भले ही आज अपनी बात पहुँचने के लिए अनेकों आधुनिक माध्यम जैसे मोबाइल, ईमेल, फ़ैक्स आदि उपलब्ध है किन्तु पत्र लेखन का महत्व अभी भी कम नहीं हुआ है। पत्र लिखना (Patra Lekhan) वास्तव में एक कला है। यह कला प्रयास से ही प्राप्त की जा सकती है। सही और रचनात्मक ढंग से लिखा गया पत्र निश्चित रूप से न केवल हमारा प्रभाव बढ़ाता है बल्कि हमारे व्यक्तित्व की छाप भी पाठक पर अवश्य छोड़ता है। पत्रों के माध्यम से हम न केवल दूसरों के दिलों को जीत सकते हैं बल्कि मित्रता भी बढ़ा सकते हैं तथा समाज को अपने वशीभूत कर सकते हैं। Show
Advertisement यदि हम पत्र लिखने की योग्यता प्राप्त कर लेते हैं तो हम दूर बैठे व्यक्तियों पर अपने मन के भावों को प्रकट कर उनसे मिलने का आनंद उठा सकते हैं। पत्र लेखन की कला में माहिर व्यक्ति दूर बैठे अपरिचित को अपना मित्र बना सकता है। किसी संस्था में नौकरी सरलता से प्राप्त कर सकता है। किंतु पत्र लेखन के लिए निम्नलिखित जानकारी आवश्यक है। पत्र लेखन की विशेषताएं (Patra Lekhan ki visheshtayen) :-
पत्र प्रेषक = पत्र भेजने वाला Advertisement पत्र प्राप्तकर्ता = पत्र को पाने वाला पत्र के अंग (Patra ke Ang) Parts of letter writing in Hindi):-पत्र लेखन (Patra Lekhan) के समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए: Advertisement
पत्र लेखन – संबंध संबोधन अभिवादन समापन की तालिका (patra sambodhan talika)संबंधसंबोधनअभिवादनसमापनदादा, पिताश्रद्धेय दादाजी पूजनीय/पूज्य दादाजीसादर चरण स्पर्श सादर नमस्कारआपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषी शुभचिंतकमामा, चाचा, फूफा, मौसाआदरणीय……जी पूज्यनीय……जीसादर नमस्कार चरण वंदनाआपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषी शुभचिंतकमाता, दादी, नानीआदरणीया……जी पूज्यनीया……जीसादर प्रणाम चरण स्पर्शआपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषीबड़ा भाई, बड़ी बहनआदरणीय भाईसाहब आदरणीय बहन जीसादर प्रणाम सादर प्रणामआपका आज्ञाकारी स्नेहाभिलाषीमित्रमित्रवर, प्रिय, स्नेही मित्रस्नेह, मधुर स्मृतिदर्शनाभिलाषी, तुम्हारा अभिन्न मित्रछोटा भाई, छोटी बहनप्यारे, प्रिय, स्नेहमयीशुभाशीर्वाद, सौभाग्यवतीहितैषी, शुभचिंतकपुत्र, पुत्रीचिरंजीव, प्रिय, आयुष्मतीसुखी रहोहितैषी, शुभचिंतकपत्रों के प्रकार (Patron ke Prakar) Types of letter writing in Hindi
साधारणतया विषयवस्तु एवं शैली के आधार पर पत्रों के दो प्रकार होते हैं: औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) Formal Letter in Hindiऔपचारिक पत्र व्यवहार उन व्यक्तियों के साथ किया जाता है. जिनके साथ पत्र लेखक का कोई निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नही होता है. औपचारिक पत्रों में व्यक्तिगत समाचार पर बातचीत अथवा आत्मीयता का कोई स्थान नही होता है. इस प्रकार के पत्रों में मुख्य तथ्य ही केंद्र होता है. Advertisement प्रार्थना पत्र – विद्यालय के प्रधानाचार्य/ प्रधानाचार्या/ मुख्याध्यापक/ मुख्याध्यापिका को अवकाश, शुल्क मुक्ति, आर्थिक सहायता, छात्रवृति अथवा विद्यालय से सम्बन्धित किसी प्रकार की कठिनाई या समस्या से सम्बन्धित. औपचारिक पत्रों को मुख्यतः तीन भागों में बांट सकते हैं: 1) सामाजिक पत्र – मित्रों अथवा संबंधियों को लिखे गए पत्र तथा निमंत्रण पत्र सामाजिक पत्र कहलाते हैं। सामाजिक पत्र दो प्रकार के होते हैं: अ) व्यक्तिगत पत्र 2) व्यापारिक अथवा व्यवसायिक पत्र – प्रार्थना पत्र, कार्यालय संबंधी पत्र, तथा समाचार पत्र के संपादक के नाम लिखे जाने वाले पत्र व्यवसायिक पत्र कहलाते हैं। 3) सरकारी कार्यालयों के पत्र – सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विभागीय कार्यों के संबंध में एक विभाग से दूसरे विभाग को, एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी अथवा वरिष्ठ अधिकारी से कनिष्ठ अधिकारी को लिखे गए पत्र सरकारी कार्यालय के पत्र कहलाते हैं। Advertisement अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) informal letter in Hindiअनौपचारिक पत्राचार उन व्यक्तियों के साथ किया जाता है. जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी सम्बन्ध होता है. अपने मित्रों माता-पिता अन्य सम्बन्धियों आदि को लिखे गये पत्र अनौपचारिक के अंतर्गत आते है. अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है. अनौपचारिक पत्रों में निम्नलिखित प्रकार के पत्र रखे जा सकते है.
