मरने के बाद मुंह से झाग क्यों निकलता है - marane ke baad munh se jhaag kyon nikalata hai

मरने बाद मुंह से क्यों निकला झाग

खगडिया, संवाद सूत्र: सदर अस्पताल के महिला वार्ड में एक बेड पर दम तोड़ चुकी खुशबू के मुंह से आखिर फैन

खगडिया, संवाद सूत्र: सदर अस्पताल के महिला वार्ड में एक बेड पर दम तोड़ चुकी खुशबू के मुंह से आखिर फैन क्यों निकल रहा था। आशंका प्रबल थी कि विषपान मौत का कारण हो सकता है अथवा किसी विषैला जंतु के काटने से यह संभव है। हालांकि, सदर अस्पताल में डा. रविंद्रनारायण, डा. कृष्ण मोहन व डा. पिकेश से जब इस संदर्भ में पूछा गया तो कहना हुआ कि रात में ड्यूटी करने वाले चिकित्सक का कहना है कि बीमारी के नाम पर उक्त मरीज को भर्ती कराया गया था। बताया गया कि वह बीमार पहले भी रही थी। डाक्टरों का यह भी कहना है कि दम फूलने से मौत के मामले में अक्सर मुंह से फैन निकलता है।

जानकारी के अनुसार शुक्रवार की सुबह सदर अस्पताल के महिला वार्ड के बेड पर 19 वर्षीय खुशबू की मौत हो गई थी। खुशबू की मां व नवगछिया के धुव्रगंज की रहने वाली विभा देवी ने पहले अस्पताल परिसर में दामाद द्वारा बेटी की पिटाई करने और उपचार में सदर अस्पताल के चिकित्सक ने लापरवाही का आरोप लगाया था। खुशबू की मां की मानें तो 5 महीना पहले उसकी शादी गंगौर ओपी अंतर्गत गंगिया गांव के भविष्य यादव से हुई थी। खुशबू के पेट में चार माह का बच्चा भी था। वहीं खुशबू के पति का कहना है कि वह पहले से बीमार रहा करती थी। दो दिन पहले भी नवगछिया के डाक्टर से वह उसे दिखाकर लाया था। गुरूवार की देर रात उसकी फिर तबियत खराब हो गई। देर रात ही उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। बाद में दोनों ही पक्षों ने कहा कि खुशबू की मौत स्वाभाविक हुई है।

अपुष्ट जानकारी के अनुसार पोस्ट मार्टम में मौत का कारण ह्रदय गति का रुकना बताया गया है और यदि यही रिपोर्ट में निकला तो क्या कोई भी इस पर विश्वास करेगा ? हालांकि मैं मेडिकल का छात्र नहीं रहा हूं पर इतनी जानकारी है कि हार्ट अटैक में सीने में दर्द होता है बदन पसीने से नहा उठता है पर मुंह से झाग निकलता है, यह पहले नहीं सुना. सामान्यत: झाग जहर खुरानी से ही निकलता है…मैं जम्प नहीं कर रहा पर अंदेशा है कि कहीं कोई अत्यंत संवेदनशील जहरीला रसायन तो शरीर के किसी अंग पर नहीं लगा दिया गया था, जिसने समय के साथ, असर दिखाया ? सुनंदा पुष्कर की मौत इससे मिलती जुलती नहीं क्या ? कई चिकित्सक मित्र हैं, बताएं …कि क्या हुआ होगा…

जी हां, मैं बात कर रहा हूं एक जाबांज, दिलेर पत्रकार की जिसकी हिम्मत के किस्से उसके साथी ही नहीं उसके सीनियर्स भी सुनाते नहीं थकते. अपनी मां का लाडला और एक बहन का प्यारा भाई आजतक का विशेष संवाददाता वही अक्षय सिंह कर्तव्य निभाते निभाते शहीद हो गया या यूं कहूं कि व्यापम घोटाले का वह एक और शिकार बन गया. 

शाम आठ बजने को थे मैं वाशरूम से निकला ही था कि विमला ने बताया कि मध्य प्रदेश में एक पत्रकार की रहस्यमय मौत हो गयी. व्यापम घोटाले की एक शिकार हो चुकी मेडिकल की छात्रा के परिवार का वह इंटरव्यू कर रहा था कि मुंह से झाग फेकने लगा और अस्पताल में उसकी मौत हो गयी. पता चला है कि उसके हाथ पैर भी ऐंठ चुके थे. यह खबर अपने आप में ही झटका था पर डिनर करते समय पहला कौर मुंह में डाला ही था कि सामने देखा कि अरे अरे ये तो वही मासूम चेहरे और दिल फरेब मुस्कान का स्वामी और सामने वाले को झट से अपना बना लेने वाला अक्षय है …पिछली 26 जून की ही तो बात थी. अनुज सहयोगी दीपक शर्मा ने जब मेरा परिचय प्रेस क्लब में अक्षय से कराया तब मैं नहीं जानता था कि यह पहली मुलाकात अंतिम बन कर रह जाएगी. हम घंटो बतियाते रहे. साथ में दोसा खाया और उसके आग्रह पर ही मैंने लेमन टी भी पी. बाहर बरसात हो रही थी पुराना यार हरपाल बेदी भी टेबल पर साथ आ गया. निकले तो अक्षय ने कहा कि सर आपको मैं घर छोड़ना च्हता हूं. आप मीटिंग निबटा लीजिए. शाम को मैं आपको छोड़ते हुए नोएडा आफिस चला जाऊंगा. साथ जुड़ गए थे वरिष्ठ पत्रकार भाई संजय पाठक. देरी तक बातचीत होती रही. मैं और दीपक साथ निकले. किसी एसाइनमेंट पर जाने के पहलेअक्षय से तय हो गया था कि चाणक्य सिनेमा के सामने मिलते हैं. दुर्योग से अक्षय जाम में फंस गया और दीपक को मुझे छोड़ना पड़ा रेसकोर्स मैट्रो तक. 

