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माँ ने बेटी को क्या क्या सीख दी?`?
इसे सुनेंरोकेंमाँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी? माँ ने बेटी को सीख दी थी कि वह केवल सुंदरता पर ही नहीं रीझे बल्कि अपने वातावरण के प्रति भी सचेत रहे। जिस पानी में झांककर उसे अपनी परछाई दिखाई देती है उसकी गहराई को भी वह भली-भांति जान लें। कहीं वही उसके लिए जानलेवा सिद्ध न हो जाए।
4 मां ने बेटी को कैसे सावधान किया है?
इसे सुनेंरोकेंव्याख्यात्मक हल: ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को सावधान किया कि लड़कियों जैसी दुर्बलता, सौंदर्य, वस्त्र और आभूषणों के मोह में न उलझे तथा कमजोरी और स्त्री के लिए निर्धारित परंपरागत आदर्शों को न अपनाए। लड़की जैसे-गुण, संस्कार तो हों, लेकिन लड़की जैसी निरीहता कमजोरी नहीं अपनानी है।
Ladki के घर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार दान दी हुई बेटी के घर की किसी भी चीज पर माता पिता का कोई अधिकार नहीं होता। जिसको दान दिया जाता है ( दामाद) उसे भी अपने से ऊंचा मानते हैं। तो इसलिए माता पिता अपनी बेटी के ससुराल में खाना नहीं खाते हैं और कई लोग तो बेटी के घर का पानी भी नहीं पीते। पर अब ये सब मानने वाले न के बराबर है।
मां ने बेटी को स्वयं पर मोहित ना होने की सीख क्यों दी?
इसे सुनेंरोकें(1) माँ ने बेटी को उसकी सुंदरता पर गर्व न करने की सीख दी। (2) माँ ने अपनी बेटी को दु:ख पीड़ित होकर आत्महत्या न करने की सीख दी। (3) माँ ने बेटी को धन सम्पत्ति के आकर्षण से दूर रहने की सलाह दी।
माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर मत रीझना क्यों कहा है?
इसे सुनेंरोकेंमाँ ने लड़की से अपने चेहरे पर न रीझने को क्यों कहा? उत्तर: क्योंकि अपनी सुन्दरता पर मोहित होने वाली लड़की अहंकार का और दूसरों की ईष्र्या का कारण बन जाती है।
बेटी के घर का पानी क्यों नहीं खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंदान देने के बाद उससे मोह रखा तो वह दान नहीं होता। बेटी अपने ससुराल में अच्छी तरह रम सके उसके लिए उसके मांबाप बेटी से अधिक संपर्क व्यवहार न करे इस लिये बेटी के ससुराल का पानी न पीकर उस संकल्प की पूर्ति करते है। इससे बेटी अपने ससुराल में जल्दी रम जाती है।
लेखक की माँ और पत्नी के कबूतरों के संबंध में दृष्टिकोण का परिचय दीजिए?
इसे सुनेंरोकेंलेखक की पत्नी का दृष्टिकोण इससे हटकर था क्योंकि एक बार जब दो कबूतरों ने उसके फ्लैट में दो अंडे दे दिए और उसमें से बच्चे निकल आए तो कबूतरों का आना-जाना बढ़ गया। इससे परेशान होकर लेखक की पत्नी ने उनके आने-जाने वाला रोशनदान बंद कर दिया, इससे कबूतर उदास होकर बाहर बैठे रहे। लेखक की माँ ऐसा कभी न कर पाती। प्रश्न 4.
आग से रोटियाँ सेकने के लिए माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?
इसे सुनेंरोकेंऐसा इसलिए होता है क्योंकि नारी का जीवन कष्टों से भरा होता है। (ख) बेटी अभी सयानी नहीं थी, उसकी उम्र भी कम थी और वह समाज में व्याप्त बुराईयों से अंजान थी। माँ यह नहीं चाहती थी कि उसके साथ जो अन्याय हुए हैं वो सब उसकी बेटी को भी सहना पड़े। इसलिए माँ ने बेटी को सचेत करना ज़रुरी समझा।
माँ ने बेटी को निम्नलिखित सीख दी :-
(क) माँ ने बेटी को कहा कि पानी में खुद को देखकर अपनी सुंदरता पर कभी मुग्ध नहीं होना |
(ख) आग केवल खाना बनाने के लिए है ना कि खुद को हानि पहुँचने के लिए |
(ग) माँ ने सीख दी कि वस्त्र एवं गहनों को कभी खुद के लिए बंधन नहीं बनने देना अपितु उन्हें केवल अपने सौंदर्य में वृद्धि के लिए उपयोग में लेना |
(घ) संस्कार एवं मर्यादाओं का पालन करना किन्तु कमज़ोर और बेचारी बनकर नहीं रहना |
(ङ) माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना अर्थात् कोमल एवं कमज़ोर मत बनकर रहना हर बुराई का मज़बूती से सामना करना |
Question
माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
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Solution
माँ ने अपनी बेटी को विदा करते समय निम्नलिखित सीख दी -
(1) माँ ने बेटी को उसकी सुंदरता पर गर्व न करने की सीख दी।
(2) माँ ने अपनी बेटी को दु:ख पीड़ित होकर आत्महत्या न करने की सीख दी।
(3) माँ ने बेटी को धन सम्पत्ति के आकर्षण से दूर रहने की सलाह दी।
माँ ने कन्यादान के बाद अपनी बेटी को विदा करते समय निम्नलिखित सीख दी
• वह ससुराल में दूसरों द्वारा की गई प्रशंसा से अपने रूप-सौंदर्य पर आत्ममुग्ध न हो जाए।
• आग का उपयोग रोटियाँ पकाने के लिए करना। उसका दुरुपयोग अपने जलने के लिए मत करना।
• वस्त्र-आभूषणों के मोह में फँसकर इनके बंधन में न बँध जाना।
• नारी सुलभ गुण बनाए रखना पर कमजोर मत पड़ना।