ऑनलाइन हिन्दी
प्रशिक्षण हेतु लीला प्रबोध , प्रवीण एवं प्राज्ञ के नए पाठ्यक्रम सी-डैक पुणे के तकनीकी सहयोग से विकसित एवं राजभाषा विभाग द्वारा प्रायोजित ऑनलाइन हिन्दी प्रशिक्षण हेतु लीला सॉफ्टवेयर हिन्दी भाषा प्रशिक्षार्थियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है । इसके इस्तेमाल से प्रशिक्षार्थियों को घर बैठे ही भाषा के सूक्ष्मातिसूक्ष्म अंगों (जैसे वर्ण परिचय , वर्णो का स्वर और व्यंजनों मे वर्गीकरण,उच्चारण भेद,अनुनासिक,अनुस्वार एवं संयुक्त व्यंजनों का स्वरूप, काल विभाजन,कारक
चिन्हों का सटीक प्रयोग सहित मानक वर्तनी आदि) की जानकारी सहज रूप से हो जाती है। दृश्य एवं श्रव्य उपकरणों की सहायता से प्रयोगकर्ता अपनी मातृभाषा में ही लक्ष्यभाषा हिन्दी को बड़ी आसानी से सीख सकता है। यदि आप भी अपनी मातृभाषा के माध्यम से हिन्दी सीखना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें - //lilappp.cdac.in/newhome.asp तथा अपना पंजीकरण करवाएँ । यह सेवा बिल्कुल निशुल्क है तथा तीनों ही पाठयक्रमों को एक साथ भी सीखा जा सकता है
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यूनिकोड और हिन्दी शब्द संसाधन (Unicode & Hindi Word Processor)
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भारत में नागर विमानन के सौ वर्ष
आदिम युग से मनुष्य लगातार अपने में परामानवीय शक्तियों के विकास की इच्छा लेकर नित नवीन प्रयोग करता रहा है। जल में चलने की अभिलाषा ने डोंगी से नाव और नाव से जलजहाज का विकास किया। खुले आकाश में उड़ते पंछियों को देखकर इंसान को भी उड़ने की हसरत ज़रूर हुई होगी तभी तो राइट बंधुओं ने उड़ने की कोशिश में अपनी जान को खतरे में डाला होगा। प्राचीन ग्रन्थों में भी हम इस बात का उल्लेख पाते हैं कि देवताओं और असुरों के पास उड़ने की नैसर्गिक शक्ति थी। तुलसीदासकृत “ श्री राम चरित मानस ” में भी इस बात का उल्लेख है कि लंका नरेश रावण सीता माता का अपहरण कर अपने पुष्पक विमान में बिठाकर आकाश मार्ग से लंका ले जाता है। भगवान श्रीराम लंका विजय कर जब सीताजी को लेकर इसी पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे ते हैं तो - आवत देखि लोग सब कृपासिंधु भगवान। नगर निकट प्रभु प्रेरेउ भूमि बिमान।। ( 4 क/उत्तरकाण्ड) ( भावार्थ - कृपासागर भगवान् श्रीरामचन्द्रजी ने सब लोगों को आते देखा , तो उन्होने विमान को नगर के समीप उतरने को प्रेरित किया। तब वह विमान पृथ्वी पर उतरा।) इसीतरह-