लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया है? - lakshman ne parashuraam par kya vyangy kiya hai?

Short Note

लक्ष्मण ने क्या-क्या कहकर परशुराम पर व्यंग्य किया?

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Solution

लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि अरे! मुनिश्रेष्ठ आप तो महान योद्धा हैं जो बार-बार अपने कुल्हाड़े को दिखाकर फेंक मारकर पहाड़ उड़ा देना चाहते हो। आपके सामने जो भी हैं उनमें से कोई भी कुम्हड़े की बतिया के जैसे कमज़ोर नहीं हैं। जो आपके इशारे मात्र से भयभीत हो जाएँगे।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A)

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Chapter 2: तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद - अतिरिक्त प्रश्न

Q 6Q 5Q 7

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NCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2

Chapter 2 तुलसीदास - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
अतिरिक्त प्रश्न | Q 6

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-

निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) नाथ संभुधनु भंजनिहारा, होइहि केउ एक दास तुम्हारा।।
आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरिकरनी करि करिअ लराई।।
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।।

1. परशुराम के क्रोधित होने का क्या कारण था?
2. राम ने किस प्रकार स्वीकार किया कि धनुष उन्हीं ने तोड़ा है?
3. परशुराम ने सेवक और शत्रु के विषय में क्या कहा है?

उत्तर

1. सीता स्वयंवर में शिव-धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हुए श्रीराम द्वारा शिव-धनुष के टूट जाने के कारण परशुराम क्रोधित हुए।
2. राम ने विनम्रतापूर्वक अपराध स्वीकार करने के भाव से यह कहते हुए धनुष तोड़ना स्वीकार किया कि 'शिव के धनुष को भंग करने वाला आपका ही कोई दास है।'
3. परशुराम ने सेवक और शत्रु के विषय में बताया कि सेवक वह होता है, जो सेवा-कार्य करता है। शत्रु के समान कार्य करने वाले के साथ तो लड़ाई ही करनी चाहिए और जिसने शिव-धनुष तोड़ने का अपराध किया है, वह उनका सेवक नहीं, शत्रु है।

(ख) सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा॥
सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अवमाने॥
बहु धनुहीं तोरीं लरिकाईं। कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं॥
एहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू॥
रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न सँभार।
धनुही सम तिपुरारि धनु बिदित सकल संसार।।

1. परशुराम ने क्या चेतावनी दी थी?
2. लक्ष्मण की किस बात को सुनकर परशुराम को अधिक क्रोध आया था?
3. परशुराम के अनुसार लक्ष्मण किसके बस में होकर बोल रहा था?

उत्तर

1. परशुराम ने चेतावनी दी थी कि यदि शिव का धनुष तोड़ने वाले को सभा से अलग नहीं किया गया, तो वे सभा में उपस्थित सभी राजाओं का वध कर देंगे।

2. जब लक्ष्मण ने कहा कि उन्होंने अपने लड़कपन में वैसी अनेक धनुहियाँ खेल-खेल में तोड़ दी थीं, तो यह सुनकर परशुराम को अधिक क्रोध आया।

3. परशुराम के अनुसार लक्ष्मण काल अर्थात् मृत्यु के बस में होकर बिना सोचे-समझे बोल रहा था।

(ग) लखन कहा हँसि हमरें जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।।

का छति लाभु जून धनु तोरें। देखा राम नयन के भोरें।।

छुअत टूट रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू।।

बोले चितइ परसु की ओरा। रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा।।

1. लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को अकारण क्यों कहा?

2. परशुराम ने सभा में अपने स्वभाव के विषय में क्या कहा?

3. लक्ष्मण सभी धनुषों को कैसा मानते थे?

