निर्माण और आय सुरक्षा के लिये लक्षित है। स्वयं सहायता समूहों की भूमिका का मूल्यांकन ग्रामीण भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ-साथ उपरोक्त दोहरे उद्देश्यों के लिये कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020)
स्रोत: द हिंदू
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वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022
- टैग्स:
- सामान्य अध्ययन-II
- स्वास्थ्य
- बच्चों से संबंधित मुद्दे
- वृद्धि एवं विकास
- विकास से संबंधित मुद्दे
प्रिलिम्स के लिये:
वैश्विक भुखमरी सूचकांक, चाइल्ड वेस्टिंग, स्टंटिंग, मृत्यु दर और कुपोषण, भूख के उन्मूलन के लिये भारत की पहल, NFHS - 5.
मेन्स के लिये:
वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत का प्रदर्शन, भारत में भूख और कुपोषण की स्थिति, भूख और गरीबी का संबंध, भूख उन्मूलन के लिये भारत की पहल और उसकी प्रगति।
चर्चा में क्यों?
वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में भारत ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सभी देशों की तुलना में खराब प्रदर्शन किया है। यह 121 देशों में से 107वें स्थान पर है।
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक, 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर था।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक:
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) वैश्विक, क्षेत्रीय और देश के स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने एवं ट्रैक करने का एक साधन है।
- गणना: इसकी गणना चार संकेतकों के आधार पर की जाती है:
- अल्पपोषण
- चाइल्ड वेस्टिंग
- चाइल्ड स्टंटिंग
- बाल मृत्यु दर
- GHI 100-बिंदु पैमाने पर भूख की गंभीरता का निर्धारण करता है जहाँ 0 सबसे अच्छा संभव स्कोर है (शून्य भूख) और 100 को सबसे खराब माना जाता है।
- वार्षिक रिपोर्ट: कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित।
- GHI एक वार्षिक रिपोर्ट है और GHI स्कोर का प्रत्येक सेट 5 वर्ष की अवधि के डेटा का उपयोग करता है। वर्ष 2022 GHI स्कोर की गणना वर्ष 2017 से वर्ष 2021 के डेटा का उपयोग करके की जाती है।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में देशों का प्रदर्शन:
- वैश्विक विकास: विश्व स्तर पर हाल के वर्षों में भुखमरी के खिलाफ प्रगति काफी हद तक स्थिर हो गई है; वर्ष 2022 में 18.2 का वैश्विक स्कोर वर्ष 2014 में 19.1 की तुलना में थोड़ा बेहतर हुआ है। हालाँकि, 2022 का GHI स्कोर अभी भी "मध्यम" है।
- इस प्रगति में ठहराव के प्रमुख कारण देशों के मध्य संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, कोविड -19 महामारी के आर्थिक नतीजों के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे अतिव्यापी संकट हैं, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर खाद्य, ईंधन और उर्वरक की कीमतों में वृद्धि हुई है तथा यह आशंका व्यक्त की गई है कि “वर्ष 2023 एवं उसके बाद भी भुखमरी और बढ़ेगी"।
- सूचकांक के अनुसार, 44 ऐसे देश हैं, जिनमें वर्तमान में ‘गंभीर’ या ‘खतरनाक’ भुखमरी का स्तर है और न तो वैश्विक स्तर पर तथा न ही लगभग 46 देशों में जहाँ वर्ष 2030 तक GHI द्वारा भुखमरी की आशंका व्यक्त की गई है, बिना किसी बड़े बदलाव के इसका समाधान निकाला जा सकता है।
- शीर्ष और सबसे खराब प्रदर्शनकर्त्ता:
- GHI 2022 में बेलारूस, बोस्निया और हर्ज़ेगोविना, चिली, चीन तथा क्रोएशिया शीर्ष पाँच देश हैं।
- चाड, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मेडागास्कर, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक और यमन सूचकांक में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश हैं।
- भारत और पड़ोसी देश: दक्षिण एशियाई देशों में भारत (107), श्रीलंका (64), नेपाल (81), बांग्लादेश (84) तथा पाकिस्तान (99) भी अच्छी स्थिति में नहीं है।
- भारत का स्कोर 29.1 है, जो इसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखता है।
- अफगानिस्तान (109) दक्षिण एशिया का एकमात्र देश है, जिसका प्रदर्शन सूचकांक में भारत से भी खराब है।
- 5 से कम अंक के साथ चीन 16 अन्य देशों के साथ सूचकांक में शीर्ष देशों में शामिल है।
- चार संकेतकों में भारत का प्रदर्शन:
- चाइल्ड वेस्टिंग: 3% के साथ भारत में चाइल्ड वेस्टिंग दर (लंबाई के अनुपात में कम वजन) वर्ष 2014 (15.1%) और यहाँ तक कि वर्ष 2000 (17.15%) की अपेक्षा दर्ज स्तरों से भी खराब है।
- यह विश्व के किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक है तथा भारत की विशाल जनसंख्या के कारण इसका औसत और बढ़ जाता है।
- अल्पपोषण: देश में अल्पपोषण की व्यापकता भी वर्ष 2018-2020 के 14.6% से बढ़कर वर्ष 2019-2021 में 16.3% हो गई है।
- इसका तात्पर्य यह है कि भारत में 224.3 मिलियन लोग (वैश्विक स्तर पर 828 मिलियन में से) कुपोषित माने जाते हैं।
- संकेतक आहार ऊर्जा सेवन की चिरकालिक कमी का सामना करने वाली आबादी के अनुपात को मापता है।
- चाइल्ड स्टंटिंग और मृत्यु दर: भारत के चाइल्ड स्टंटिंग और बाल मृत्यु दर में सुधार हुआ है।
- वर्ष 2014 से वर्ष 2022 के बीच बाल स्टंटिंग (उम्र के अनुसार कम ऊँचाई) 38.7% से घटकर 35.5% हो गई है।
- इसी तुलनात्मक अवधि में बाल मृत्यु दर (पाँच वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर) 4.6% से घटकर 3.3% हो गई है।
- चाइल्ड वेस्टिंग: 3% के साथ भारत में चाइल्ड वेस्टिंग दर (लंबाई के अनुपात में कम वजन) वर्ष 2014 (15.1%) और यहाँ तक कि वर्ष 2000 (17.15%) की अपेक्षा दर्ज स्तरों से भी खराब है।
संबंधित अन्य सूचकांक/रिपोर्ट:
- विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति:
- खाद्य और कृषि संगठन, कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रस्तुत किया गया।
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट, 2021:
- इसकी परिकल्पना वर्ष 2013 में पहले न्यूट्रिशन फॉर ग्रोथ इनिशिएटिव समिट (N4G) के बाद की गई थी।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS):
- सर्वेक्षण में भारत की राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रजनन क्षमता, शिशु एवं बाल मृत्यु दर, परिवार नियोजन की प्रथा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण, एनीमिया, स्वास्थ्य व परिवार नियोजन सेवाओं का उपयोग तथा गुणवत्ता आदि से संबंधित जानकारी प्रदान की गई है।
भूख/कुपोषण उन्मूलन हेतु भारत की पहल:
- ‘ईट राइट इंडिया मूवमेंट’: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा नागरिकों के सही तरीके से भोजन ग्रहण करने हेतु आयोजित एक आउटरीच गतिविधि।
- पोषण (POSHAN) अभियान: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किया गया यह अभियान स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर बालिकाओं में) को कम करने का लक्ष्य रखता है।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित यह केंद्र प्रायोजित योजना एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है, जो 1 जनवरी, 2017 से देश के सभी ज़िलों में लागू है।
- फूड फोर्टिफिकेशन: फूड फोर्टिफिकेशन या फूड एनरिचमेंट का आशय चावल, दूध और नमक जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों में प्रमुख विटामिनों व खनिजों (जैसे आयरन, आयोडीन, जिंक, विटामिन A तथा D) को संलग्न करने की प्रक्रिया है, ताकि पोषण सामग्री में सुधार लाया जा सके।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013: यह कानूनी रूप से ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) के तहत रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है।
- मिशन इंद्रधनुष: यह 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को 12 वैक्सीन-निवारक रोगों (VPD) के विरुद्ध टीकाकरण के लिये लक्षित करता है।
- एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना: वर्ष 1975 में शुरू की गई यह योजना 0-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये छह सेवाओं का पैकेज प्रदान करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट की गणना के लिये IFPRI द्वारा उपयोग किये जाने वाले संकेतक निम्नलिखित में से कौन सा/से है/हैं? (2016)
- अल्पपोषण
- चाइल्ड स्टंटिंग
- बाल मृत्यु दर
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) 1, 2 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 1 और 3
उत्तर: (c)
प्रश्न: हाल ही में निम्नलिखित में से किन देशों में लाखों लोग या तो भयंकर अकाल एवं कुपोषण से प्रभावित हुए या उनकी युद्धसंजातीय संघर्ष के चलते उत्पन्न भुखमरी के कारण मृत्यु हुई?
