माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारतीयों के नाम - maunt evarest par chadhane vaale bhaarateeyon ke naam

बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। झज्जर की बहू अस्मिता , बिना ऑक्सिजन के दुनिया के सबसे उंचे पर्वत शिखर , माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बन गई है अस्मिता बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट के शिखर पर तो नही लेकिन शिखर के सबसे नजदीक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला है। अस्मिता का सफर माउन्ट एवरेस्ट के शिखर से 100 मीटर पहले ही खत्म हो गया।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारतीयों के नाम - maunt evarest par chadhane vaale bhaarateeyon ke naam

'लाहौर और कराची के बिना अधूरा है हिंदुस्तान', इंद्रेश कुमार बोले- राहुल गांधी की यात्रा देश तोड़ने वाली

यह भी पढ़ें

माउन्ट एवरेस्ट के शिखर से महज 100 मीटर रही दूर, अगली बार लक्ष्य को हर हाल में करेगी हासिल

अस्मिता ने 8848 मीटर उंची माउन्ट एवरेस्ट की चढ़ाई 8748.86 मीटर तक पूरी की। लेकिन जब माउन्ट एवरेस्ट की चोटी 100 मीटर दूर रह गई तो अस्मिता का दिखना बंद हो गया और मजबूरी में उसे वापिस लौटना पड़ा। अस्मिता झज्जर जिले की बहू हैं। झज्जर के वरूण शर्मा के साथ साल 2021 में अस्मिता ने शादी की थी। अस्मिता का बहादुरगढ़ पहुंचने पर डॉ संजय हॉस्पिटल में जोरदार स्वागत भी किया गया। डॉ संजय हॉस्पिटल में पर्वातारोही अस्मिता की ननद डॉ तरूणा शर्मा महिला रोग विशेषज्ञ की सेवाएं भी दे रही है।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारतीयों के नाम - maunt evarest par chadhane vaale bhaarateeyon ke naam

Hisar Weather: दो दिन बूंदाबांदी के आसार, 14 से फिर लौटेगी शीतलहर

यह भी पढ़ें

बछेंद्री पाल वो पहली भारतीय महिला है जिन्होनें दुनिया के सबसे उंचे पर्वत शिखर माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। अब उन्ही की शिष्या और झज्जर जिले की बहू ने एक नया मुकाम हासिल किया है। झज्जर जिले की बहू अस्मिता बिना ऑक्सिजन सिलेंडर के 8748 मीटर तक चढ़ाई पूरी करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई है। बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट फतेह करने निकली अस्मिता का सफर माउन्ट एवरेस्ट के शिखर से महज 100 मीटर पहले खत्म हो गया।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारतीयों के नाम - maunt evarest par chadhane vaale bhaarateeyon ke naam

Haryana : स्वास्थ्य सेवाओं पर नजर रखेंगे विज के जासूस, सीएम फ्लाइंग की तर्ज पर बनाई डिटेक्टिव टीम

यह भी पढ़ें

अस्मिता ने बताया कि जब माउन्ट एवरेस्ट का शिखर 100 मीटर दूर रह गया तो उन्हे दिखना बंद हो गया और मजबूरी में उन्हें वापिस लौटना पड़ा। बंगाल की एक और महिला भी बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट की चढ़ाई कर रही थी लेकिन वो भी 500 मीटर दूर रह गई थी। और अस्मिता सबसे आगे रही। अस्मिता ने कहा कि अगली बार वो बिना ऑक्सिजन के माउन्ट एवरेस्ट की टॉप पर देश का तिरंगा फहराकर ही लौटेंगी।

पर्वतारोही अस्मिता, जमशेदपुर के टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में इंस्ट्रकटर है। टीएसएएफ में काम के दौरान ही उन्हे झज्जर के वरूण शर्मा से प्यार हो गया और साल 2021 में दोनों ने शादी कर ली। वरूण शर्मा झज्जर स्वास्थ्य विभाग में सेवाए दे चुकी डॉ कुमुद के बेटे हैं और उनकी बहन डॉ तरूणा शर्मा बहादुरगढ़ के संजय हॉस्पिटल में महिला रोग विशेषज्ञ है।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारतीयों के नाम - maunt evarest par chadhane vaale bhaarateeyon ke naam

Hisar Weather: कोहरे की चादर में लिपटा प्रदेश, महेंद्रगढ़ में 2.1 डिग्री पारा

यह भी पढ़ें

देश का नाम रोशन करने वाली पर्वतारोही अस्मिता का डॉ संजय हॉस्पिटल में जोरदार स्वागत किया गया। हॉस्पिटल की डायरेक्टर पूनम संजय सिंह ने फूलमाला और मिठाई खिलाकर अस्मिता का स्वागत किया। डॉ तरूणा और डॉ पूनम का बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ तो सब कहते हैं करते हैं लेकिन बहूओं को आगे बढ़ाने की मिसाल शर्मा परिवार ने कायम की है।

पर्वतारोही अस्मिता के पिता शेरपा अंग दोरजी पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बछेंद्रीपाल के शेरपा रहे हैं ।खून में ही पहाड़ों पर चढ़ने का जुनून और जज्बा लेकर पैदा हुई अस्मिता का बिना ऑक्सिजन सिलेन्डर के माउन्ट एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचने का पहला प्रयास 100 मीटर दूर भले ही रह गया लेकिन 8748 मीटर तक बिना ऑक्सिजन सिलेन्डर के पहुंच जाना भी एक रिकॉर्ड है जो आज तक कोई भारतीय महिला नही कर पाई है।

