क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही गाए जाते हैं? शहरों के कौन से लोकगीत हो सकते हैं? इस पर विचार करके लिखो।
लोकगीत और नृत्य गाँवों और कबीलों में बहुत लोकप्रिय होते हैं। शहरों में इन्हें बहुत कम देखा जा सकता है। शहरों में जो लोकगीत गाए जाते हैं वे भी किसी-न-किसी रूप में गाँवों से ही जुड़े हुए हैं। शहरों के लोग देश के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बसे हुए होते हैं। अब शहरों के लोग भी इनमें रुचि ले रहे हैं। वे सामान्य संगीत से हटकर होते हैं। अतः आकर्षण के कारण बन जाते हैं। शहरों के लोकगीत हो सकते हैं-शहरिया बाबू, नगरी आदि।
लोकगीत का क्या अर्थ है क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँव या कबीलों में ही गाए जाते हैं?
अधिकतर लोकगीत और नृत्य गांवों और कबीलों में ही पाए जाते हैं क्योंकि वहां का जीवन नियमों में बंधा हुआ नहीं होता। वहां के लोग सरल स्वभाव के होते हैं। वे अपनी खुशियां दल बनाकर एक दूसरे के साथ गाते हुए बांटते हैं। इसलिए लोकगीत और लोक नृत्यों में छोटे-बड़े, जात पात का भेद समाप्त हो जाता है।
क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही गाए जाते हैं शहरों के कौन से लोकगीत हो सकते हैं?
Solution. लोकगीत और नृत्य गाँवों और कबीलों में बहुत लोकप्रिय होते हैं। शहरों में इन्हें बहुत कम देखा जा सकता है। शहरों में जो लोकगीत गाए जाते हैं वे भी किसी-न-किसी रूप में गाँवों से ही जुड़े हुए हैं।
जैसे जैसे शहर फैल रहे है और गाँव सिकुड़ रहे है लोकगीतों पर उनका क्या प्रभाव पड़ रहा है?
नगरीकरण के कारण शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड रहे हैं इसका प्रभाव लोकगीतों पर पड़ रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में मनोरंजन के विभिन्न साधनों के होने के कारण उनका ध्यान इस ओर से हट रहा है। पाश्चात्य संगीत से लोग उसकी ओर आकृष्ट हो रहे हैं। एवं वैश्वीकरण ने लोगों के आचार – विचारों में भी परिवर्तन ला दिया है।
शहरों में कौन से लोकगीत गाए जाते हैं कोई चार नाम लिखिए?
चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं।