Solution : परीक्षा भवन, <br> नई दिल्ली। <br> दिनांक - 5 अक्टूबर, 20XX <br> प्रिय मित्र, <br> कैसे हो ? आशा करता / करती हूँ कि कुशलतापूर्वक होंगे। में भी अच्छा हूँ। बहुत दिनों से तुम्हारे कोई समाचार प्राप्त नहीं हुए। मैंने अभी हाल ही में कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित एक नाटक देखा, जिसकी कहानी मेरे ह्रदय को अंदर तक झकझोर गई कि कैसे संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्ति एक कन्या का जन्म होना अभिशाप मानते है। उसके दुनिया में आने से पूर्व ही उसकी हत्या कर देते है। अगर सभी इस प्रकार करने लग जायेंगे तो लड़का लड़की का अनुपात बिगड़ जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो आने वाले समय में विवाह के लिए लड़कियों की संख्या कम होगी बजाय लड़कों के। वो लोग ये कैसे भूल जाते है, कि हमें जन्म देने वाली भी एक स्त्री है। मुझे इस तरह की सोच रखने वालों पर बहुत तरस आता है साथ ही गुस्सा भी बहुत आता है। हमें अपने आस - पास कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य कुकृत्यों को रोकना होगा तथा उनकी इस सोच को भी बदलना होगा कि बेटे के बराबर आजकल बेटियाँ भी है। उनको बताना होगा कि प्रत्येक क्षेत्र में बेटी बेटे से आगे है। <br> अंकल, आंटी को मेरा प्रणाम कहना। <br> तुम्हारा प्रिय मित्र <br> निखिल