मुक्त विश्वविद्यालय का उद्देश्य क्या है? - mukt vishvavidyaalay ka uddeshy kya hai?

मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य – मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा की एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वार सबके लिए खुले हैं। इसमें प्रवेश पाने के लिए आयु व आधारभूत शैक्षिक योग्यता आदि का कोई बंधन नहीं होता। इसमें सब युवक अथवा वृद्ध अपना पंजीकरण करा सकते हैं।

जो किसी कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह गए हैं। इसके माध्यम से राष्ट्र के दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोग भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। मुक्त विश्वविद्यालय परंपरागत विश्वविद्यालयों में प्रवेश के बढ़ते हुए दबाव को कम करने में सहायक है तथा इसमें प्रति व्यक्ति वह भी बहुत कम आता है। भारत जैसे देश के लिए यह विश्वविद्यालय वरदान साबित हो रहे हैं।

मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य

मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य

मुक्त विश्वविद्यालय के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  1. उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के अधिकतम समानता के अवसर उपलब्ध कराना
  2. उन व्यक्तियों को शैक्षणिक अवसर उपलब्ध कराना जो अपने युवा काल में इन अवसरों से वंचित रह गए हों।
  3. शिक्षा को एक जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया बनाना।
  4. उनकी सहायता करना जो नए विषयों का अध्ययन करना चाहते हैं और अपने ज्ञान को तरोताजा व नवीन करना चाहते हैं।
  5. पेशेवर श्रमिकों को इनके विशेषीकृत क्षेत्र में हुए तरोताजा विकारों से परिचित कराना।
  6. पेशेवर श्रमिकों को उनके सेवाकाल में प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
  7. नई शैक्षणिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए विद्यार्थी को शिक्षित करना।
  8. उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने की प्रति दर को कम करना।

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मुक्त विद्यालय | मुक्त विश्वविद्यालय की विशेषताएँ | मुक्त शिक्षा प्रणाली के उद्देश्य

  • मुक्त विद्यालय (बेसिक ओपन शिक्षा (NIOS) के द्वारा संचालित) –
    • मुक्त विद्यालय के प्रमुख कार्य-
    • मुक्त विश्वविद्यालय की विशेषताएँ-
    • मुक्त शिक्षा प्रणाली के उद्देश्य
      • शिक्षाशास्त्र –  महत्वपूर्ण लिंक

मुक्त विद्यालय (बेसिक ओपन शिक्षा (NIOS) के द्वारा संचालित) –

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की अनुशंसा के अनुरूप मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के शिक्षा विभाग के द्वारा एक राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय (National Opcn Sclhool-NOS) सन् 1989 में की गई थी। जिसका नाम परिवर्तित कर बाद में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थापन ( NationalInstitute of Open Schooling) कर दिया गया। जिसे आज संक्षेप में NIOS के नाम से जानते हैं यह संस्थान विद्यालय स्तर पर (sclhool levcl) पर ऐसे छात्रों को शिक्षा प्रदान करने का कार्य करता हे जो कि किन्हीं कारणों से बीच में पाठशाला छोड़ देते हैं (school dropouls) कामकाजी प्रौढ़ वर्ग की नागरिक (Working Adults) घरेलू महिलाएं (House Wives) तथा सामाजिक रूप से वंचित वर्ग (Deprived Groups) आदि।

शिक्षा के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर देश में अनेक शिक्षा प्रणालियों को अपनाया गया| जिनका उद्देश्य प्राथमिक माध्यमिक व उच्च स्तर पर शिक्षा का सर्व सुलभ बनाया था। इसी को ध्यान में रखकर दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता का महसूस किया था इसी आवश्यकता के मद्देदार सन् 1978-79 में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली (CBSE-Central Board of Secondary Education), नई दिल्ली द्वारा मुक्त विद्यालय पर आधारित एक प्रारम्भिक परियोजना (Pilt Project) तैयार किया गया। जिसकी सफलता एवं महत्ता के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय (National Open School ) की स्थापना

मुक्त विद्यालय केप्रमुख कार्य-

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय के प्रमुख दायित्व का कार्य निम्नलिखित है-

(1) इसका प्रमुख कार्य ऐसे छात्रों को प्राथमिक स्तर से लेकर पूर्व स्नातक स्तर तक लगातार दूरस्थ व लचीली (Flexiblec) शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने के अवसर उपलब्ध कराना, जो कि अब पढ़ने के इच्छुक हैं, परन्तु जिन्होंने किन्हीं कारणों से विद्यालयों शिक्षा को प्राप्त करने का प्रारम्भिक अवसर खो दिया है।