अनौपचारिक पत्रों के उदाहरण (Anaupcharik Patra Lekhan Hindi Topics) Examples of Informal Letter Writing in Hindiअनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – अपने पिताजी की बीमारी की सूचना अपने चाचा जी को पत्र द्वारा दीजिए संजय नगर गाजियाबाद Advertisement आदरणीय चाचा जी, मैं कुशल पूर्वक हूँ और आपकी कुशलता ईश्वर से चाहता हूँ। मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है। चाचा जी, चिंता और दुख की बात यह है कि आजकल पिताजी की तबीयत ठीक नहीं चल रही है। लगभग 10 दिन पहले उन्हें उच्च रक्तचाप के कारण सांस लेने में परेशानी होने लगी थी जिस कारण उन्हें 1 सप्ताह तक अस्पताल में भी रहना पड़ा था। अब वह घर आ गए हैं। राहत की बात यह है कि उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। डॉक्टर के अनुसार समय पर दवा लेने और थोड़ी सावधानी रखने पर वह शीघ्र ही पूर्ण स्वस्थ हो जाएंगे। पिता जी आपको याद कर रहे हैं। शनिवार और रविवार आप का अवकाश होगा। आप 2 दिनों के लिए यहां आ जाइए। आपसे मिलकर उनका मन बहल जाएगा और हो सकता है उनका स्वास्थ्य जल्दी सुधार हो जाए। शेष सब कुशल है। आपके पत्र की प्रतीक्षा में आपका भतीजा अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – अपने मित्र को परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उसे बधाई दीजिए प्रिय मित्र भरत तुम्हारे पिता को फोन किया तो उन से ज्ञात हुआ कि तुमने बोर्ड की परीक्षा में आगरा मंडल में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह समाचार सुनकर मेरा मन खुशी से भर गया। मुझे तो पहले से ही विश्वास था कि तुम परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हो जाओगे लेकिन यह जानकर कि तुमने परीक्षा में प्रथम श्रेणी के साथ-साथ मंडल में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया है, मेरी प्रश्न उत्तर की सीमा नहीं रही। इस परीक्षा के लिए तुम्हारी मेहनत और नियमित अनुशासन पूर्वक पढ़ाई में ही तुम्हें इस सफलता तक पहुंचाया है।। मुझे पूरी आशा थी कि तुम्हारी मेहनत रंग लाएगी और मेरा अनुमान सच साबित हुआ।। तुम ने प्रथम स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम से जीवन में कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। मैं सदा ही यह कामना करूंगा कि तुम्हें जीवन में हर परीक्षा में प्रथम आने का सौभाग्य प्राप्त हो और तुम इसी प्रकार परिवार और विद्यालय का गौरव बढ़ाते रहो। इतना ही नहीं,। इसी प्रकार मेहनत करते रहो और अधिक से अधिक अंक प्राप्त कर जीवन की सभी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करो। तुम्हारा मित्र अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) -अपने छोटे भाई को सुबह घूमने के लाभ से अवगत कराते हुए पत्र लिखो 11, सुंदर नगर प्रिय भाई संजीव हम सभी यहां पर कुशल पूर्वक हैं। आशा है तुम सब भी वहां पर स्वस्थ एवं कुशल होंगे। मां के पत्र से पता चला कि तुमने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस सफलता के लिए तुम्हें हार्दिक बधाई। मां ने यह भी लिखा है कि तुम अपनी अगली परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हो और रात को बहुत देर तक पढ़ते हो। रात को देर तक जगने की वजह से सुबह देर से उठते हो। अपने स्वास्थ्य के प्रति तुम्हारी लापरवाही साफ दिखाई दे रही है। देखो संजीव, तुम जानते हो स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो मन कैसे स्वस्थ रहेगा? यदि मन अस्वस्थ है तो विचार भी स्वस्थ नहीं होंगे। शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है। तुम यदि व्यायाम नहीं कर सकते तो कम से कम सुबह उठकर घूमने अवश्य जाया करो। प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व बिस्तर छोड़कर खुली हवा में घूमने से शरीर का सारा आलस्य भाग जाता है। अंग अंग खुल जाता है और इस समय नदी पार्क या बगीचे की सैर मन को आनंद देती है। जल्दी सोने और जल्दी उठने से मनुष्य स्वास्थ्य, धनवान और बुद्धिमान बनता है। शुभम