(a) अंगोला और जाम्बिया
(b) मोरक्को और ट्यूनीशिया
(c) वेनेजुएला और कोलंबिया
(d) यमन और दक्षिण सूडान
उत्तर: d
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण के बारे में ज़ागरूकता पैदा करना।
- छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया के मामलों को कम करना।
- बाजरा, मोटे अनाज और बिना पॉलिश किये चावल की खपत को बढ़ावा देना।
- पोल्ट्री अंडे की खपत को बढ़ावा देना।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 3 और 4
उत्तर: (a)
प्रश्न: भारत में गरीबी और भूख के बीच संबंधों में बढ़ता अंतर है। सरकार द्वारा सामाजिक व्यय में कमी के कारण गरीब अपने भोजन-बजट को घटाते हुए गैर-खाद्य आवश्यक वस्तुओं पर अधिक खर्च करने के लिये मज़बूर हो रहे हैं। स्पष्ट कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2019)
प्रश्न: भारत में आज भी सुशासन के लिये भूख और गरीबी सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं. मूल्यांकन करें कि इन विशाल समस्याओं से निपटने में सरकारों ने कितनी प्रगति की है। सुधार के उपाय सुझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2017))
स्रोत: द हिंदू
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गैलापागोस द्वीप समूह
- टैग्स:
- सामान्य अध्ययन-III
- जलवायु परिवर्तन
प्रिलिम्स के लिये:
विश्व धरोहर स्थल, चार्ल्स डार्विन, ठंडी महासागरीय धाराएँ, महासागरीय धाराएँ
मेन्स के लिये:
महासागरीय धारा को प्रभावित करने वाले कारक
चर्चा में क्यों?
हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि ठंडी महासागरीय धाराओं ने गैलापागोस द्वीप समूह को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया है।
- द्वीपों को एक ठंडी, पूर्व की ओर प्रवाहित प्रशांत महासागर की विषुवतीय महासागरीय धारा द्वारा गर्म होने से बचाव किया जाता है।
गैलापागोस द्वीप समूह:
- अवस्थिति:
- लगभग 60,000 वर्ग किमी में फैला गैलापागोस द्वीप समूह इक्वाडोर का एक हिस्सा है।
- यह दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप से लगभग 1,000 किमी दूर प्रशांत महासागर में स्थित है।
- संरक्षण की स्थिति:
- इक्वाडोर ने वर्ष 1935 में गैलापागोस को वन्यजीव अभयारण्य तथा वर्ष 1959 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया।
- वर्ष 1978 में द्वीप यूनेस्को का पहला विश्व धरोहर स्थल बना।
- वन्यजीव:
- इस द्वीप समूह पर मांटा रे (Manta Ray) और शार्क जैसे जलीय प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- साथ ही इन द्वीपों पर समुद्री इगुआन और वेब्ड अल्बाट्रोस जैसे कई जलीय वन्यजीवों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- गैलापागोस गंभीर रूप से संकटग्रस्त- गैलापागोस पेंगुइन, गैलापागोस फर सील और गैलापागोस समुद्री शेर का आवास है।
- इसके अलावा यहाँ पाए जाने वाले विशाल क कछुए - पुराने स्पेनिश में 'गैलापागोस' - द्वीपों को नाम प्रदान करते हैं।
- इस द्वीप समूह पर मांटा रे (Manta Ray) और शार्क जैसे जलीय प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- महत्त्व :
- ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने वर्ष 1835 में इस द्वीप समूह पर कुछ महत्त्वपूर्ण अध्ययन किये थे जिसने उनके विकासवाद के सिद्धांत में अहम भूमिका निभाई थी।
- डार्विन ने इन द्वीपों को "अपने आप में एक दुनिया" के रूप में वर्णित किया।
- इक्वाडोर के पश्चिमी तट से दूर इस जल में प्रवाल ब्लीच नहीं करते और मर जाते हैं।
महासागरीय धाराएँ:
- परिचय:
