मोहनजोदड़ो के महान स्नानागार की क्या विशेषताएं थी? - mohanajodado ke mahaan snaanaagaar kee kya visheshataen thee?

# मोहनजोदड़ो की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए?-mohanajodado kee pramukh visheshataon ka varnan keejie

भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता हड़प्पा सभ्यता में ही मोहनजोदड़ो नामक एक शहर था। हड़प्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता में से एक है अगर हम मोहनजोदड़ो की बात करें तो हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू शहरी केंद्र का विकास था।

इस हड़प्पा सभ्यता की खोज के बाद सन 1922 में मोहनजोदड़ो की खोज हुई ,इस सभ्यता का सबसे प्राचीन नगर मोहनजोदड़ो की था इस नगर की विशेषताओं को ने प्रकार से समझा जा सकता है। 

1)  नगर विभाजन:-

यह नगर दो भागों में विभाजित था, एक छोटा लेकिन ऊंचाई पर बनाया गया और दूसरा वही अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया था। खोज कर्ताओं ने इन्हें क्रमशः दुर्ग तथा निचले शहर का नाम दिया था। दुर्ग की ऊंचाई का कारण उसका कच्ची ईंटों के चबूतरों पर बना होना था।

दुर्ग को चारों ओर से दीवार से मेरा गया था, जिसका अर्थ यह था कि वह निचले शहर से अलग है। दुर्ग शहर के निर्माण को देखते पता चलता है कि इनका निर्माण एक नियोजित प्रणाली के द्वारा हुआ होगा।

2) नियोजित शहर:- 

इस नगर का निचला शहर भी  दीवार से घिरा हुआ था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया था जो इन जो उन घरों की नींव का कार्य करते थे। एक बार चबूतरों को यथा स्थान पर बनाने के बाद शहर का सारा भवन निर्माण काले चबूतरों पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित होता था।

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इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजित नियोजन किया गया होगा और फिर शहर का निर्माण किया गया होगा। नियोजित के अन्य लक्षणों में ईंट शामिल है जो भले ही घूम धूप में सुखा कल अथवा भक्ति में पकाकर बनाई गई होगी, लेकिन इन ईंटों  की लंबाई और चौड़ाई, ऊंचाई की क्रमशः चार गुनी और दोगुनी होती थी इस हड़प्पा के सभी बस्तियों में ईंटों का प्रयोग होता था।

3)  दुर्ग:- 

अधिकांश हड़प्पा बस्तियों में एक छोटा, ऊंचा, पश्चिमी तथा एक बड़ा लेकिन निचला पूरी भाग है, इस नियोजन में विविधताएं  भी है। धोलावीरा तथा लोथल जैसे स्थलों पर पूरी बस्ती के लिए बंद थी तथा शहर के कई हिस्से भी दीवारों से घिरे कर अलग किस्म गए थे लोथल में दुर्ग दीवार से घिरा तो नहीं था पर कुछ ऊंचाई पर बनाया गया था। मोहनजोदड़ो के दुर्ग की योजना भी इन विविधताओं से अलग ना थी।

4) जल निकास प्रणाली:-   

मोहनजोदड़ो की सबसे अनोखी वाहनों की विशेषताओं में से एक यह कि जल निकास प्रणाली थी। ने शहर के नक्शे का अध्ययन करने से पता चलता है कि सड़कों तथा गलियों को लगभग एक “ग्रिड पद्धति” के द्वारा बनाया गया है जो एक दूसरे को समकोण पर काटती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नहा लिया नालियों के साथ गलियों को बनाया गया होगा तथा उसके बाद उनके अगल-बगल में आवासों का निर्माण किया गया था। यदि घरों का गंदा पानी नालियों से नालियों से जोड़ना होता तो प्रत्येक घर का का कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था।

5)  ग्रह स्थापत्य:-   

मोहनजोदड़ो का निचला मिथिला नगर आवासीय इमारतों का उदाहरण प्रस्तुत करता है इनमें से कई आवास एक आंगन पर केंद्रित थे जिसके चारों तरफ कमरे बने हुए थे पूर्व विधायक आंगन खाना बनाने और सताई जैसे काले का प्रमुख केंद्र होता था।

विशेष रूप से गर्म और सूखे मौसम में यहां एक दूसरा दिलचस्प पहलू यह था कि हड़प्पा निवासी अपनी एकता को बहुत महत्व देते थे। भूमि की सतह पर बनी हुई दीवारों में खिड़कियां मौजूद नहीं थी।