घूमने से मस्तिष्क तरोताजा हो जाता है और सारा दिन शरीर में स्फूर्ति का संचार होता रहता है। प्रातः भ्रमण आयु बढ़ाने के लिए हितकर है।। अतः तुम्हें प्रतिदिन सुबह घूमने अवश्य जाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि मेरा यह सुझाव तुम्हें पसंद आएगा और तुम इस पर अमल भी करोगे। मैं चाहता हूं कि तुम जितना अपनी पढ़ाई के लिए सचेत हो उतना ही ध्यान अपने स्वास्थ्य का भी रखो। मेरी कामना है कि तुम स्वस्थ और दीर्घायु हो। घर पर मां और पिता को मेरा प्रणाम कहना और अपना ध्यान रखना। तुम्हारा भाई अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – विदेश यात्रा पर जाने वाले मित्र को उसकी मंगलमय यात्रा की कामना के लिए पत्र लिखिए 12 नेहरू नगर, प्रिय मित्र अमित तुम्हारा पत्र अभी अभी प्राप्त हुआ। यह जानकर खुशी हुई कि तुम 15 मार्च को अमेरिका जा रहे हो।। विदेश जाने का सपना तुम बचपन से ही देखा करते थे। सपना तुम्हारा साकार होने जा रहा है।। तुम्हारी इस अमेरिका यात्रा में मेरी अनेकों शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं। ईश्वर करे तुम्हारी यात्रा सफल हो। वह जाकर मुझे पत्र लिखते रहना और अपने अमेरिका में निवास के अनुभवों से परिचित कराते रहना। मेरे मित्र अमित, इस बात का ध्यान रखना कि तुम भारतीय हो, अपनी सभ्यता और संस्कृति को मत भूलना।। विदेशी प्रभाव तुम्हारे व्यवहार और स्वभाव को प्रभावित ना करें।। तुम जैसे हो वैसे के वैसे ही लौट कर भारत वापस आना। मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं। तुम्हारा मित्र PATRA LEKHAN in Hindi अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – मां की ओर से छात्रावास में रहकर पढ़ने वाली बेटी को पत्र 302, सरोजिनी छात्रावास प्रिय बेटी रंजना तुम्हारा पत्र मिला और पता चला कि हमारा पत्र ना मिल पाने के कारण तुम चिंतित हो। बेटी, चिंता की कोई बात नहीं है।। सुख दुख तो शरीर के साथ लगे ही रहते हैं। फिर भी घर में सभी कुशलतापूर्वक हैं। हां तुम्हारे बड़े भाई संजय को पिछले दिनों बुखार आ गया था, किंतु अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। हमने तुम्हें एक पत्र भेजा था, शायद तुम्हें नहीं मिला। हमने उसे सादा डाक से भेजा था। और तुम्हें तो मालूम ही है कि साधारण डाक अक्सर देर से पहुंचती है। तुम चिंता ना करो, अब तुम्हें कुरियर से पत्र भेजा करेंगे ताकि तुम्हें समय पर मिल जाए। देखो, अपने खाने पीने का ध्यान रख ना। आइसक्रीम जैसी ठंडी चीजें मत खाया करो। बाजार की चाट पकौड़ी से भी परहेज किया करो। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना तुम्हारी जिम्मेदारी है। बेटी, तुम हमसे इतनी दूर रहती हो हमें तुम्हारी चिंता लगी रहती है। फिर भी हम सब चाहते हैं कि तुम छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई अच्छी प्रकार से करते रहो।। छात्रावास में रहकर तुम अच्छी पढ़ाई कर सकोगी जो कि घर में रहकर करना संभव नहीं है।। इसलिए तुम केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना और घर की व्यर्थ की चिंता करना छोड़ दो। संजय और विजय, तुम्हारे दोनों भाई बिल्कुल अच्छे हैं। तुम्हें हर वक्त याद करते हैं। तुम्हारे पिताजी की ओर से तुम्हें ढेर सारा आशीर्वाद। तुम्हारी मां अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – मित्र को छुट्टियों में अपने यहां बुलाने के लिए पत्र लिखिए 11, इन्दिरा कॉटेज प्रिय मित्र सुनील यह सब कुशलतापूर्वक है, ईश्वर से तुम्हारी कुशलता के लिए भी प्रार्थना करते हैं। पूरे 1 माह से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला। माना कि तुम परीक्षा की तैयारी कर रहे हो फिर भी थोड़ा सा समय निकाल कर यदि पत्र लिख दिया करोगे तो मुझे अच्छा लगेगा। खैर! यह शिकायतें तो चलती रहेगी। तुम्हारे पेपर अच्छे हुए होंगे ऐसी मुझे आशा है। इस बार गर्मियों की छुट्टियों का क्या कार्यक्रम है ? पिछले वर्ष तो तुमने यहां आने का वायदा किया था फिर भी नहीं आए। नैनीताल की सुंदर झील तुम्हारी