औसत लागत वक्र कैसा दिखता है? यह ऐसा क्यों दिखता है?
औसत स्थिर लागत वक्र एक आयताकार अतिपरवलय(Rectangular Hyperbola) होता है। यह ऐसा परिवर्ती अनुपातों के नियम के कारण दिखाई देता हैं जब परिवर्ती अनुपातों के नियम के अनुसार प्रथम चरण में औसत उत्पाद बढ़ता हैं, तो औसत लागत कम होती है तथा विपरीत।
औसत स्थिर लागत वक्र सलंग्न को रेखाचित्र द्वारा दर्शाया गया है:
अल्पकाल तथा दीर्घकाल की संकल्पनाओं को समझाइए।
अल्पकाल समय की वह अवधि हैं जिसमें उत्पादन के कुछ कारक स्थिर होते हैं तथा कुछ परिवर्ती होते हैं। इस अवधि में, एक फर्म केवल परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तन कर सकती हैं, न कि स्थिर साधनों में।
दीर्घकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादन के सभी कारकों को बदला जा सकता हैं, जैसे:
मशीनरी, इमारत, संगठन इत्यादि, जिसके फलस्वरूप उत्पादन में परिवर्तन वांछित मात्रा में किया जा सकता हैं।
उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाइए।
उत्पादन फलन: एक फर्म का उत्पादन फलन उपयोग में लाए गए आगतों तथा फर्म द्वारा उत्पादित निर्गतों के मध्य का संबंध है।
उत्पादन फलन को इस प्रकार लिखा जाता हैं:
(q) = f(L, K)
यहाँ f = फलन; L = श्रम की भौतिक इकाइयाँ; K = पूँजी की भौतिक इकाइयाँ
उत्पादन फलन के दो प्रकार
के होते हैं:
- अल्पकालीन उत्पादन फलन: जहाँ उत्पादन के कुछ साधन स्थिर होते हैं।
- दीर्घकालीन उत्पादन फलन: जहाँ उत्पादन के सभी साधनों की पूर्ति परिवर्तन शील होती हैं।
एक आगत का औसत उत्पाद क्या होता है?
एक आगत का औसत उत्पाद उस आगत के कुल उत्पादों के परिवर्ती आगत की इकाइयों से विभाजित करने से प्राप्त उत्पाद हैं। इस प्रकार
एक आगत का कुल उत्पाद क्या होता है?
कुल उत्पाद (TP) को एक निश्चित समयावधि में दिए गए आगतों से एक फर्म द्वारा उत्पादित की गई वस्तुओं अथवा सेवाओं की कुल मात्रा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
अल्पकाल में, परिवर्तनशील साधनों की मात्रा को बढ़ाकर कुल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधनों को बढ़ाकर कुल उत्पादन को
बढ़ाया जा सकता हैं।
TP =∑MP
एक परिवर्ती कारक की सभी इकाइयों के सीमांत उत्पाद (MP) को जोड़कर हम कुल उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं।
एक आगत का सीमांत उत्पाद क्या होता है?
एक आगत का सीमांत उत्पाद उस
आगत की अतिरिक्त इकाई में परिवर्तन करने से कुल उत्पाद में होने वाला परिवर्तन होता है। इस प्रकार,
औसत लागत वक्र कैसा दिखता है? यह ऐसा क्यों दिखता है?
औसत स्थिर लागत वक्र एक आयताकार अतिपरवलय(Rectangular Hyperbola) होता है। यह ऐसा परिवर्ती अनुपातों के नियम के कारण दिखाई देता हैं जब परिवर्ती अनुपातों के नियम के अनुसार प्रथम चरण में औसत उत्पाद बढ़ता हैं, तो औसत लागत कम होती है तथा विपरीत।
औसत स्थिर लागत वक्र सलंग्न को रेखाचित्र द्वारा दर्शाया गया है:
उत्पादन तथा लागत
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Answer in Brief
औसत लागत वक्र कैसा दिखता है? यह ऐसा क्यों दिखता है?
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Solution
औसत लागत वक्र अंग्रेजी अक्षर ‘ए’ जैसा दिखता है। यह ऐसा परिवर्ती अनुपातों के नियम के कारण दिखता हैं। जब परिवर्ती अनुपातों के नियम के अनुसार प्रथम अवस्था में औसत उत्पाद बढ़ता है, तो औसत लागत कम होती है। तदुपरान्त जब औसत उत्पाद घटने लगता है, तो औसत लागत बढ़ने लगती है। AC वक्र AP वक्र का आइना चित्र जैसा होता है।
Concept: कुल उत्पाद, औसत उत्पाद तथा सिमांत उत्पाद
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Q.41: औसत लागत वक्र कैसा दिखता है ? यह ऐसा क्यों दिखता है ?
Answer: औसत लागत वक्र :- औसत लागत वक्र अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर ‘U’ की तरह दिखता है।
औसत लागत वक्र की ‘U’ आकृति होने का प्रमुख कारण फर्म को प्राप्त होने वाली आंतरिक बचतें हैं। जिनको निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
(1) श्रम संबंधी बचतें :- ये बचतें श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण का परिणाम होती हैं। उत्पादन की मात्रा के स्तर को बढ़ाने पर श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण भी उतना ही सम्भव हो जाता है। फलस्वरूप श्रमिकों की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है तथा प्रति ईकाई लागत कम हो जाती है।
(2) तकनीकी बचतें :- उत्पादन की तकनीक में सुधार होने पर फर्म को तकनीकी बचते प्राप्त होती हैं तथा जिनसे उत्पादन की प्रति ईकाई लागत कम हो जाती है।
(3) विपणन बचतें :- उत्पादन की मात्रा बढ़ाने पर फर्म को विक्रय लागतों जैसे – विज्ञापन एवं प्रचार–प्रसार आदि में व्यय अधिक करने की आवश्यकता नहीं होती इससे फर्म के उत्पादन की प्रति ईकाई लागत में कमी हो जाती है।
(4) प्रबंधकीय बचतें :- उत्पादन को दो गुना करने पर फर्म को प्रबंध पर दो गुना व्यय नहीं करना पड़ता जिससे फर्म की प्रति ईकाई लागत में कमी आ जाती है तथा फर्म को प्रबंधकीय बचतें प्राप्त होती हैं।
उपर्युक्त कारणों से प्रारंभ में लागत वक्र गिरते है। उत्पादन की मात्रा में वृद्धि हेतु जब फर्म परिवर्तनशील साधनों की मात्रा में वृद्धि करती है तब उत्पादन का स्तर अनुकूलतम हो जाता है तथा साधनों का आदर्श संयोग स्थापित हो जाता है। यदि फर्म उत्पादन की मात्रा में और अधिक वृद्धि हेतु परिवर्तनशील साधनों को बढ़ाती है तो यह आदर्श संयोग भंग हो जाता है। अतः स्पष्ट है कि प्रारंभ में लागत वक्र गिरते हैं फिर एक बिन्दु पर स्थिर होकर बढ़ते हैं जिससे वह U आकृति के हो जाते हैं।