(2) राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय का मुख्य उद्देश्य सभी को शैक्षिक अवसरों की समानता के आधार पर शिक्षा के अवसर सुलभ कराना।

(3) राष्ट्रीय मुवत विद्यालयों शिक्षा संस्थान (NIOS) एक ऐसी शिक्षा संस्था हे जो स्कूल स्तर पर विभिन्न परीक्षाएं आयोजित करने तथा तद्नुसार प्रमाण-पत्र जारी करने का संवैधानिक अधिकार (Statutory Right) रखती है।

(4) यह केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education) एवं भारतीय स्कूल प्रमाण-पत्र परीक्षा परिषद् (Council for the Indian Sch0ol Certificate Examination CISE) के समानान्तर राष्ट्रीय स्तर का समतुल्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Sccondary Education Board) हैं । यह विद्यालयों स्तर पर विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए अपनी पाठ्यच्या (Syllabi) स्वयं बनाता है, मुद्रण तथा इलैक्ट्रोनिक माध्यम की अध्ययन सामग्री तैयार करता है। तथा परीक्षा आयोजित करके भारत सरकार द्वारा प्रदान किये गये अधिकारों के अन्तर्गत छात्रों को पूर्व स्नातक स्तर तक की शिक्षा स्तर के प्रमाण-पत्र प्रदान करता है।

(5) राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयों संस्थापन (NIOS) के द्वारा इसकी गतिविधियों का आयोजन भारत, नेपाल, मध्य पूर्व ओर कनाडा में स्थापित विभिन्न क्षेत्रीय केन्द्रों (Regional Centres) और अपने अनेको प्रत्याशित संस्थाओं (Accrcdited Institution) अध्ययन केन्द्रों (study centres) के एक विशोल नेटवर्क के माध्यम में किया जाता है। इसके क्षेत्रीय केन्द्रो के द्वारा राज्य मुक्त विद्यालयों/राज्य शिक्षा विभागों तथा विभिन्न अध्ययन केन्द्रों का सम्पर्क राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयों शिक्षा संस्थान (NIOS) के अध्ययन योजना में मुद्रित स्व-अध्ययन सामग्री श्रव्य और दृश्य कार्यक्रम व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम (Personal Contact Programme PCP) और अनुशिक्षक मूल्यांकित नियम कार्य (Tutor Markcd Assignments TMAs) सम्मिलित रहते हैं। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयों शिक्षा संस्थान अपने विद्यार्थियों को मुक्त शिक्षा (Open learning) नामक अर्द्धवार्षिक पत्रिका की माध्यम से गुणवत्ता पूर्ण अध्ययन सामग्री भी अतिरिक्त रूप में प्रदान करता है।

मुक्त विश्वविद्यालय की विशेषताएँ-

मुक्त विश्वविद्यालयों/मुक्त विद्यालयां की निम्न विशेषताएँ होती हैं-

(1) मुक्त विद्यालय / विश्वविद्यालय शिक्षा में नवाचारी अभिकरण हैं जो बर्तमान युग में शिक्षा की बढ़ती माँग को पूर्ण करने में सक्षम हैं।

(2) मुक्त विद्यालय/ विश्वविद्यालय सबके लिए खुले होते हैं अर्थात् इनमें प्रवेश हेतु आधारभूत शैक्षिक योग्यता की कोई आवश्यकता नहीं होती। इसी कारण इनमें वे सभी युवक प्रौढ़, वृद्ध, पंजीकृत हो सकते हैं जो किसी अन्य कारणवश शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते।

(3) ऐसे विश्वविद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति की अनिवार्यता न होने के कारण वे अपने घर पर ही सुविधानुसार स्वाध्याय विधि द्वारा शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं।

(4) मुक्त विश्वविद्यालयों के द्वारा जीवन-पर्यन्त शिक्षा हेतु सतत् शिक्षा को बल मिलता है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति किसी भी समय अपने ज्ञान, कौशलों एवं तकनीकों की जानकारी अद्यतन कर सकता है।