प्रतीक्षा ही करती रह गई। यहां के मौसम के बारे में मैं तुम्हें पहले भी काफी कुछ बता चुका हूं। लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम यह सब कुछ स्वयं अपनी आंखों से देखो। यह का पहाड़ी सौंदर्य निश्चय ही तुम्हारे मन को शांति, सात्विकता और उल्लास प्रदान करेगा। देखो दोस्त कवियों और कलाकारों की कल्पना को उड़ान के पंख देने वाली इस मनोरम धरती के दर्शन अवश्य करो। रोहित भी आ रहा है। हम तीनों मित्र एक साथ रहेंगे तो खूब मजा रहेगा। पत्रिका उत्तर लौटती डाक से देना। तुम्हारा मित्र अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – जन्मदिन पर उपहार भेजने के लिए मामाजी को धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए आदरणीय मामा जी अपने जन्मदिन पर आपके द्वारा भेजी गई घड़ी प्राप्त हो गई। मुझे आपका यह उपहार कितना सुंदर और उपयोगी लगा इसका वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। घड़ी का अभाव मुझे कई वर्षों से खड़क रहा था पापा भी मेरी घड़ी की मांग को डालते जा रहे थे पर जाने कैसे आपने मेरे मन की बात जान ली। कई बार स्कूल आने जाने में देर हो जाती थी। अब मैं अपने आप को अनुशासित बनाने का पूरा प्रयत्न करूंगा। इस घड़ी को उपहार में पाकर मैं कितना खुश हूं, आप उसका अनुमान ही नहीं लगा सकते। इतने सुंदर और मनचाहे उपहार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आदरणीय मामी जी को मेरा प्रणाम कहिए। छोटी बहन रितु की बहुत याद आती है। उसे मेरा प्यार दीजिए। आप का भांजा अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – अपने मित्र को बीमार होने के कारण परीक्षा न दे पाने के लिए दिलासा देते हुए पत्र लिखिए 3 रिवर व्यू प्रिय मित्र अजय कल ही मुझे तुम्हारी छोटी बहन अनीता का पत्र मिला। पता चला कि तुम इस बार वार्षिक परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाये। सुनकर बहुत दुख हुआ, लेकिन पिछले कई महीने से तुम बीमार थे। मैं तो तुम्हारे परीक्षा न दे पाने का कारण तुरंत समझ गया था क्योंकि तुम जैसे छात्र के परीक्षा में शामिल ना होने का अन्य कोई कारण हो ही नहीं सकता था। देखो मित्र तुम शायद पीलिया से पीड़ित थे। यह बीमारी सामान्य होते हुए भी कभी-कभी घातक सिद्ध होती है। खान-पान में परहेज के अतिरिक्त आराम ही इस रूप में इलाज है। इसके इलाज में समय भी कुछ ज्यादा ही लगता है। तुम परेशान ना हो। इस बार परीक्षा नहीं दे पाए तो अगले वर्ष अच्छी तैयारी और बेहतर स्वास्थ्य के साथ फिर से परीक्षा देना। मुझे आशा है कि तुम बहुत अच्छे अंको से उत्तीर्ण करोगे। जान है तो जहान है। यह बात सभी जानते हैं। स्वास्थ्य साथ न दे तो हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे, केवल सोच ही रह जाएंगे। हो सकता है कि शारीरिक कमजोरी और अस्वस्थता के कारण इस वर्ष परीक्षा देते तो उतने अंक न प्राप्त कर पाते जितने कि तुम हमेशा आशा करते हो। भगवान की इच्छा समझकर इस बात को बुलाने का प्रयास करो। अपने स्वास्थ्य संबंधी दवा के सेवन और खाने पीने में ध्यान लगाओ। नए उत्साह और नए संकल्प के साथ अगले वर्ष परीक्षा की तैयारी करना। भगवान तुम्हारा साथ देंगे। मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ है। घर में सभी बड़ों को मेरा प्रणाम कहना और छोटी बहन अनीता को दुलार। तुम्हारा मित्र PATRA LEKHAN in Hindi अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – मित्र की माता के आकस्मिक निधन पर एक संवेदना पत्र लिखिए 12/16, विजय नगर प्रिय मित्र वीरेंद्र कल फोन से तुम्हारी माताजी के निधन का दुखद समाचार मिला। सुनकर हृदय को गहरा आघात लगा। परसों में जब तुम्हारे पास था तब तक तो कोई चिंता की बात नहीं थी। तुमने भी कभी उनकी किसी बीमारी या दुखी चर्चा नहीं की। फिर अचानक उयाह अनहोनी कैसे हो गई? मेरा मन अभी तक इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि क्या सच में आपकी माता जी अब हमारे बीच नहीं रही! एक दिन पहले ही की गई ढेर सारी बातें, उनका दुलार और उनका स्नेह भरा हाथ अपने सर पर अभी अपने महसूस कर रहा हूं। बहुत कठिन काम है फिर भी इस दुख की घड़ी में खुद अपने आप को संभालना। तुम परिवार में बड़े हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी अधिक है। मानता हूं कि मां के स्नेह और ममता के सामने सब कुछ बेकार है। किन्तु ईश्वर की इच्छा के सामने हम सब विवश हैं। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करें और तुम्हें यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। तुम्हारा शोकाकुल मित्र अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – छोटी बहन को पत्र लिखकर पढ़ाई के प्रति सजग होने की सलाह दीजिए 12 संजय नगर प्रिय सुनीता दो दिन पहले तुम्हारी छात्रावास की मित्र का पत्र प्राप्त हुआ। शायद तुम समझ गई होंगी तो उसने यह पत्र क्यों लिखा था। आजकल तुम गलत लड़कियों के साथ अपना समय अधिक बता रही हो तथा तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हटकर दूसरे विषयों की ओर जा रहा है। यह जानकर हमें अत्यधिक दुख हुआ। तुम यह बहुत अच्छी तरह जानती हो कि छात्रावास में भेजने का मूल कारण क्या था? मां और पिताजी दोनों ही चाहते हैं कि तुम पढ़ लिखकर अपना कैरियर बनाओ और इसके लिए तुम्हें अध्ययन की तरफ ध्यान लगाना होगा। अध्ययन शील व्यक्ति ही जीवन में कुछ बन सकता है। अध्ययन केवल ज्ञान बुद्धि नहीं करता बल्कि सही रास्ता दिखाकर कुसंगति से भी बचाता है। पढ़ाई का भी अपना एक अलग ही आनंद होता है। पढ़ाई हमे साधारण व्यक्तियों की श्रेणी से ऊपर उठा देती है। नियमित रूप से पढ़ाई में ध्यान लगाने वाले व्यक्ति जीवन में बहुत आगे बढ़ते हैं और उच्च स्थान को प्राप्त करते हैं। मैं भी चाहती हूं कि तुम मेरी बातों पर ध्यान दो और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर पढ़ाई करो। तुम जीवन में निश्चित ही सफल होगी और अपने माता-पिता को गर्व करने का अवसर दोगी। तुम्हारी बड़ी बहन अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – छात्रावास से अपने पिता को एक पत्र लिखिए केनफील्ड छात्रावास नैनीताल 11 जुलाई 2017 पूज्य पिता जी मैं नैनीताल में केनफील्ड छात्रावास में कुशलता पूर्वक हूं और आनंद से हूं। हमारे छात्रावास में पढ़ाई का बहुत ही अच्छा वातावरण है। यहां के सभी विद्यार्थी और शिक्षक बहुत ही अच्छे और सहयोग देने वाले हैं। मैंने यहां अपने स्वभाव से मिलते जुलते स्वभाव वाले कई मित्र बना लिए हैं जो बहुत परिश्रमी और अध्ययन शील हैं। मुझे यहां उन सब का सहयोह मिलता है यहाँ शैक्षिक गतिविधियों के कारण काफी व्यस्तता रहती है। अनेकों अध्ययन संबंधी कार्यक्रम और पठन-पाठन की प्रतियोगिताएं होती रहती है जिस में भाग लेना मुझे बहुत अच्छा लगता है। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि हिंदी निबंध प्रतियोगिता और वाद-विवाद प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त किया है। यहाँ छात्र-छात्राएं एक दूसरे से आगे बढ़ने के लिए रखते हैं। अपने आप को प्रतियोगिता में रखने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपकी आशाओं के अनुरूप अच्छे अंक प्राप्त कर लूंगा। आप सभी की बहुत याद आती है। मां को मेरा सादर प्रणाम कहिएगा। छोटी बहन को मेरा ढेर सारा स्नेह आपका पुत्र अनौपचारिक पत्र (Anaupcharik Patra) – खोया हुआ पैकेट डाक से लौट आने के लिए आभार प्रदर्शित करते हुए अनजान व्यक्ति को पत्र लिखिए 12 संजय नगर आदरणीय मुकेश शर्मा जी आपका भेजा हुआ पार्सल मुझे आज ही प्राप्त हुआ। उसी से आपके नाम की जानकारी भी मिली। उस पार्सल में अपनी पुस्तकों का खोया हुआ पैकेट देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। यह बात मेरी कल्पना से परे है कि आज भी ऐसे लोग समाज में हैं। अच्छे लोगों से अभी दुनिया खाली नहीं हुई है जो स्वयं अपने पैसे खर्च कर दूसरों की भलाई करते रहते हैं। मेरे लिए यह पुस्तकें बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह पुस्तकें बहुत महंगी हैं और दोबारा खरीदने की मुझमें क्षमता नहीं है। सबसे अधिक परेशानी