- महासागरीय धाराएं समुद्री जल की सतत्, पूर्वानुमेय, दिशात्मक गति हैं। यह बड़े पैमाने पर होने वाली समुद्र के जल का प्रवाह है जो विभिन्न शक्तियों से प्रभावित होती है। वे महासागरों में बहती नदी की तरह हैं।
- प्रकार:
- ठंडी धाराएँ: ये ठंडे जल को गर्म जल वाले क्षेत्रों में लाती हैं। ये धाराएँ आमतौर पर महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर निम्न और मध्य अक्षांशों (दोनों गोलार्द्धों) में एवं उत्तरी गोलार्द्ध में उच्च अक्षांशों में पूर्वी तट पर पाई जाती हैं।
- उदाहरण: कैनरी जलधारा, कैलिफोर्निया जलधारा, बेंगुएला जलधारा आदि।
- गर्म धाराएँ: ये ठंडे जल के क्षेत्रों में गर्म जल लाती हैं और आमतौर पर निम्न एवं मध्य अक्षांशों (दोनों गोलार्द्धों) में महाद्वीपों के पूर्वी तट पर पाई जाती हैं।
- उदाहरण: उत्तरी अटलांटिक, गल्फ स्ट्रीम, कुरोशियो जलधारा आदि।
- ठंडी धाराएँ: ये ठंडे जल को गर्म जल वाले क्षेत्रों में लाती हैं। ये धाराएँ आमतौर पर महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर निम्न और मध्य अक्षांशों (दोनों गोलार्द्धों) में एवं उत्तरी गोलार्द्ध में उच्च अक्षांशों में पूर्वी तट पर पाई जाती हैं।
महासागरीय धारा को प्रभावित करने वाले कारक:
- महासागरीय धाराएँ दो प्रकार की शक्तियों से प्रभावित होती हैं:
- प्राथमिक बल:
- सौर ऊर्जा द्वारा उष्मण: सौर ऊर्जा द्वारा गर्म होकर जल का विस्तार होता है। यही कारण है कि भूमध्य रेखा के पास समुद्र का जल स्तर मध्य अक्षांशों की तुलना में लगभग 8 सेमी अधिक है। जो समुद्री जल में ढाल का निर्माण करता है और जल ढलान से नीचे की ओर प्रवाहित होने लगता है।
- हवा: समुद्र की सतह पर बहने वाली हवा पानी को गति देने के लिये धकेलती है। हवा और पानी की सतह के बीच घर्षण जल निकाय के प्रवाह को प्रभावित करता है।
- गुरुत्वाकर्षण: यह जल को नीचे की ओर खींचता है और ढाल प्रवणता उत्पन्न करता है।
- कोरिओलिस बल: कोरिओलिस बल जल की गति की दिशा को प्रभावित करता है एवं पानी के उत्तरी गोलार्द्ध में दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर बहने का कारण बनता है।
- इन बड़ी जलराशि और उनके चारों ओर बहने वाले प्रवाह को चक्रगति कहा जाता है।
- ये सभी महासागरीय घाटियों में बड़ी वृत्ताकार धाराएँ उत्पन्न करते हैं।
- माध्यमिक बल:
- जल घनत्व में अंतर: यह महासागरीय धाराओं की ऊर्ध्वाधर गतिशीलता को प्रभावित करता है।
- उच्च लवणता वाला जल कम लवणता वाले जल से घनत्व में अधिक होता हैं, उसी प्रकार ठंडे जल का घनत्व गर्म जल से अधिक होता है।
- अधिक घनत्व वाला जल नीचे की तरफ बढ़ता है, जबकि अपेक्षाकृत हल्का पानी ऊपर उठने लगता है।
- जल का तापमान: ठंडे पानी की समुद्री धाराएँ तब उत्पन्न होती हैं जब ध्रुवों पर ठंडा पानी नीचे की तरफ उतरता है और धीरे-धीरे भूमध्य रेखा की ओर बढ़ता है।
- गर्म पानी की धाराएँ सतह पर भूमध्य रेखा से ऊपर बढ़ती हैं, ध्रुवों की ओर बहते हुए ठंडे पानी को गर्म कर देती हैं।
- जल घनत्व में अंतर: यह महासागरीय धाराओं की ऊर्ध्वाधर गतिशीलता को प्रभावित करता है।
- प्राथमिक बल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. निम्नलिखित कारकों पर विचार कीजिये:
1- पृथ्वी का आवर्तन
2- वायु दाब और हवा
3- महासागरीय जल का घनत्व
4- पृथ्वी का परिक्रमण
उपर्युक्त में से कौन-से कारक महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते है?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2 और 4
उत्तर: (b)
प्रश्न. समुद्री धाराओं को प्रभावित करने वाली शक्तियाँ कौन सी है? विश्व के मत्स्य-उद्योग में इनके योगदान का वर्णन कीजिये। (मेन्स-2022)