प्राचीन भारत के इतिहास का क्या महत्व है? - praacheen bhaarat ke itihaas ka kya mahatv hai?

प्राचीन भारतीय इतिहास का महत्व (The Importance of Ancient Indian History) प्राचीन भारत (ANCIENT INDIA)

  • प्राचीन भारत का इतिहास हमें हमारे देश की प्राचीन संस्कृतियों के विकास, कृषि की शुरूआत, प्राकृतिक संपदाओं की खोज आदि की महत्वपूर्ण जानकारी देता है. 
  • यह हमें भारत में मानव का क्रमिक विकास-खेती, कताई, बुनाई, धातुकर्म, ग्राम व नगरों का विकास तथा बड़े-बड़े राज्यों की स्थापना की जानकारी देता है.
  • हमारी वर्तमान भाषाओं की जड़े भी अतीत में हैं और वे कई युगों में विकसित हुई हैं.

अनेकता में एकता

  • भारत वर्ष अपनी भौगोलिक, धार्मिक, भाषायी, संस्कृति आदि विभिन्नताओं के होते हुए भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ है-इसका स्पष्ट उत्तर भी हमें प्राचीन भारत के इतिहास के क्रमिक अध्ययन से मिलता है. 
  • प्राचीन भारत की दक्षिण की द्रविड़ और तमिल भाषाओं के बहुत सारे शब्द 1500-500 ई.पू. के वैदिक ग्रन्थों में मिलते हैं.
  • इसी प्रकार पाली भाषा और संस्कृत के बहुत-से शब्द लगभग 300 ई. पू. 600 ई. के ‘संगम’ नाम से प्रसिद्ध प्राचीनतम तमिल ग्रन्थों में मिलते हैं.
  • भारत में विभिन्न धर्मो हिन्दू, जैन और बौद्ध आदि का उदय हुआ और एक आर्य, भारतीय आर्य, शक, हूण, कुषाण, तुर्क आदि प्रजातियों ने इसे अपना घर बनाया. 
  • प्राचीन भारत के लोग इसकी एकता के लिये प्रयत्नशील रहे तथा शक्तिशाली राजाओं ने हिमालय से कन्याकुमारी तथा पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी से पश्चिम में सिंधु पार तक अपना राज्य फैला कर इसे एकता के सूत्र में बांधा. ये राजा ‘चक्रवर्तिन’ कहलाते थे.
  • ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में अशोक, ईसा की चौथी शताब्दी में समुद्रगुप्त तथा सातवीं शताब्दी में पुलकेशिन व हर्षवर्धन आदि राजाओं ने अपने साम्राज्यों का उल्लेखनीय विस्तार किया. 
  • इनके शासन काल में भारत की विभिन्नता में एकता को विशेष बल मिला . 
  • सारे देश के प्रमुख भागों में अशोक के शिलालेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में लिखे गये थे. 
  • गुप्त काल के बाद देश अनेक छोटे-छोटे भागों में बंट गया, फिर भी राजकीय दस्तावेज संस्कृत में ही लिखे जाते रहे.
  • महाकाव्य ‘रामायण’ तथा ‘महाभारत’ जिनकी रचना मूलतः संस्कृत में हुई थी, बाद में इन्हें विभिन्न स्थानीय भाषाओं में भी प्रस्तुत किया गया तथा देश भर में भक्तिभाव से पढ़े जाते थे.
  • उत्तर भारत में वर्ण व्यवस्था या जाति प्रथा का जन्म हुआ जो बाद में देश भर में फैल गयी तथा सभी लोग इसके प्रभाव में आये. 
  • वर्ण व्यवस्था ने मुसलमानों को भी प्रभावित किया, क्योंकि धर्म परिवर्तन करने पर भी वे अपने पुराने रीति-रिवाजों (Customs) को पूर्ण रूप से छोड़ न पाये थे. 

वर्तमान में अतीत की प्रासंगिकता

  • वर्तमान काल में हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके संदर्भ में भारत के अतीत का अध्ययन विशेष सार्थक सिद्ध होता है. 
  • भारत में सभ्यता के विकास की धारा सामाजिक भेदभावों की वृद्धि के साथ बही है. 
  • प्राचीन भारत के अध्ययन से हम तह में बैठ कर पता लगा सकेंगे कि इन दुराग्रहों कि जड़े कहाँ हैं, हम उन कारणों को ढूंढ निकालेंगे जिन पर जाति प्रथा और महिला की पराधीनता टिकी हुई है और संकीर्ण सम्प्रदायवाद को बढ़ावा मिल रहा है.

प्राचीन भारत का इतिहास क्या है?

प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारम्भिक सभ्यता है जिसका सम्बन्ध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म "वैदिक धर्म" या "सनातन धर्म" के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा।

इतिहास का क्या महत्व है?

इतिहास का ज्ञान मनुष्य को अतीत में की गयी गलतियों को वर्तमान में सुधारने का अवसर प्रदान करता है, जिससे सुरक्षित भविष्य का निर्माण संभव है। इतिहास न केवल मानव के लिए अपितु राष्ट्र के लिए भी एक पथ प्रदर्शक का कार्य करता हैं, क्योंकि इतिहास की उपेक्षा करने वाले राष्ट्र का कोई भविष्य नहीं होता है।

प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन क्यों आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी भी जाति या राष्ट्र को सजीव, उन्नतिशील तथा गतिशील बने रहने के लिए इतिहास का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अध्ययन से हमें सभ्यता के क्रमिक विकास का ज्ञान होता है। वर्तमान समाज को समझने के लिए आवश्यक है कि इस विकास के उन विभिन्न सोपानों को जान सकें जिनमें से गुजरकर यह समाज वर्तमान स्थिति में आया है।

प्राचीन भारत का इतिहास कब से कब तक है?

प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत 1200 ईसापूर्व से 240 ईसा पूर्व के बीच नहीं हुई थी। यदि हम धार्मिक इतिहास के लाखों वर्ष प्राचीन इतिहास को न भी मानें तो संस्कृ‍त और कई प्राचीन भाषाओं के इतिहास के तथ्‍यों के अनुसार प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत लगभग 13 हजार ईसापूर्व हुई थी अर्थात आज से 15 हजार वर्ष पूर्व।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग