मंडल आयोग की मुख्य सिफारिशें क्या थी - mandal aayog kee mukhy siphaarishen kya thee

मंडल आयोग की पूरी कहानी

7 अगस्त 1990 – ये वो दिन था जब भारत का इतिहास हमेशा-हमेशा के लिए बदल गया… 7 अगस्त 1990 – देश में मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू हुई….तत्कालीन वी पी सिंह सरकार ने पिछड़ों को शिक्षा और नौकरियों में हिस्सेदारी देने का एलान किया तो आरक्षण विरोधियों ने ज़बरदस्त विरोध किया।

सवर्णों ने ओबीसी आरक्षण का कड़ा विरोध किया था

सवर्ण नौजवानों की भीड़ सड़कों पर निकल आए…वी पी सिंह हाय हाय… और मंडल कमीशन मुर्दाबाद के नारे गूंजने लगे… पुलिस और प्रदर्शनकारियों में कई जगह हिंसक झड़प हुई… आरक्षण विरोधीआंदोलनकेनेताबनेराजीवगोस्वामीनेतोआत्मदाहतक कर डाला… सवर्ण बेरोजगारों की भीड़ को लग रहा था कि पिछड़ों के लिए नौकरियां आरक्षित होंगी तो उन्हें कभी नौकरी नहीं मिलेगी…

मंडल आयोग की कहानी

आजादीकेसमयज्यादातरजायदादजमींदारोंकेपासथी औरज्यादातरजमींदारउंचीजाति सेथे।जिसकेपासधनहोताहै, वोआसानीसेआगेबढ़जाताहै।ऐसाही होरहाथा।दलितसमुदायकेलोगपिछड़रहेथे। भारतकेपहलेप्रधानमंत्रीजवाहरलाल नेहरूने 29 जनवरी, 1953 कोपिछड़ावर्गआयोगकागठनकिया।इसकेपहलेअध्यक्ष काकाकालेलकरथे।उनकीअगुवाईमेंलगभगदोसालकेबादआयोगने 30 मार्च, 1955 कोअपनीरिपोर्टसौंपी लेकिन ये रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रही… कांग्रेस की सरकारों ने कभी इस पर अमल करने के बारे में नहीं सोचा।

बी पी मंडल की अध्यक्षता में आयोग गठित हुआ

मोरारजीदेसाईकेनेतृत्वमेंबनीपहली गैरकांग्रेसीसरकार ने 20 दिसंबर, 1978 कोबिहारकेपूर्वमुख्यमंत्रीबिंदेश्वरीप्रसादमंडलकीअगुवाई मेंनएआयोगकीघोषणाकी।जिसे मंडलआयोगकेनामसेजानागया।मंडल आयोगने  सामाजिक, शैक्षिकऔरआर्थिककसौटियोंपरतमामजातियोंकोपरखा। 

मंडल आयोगनेअपनी रिपोर्ट में पायाकिदेशमेंकुल 3,743 पिछड़ीजातियांहैं जो कि देश की आबादी का लगभग 52 फीसदी है… लेकिन देश में 1931 के बाद से जातिवार जनगणना नहीं हुई थी इसलिए 1931 की जातिवार जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही मंडल आयोगने 12 दिसंबर,1980 कोअपनीरिपोर्टपेश कर दी।

मंडल आयोग ने ओबीसी के लिए 27 % आरक्षण देने की सिफारिश की… लेकिन तबतकमोरारजीदेसाईकी सरकारगिरचुकीथी और इंदिरागांधीदुबारासत्तामेंचुकीथी… एक बार फिर से मंडल आयोग की सिफारिशें सिर्फ फाइल्स में सिमट कर रह गई।

इंदिरागांधी कीहत्याकेबादराजीवगांधीकोशासनचलानेकाअवसरमिला, लेकिनउन्होंनेभी कमीशनकीसिफारिशेंलागूनहींकी।साल 1989 मेंदेशआमचुनावकेरंगमेंपूरी तरहरंगाहुआथा।येवोदौरथाजबबोफोर्सघोटालेकेदागसेराजीवगांधी कादामनदागदारथाऔरभ्रष्टाचारदेशकेसामनेएकबड़ामुद्दाबनचुकाथा।पहली बारदेशकेप्रधानमंत्रीकोकिसीनेसीधेकटघरेमेंखड़ाकियाथा।आजादीकेबाद पहलीबारएकसत्तापांचसालपूरेहोनेसेपहलेहीलड़खड़ागईथी।जिसेदो तिहाईबहुमतहासिलथा।मामलाबोफोर्सतोपकीखरीदमेंकमीशनखानेकाथाऔरआरोप लगानेवालाशख्सदेशकारक्षामंत्रीवीपीसिंहथा। 

1989 के चुनाव में वी पी सिंह हीरो बनकर उभरे

जनता पार्टीकीहारकेबादनिराशजनताकोवीपीसिंहमेंएकहीरो दिखाई दिया… 1989 केआम चुनाव में विश्वनाथप्रतापसिंहकाजादूसिरचढ़करबोलरहाथा।राजामांडाकेनामसेमशहूर वीपीसिंहनौजवानोंकीउम्मीदबनेहुएथे।लोकसभाऔरउत्तरप्रदेशविधानसभाकेचुनाव एकसाथहोरहेथे…. फतेहपुरमेंनाराउछलाथा, ‘राजानहींफकीरहैदेशकी तकदीरहैइसनारेनेगंगायमुनाकेदोआबमेंबसेजिलोंमेंऐसा जादूकियाथाकिजनतादलनेसभी 6 सीटेंवोटोंकेभारीअंतरसेजीतली थीं।फतेहपुरसेहीसांसदबनेवीपीसिंहबीजेपीसेसशर्तऔरलेफ्टसेबिनाकिसी शर्तकेसमर्थनसेदेशकेप्रधानमंत्रीबनगए। 

जब मंडलआयोग की सिफारिशें हुईं लागू

वी पी सिंह प्रधानमंत्री बन तो गए थे लेकिन विरोधी उनकी घेराबंदी करने में लगे हुए थे.. जब वीपी सिंह के खिलाफ विरोधियों ने चक्रव्यूह रचने शुरू किये तो उन्होंने अपनेविरोधियोंकोसियासी समीकरणोंसेचित करने की रणनीति पर काम किया… सिर्फ 11 महीने तक प्रधानमंत्री रहने वाले वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने का एलान कर दिया।

7 अगस्त 1990 को वी पी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने का एलान किया

7 अगस्त 1990, तत्तकालीनप्रधानमंत्रीवीपीसिंहनेमंडलआयोगकी सिफारिशोंकोलागूकरनेकाऐलानसंसदमेंकरदियामंडलकमीशनकीसिफारिशके मुताबिकपिछड़ेवर्गकोसरकारीनौकरीमें 27 फीसदीआरक्षणदेनेकीबातकहीगई।जो पहलेसेचलेरहेअनुसूचितजातिजनजातिकोमिलनेवाले 22.5 फीसदीआरक्षणसेअलग था। यानी अब अब मंडल कमीशन की सिफारिश के मुताबिक देश में अनुसूचित जातियों का 15 %, अनुसूचित जनजातियों को 7.5 % और ओबीसी का 27 % आरक्षण लागू होने से कुल आरक्षण 49.5 % हो गया था।

यहां ये बात भी याद रखने लायक है कि उस दौरान बहुजन समाज की राजनीति करने वाली पार्टियों ने भी मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करवाने के लिए खूब आंदोलन किए… लालू प्रसाद यादव से लेकर रामविलास पासवान तक… और शरद यादव से लेकर मान्यवर कांशीराम और मायावती तक… दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की पैरवी करने वाले ये नेता लगातार दबाव डाल रहे थे… बीएसपी सुप्रीमो मायावती तो खुद इस बारे में सार्वजनिक मंचों से कह चुकी हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि वी पी सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिर्फ 2 सिफारिशों को ही लागू किया था जिसमें शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण की बात थी…जबकि मंडलकमीशननेअपनीरिपोर्टकेअध्याय 13 मेंकुल 40 प्वाइंटमेंसिफारिशेंकीथी…लेकिन उन्हें लागू ही नहीं किया गया…

1. रिपोर्ट में कहा गया था कि खुलीप्रतिस्पर्धामेंमेरिटकेआधारपर चुनेगएओबीसीकैंडिडेट्सकोउनकेलिएनिर्धारित 27 प्रतिशतआरक्षणकोटेमेंही ना डालकर मेरिट लिस्ट में शामिल किया जाना चाहिए।

2. ओबीसीआरक्षणसभीस्तरोंपरप्रमोशनमेंभीलागूकियाजाए.

3. सरकारसेकिसी भीतरीकेसेआर्थिक मददपानेवालेनिजीक्षेत्रकेसभीप्रतिष्ठानोंमेंआरक्षणलागूहोना चाहिए।

4. शैक्षणिकव्यवस्थाकास्वरूपचरित्रकेहिसाबसेअभिजात्यहैइसेबदल कर पिछड़ेवर्गकी जरूरतोंकेमुताबिकबनायाजाए

5. ओबीसीविद्यार्थियोंकेलिएअलगसेसरकारीहॉस्टलोंकी व्यवस्थाकीजानीचाहिए, जिनमेंखाने, रहनेकीमुफ्तसुविधाएंहों

6. भूमिहीन ओबीसी लोगों को ज़मीन आवंटित की जानी चाहिए।

लेकिन ऐसी 40 सिफारिशों में से सिर्फ 2 को ही लागू किया गया।

सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाली पार्टियों ने मंडल आयोग की सिफारिशें लागू कराने में निर्णायक भूमिका निभाई थी

वी पी सिंह भले ही मंडल आयोग की सारी सिफारिशें ना लागू कर पाएं हों लेकिन उन्होंने दो सिफारिशें लागू करके भी एक क्रांतिकारी काम किया था… वी पी सिंह के भाषण का वो हिस्सा आज भी कई लोगों को याद है। उन्होंने कहा था…हमनेमंडलरूपीबच्चामाँ केपेटसेबाहरनिकालदियाहै, अबकोईमाईकालालइसेमाँकेपेट मेंनहींडालसकताहै।यहबच्चाअबप्रोग्रेसहीकरेगा।मंडलसेराजनीतिकाग्रैमर बदलगयाऔरएकचेतनाडिप्राइव्डसेक्शनमेंआई, जोपावरस्ट्रक्चरमेंनहींथे, उनकोएककॉन्शसनेसआयीहमसमझतेहैं, येकॉन्शसनेसइंडिविजुअलपार्टीयाइंडिविजुअललीडर सेबड़ीचीज़आई।होसकताहै, कोईएकपिछड़ेवर्गकानेताइलेक्शनहारे याजीते, लेकिनउसपरयहआरोपनहींलगानाचाहिएकिमंडलसफलहुआयाविफल क्योंकिपंचायतसेलेकरपार्लियामेंटतककासोशलकंपोजिशनदेखेंतोवहबदलरहाहै। पार्टीकोईभीहो, डिप्राइव्डसेक्शनकेलोगज़्यादासेज़्यादासंख्यामेंरहे हैंजिससेडिसीज़नमेकिंगबॉडीज़कासोशलकंपोजिशनबदलगयाहै।

मंडलआंदोलनकी काट के तौर पर बीजेपी ने कमंडल का नारा दिया… लालकृष्ण आडवाणी ने बाद में रथयात्रा भी शुरू की… आज ओबीसी के हिंदूकरण में लगी बीजेपी ने ओबीसी आरक्षण का कड़ा विरोध किया था।

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा ओबीसी आरक्षण

मंडलआयोगकीसिफारिशोंकोलागूकरनेकेखिलाफअखिल भारतीयआरक्षणविरोधीमोर्चेकेअध्यक्षउज्जवलसिंहनेसुप्रीमकोर्टमेंयाचिकादायरकी। उज्जवलसिंहकीयाचिकापरसुनवाईकरतेहुएसुप्रीमकोर्टकीसंविधानपीठनेयहमामला नौन्यायाधीशोंकीपीठकोसौंपदिया। 16 नवंबर 1992 कोसुप्रीमकोर्टनेअपनाऐतिहासिक फैसलासुनातेहुएमंडलआयोगकीसिफारिशकोलागूकरनेकेफैसलेकोसहीठहराया।  इसीयाचिकाकीसुनवाईकेदौरानसुप्रीमकोर्टनेआरक्षणकीअधिकतमसीमा 49.5 प्रतिशततक करदी लेकिन ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर सिस्टम लागू कर दिया था।

डॉ आंबेडकर ने अपने इस्तीफे में पिछड़ा आयोग ना बनाने को अहम कारण बताया था

ओबीसी समाज के लिए आरक्षण का इंतजाम बाबा साहब ने संविधान में ही कर दिया था…  डाॅ. आंबेडकरनेपिछड़ेवर्गोंकेउत्थानकेलिएसंविधानमें आर्टिकल-340 काप्रावधानकिया।इसआर्टिकलकेमुताबिक, सरकारकोपिछड़ेवर्गकी पहचानकरने केलिएएकआयोगगठितकरनेकाअधिकारहै।संविधानलागूहोनेकेएकसालके अन्दरहीपिछड़ावर्गआयोगकागठनकरनाथा लेकिनजबआयोगकागठननहींहुआ, तोडॉ आंबेडकरकोनिराशाहुई 10 अक्टूबर 1951 कोजबआंबेडकरनेकेंद्रीयमंत्रिमंडलसे इस्तीफादियातोअपनेइस्तीफेमेंउन्होंनेपिछड़ा आयोग ना बनाने की वजह से हुई निराशा का भी ज़िक्र किया था।

ओबीसी समुदाय की उदासीनता

ओबीसी आरक्षण के लिए बाबा साहब डॉ आंबेडकर से लेकर बी पी मंडल तक… तमाम बहुजन नेताओं ने लंबा संघर्ष किया लेकिन आज भी ओबीसी समुदाय में अपने नायकों के प्रति उदानसीनता है। बी पी मंडल जैसे महापुरुष को पिछड़ी जातियां उतना सम्मान तक नहीं देती जितना दलित जातियां बाबा साहब डॉ आंबेडकर या मान्यवर कांशीराम साहब को देती हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि बहुजन समाज एकजुट हो और अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष करे।

आज़ादी के चार दशक बाद मंडल कमीशन की सिर्फ दो सिफारिशें लागू हो पाई थी लेकिन फिर भी लगातार पिछड़े समाज की हकमारी हो रही है। कभी 13 प्वाइंट रोस्टर के नाम पर तो कभी लैटरल एंट्री के ज़रिए आरक्षण को निष्रभावी बनाया जा रहा है। ताज़ा मामला यूपीएससी का है जहां ओबीसी समाज के 71 कैंडिडेट को IAS-IPS बनने से रोक दिया गया। ऐसे में ज़रूरत है कि ओबीसी समाज जागरूक हो जाए…

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मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया था इसकी मुख्य सिफारिशों का उल्लेख कीजिए?

मंडल आयोग का गठन वर्ष 1979 में "सामाजिक या शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग की पहचान” के उद्देश्य से किया गया था। इस आयोग का नेतृत्व भारतीय सांसद बी.पी. मंडल द्वारा किया गया था। जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिये आरक्षण एवं कोटा निर्धारण की व्यवस्था की गई।

मंडल आयोग की सिफारिशों को कब लागू किया गया था?

2 दिसंबर 1989 में वीपी सिंह की सरकार में रिपोर्ट फिर चर्चा में आई. 1990 में वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया. इसकी घोषणा के साथ ही देश में आरक्षण का विरोध शुरू हो गया.

जनता पार्टी द्वारा बी पी मंडल की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग कब बनाया गया था?

जनता पार्टी के शासनकाल में बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया और इसे भारत के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों के विषय में रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया था। इस कमीशन का गठन साल 1978 में किया गया था और इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 1980 में तैयार की थी।

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