महिलाओं ने साइकिल चलाना क्यों सीखा? - mahilaon ne saikil chalaana kyon seekha?

जहाँ पहिया है

प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-1 'जहाँ पहिया है' के लेखक कौन हैं?

उत्तर –'जहाँ पहिया है' के लेखक पी. साईनाथ जी हैं।

प्रश्न-2 'पुडुकोट्टई' किस राज्य में है?

उत्तर –'पुडुकोट्टई' तमिलनाडु राज्य में है।

प्रश्न-3 “…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते है..”
आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों‘ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?

उत्तर –लेखक जंजीरों द्वारा रूढ़िवादी प्रथाओं की ओर इशारा कर रहा है।



प्रश्न-4 'पुडुकोट्टई' की लगभग कितनी महिलाओं ने साइकिल चलाना सीख लिया है?

उत्तर –अगर दस वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को अलग कर दें तो यहाँ ग्रामीण महिलाओं के एक चौथाई हिस्से ने साइकिल चलाना सीख लिया है।

प्रश्न-5 अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर – 'साइकिल ने महिलाओं को बनाया स्वतंत्र' भी इस पाठ का उपयुक्त नाम हो सकता है क्योंकि साइकिल ने पुडुकोट्टई की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनायाहै।

प्रश्न-6 साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?

उत्तर – साइकिल बिना ईंधन के और बिना शोरगुल के चलती है। यह पर्यावरण को दूषित भी नहीं करती है। रास्ता कैसा भी हो यह चलने के लिए तैयार रहती है। इन्हीं कारणों से साइकिल को विनम्र सवारी कहा गया है।

प्रश्न-7 'पुडुकोट्टई' स्थान का वर्णन पाठ में क्यों किया गया है?

उत्तर – 'पुडुकोट्टई' स्थान का वर्णन पाठ में इसलिए किया गया है क्योंकि यहाँ की महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता, आज़ादी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साइकिल को चुना है।

प्रश्न-8 साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी‘ का अनुभव क्यों होता होगा?

उत्तर – साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी‘ का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि वह कहीं भी जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं थी।


प्रश्न-9 साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं। पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर – साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि साइकिल चलाने से वह स्वतंत्र महसूस करती हैं। वह कई घरेलू कार्य इसकी मदद से कम समय में कर लेती हैं। वह कहीं जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहती।

प्रश्न-10 प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

उत्तर – प्रारंभ में लोगों ने साइकिल चलाने वाली महिलाओं पर फब्तियाँ कसीं। लोगों ने उनके उत्साह को तोड़ने का बहुत प्रयास किया। लेड़ीज साइकिल पर्याप्त संख्या में उपलब्ध न होने के कारण महिलाओं को जेंटस साइकिलें खरीदनी पड़ती थी।

प्रश्न-11 आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है‘ क्यों रखा होगा?

उत्तर –लेखक द्वारा दिया गया शीर्षक बिलकुल उपयुक्त है। पहिए को गतिशीलता का प्रतीक माना जाता है और पुडुकोट्टई की महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता, आज़ादी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साईकिल को चुना है।


प्रश्न-12 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पुडुकोट्टई की महिलाओं ने किस प्रकार लोगों को हक्का - बक्का कर दिया?

उत्तर – 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हैंडल पड़ झाड़ियाँ लगाए, घंटियाँ बजाते हुए साइकिल पर सवार 1500 महिलाओं ने पुडुकोट्टई में तूफ़ान ला दिया। महिलाओं की साइकिल चलाने की इस तैयारी ने यहाँ रहनेवालों को हक्का - बक्का कर दिया।

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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: पुडुकोट्टई की गणना कैसे जिलों में की जाती है? वहाँ की महिलाओं ने साइकिल को किस रूप में अपनाया?
उत्तर:
पुडुकोट्टई तमिलनाडु राज्य का जिला है, जिसकी गणना सर्वाधिक पिछड़े जिलों में की जाती है। वहाँ की महिलाओं ने साइकिल को अपनी स्वाधीनता, स्वतंत्रता और गतिशीलता की अभिव्यक्ति के प्रतीक के रूप में अपनाया।

प्रश्न 2: पुडुकोट्टई की महिलाओं ने अपना विरोध प्रदर्शन करने कै लिए कौन-सा तरीका अपनाया? उन्होंने अपनी उपलब्धि को किसके समान बतलाया ?
उत्तर:
उनका तरीका था-साइकिल चलाने को एक सामाजिक आन्दोलन के रूप में अपनाना। लेखक को एक महिला ने बताया कि साइकिल चलाना उसके लिए बहुत बड़ी बात है और हवाई जहाज चलाने जैसा है। साइकिल चलाने के मामले में पुरुष वर्ग उनकी बराबरी नहीं कर सकता है।

प्रश्न 3: शुरू में साइकिल सीखने वाली महिलाओं के प्रति पुरुषों का दृष्टिकोण कैसा था?
उत्तर:
शुरू-शुरू में पुरुषों ने इसका विरोध किया, क्योंकि वे महिलाओं की स्वतन्त्रता तथा आत्मनिर्भरता के पक्ष में नहीं थे। इसके लिए पुरुषों ने उन पर फब्तियाँ कसीं, गन्दी-गन्दी टिप्पणियाँ कीं, पर महिलाओं ने इसकी परवाह नहीं की।

प्रश्न 4: पुडुकोट्टई की महिलाओं ने अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया?
उत्तर:
पुडुकोट्टई की महिलाओं ने अपना पिछड़ापन भगाने, विरोध प्रदर्शित करने तथा परंपरागत रूढ़ियों को तोड़ने के लिए एक नया तरीका अपनाया। उनका यह तरीका था-साइकिल चलाने को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में अपनाना।

