निम्नलिखित में से कौन सा कारक भौमजल ग्राउंड वाटर के वितरण को प्रभावित नहीं करता है? - nimnalikhit mein se kaun sa kaarak bhaumajal graund vaatar ke vitaran ko prabhaavit nahin karata hai?

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  • भूमिगत जल को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Underground Water)
    • (I) घरातलीय ढाल की प्रकृति (Nature of Grounl Slope) :
    • (II) शैलो की सरंधता (Porosity of Rocks ) :
    • (III) वर्षण गति एवं वर्षण गहनता (Velocity and Intensity of Precipitation)
    • (IV) वायु की शुष्कता (Dryness of Air) :
    • (V) वानस्पतिक आवरण (Vegetal {Sod} Cover):
    • (VI) मृदा संचित जल की मात्रा (Quantity of Soil Saturated Water) :
    • (VII) भौम जल की प्रवाह गति (Flow Velocity of Groundwater):
    • (VIII) ठोस शैल अथ:तल (Solfd Rock Sub-Surface):
  • महत्वपूर्ण लिंक 

भूमिगत जल को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Underground Water)

धरातल के नीचे भौमजल संचयन को प्रभावित करने वाले अनेक कारक है। पर्यावरणीय कारक विभिन्न दशाओं में एक जैसे प्रभावकारी नहीं होते। अतः इन कारको का स्थानिक- कालिक परिप्रेक्ष्य में अलग-अलग रूपों में मूल्यांकन किया जाता है। सामान्य रूप में किसी भी स्थान पर भूमिगत जल को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं।

(I) घरातलीय ढाल की प्रकृति (Nature of Grounl Slope) :

सतही जल का धरातलीय ढाल की प्रकृति के अनुसार अन्तर्निवेशन और अन्तर्निवेशन की प्रकृति के आधार पर भौमजल का संचयन सुनिश्चित होता है यदि धरातलीय ढाल अधिक है तो सतही जल तीव्र गति से आगे प्रवाहित होता है फलतः अन्तःस्पन्दन की क्रिया न्यून होती है और अधःशैल में भौम जल का भण्डारण भी न्यूनतम होता है किन्तु यदि मन्द या समतल ढाल होता है तो अन्तःस्पन्दन की क्रिया तीव्र होती है और सतही जल तीव्रता से भूमिगत होकर शैलों की सन्धियों के बीच संचित हो जाता है।

(II) शैलो की सरंधता (Porosity of Rocks ) :

लो की सरन्धता का प्रभाव वर्षण जल के प्रवाह एवं संचयन पर देखा जा सकता है। जब शैलें रन्ध युक्त होती है तो वर्षण जल का सतह के सहारे अन्त निवेशन अधिक होता है। अतः भौम जल का भण्डारण तीव्र गति से होता है किन्तु जब रन्धहीन शैलों के आवरण धरातलीय सतह पर होते है तो वर्षण जल आंशिक रूप में भूमिगत हो पाता है। अपारगम्य एवं अत्यन्त ठोस चट्टानों में अन्तःस्पन्दन की किया अत्यन्त न्यून होती है। इस प्रकार को शैलों में जल सोखने की अपेक्षा जल अवरोधन की शक्ति अधिक होती है। जैसा कि क्वार्टज एवं ग्रेनाइट शैलों में देखने को मिलता है।

(III) वर्षण गति एवं वर्षण गहनता (Velocity and Intensity of Precipitation)

वर्षण गति, वर्षण अवधि एवं वर्षण गहनता का प्रभाव भूमिगत जल भण्डारण पर प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। शनै:-शनै किन्तु दीर्घकालिक वर्षण से सतस जल बड़ी मात्रा में भूमिगत होता है किन्तु तीव्र वृष्टि जो अल्पकालिक वर्षण अवधि में सम्पादित हो, भौमजल के संचयन की सक्रिय कारक नहीं मानी जाती। दीर्घकालिक तीव्र वृष्टि में जलप्लावन की स्थिति होने से भी अन्तःस्पन्दन की क्रिया तीव होती है और भौमजल भण्डारण गति तीव्र हो जाती है।

(IV) वायु की शुष्कता (Dryness of Air) :

वायु की शुष्कता से वायुमण्डल में अधिक नमी धारण करने की क्षमता का प्रादुर्भाव होता है। शुष्क प्रदेशों में वर्षण जल का अधिकांश भाग वायुमण्डल में ही उच्च तापजन्य वाष्पीकरण की प्रक्रिया से वाष्पीकृत होकर गैसीय रूप धारण कर लेता है। अतः सतह पर सोमित जल के कारण अन्तःस्पन्दन कम होता है और भूमिगत जल संचयन भी कम होता है।

(V) वानस्पतिक आवरण (Vegetal {Sod} Cover):

वानस्पतिक आवरण वर्षा के जल प्रवाह को अवरुद्ध करता है। वनस्पतियों के तनों, पत्तियों एवं जड़ों के सहारे जल की एक बहुत बड़ी मात्रा अन्तःस्पन्दन क्रिया के दौरान भौमजल का रूप धारण करती है। इस प्रकार सघन वनस्पतियों वाले क्षेत्रों में भौम जल भण्डार की सम्भावनाएं ज्यादा होती है किन्तु वनस्पतिविहीन प्रदेशों में प्रवाही जल अवरोध के अभाव में भूमिगत होने के बजाय अपरदन की क्रिया तीव्र कर देता है जिससे असामान्य धरातल का निर्माण होता है।

(VI) मृदा संचित जल की मात्रा (Quantity of Soil Saturated Water) :

मृदा संचित जल की मात्रा (मृदा नमी की मात्रा) का प्रत्यक्ष प्रभाव भौमजल भण्डारण पर पड़ता है। यदि मृदा में नमी पहले से ही विद्यमान है तो वर्षा जल को अधःतल में अन्तःपूरण न्यून गति से होता है किन्तु शुष्क एवं सरन्ध शैल चूर्णों में वर्षण जल का समावेश तीव्र गति से होता है। अतः ऐसे क्षेत्रों में भौम जल के भावी संचयन की सम्भावनाएं अधिक होती है।

(VII) भौम जल की प्रवाह गति (Flow Velocity of Groundwater):

भौम जल की प्रवाह गति तीव्र होने पर भौम जल के संचयन की संभावना अधिक होती है प्रवाहगति रन्धयुक्त शैलों में ज्यादा होती है। इस प्रदेश में अन्तःस्पन्दन भी अधिक मिलता है। इस प्रकार सतही जल के तीव्र अंन्तःस्पन्दन, तथा अधःतल पूरित भौम जल की अत्यधिक मात्रा भौमजल की प्रवाहशीलता में वृद्धि करती है और अन्ततः भौमजल का भण्डारण अधिक होने लगता है।

(VIII) ठोस शैल अथ:तल (Solfd Rock Sub-Surface):

धरातलीय सतह के नीचे स्थित स्थायी संतृप्तमण्डल के नीचे का तल जब ठोस शैलों का बना हुआ होता है। तो भौम जल का रिसाव नीचे की ओर नहीं हो पाता। ऐसी दशा में ठोस अध:तल के ऊपर स्थागी भौमजलमण्डल का प्रादुर्भाव होता है जो ठोस शैल अधःतल के विस्तार के अनुरूप एक निश्चित दिशा में गतिशील होता है। अतः भौमजल की अवस्थिति के लिए शैलों के आधार तल को ठोस एवं अपारगम्य होना अनिवार्य है।

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निम्नलिखित में से कौन सा कारक फॉर्म जल के वितरण को प्रभावित नहीं करता है?

जबकि सिंचाई में 60-65 प्रतिशत भूमिगत जल का प्रयोग किया जाता है.

जल को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

किसी भी क्षेत्र में भूमिगत जल की मात्रा मुख्य रूप से दो कारकों पर निर्भर करती है (1) वर्षा द्वारा प्राप्त जल की मात्रा एवं जल के वितरण की प्रवृत्ति (2) कारक शैलों की पारगम्यता।

इनमें से कौन भौमजल को प्रदूषित कर सकता है?

जल अभाव संभवत: इसकी बढ़ती हुई माँग, अति उपयोग तथा प्रदूषण के कारण घटती आपूर्ति के आधार पर सबसे बड़ी चुनौती है। जल एक चक्रीय संसाधन है जो पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत धरातल पानी से आच्छादित है परंतु अलवणीय जल कुल जल का केवल लगभग 3 प्रतिशत ही है।

निम्न में से कौन सा कारक जल की कमी के लिए उत्तरदाई नहीं है?

अत्यधिक वर्षा कारक जल की कमी के लिए उत्तरदायी नहीं हेैं। दिए गए विकल्पों में से विकल्प (ग) अत्यधिक वर्षा सही उत्तर है ।

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