की बात यह है कि यह पुस्तक बाजार में सरलता से उपलब्ध भी नहीं है। शायद आपको जानकारी ना हो, इनमें से एक पुस्तक में ₹2000 रखे हुए थे जो कि मुझे ऐसे के ऐसे ही प्राप्त हो गए हैं। सच मानिए को प्राप्त करने की आशा छोड़ चुका था और इनके अभाव में अपनी परीक्षा की तैयारी ठीक से नहीं कर पा रहा था। परीक्षा पास होने के कारण में निराशा में डूब जा रहा था। ऐसे में आप मेरे लिए आशा की किरण बनकर आए हैं। आपकी सज्जनता ने मुझ पर जो उपकार किया है, उसके लिए मैं जीवन भर आपका ऋणी रहूंगा। आपका आभार प्रकट करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। आपने यह प्रमाणित कर दिया है कि भलाई सदा जीवित रहती है। एक बार फिर से आपको हृदय से धन्यवाद देता हूं। सदा सदा के लिए आपका ऋणी औपचारिक पत्रों के उदाहरण (Aupcharik Patra Lekhan Hindi Topics) Examples of Formal Letter Writing in Hindiऔपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – अपने प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति के लिए आवेदन पत्र लिखिए सेवा में माननीय महोदय, सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा ग्यारहवीं का छात्र हूं। मैं अपनी कक्षा में प्रतिवर्ष अच्छे अंको से उत्तीर्ण होता रहा हूं। मैं विद्यालय की क्रिकेट टीम का एक सदस्य भी हूं। इसके अतिरिक्त में विद्यालय की ओर से विभिन्न वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अनेकों पुरस्कार ले चुका हूं। मेरा प्रयास रहा है कि मैं विद्यालय का गौरव बढ़ा सकूं। मैं अपनी कक्षा का मॉनिटर भी हूं। अपने अनुशासन और अच्छे स्वभाव के कारण सभी अध्यापकों और विद्यार्थियों का स्नेह प्राप्त करता रहा हूं। महोदय, मेरे पिताजी एक प्राथमिक विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। मेरी पढ़ाई का भर उठाने में असमर्थ सा महसूस कर रहे हैं। मेरा एक छोटा भाई और दो छोटी बहनें भी हैं। मेरा आपसे निवेदन है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण आप को छात्रवृत्ति देने की कृपा करें। अपनी पढ़ाई को नियमित रखने के लिए छात्रवृत्ति की बहुत आवश्यकता है। पढ़ाई छूट जाने पर मेरा भविष्य अंधकार में हो जाएगा। मैं उच्च शिक्षा प्राप्त करके अपने पिता का सहारा बनना चाहता हूं ताकि अपने छोटे भाई और बहनों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहयोग कर सकूं। आप ही मेरे इस प्रयास में मेरी मदद कर सकते हैं। मैं आपका बहुत आभारी रहूंगा। आपका आज्ञाकारी शिष्य PATRA LEKHAN in Hindi औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – ग्यारहवीं कक्षा में विज्ञान विषय लेने के लिए प्रधानाचार्य को आवेदन पत्र लिखिए सेवा में महोदय, सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में दसवीं कक्षा में पढ़ता हूं। मैंने इसी सत्र में बोर्ड की परीक्षा दी। है मेरे परिवार में सभी लोग इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कार्यरत हैं। हैं। मेरी भी विज्ञान विषय में रुचि है और मैं भी इंजीनियर बनना चाहता हूं। विद्यालय में संपन्न दसवीं की अर्धवार्षिक परीक्षा में मैंने 88% अंक प्राप्त किए हैं और विज्ञान विषय में 94% अंक प्राप्त किए हैं। मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे 11वीं कक्षा में विज्ञान विषय लेने की अनुमति प्रदान करें जिससे मैं इंजीनियर बनने की ओर अग्रसर हो सकूं। आपकी अति कृपा होगी आपका आज्ञाकारी औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – प्रधानाचार्य को संध्याकालीन खेल की उचित व्यवस्था के लिए प्रार्थना करते हुए पत्र लिखिए सेवा में महोदय, सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में शाम को खेलने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। छात्रावास में भी कई छात्र रहते हैं जो कि प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। सभी छात्र क्रिकेट हॉकी खो-खो बास्केटबॉल वॉलीबॉल आदि खेलों में भाग लेना चाहते हैं। कुछ छात्रों की अभिरुचि एथलेटिक्स में है जैसे कि