दीपक बता रहा था , ‘ सर ऐसे निडर मैने कम ही देखे हैं. किसी भी थाने में बेधड़क स्टिंग करता था और आज तक कोई उसे देख नहीं पाया. कमाल का लड़का है.

यार दीपक, तुम्हारा योग्य शिष्य ऐसे कैसे चला गया ! सत्तर और अस्सी का दशक याद आ रहा है जब कई सीबीआई जांचों में रहस्यमय दुर्घटनाओं में जाने जाती रही थीं. क्या हो रहा है यह ? कौन साजिश कर रहा है ? किसने इस तरह का अमानवीय तरीका अपनाया है ? क्या इसमें प्रदेश सरकार से जुड़ा शख्स है या है कोई या कई माफियों के गिरोह. कौन सच्चाई दबाना चाहता है ? कौन इन मौतों के रहस्य पर से पर्दा उठाएगा ? अक्षय की बलि के मायने मीडिया पर भी नजर ? क्या है वास्तविकता ? सीबीआई जांच क्या अब भी जरूरी नहीं ? 

भाई अक्षय मैं समझ सकता हूं तुम गये ही नहीं मां के बुढापे की लाठी भी छिन गयी. बहन के आंसूं थम नहीं रहे हैं. हे परमात्मा ! ऐसा दुख तो किसी दुश्मन को भी मत देना ….आमीन !

वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा के एफबी वाल

मृत्यु के समय बुरे व्यक्तियों के साथ होता है कुछ ऐसा जानकर कांप जाएंगे आप

गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी प्राणी की मृत्यु का समय पास आता है तो यमराज के दो दूत मरन अवस्था में पड़े प्राणी के पास आ जाते हैं।

गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी प्राणी की मृत्यु का समय पास आता है तो यमराज के दो दूत मरन अवस्था में पड़े प्राणी के पास आ जाते हैं। पापी मनुष्य को यम के दूतों से भय लगता है। जिन लोगों ने जीवन भर अच्छे कर्म किए होते हैं उन्हें मरने के समय अपने सामने दिव्य प्रकाश दिखता है और उन्हें मृत्यु से भय नहीं लगता। 

गरुड़ पुराण में वर्णित है जो मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होने वाला होता है, वह बोल नहीं पाता अंत समय में व्यक्ति की आवाज बंद हो जाती है और वह चाह कर भी बोल नहीं पाता। उसकी आवाज घरघराने लगती है जैसे कोई उसका गला दबा रहा हो। 

 अंतिम समय में उसे ईश्वर की तरफ से दिव्य दृष्टि प्रदान होती है और वह सारे संसार को एकरूप समझने लगता है। आंखों से उसे कुछ नजर नहीं आता वह अंधा हो जाता है और उसे अपने आस-पास बैठे लोग भी नजर नहीं आते। उसकी समस्त इंद्रियों का नाश हो जाता है। वह जड़ अवस्था में आ जाता है, यानी हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है। इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगता है और लार टपकने लगती है। पापी पुरुष के प्राण नीचे के मार्ग से निकलते हैं।

आत्मा यमराज के दरबार में अपने साथ कर्मों को ले जाती है और शरीर को त्याग देती है। 

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मुंह से झाग निकलने का क्या मतलब होता है?

मिर्गी के दौरे के समय जब रोगी के मुंह से झाग निकलता हैं और शरीर में अकड़न आने लगती है। बेहोशी की अवधि चंद सेकेंड से लेकर पांच मिनट तक हो सकती है। मिर्गी का दौरा समाप्त होते ही व्यक्ति सामान्य हो जाता है। मिर्गी दो तरह का हो सकता है।

मरने के बाद मुंह से झाग क्यों आता है?

वह जड़ अवस्था में आ जाता है, यानी हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है। इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगता है और लार टपकने लगती है। पापी पुरुष के प्राण नीचे के मार्ग से निकलते हैं। आत्मा यमराज के दरबार में अपने साथ कर्मों को ले जाती है और शरीर को त्याग देती है

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