मुक्त शिक्षा प्रणाली के उद्देश्य

मुक्त शिक्षा प्रणाली के प्रमुख उद्देश्य निम्न है-

  1. देश के नागरिकों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने में सहायता प्रदान करना।
  2. जनसंख्या के अधिकांश भाग को शिक्षा तथा प्रशिक्षण के साथ पूर्व दिशा प्रदान करना ताकि वह प्रबन्धकीय कौशलों में स्वयं रोजगार प्राप्त कर सकें।
  3. प्रवेश के साधन, स्मृति तथा शैक्षिक उपलब्धि के सन्दर्भ में प्राथमिक शिक्षा तथा प्रौढ़ साक्षरता का सार्वभौमिकरण के लिए शैक्षिक कार्या की क्षमता का निर्माण करना।
  4. 4. मुक्त शिक्षा के परिणामस्वरूप, जो माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा की माँग बड़ी है, उसके लिये प्रावधान करना।
  5. माध्यमिक व उच्च स्तर की शैक्षिक व व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना ताकि उत्पन्न हो रहा व्यक्तिगत, समाजिक व आर्थिक वृद्धि की आवश्यकाताओं की पूरा किया जा सकें।
  6. अनेक स्तरों तथा अनेक शैक्षिक अवसरों का मिलान करना, जिससे कि जीवन स्तर की राष्ट्र के सन्दर्भ में ऊँचा उठाया जा सके।
  7. उच्च शिक्षा को अधिकांश जनसंख्या तक पहुँचाना तथा साथ ही शिक्षा के उच्च स्तर को बनाये रखना।
शिक्षाशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दायित्व | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कर्त्तव्य
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का विरोध | University Grants Commission opposes in Hindi
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख कार्य | Major Functions of University Grants Commission in Hindi
  • दूरस्थ शिक्षा के उत्थान में केन्द्र सरकार की भूमिका | Role of Central Government in the upliftment of distance education in Hindi
  • दूरस्थ शिक्षा के उत्थान में राज्य सरकार की भूमिका | Role of State Government in the upliftment of distance education in Hindi
  • भारत में दूरवर्ती शिक्षा की वर्तमान स्थिति | Current Status of Distance Education in India in Hindi
  • भारत में दूर शिक्षा का महत्व । भारत में दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता के कारण
  • दूरस्थ शिक्षा में प्रयुक्त अधिगम सामग्री । अधिगम सामग्री के प्रकार
  • भारत में दूरस्थ शिक्षा का विकास एवं वृद्धि । वर्तमान भारत में दूरवत्ती शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व
  • दूरस्थ शिक्षा का इतिहास । वर्तमान भारत में दूरस्थ शिक्षा | राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता
  • दूरस्थ शिक्षा का दर्शन । मुक्त व दूरस्थ शिक्षा में दी गई रियायतों की सूची
  • प्राचीन भारत में शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य | प्राचीन भारत में शिक्षा के प्रमुख आदर्श

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मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना के क्या उद्देश्य हैं?

मुक्त विद्यालयी शिक्षा पर एक डाटा बेस स्थापित करना। मुक्त विद्यालयी शिक्षा के प्रसार के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना। राष्ट्रीय लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए स्कूली क्षेत्र पर सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में साथ सहभागिता करना।

राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के सामान्य उद्देश्य क्या है?

एक मुक्त विश्वविद्यालय स्थापित और निगमित करने हेतु अधिनियम. ( 2 ) (3) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम मध् यप्रदेश भोज ( मुक्त) विश्वविद्यालय अधिनियम, 1991 है।

मुक्त शैक्षिक संसाधनों के प्रमुख उद्देश्य क्या है?

अनुसंधन और विकास की गतिविधियों द्वारा मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को सशक्त करना। नेटवर्किंग, सक्षमता निर्माण, संसाधनों के आपसी सहयोग और गुणवत्ता निश्चित करके राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर मुक्त विद्यालयी शिक्षा का प्रसार करना।

मुक्त विश्वविद्यालय की क्या विशेषता है?

इन विश्वविद्यालयों में प्रवेश/नामांकन की नीति खुली या शिथिल होती है अर्थात विद्यार्थियों को अधिकांश स्नातक स्तर के प्रोग्रामों में प्रवेश देने के लिये उनके पूर्व शैक्षिक योग्यताओं की ज रूरत का बन्धन नहीं लगाया जाता। (घ) अपनी शैक्षिक योग्यताएं बढ़ाने के इच्छुक व्यक्तियों को लाभ प्रदान कर रही है।

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