लंबी दौड़, ऊंची दौड़, बाधा दौड़ इत्यादि। आपसे निवेदन है कि संध्याकालीन खेलों की उचित व्यवस्था कराने का प्रबंध करें। यदि हमें कुशल प्रशिक्षक और खेलों के समुचित व्यवस्था मिल जाए तो मेरा विश्वास है कि हम विद्यालय का गौरव बढ़ा सकते हैं। कृपया इस ओर ध्यान दें। निवेदक औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – प्रधानाचार्य को जुर्माना माफी के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए सेवा में, महोदय, सविनय निवेदन है कि मैं इस सत्र की अर्धवार्षिक परीक्षा नहीं दे पाई थी। परीक्षाओं के समय मुझे पेचिस एवं डिहाइड्रेशन हो गया था जिसके कारण मुझे 5 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। परीक्षा न दे पाने के कारण मुझ पर जुर्माना लगा दिया गया है। आपकी अति कृपा होगी। प्रार्थिनी औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर किसी विषय विशेष की पढ़ाई समुचित ना होने की शिकायत लिखिए सेवा में, महोदय, निवेदन है कि मैं कक्षा दशम का कक्षा प्रतिनिधि हूँ। मैं आपका ध्यान हमारी कक्षा के गणित विषय की पढ़ाई की ओर दिलाना चाहता हूं। गणित की हमारी अध्यापिका मिसेज शर्मा के अवकाश पर जाने के बाद से ही कोई अन्य अध्यापिका हमारी कक्षा में नहीं आ रही है। इस कारण दूसरे विद्यालयों की तुलना में हमारा पाठ्यक्रम बहुत पीछे चल रहा है। इस वर्ष हमारी बोर्ड की परीक्षाएं भी हैं। आपसे प्रार्थना है कि इसे ध्यान में रखते हुए हमारे विषय की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था करें ताकि हमारे विद्यालय का परिणाम प्रभावित ना हो। आपका आज्ञाकारी छात्र औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – पुस्तकें खरीदने के लिए प्रकाशक को एक पत्र लिखिए संजय शर्मा सेवा में, श्रीमान प्रकाशक महोदय, महोदय, कृपया निम्नलिखित पुस्तकें अविलंब कोरियर द्वारा उचित कमीशन काटकर निम्नलिखित पते पर भिजवाने का कष्ट करें। इस पत्र के साथ ₹2000 का ड्राफ्ट भी भिजवा रहा हूं। पुस्तके भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि पुस्तके कहीं से कटी फटी ना हो और नए संस्करण की हो। पुस्तकों के नाम निम्नलिखित हैं 1-एनसीआरटी, हिंदी व्याकरण, कक्षा 10 – 3 सेट भवदीय औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – अपने क्षेत्र में वर्षा के कारण उत्पन्न जलभराव की समस्या के लिए नगर पालिका अधिकारी को पत्र लिखिए सेवा में, विषय – जलभराव की समस्या हेतु समाधान हेतु महोदय, निवेदन है कि मैं नेहरू कॉलोनी शामली का निवासी हूं। पिछले कई दिनों से यहां के कुछ सीवर बंद पड़े हैं। गंदा पानी गलियों और सड़कों पर बह रहा है। निरंतर बारिश से हालात और भी खराब हो गए हैं। सड़कों पर जगह-जगह पर गड्ढे बन गए हैं जिसमें वर्षा का पानी भर गया है। यह पानी और सड़ता जा रहा है। पिछले दिनों की वर्षा के कारण जगह जगह पर नगर पालिका क्षेत्र में छोटे छोटे तालाब बन गए हैं। इन तालाबों में मक्खी मच्छर आदि कीटाणु पैदा होकर बीमारियों के फैलने को बढ़ावा दे रहे हैं। मेरा आपसे निवेदन है कि आप रुके हुए पानी को निकालने के लिए कोई उचित प्रबंध कराएं। बंद सीवर लाइनों को खुलवाएं और सड़कों पर बने गड्ढों को भरवाने की व्यवस्था करें जिससे मच्छर आदि ना फैले। इसके लिए हम आपके सदैव आभारी रहेंगे। प्रार्थी औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – अपने क्षेत्र में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों का ध्यान दैनिक समाचार पत्र के संपादक को लिखे पत्र के माध्यम से आकर्षित कराइए सेवा में, महोदय, मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से अपने नगर में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों की और अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। मैं बीबीनगर क्षेत्र में रहने वाला नागरिक हूं। आज कल होने वाली बिजली संकट ने यहां के निवासियों को परेशान कर रखा है। इससे पहले कभी भी इतनी परेशानी नहीं हुई थी। इस संकट का सामना सबसे अधिक आम लोगों को दुकानदारों