6)  सुविधाओं से पूर्ण मकान:-     

हर घर का ईंटों के पास फर्श से बना अपना एक स्नानागार होता था कुमार जिस की नालियां दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थी। कुछ घरों में दूसरे दल तथा छत पर जाने के लिए सीढ़ियां का निर्माण भी मिला था। में कोई भी थे जो अधिकतर एक ऐसे कक्ष में बनाए गए थे, जिसमें बाहर से आया हुआ व्यक्ति आसानी से उसका प्रयोग कर सके पूर्व विधायक विद्वानों के अनुसार मोहनजोदड़ो में कुएं के कुल संख्या लगभग 700 थी।

7) महान तथा विशाल स्नानागार:- 

स्नानागार आंगन में बना एक आयताकार जिला से है। यह मोहनजोदड़ो के निवासियों के लिए एक महत्व सार्वजनिक स्थल था। यह महान तथा विशाल स्नानागार 11.88 मीटर लंबा, 7.1 मीटर चौड़ा और 2.45 मीटर गहरा था। यह स्नानागार चारों ओर से एक गलियारों से गिरा हुआ था। इसके तल तक जाने के लिए उत्तरी तथा दक्षिणी भाग में चिड़िया का निर्माण किया गया था। इसके बारे में विवाह को रोकने के लिए जिस्म का प्रयोग किया गया होगा। और कब से बने हुए थे जिसमें एक एक बड़ा कुआं था। यहां के लोगों के लिए एक पवित्र स्थान था।

8) अन्नागार:- 

महान तथा विशाल स्नानागार के पश्चिम में एक विशाल अन्नागार भी मिला है। इसमें सूर्य की रोशनी पहुंचने के लिए पहाड़ी तिरछी रोशनदान छोड़े गए थे। इस भवन में ईंटों से निर्मित 27 खंड है। यह यह यहां के लोग इस प्रकार का प्रयोग अनाज तथा व्यापारिक वस्तुओं के भंडारण के लिए किया करते थे। इसलिए इसमें 27 खंड बनाए गए होंगे।

9) सड़कें और गलियां:- 

इस नगर की सड़के तथा गलियां सीधी होती थी तथा एक दूसरे को समकोण पर काटती थी। इस शहर की मुख्य सड़क 10.5 मीटर चौड़ी थी, जिसे “राजपथ” कहा गया है। इसके अतिरिक्त  अन्य सड़के 3.6 से 4 मीटर चौड़ी होती थी।

# निष्कर्ष

मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का शरीर केंद्र था कौन है और इसको हम उनकी विशेषताएं हम इससे सभ्यता के विकास को सही प्रकार से दर्शाता है। इस कारण से यह सभ्यता बहुत ही विकसित हुई वह मैं यहां तक कि यहां के लोग एक देश से दूसरे देश के पार भी करते थे प्रोग्राम सभ्यता के लोग,  मनके तथा संघ के निर्माण से कीमती वस्तुए  भी बनाए बनाना जाते थे उन्हें यही कारण से हम कह सकते हैं कि यहां एक विकसित सभ्यता थी।

@Roy Akash & Jatin Roy

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मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के बारे में आप क्या जानते हैं?

वर्तमान समय में यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आता है। यह मोहन जोदड़ो के उत्तरी भाग में स्थित है और एक कृत्रिम टीले के ऊपर बनाया गया था। यह हौज़ 11.88 m लम्बा और ७ मीटर चौड़ा है और इसका सब से अधिक भाग २.४३ मीटर की गहराई रखता है। इसमें उतरने के लिए एक सीढ़ी उत्तर में और एक दक्षिण की तरफ़ बनाई गई है।

मोहनजोदड़ो की प्रमुख विशेषताएं क्या थी?

मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा शहरी केंद्र माना जाता है। इस सभ्यता की नगर-योजना, गृह निर्माण, मुद्रा, मोहरों आदि की अधिकांश जानकारी मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है। नियोजित शहरी केंद्र: यह नगर दो भागों में विभाजित था, एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया।

विशाल स्नानागार का आकार क्या था?

हड़प्पा से प्राप्त विशाल अन्नागार, मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार (39 × 23 × 8 फुट), अन्नागार व सभा भवन परिसर तथा लोथल (गुजरात) से प्राप्त व्यावसायिक क्षेत्र परिसर और विशालतम गोदीवाड़ा हड़प्पा सभ्यता की नगर निर्माण योजना के उत्कृष्ट नमूने हैं।

सिन्धु घाटी सभ्यता में विशाल स्नानागार के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुये?

विशाल स्नानागार पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिन्धु नदी के दाहिने तट पर स्थित मोहनजोदड़ो नामक स्थान से प्राप्त हुआ है जहाँ 1922 में खुदाई करवाई गई थी। सिन्धु घाटी सभ्यता में विशाल स्नानागार मोहनजोदड़ो (मोअन -जो - दारो) जो की वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है से प्राप्त हुआ था।

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