अस्मिता अब तक 7075 मीटर उंची माउंट सतोपंथ , माउन्ट धर्मसूड़ा, माउंट गंगोत्री, माउंट स्टोप कांगड़ी, कांगयांगत्से, जोजोंगो की चढ़ाई भी सफलतापूर्वक पूरी कर चुकी है। माउन्ट एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए अस्मिता हर रोज कई किलोमीटर साईकलिंग करती थी और 20 किलो वजन लेकर चढ़ाई भी करती थी। 2019 में माउंट एवरेस्ट पर जाने का मौका भी उन्हे मिला था लेकिन कोरोना के कारण नही जा पाई। अस्मिता का कहना है कि अगले साल वो हर हाल में बिना ऑक्सिजन स्पोर्ट के माउन्ट एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा फहराकर ही लौटेंगी।

नई दिल्ली. भारतीय पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का फर्जी दावा करने के कारण 6 साल के लिए बैन किया गया था. लेकिन, अब नरेंद्र ने हकीकत में एवरेस्ट की चढ़ाई कर अपने ऊपर लगे दाग को धो दिया है. नरेंद्र ने 2016 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का दावा किया था. उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई से जुड़ी जो अपनी तस्वीरें शेयर की थी. जांच में यह पाया गया था कि उन तस्वीरों से छेड़छाड़ की गई है. इसके बाद नेपाल सरकार ने उनके एवरेस्ट फतह करने के सर्टिफिकेट को भी रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं, नरेंद्र का दावा फर्जी पाए जाने के बाद खेल मंत्रालय ने 2020 में तेंजिग नोर्गे पुरस्कार के लिए की गई उनकी सिफारिश को खारिज कर दिया था और उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला.

नेपाल सरकार ने पिछले साल नरेंद्र और उनकी साथी पर्वतारोही को अपने देश में पर्वतारोहण करने से 6 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. यह बैन 2016 से ही लागू किया था, जो 2022 में खत्म हुआ है. इसके बाद नरेंद्र ने पहली बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है.

मेरे लिए एवरेस्ट की चढ़ाई जरूरी थी: नरेंद्र
नरेंद्र ने यह उपलब्धि हासिल करने के बाद न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, “एवरेस्ट पर चढ़ाई करना हर किसी का सपना होता है. लेकिन, मेरे लिए तो यह जिंदगी है. मेरे ऊपर कई तरह के आरोप लगे थे. इसलिए खुद को साबित करने के इरादे से मैंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की.”

‘अभियान दल के लीडर ने तस्वीरों में छेड़छाड़ की थी’
नरेंद्र अब भी यही दावा करते हैं कि उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर ली थी. लेकिन अभियान की अगुवाई कर रहे शख्स ने उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की थी और 2020 में जब भारत में उन्हें तेंजिंग नोर्गे पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया तो, शख्स ने उन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. इसके बाद खेल मंत्रालय ने उनका नामांकन रद्द कर दिया था.

‘मेरे लिए अनुभव पीड़ादायक था’
इसे याद करते हुए नरेंद्र ने कहा कि मेरे और परिवार के लिए वो अनुभव बेहदक पीड़ादायक था. उनका बैन इसी साल 20 मई को खत्म हुआ था और इसके 7 दिन बाद ही वो माउंट एवरेस्ट के शिखर पर थे और इस बार अपनी सफलता को साबित करने के लिए उनके पास ढेरों तस्वीरें और वीडियो हैं.

नेपाल के पर्यटन विभाग ने भी लगाई मुहर
नेपाल पर्यटन विभाग के अधिकारी बिष्मा राज भट्टराई ने कहा, “हमने उन्हें (नरेंद्र यादव) बीते बुधवार को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी करने को लेकर एक सर्टिफिकेट दिया था. उन्होंने इससे जुड़े सबूत पेश किए थे.

कैसे एवरेस्ट चढ़ने का सर्टिफिकेट मिलता है?
किसी पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है या नहीं, इसके लिए एक सर्टिफिकेशन सिस्टम होता है. फिलहाल, यह साबित करने के लिए पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है. उसके लिए तस्वीरों के साथ ही अभियान दल के नेता और बेस कैंप पर मौजूद नेपाल सरकार के लायजन ऑफिसर की रिपोर्ट लगती है. हालांकि, इसके कारण कई बार फर्जीवाड़े भी हुए हैं. 2016 में एक भारतीय जोड़े पर 10 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर छेड़छाड़ की तस्वीरें के जरिए खुद को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर दिखाया था. यह दोनों पुलिस कांस्टेबल थे और उन्होंने शिखर पर एक अन्य भारतीय पर्वतारोही द्वारा ली गई तस्वीरों से छेड़छाड़ कर अपने पोस्टर और बैनर लगा दिए थे.

इस साल, 7 मई को नेपाल के पर्वतारोहियों के दल ने माउंट एवरेस्ट का रूट खोला था. इसके बाद से मौसम अच्छा है और इसी वजह से नेपाल ने 500 से अधिक पर्वतारोहियों को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के शिखर पर पहुंचने की अनुमति दी है.

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीय कौन थे?

20 मई 1965 को लेफ्टिनेंट कर्नल अवतार एस चीमा, गुरदयाल सिंह और नवांग गोम्बू शेरपा चोटी पर चढ़े और यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय बने।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली महिला का क्या नाम है?

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली दुनिया की पहली महिला जुनको ताबे थीं. आज ही के दिन यानी 16 मई साल 1975 में जुनको ताबे ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ने वाली पहली महिला का तमगा हासिल किया था.

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की दूसरी महिला कौन है?

बछेंद्री पाल का जन्म नकुरी उत्तरकाशी, उत्तराखंड में सन् 1954 को हुआ।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला कौन है?

Solution : माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेन्द्री पाल थीं। जिन्होंने अपना सफल अभियान वर्ष 1984 में पूरा था।