को और छात्रों को करना पड़ रहा है। शाम होते ही सब सब जगह अंधेरा हो जाता है। पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं कुछ भी पढ़ने में असमर्थ हो जाते हैं। पानी की समस्या तो और भी अधिक गंभीर हो गई है। बिजली के अभाव में पानी मोटर से ऊपर की मंजिल तक नहीं पहुंच प रहा है। हैरानी वाली बात यह है कि नगर में रहने वाले उद्योगपतियों और अधिकारियों के घर के क्षेत्र में बिजली एक मिनट के लिए भी नहीं नहीं जाती है। उन्हें आम आदमियों की परेशानियों का अंदाजा कैसे लगेगा? मैं आपके पत्र द्वारा इन भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खोलना चाहता हूं। इस कार्य में आपके सहयोग के लिए मैं आपका सदा आभारी रहूंगा। सूरज मिश्रा PATRA LEKHAN in Hindi औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) – आपके क्षेत्र में बढ़ती हुई चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए गश्त बढ़ाने के लिए थाना अध्यक्ष को पत्र लिखिए सेवा में, विषय – पुलिस की गश्त बढ़ाने के लिए निवेदन महोदय, मैं इस पत्र के द्वारा आपका ध्यान आपके थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हमारे मुहल्ले में बढ़ती हुई चोरी की घटनाओ की तरफ लाना चाहता हूँ। पिछले कुछ दिनों से यहाँ चोरी की घटनाएँ लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। अभी कल ही बात है कि चोरों ने दिन-दहाड़े शर्मा जी के घर का ताला तोड़ कर उनके घर से काफी कीमती सामान की चोरी की जिसमें उनका लाखों रुपये का गहना भी शामिल है जो उन्होने अपनी बेटी की शादी के लिए इकट्ठा कर रखा था। इस घटना के दो दिन पहले रात में शिव कुमार गुप्ता जी के घर के ताले तोड़ने का प्रयास हुआ था जोकि पड़ोसियों द्वारा देख लिए जाने और शोर मचाने के कारण विफल हो गया था। पिछले सप्ताह बाजार में में दो महिलाओं के गले से सारे-आम सोने की चेन छीन ली गई। कॉलोनी के पार्क में सदा कुछ जुआरी जुआ खेलते रहते हैं और शराब पीते रहते हैं जिस कारण उस गली से भी भले लोगों का निकालना मुश्किल हो गया है। गली में खड़े स्कूटर के शीशे और तयार की चोरी भी आम बात है। कई बार तो रात को कारों के स्टीरियो भी चोरी हो चुके हैं। हमारे मुहल्ले में केवल एक सिपाही गश्त लगता है जो कि मुहल्ले के आकार को देखते हुए नाकाफी है क्योंकि इसमें एक स्कूल, 2 पार्क और 1 बाजार भी है। वह एक सिपाही भी अक्सर बीमार रहने के कारण अनुपस्थित रहता है। आपसे निवेदन है कि मुहल्ले वासियों की सुरक्षा के लिए यहाँ पर पुलिश गश्त को बढ़ा दीजिये और चार सिपाहियों की नियुक्ति कर दीजिये। गाहे-बगाहे यदि पुलिस जीप का एक चक्कर भी लगता रहे तो किसी का चोरी-चकारी करने का साहस नहीं होगा। पत्र के समापन में क्या लिखा जाता है?'समापन' शब्द हमेशा संदेश की समाप्ति के बाद नई पंक्ति में लिखा जाता है । इसके बाद अल्पविराम (,) या निर्देश - चिह्न ( - ) लगाया जाता है । कार्यालय संबंधी तथा व्यावसायिक पत्रों में 'भवदीय' या 'आपका' लिखते हैं। आवेदन-पत्र में 'भवदीय', 'प्रार्थी', 'विनीत', 'निवेदक' आदि लिखा जा सकता है ।
मित्र को पत्र लिखते समय संबोधन में क्या लिखा जाता है?आदरणीय मित्र !
पत्र के अंत में क्या लिखें?विस्तृत वर्णन के बाद भवदीय (Sincerely), आपका आभारी (Thankful), आपका आज्ञाकारी (obedient) इत्यादि शब्दों का उपयोग करके पत्र को प्राप्त करने वाले के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। औपचारिक पत्र के अंतिम भाग में पत्र को प्राप्त करने वाले संस्था / व्यक्ति का नाम, पता, दिनांक आदि की जानकारी को लिखा जाता है।
मित्र को लिखे जाने वाले पत्र क्या कहलाते हैं?Expert-Verified Answer. Answer: सगे-सम्बन्धियों, मित्रों, रिश्तेदारों, परिचितों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं, इन्हें व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है। अनौपचारिक पत्रों की भाषा आत्मीय व हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।
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