उत्तर

1. लक्ष्मण ने परशुराम के क्रोध को अकारण इसलिए कहा क्योंकि धनुष के टूटने में राम का कोई दोष नहीं है। वह तो उनके छूते ही टूट गया था और पुराने धनुष के टूटने पर क्रोध क्यों करना| लक्ष्मण के अनुसार उनके लिए सब धनुष एक समान हैं, यह कोई विशेष धनुष न था।  

2. परशुराम ने सभा में अपने स्वभाव के विषय में कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हैं, इसलिए लक्ष्मण उन्हें सामान्य मुनि न समझें। अब तक वे बालक समझकर ही लक्ष्मण का वध नहीं कर रहे हैं।

3. लक्ष्मण सभी धनुषों को एक-सा मानते थे। उनकी दृष्टि में उनमें कोई अंतर नहीं था।

(ग) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महा भटमानी।।

पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।

इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।

देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।

1. लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया?

2. 'कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं' का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।

3. लक्ष्मण के हँसने का क्या कारण है ?

उत्तर

1. लक्ष्मण ने परशुराम के स्वभाव पर व्यंग्य किया कि मुनिवर स्वयं को महान योद्धा मान रहे हैं। वे मुझे अपना फ़रसा दिखाकर ही डराना चाहते हैं। लक्ष्मण ऐसा कहकर परशुराम की वीरता पर व्यंग्य कर रहे हैं।  

2. 'कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं' द्वारा लक्ष्मण परशुराम पर व्यंग्य कर रहे हैं कि वे भी कोई छुईमुई का पौधा नहीं हैं, जो उनको तरजनी अंगुली देखकर ही डर जाएँगे अर्थात् वे इतने कमज़ोर नहीं हैं, जो उनकी बातों से भयभीत हो जाएँ।

3. लक्ष्मण परशुराम की गर्व भरी बातों को सुनकर उनका उपहास करते हुए हँस रहे हैं।

(घ) कौसिक सुनहु मंद येहु बालक। कुटिलु काल बस निज कुल घातक।।

भानुबंस राकेश कलंकू। निपट निरंकुस अबुध असूंक।।

कालकवलु होइहि छन माही। कहौं पुकारि खोरि मोहि नाहीं ।।

तुम्ह हटकहु जो चहहु उबारा। कहि प्रताप बल रोषु हमारा।।

1. परशुराम ने लक्ष्मण को 'भानुबंस राकेस कलंकू' क्यों कहा है ?

2. यहाँ कौसिक किसे कहा गया है ? कौसिक को संबोधित कर लक्ष्मण के विषय में परशुराम क्या कह रहे हैं ?

3. परशुराम कौसिक को लक्ष्मण को बचाने का क्या उपाय बताते हैं ?

उत्तर

1. परशुराम के अनुसार लक्ष्मण उन्हें क्रोध दिलाकर अपने कुल का नाशक बन रहे थे। एक बालक होते हुए उनकी धृष्टता सूर्य के समान चमकते उनके कुल के लिए चंद्रमा के कलंक के समान थी।

2. यहाँ कौसिक विश्वामित्र को कहा गया है। कौसिक को संबोधित कर परशुराम लक्ष्मण के विषय में कह रहे हैं कि यह बालक मूर्ख और कुटिल है। यह काल के वश होकर अपने कुल का नाशक बन रहा है। 

3. परशुराम कौसिक को लक्ष्मण को बचाने के लिए उपाय बताते हैं कि वे लक्ष्मण को उनके बल, प्रसिद्धि और क्रोध के विषय में बताएँ और नियंत्रित करें।

(ङ) कौसिक सुनहु मंद यहु बालकु। कुटिल कालबस निज कुल घालकु।।

भानु बंस राकेस कलंकू। निपट निरंकुस अबुध असंकू।।

काल कवलु होइहि छन माहीं। कहउँ पुकारि खोरि मोहि नाहीं।।

तुम्ह हटकहु जौं चहहु उबारा। कहि प्रतापु बलु रोषु हमारा।।

1. लक्ष्मण के किस कथन से उनकी निडरता का परिचय मिलता है?

2. परशुराम ने सभा से किस कार्य का दोष उन्हें देने के लिए मना किया?

3. परशुराम क्यों क्रोधित हो गए?

उत्तर

1. परशुराम द्वारा बार-बार लक्ष्मण का वध करने की धमकी सुनकर लक्ष्मण जब परशुराम से कहते हैं कि आप तो बार-बार मृत्यु को इस प्रकार आवाज़ लगा रहे हैं, मानो उसे मेरे लिए ही बुला रहे हैं-यह कथन उनकी निर्भीकता को प्रकट करता है।  

2. लक्ष्मण के कठोर वचन सुनकर परशुराम क्रोध में भरकर अपना फ़रसा लेकर लक्ष्मण का वध करने के लिए तैयार हो गए और सभा से कहा कि कटु वचन बोलने वाला यह बालक वध करने योग्य ही है। अब तक बालक समझकर मैंने इसे नहीं मारा लेकिन अब आप लोग इसके वध का दोष मुझे न दें। 

3. परशुराम  लक्ष्मण द्वारा बार-बार व्यंग्योक्तियों से उनके अभिमान को चोट पहुँचाने व उनका अपमान करने के कारण क्रोधित हुए।

(च) कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहिं जान बिदित संसारा।।

माता पितहि उरिन भए नीकें। गुर रिनु रहा सोचु बड़ जीकें।।

सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा। दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा।।

अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली। तुरत देउँ मैं थैली खोली।।

1. लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया?

2. 'माता पितहि उरिन भये नीके' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

3. 'दिन चलि गये ब्याज बड़ बाढ़ा' पंक्ति में किस ब्याज की बात हो रही है ?

उत्तर

1. लक्ष्मण ने परशुराम पर व्यंग्य किया कि आपके स्वभाव को कौन नहीं जानता अर्थात् सारा संसार जानता है। आप अपने माता-पिता के वध का कारण बनकर उनके ऋण से तो भलीभाँति मुक्त हो गए हैं। अब गुरु-ऋण रह गया है, जो हृदय को दुख दे रहा है।

2. इस पंक्ति के द्वारा लक्ष्मण परशुराम पर व्यंग्य कर रहे हैं कि किस प्रकार वे माता-पिता के वध का कारण बने और उनके ऋण से मुक्त हुए। 

3. इस पंक्ति में लक्ष्मण परशुराम के गुरु-ऋण पर दिन-पर-दिन बढ़ते ब्याज की बात कर रहे हैं।

लघुतरात्त्मक प्रश्नोत्तर -

1. परशुराम को लक्ष्मण की किस बात पर अधिक गुस्सा आया? 

उत्तर 

लक्ष्मण ने शिवजी के धनुष को धनुही कहा था। लक्ष्मण के अनुसार शिव-धनुष इतना कमजोर था कि उस जैसे धनुहियों को वे अपने बचपन में खेल-खेल में ही तोड़ दिया करते थे। शिवजी के धनुष के इस अपमान से परशुराम का क्रोध बढ़ गया था।

2. धनुष को तोड़ने वाला कोई आपका ही सेवक होगा-के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर

परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास करते हुए राम ने कहा कि शिव धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास होगा-ऐसा कहने से यह पता चलता है कि राम शांत, विनम्र स्वभाव के हैं। उनकी वाणी में मधुरता का गुण विद्यमान है।

3. परशुराम की बात सुनकर राम क्या प्रयास करते हैं? इससे राम के किन गुणों का पता चलता है?

उत्तर

परशुराम की बात सुनकर राम उन्हें शांत करने का प्रयास करते हैं| इससे  राम के शांत, विनम्र, ऋषि मुनियों के प्रति अपार श्रद्धा तथा मर्यादाशीलता आदि गुणों का पता चलता है।

4. लक्ष्मण के अनुसार वीर और कायर के स्वभाव में क्या अन्तर है ?

उत्तर

वीर योद्धा कभी भी धैर्य को नहीं  छोड़ता, वह युद्धभूमि में वीरता का प्रदर्शन शत्रु से युद्ध करके करता है, वीर योद्धा रणभूमि में शत्रु का वध करता है, कायरों की भाँति अपने प्रताप का केवल बखान नहीं  करता।

5. परशुराम की स्वभावगत विशेषताएँ क्या हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर

परशुराम वीर योद्धा, क्रोधी, बाल-ब्रह्मचारी, अहंकारी तथा क्षत्रिय कुल के विरोधी हैं तथा उनकी वाणी अत्यंत कठोर है। शिवधनुष तोड़ने पर वे लक्ष्मण को फरसा दिखाकर उन्हें डराने का प्रयास करते है। वे क्षत्रियों के प्रबल शत्रु थे।

6. परशुराम को 'नाथ' कहकर किसने और क्या संबोधित किया था?

उत्तर

परशुराम को श्रीराम ने 'नाथ' कहकर संबोधित किया था। उन्होंने बड़े ही विनयशीलता के साथ कहा था कि शिव-धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा। आपका क्या आदेश है, आप मुझसे कह सकते हैं।

7. परशुराम की ललकार पर श्रीराम की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर

परशुराम की ललकार पर श्रीरामचंद्र जी शांत रहे और केवल अनुनय विनय करते रहे और अपने मधुर वचनों से उनकी क्रोधाग्नि को शांत करने का प्रयास करते रहे।

8. पाठ में परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा?

उत्तर

परशुराम ने अपने बारे में बताया कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं और अत्यधिक क्रोधी हैं। सारा संसार उन्हें क्षत्रियकुल-द्रोही के नाम से जानता है। उनका फरसा बड़ा ही भयानक है।

9. लक्ष्मण का व्यवहार कितना उचित था? पाठ के आधार पर बताइए|

उत्तर

लक्ष्मण वीर और निडर हैं। उनकी वाणी कभी-कभी उग्र हो जाती है। ऐसा लगता है मानों वे तलवार से नहीं वाणी से युद्ध करते हैं। जब सामने वाला योद्धा भी वचनों के वज्र मारता है, तब लक्ष्मण भी वचनों से व्यंग्य-प्रहार करते हैं। अंत में लक्ष्मण उग्रता एवं क्रोध की सीमा लाँघ जाते हैं और परशुराम को कुछ अनुचित शब्द बोल जाते हैं।

10. लक्ष्मण को वध-योग्य बताने के लिए परशुराम क्या-क्या तर्क देते हैं?

उत्तर

परशुराम लक्ष्मण को मूर्ख और स्वभाव से टेढ़ा कहते हैं। उन्हें कुल का कलंक बताते हुए यह भी कहते हैं कि इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है। यह अज्ञानी है। क्षत्रिय कुमार है, इस कारण परशुराम का शत्रु है। इसने परशुराम की खिल्ली उड़ाई है। इन सब कारणों को बताकर परशुराम लक्ष्मण को वध के योग्य बताते हैं|

11. लक्ष्मण ने शूर वीरों के कौन से गुण परशुराम को बताए है?

उत्तर

लक्ष्मण ने शूर वीरों के गुण बताते हुए कहा कि-वीर योद्धा कभी भी धैर्य को नहीं छोड़ता, वह युद्ध भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन शत्रु से युद्ध करके करता है, बुद्धिमान योद्धा रणभूमि में शत्रु का वध करता है, वह कभी अपनी बड़ाई अपने मुख से नहीं करता।

12. लक्ष्मण ने शूर वीरों के कौन से गुण परशुराम को बताए है?

उत्तर

लक्ष्मण ने शूर वीरों के गुण बताते हुए कहा कि वीर योद्धा कभी भी धैर्य को नहीं छोड़ता, वह युद्ध भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन शत्रु से युद्ध करके करता है, बुद्धिमान योद्धा रणभूमि में शत्रु का वध करता है, वह कभी अपनी बड़ाई अपने मुख से नहीं करता।

13. परशुराम ने अपना भुजबल सिद्ध करने के लिए कौन-सा उदाहरण दिया?

उत्तर

परशुराम जी ने अपना भुजबल सिद्ध करने के लिए अपने फरसे को दिखाते हुए लक्ष्मण से कहा कि सहस्त्रबाहु की भुजाओं को काटने वाला यह फरसा गर्भस्थ शिशु को भी विनष्ट कर सकता है, इसलिए अपने माता-पिता के कष्ट को अपनी मृत्यु से मत बढ़ाओ।

14. लक्ष्मण ने परशुराम से किस प्रकार क्षमा-याचना की और क्यों ?

उत्तर

लक्ष्मण ने कहा कि देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय-इन पर हमारे कुल में वीरता नहीं  दिखाई जाती है। क्योंकि इन्हें मारने पर पाप लगता है और इनसे हारने पर अपयश होता है। अतः आप मारें भी तो आपके पैर ही पड़ना चाहिए। हे महामुनि! मैंने कुछ अनुचित कहा हो तो धैर्य धारण करके मुझे क्षमा करना।

15. राम ने लक्ष्मण का बचाव कब और कैसे किया?

उत्तर

जब परशुराम की क्रोधाग्नि को बढ़ाने के लिए लक्ष्मण के व्यंग्यपूर्ण उत्तर आहुति का काम कर रहे थे। तब उनकी क्रोध रूपी अग्नि को भड़कते देख रघुकुल के सूर्य स्वरूप श्री राम लक्ष्मण के बचाव में आगे आए और शीतल जल के मधुर समान अपने मधुर वचनों से उन्हें शांत करने का प्रयत्न किया।

लक्ष्मण ने क्या क्या कहकर परशुराम पर व्यंग्य किया?

लक्ष्मण ने परशुराम पर व्यंग्य किया कि आपके स्वभाव को कौन नहीं जानता अर्थात् सारा संसार जानता है। आप अपने माता-पिता के वध का कारण बनकर उनके ऋण से तो भलीभाँति मुक्त हो गए हैं। अब गुरु-ऋण रह गया है, जो हृदय को दुख दे रहा है।

लक्ष्मण ने परशुराम के लिए व्यंग्य में क्या क्या कहा और उसका क्या परिणाम हुआ?

लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि अरे! मुनिश्रेष्ठ आप तो महान योद्धा हैं जो बार-बार अपने कुल्हाड़े को दिखाकर फेंक मारकर पहाड़ उड़ा देना चाहते हो। आपके सामने जो भी हैं उनमें से कोई भी कुम्हड़े की बतिया के जैसे कमज़ोर नहीं हैं। जो आपके इशारे मात्र से भयभीत हो जाएँगे।

लक्ष्मण ने परशुराम से क्या कहा?

उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि अरे मुनि श्रेष्ठ आप तो महान योद्धा हैं जो बार-बार अपने कुल्हाड़ी को दिखाकर फूंक मारकर पहाड़ उड़ा देना चाहते हो। आपके सामने जो भी है उनमें से कोई भी कुम्हड़े की बतिया के जैसे कमजोर नहीं है जो आप के इशारे मात्र से भयभीत हो जाएगा।

लक्ष्मण ने परशुराम को क्या कहा और क्यों कहा?

साथ ही लक्ष्मण जी परशुराम जी के एक – एक वचन को करोड़ों वज्रों के समान कठोर बताते है। और कहते हैं कि उन्होंने व्यर्थ में ही फरसा और धनुष – बाण धारण किया हुआ है। लक्ष्मण जी की व्यंग्य भरी बातों को सुनकर परशुराम जी को और क्रोध आ गया और वह विश्वामित्र से बोले कि हे विश्वामित्र !

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