प्रश्न 5: फातिमा कौन थी? वह साइकिल चलाना क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
फ़ातिमा माध्यमिक स्कूल में पढ़ाने वाली अध्यापिका थी। वह प्रतिदिन किराये पर साइकिल लेकर शाम को चलाती थी। वह साइकिल चलाना इसलिए नहीं छोड़ना चाहती, क्योंकि इससे उसे आज़ादी का अनुभव होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: साइकिल चलाना प्रोत्साहित करने के लिए नवसाक्षर महिलाएँ क्या-क्या उपाय अपना रही हैं?
उत्तर:
दूसरी महिलाओं को साइकिल चलाना सीखने के लिए नवसाक्षर महिलाएँ तरह-तरह कै उपाय अपना रही हैं। वे ‘प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता’ जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में बड़े गर्म जोशी कै साथ अपने नए कौशल का प्रर्दशन कर रही हैं। अनेक नवसाक्षर, महिलाओं को साइकिल चलाना सिखा रही हैं। इसकै अलावा वहाँ प्रशिक्षण शिविर भी चलाए जा रहे हैं। ये नवसाक्षर महिलाएँ ऐसे गाने गाती हैं, जिसमें साइकिल चलाने को प्रोत्साहन दिया गया है।

प्रश्न 2: साइकिल चलाने से महिलाओं को कौन-कौन से लाभ हुए हैं?
उत्तर:
साइकिल चलाना सीखने से महिलाओं को अनेक लाभ हुए हैं। उनकी आय में बढ़ोत्तरी हुई है। अब महिलाएँ अपने सामान को दूर-दऱाज के क्षेत्रों में बेचकर अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने लगी हैं। बसों के इतंज़ार में अपव्यय होने वाले समय एवं किराए की बचत होने लगी है। खराब परिवहन व्यवस्था वाले क्षेत्रों में भी वे आसानी से जा सकती हैं। इसके अलावा समय-नियोजन की वजह से उन्हें आराम करने का भी समय मिल जाता है।

प्रश्न 3: पुडुकोट्टई जिले में किन-किन वर्गों की महिलाओं ने साइकिल चलाना सीखकर लाभ उठाया है?
उत्तर:
पुडुकोट्टई जिले में बहुत-सी महिलाएँ साइकिल की प्रशंसक हैं। इनमें खेतिहर मजदूर, पत्थर खदानों में काम करने वाली महिलाएँ तथा गाँवों में काम करने वाली नर्सें हैं। इनके अलावा बालवाड़ी और आँगनवाड़ी की कार्यकर्ता, पत्थरों को तराशनेवाली महिलाएँ, स्कूल की अध्यापिकाएँ, ग्राम सेविकाएँ तथा दोपहर का भोजन पहुँचानेवाली महिलाएँ एवं नवसाक्षर महिलाएँ इसमें शामिल हैं।

मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: क्या महिलाओं का साइकिल चलाना उनकी आज़ादी का प्रतीक है? क्या आप इससे सहमत है? उत्तर दीजिए।
उत्तर:
महिलाओं द्वारा साइकिल चलाना उसकी आज़ादी का प्रतीक मानना उचित ही है। मैं इससे पूरी तरह से सहमत हूँ। साइकिल चलाने से किसी भी व्यक्ति को आज़ादी और खुशहाली का अनुभव होता है और आनंद महसूस होता है। आत्मसम्मान प्राप्त होता है और आत्मनिर्भरता आती है। महिलाएँ भी साइकिल चलाना सीखकर अपनी स्वाधीनता के प्रति, अपने अधिकारों के प्रति जाग्रत हुई हैं। वे आत्मनिर्भर हो गईं हैं। उन्हें अब पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इससे उनके समय और श्रम की बचत हुई है। उन्हें बराबरी का दर्जा मिला है। उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है। अब उनमें आत्म-विश्वास की भावना का संचार भी हुआ है। इन सभी सकारात्मक और रचनात्मक परिवर्तनों का कारण साइकिल चलाना ही रहा जो महिलाओं की आज़ादी का प्रतीक बना।

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महिलाओं ने साइकिल चलाना सीखने का क्यों निश्चय किया?

साइकिल चलाने से महिलाएँ काफी हद तक स्वतंत्र हो जाती हैं और उनमें एक प्रकार की गतिशीलता आ जाती है। इसलिए साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

साइकिल चलाना महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण क्यों था?

उत्तर – साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि साइकिल चलाने से वह स्वतंत्र महसूस करती हैं। वह कई घरेलू कार्य इसकी मदद से कम समय में कर लेती हैं। वह कहीं जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहती।

साइकिल चलाना सीखने से औरतें क्या हो गई थी?

" साइकिल चलाने के बहुत निश्चित आर्थिक निहितार्थ थे। इससे आय में वृद्धि हुई है। यहाँ की कुछ महिलाएँ अगल-बगल के गाँवों में कृषि संबंधी अथवा अन्य उत्पाद बेच आती हैं। साइकिल की वजह से बसों के इंतज़ार में व्यय होने वाला उनका समय बच जाता है।

ग्रामीण महिलाओं ने साइकिल चलाने को किसका प्रतीक माना?

भारत के सर्वाधिक गरीब ज़िलों में से एक है पुडुकोट्टई। पिछले दिनों यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता, आजा़दी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साइकिल को चुना है। उनमें से अधिकांश नवसाक्षर थीं।

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