NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्ची is part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्ची. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास कहानी से प्रश्न 2. माधवदास का ऐसा कहना पूरी तरह से निस्स्वार्थ मन से नहीं था। वह चिड़िया को महल में पिंजरे में बंद करके रखना चाहता था ताकि अपनी इच्छा से उसकी सुंदरता को निहार सके और उसका चहचहाना सुन सके। प्रश्न 3. दूसरी तरफ माधवदास की नजर में
चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था वे तो केवल अपने बगीचे की शोभा बढ़ाने हेतु उस चिड़िया को पकड़ना चाहते थे। वे उसे सोने के पिंजरे व अन्य सामानों का प्रलोभन भी देते हैं लेकिन चिड़िया के लिए सब चीजें कोई महत्त्व नहीं रखतीं। प्रश्न 4. प्रश्न
5. प्रश्न 6. कहानी से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. भाषा की
बात प्रश्न 1. प्रश्न 2. अन्य पाठेतर हल प्रश्न बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर (ख) शाम के वातावरण में क्या-क्या परिवर्तन हो जाता है (ग) माधवदास चिड़िया से क्या चाहता
था? (घ) माधवदास चिड़िया को किसका प्रलोभन दे रहे थे। (ङ) बगीचा में चिड़िया कहाँ आकर बैठी थी? (च) चिड़िया की गरदन का रंग कैसा था? (छ)
माधवदास के बगीचे में चिड़िया के आने का मकसद था उत्तर अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (क) माधवदास ने किसका निर्माण करवाया था? (ख) चिड़िया कैसी थी? (ग) माधवदास ने चिड़िया से क्या कहा? (घ) चिड़िया किसे महत्त्व देती है और क्यों? लघु उत्तरीय प्रश्न (क) क्या माधवदास ने सचमुच ही वह
बगीचा चिड़िया के लिए बनवाया था? (ख) सेठ माधवदास ने चिड़िया की माँ के विषय में क्या कहा? (ग) माधवदास ने जीवन के अकेलेपन को दूर करने का क्या तरकीब
निकाला? (घ) माधवदास ने अंत में चिड़िया को कैसे पकड़वाना चाहा? (ङ) माँ के पास पहुँचकर चिड़िया ने क्या किया? दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (क) माधवदास के प्रलोभनों के बावजूद चिड़िया उसके पास क्यों नहीं रुकी? मूल्यपरक प्रश्न (क) इस कहानी से आपको
किस जीवन-मूल्य का बोध होता है? More Resources for CBSE Class 7 We hope the given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्ची will help you. If you have any
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Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास पाठ से प्रश्न 2. तोत्तो-चान-तोत्तो-चान स्वयं तो रोज़ ही अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी। लेकिन पोलियो से ग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने से उसे अपूर्व आत्म-संतुष्टि व खुशी प्राप्त हुई क्योंकि उसके इस जोखिम भरे कार्य से यासुकी-चान को अत्यधिक प्रसन्नता मिली। मित्र को प्रसन्न करने में ही वह प्रसन्न थी। यासुकी-चान-यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़कर अपूर्व खुशी मिली। उसके मन की चाह पूरी हो गई। पेड़
पर चढ़ना तो दूर वह तो निजी पेड़ बनाने के लिए भी शारीरिक रूप से सक्षम न था। उसे ऐसा सुख पहले कभी न मिला था। प्रश्न 3. प्रश्न 4. पाठ से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. भाषा की बात प्रश्न 1.Board
CBSE
Textbook
NCERT
Class
Class 7
Subject
Hindi
Chapter
Chapter 9
Chapter Name
चिड़िया की बच्ची
Number of Questions Solved
23
Category
NCERT Solutions
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्ची
प्रश्न 1.
किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर-
माधवदास की बड़ी कोठी, सुंदर बगीचा, रहने का ठाठ-बाट रईसों जैसा था। चिड़िया के साथ वार्तालाप में कहना कि तेरा सोने का पिंजरा बनावा दूंगा और उसे मालामाल कर देने की बात कहता है।
इसके अलावा वह स्वयं स्वीकार करता है। कि उसके पास कई कोठियाँ, बगीचे और नौकर-चाकर हैं। इन बातों से उसकी संपन्नता का पता चलता है। इसके अलावे वह अकेलेपन को दूर करने के लिए चिड़िया के साथ रहने के लिए मजबूर था, यह बात दर्शाता है कि सारी सुविधाओं के बाद भी वह सुखी नहीं था।
माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
माधवदास चिड़िया से बार-बार इसलिए कहता है क्योंकि उसे चिड़िया बहुत सुंदर
और प्यारी लगी। वह चाहता है कि वह चिड़िया सदा के लिए बगीचे में रह जाए। यही कारण है कि बार-बार यह बात दुहराता है कि बगीचा तुम्हारा ही है।
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की जिद का
कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
माधवदास बार-बार चिड़िया को सोने के पिंजरे व सुख-सुविधाओं का लालच देता है लेकिन चिड़िया इन बातों को कोई महत्त्व नहीं देती, उसे तो स्वच्छंदता ही पसंद है। उसे माधवदास के सुंदर बगीचे में रहना भी पसंद नहीं है। वह अपने परिवार से भी अलग नहीं होना चाहती। शाम होते ही उसे माँ के पास जाने की जल्दी होती है। वह तो केवल घूमना ही चाहती है, बंधन में रहना उसका स्वभाव नहीं।
कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लेगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर-
कहानी के अंत में नन्ही चिडिया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर
मुझे आपार खुशी हुई, क्योंकि माधवदास उसे अत्यधिक प्रलोभन देते हैं कि चिड़िया उसके पास रह जाए पर चिड़िया नहीं मानती। अंत में वह उसे अपने नौकर से पकड़वाना चाहता है लेकिन चिड़िया भाग निकली। यदि माधवदास चिड़िया को पकड़वाने में सफल हो जाता तो चिडिया का शेष जीवन कैदी के रूप में व्यतीत होती। उसकी आजादी समाप्त हो जाती उसका परिवार उससे बिछड़ जाता। उसकी स्वच्छंदता हँसी-खुशी समाप्त हो जाती। अत: मेरी संवेदना चिड़िया के प्रति बहुत अधिक है। चिड़िया उसे स्वार्थी माधवदास के चुंगल से बच निकलने में सफल हुई।
‘माँ मेरी बाट देखती होगी’-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
हमारी जिंदगी में माँ का महत्त्वपूर्ण स्थान है। माँ दुख-सुख में सदैव अपने बच्चों के साथ रहती है। माँ हमारे जीवन की सभी परेशानियों को दूर करते हुए सारे दुखों और कष्टों को स्वयं झेल जाना चाहती है। हमारा पालन-पोषण करती है, हमें सभी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराती है तथा दुख की घड़ी में ढाढ़स बँधाती है। माँ का स्नेह और आशीर्वाद बच्चे की सफलता
में योगदान देता है। अतः हम माँ के ऋण से उऋण नहीं हो सकते। यही कारण है कि जब चिड़िया को माधवदास के घर देर होने लगती है तो रह-रहकर वह यही कहती है कि माँ इंतजार करती होगी।
इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर
इस कहानी हेतु ‘नन्हीं चिड़िया’ शीर्षक पूर्णतया उपयुक्त रहेगा क्योंकि वह छोटी चिड़िया है। स्वभावानुसार थोड़ा बहुत घूमना ही जानती है। जब माधवदास का नौकर उसे पकड़ने लगता है तो वह बहुत डर गई। वह इतनी तेजी से उड़ती है कि सीधा माँ की
गोद में आकर रुकी और सारी रात उससे चिपककर सोती रही। वास्तव में वह छोटे बच्चे की भाँति ही डर जाती है और बच्चा माँ की गोद में ही अपने-आप को सुरक्षित महसूस करता है वैसा ही ‘नन्हीं चिडिया’ ने भी किया।
इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का
रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर-
पशु-पक्षी-पशु-पक्षी दिन भर कहीं भी विचरण करते रहें, लेकिन शाम होते-होते वे अपने घरौंदे में लौट आते हैं।
सूर्य-सूर्य अपने निश्चित समय पर निकलता है और छिपता है। वह एक दिन के लिए भी अनुपस्थित नहीं होता है। चंद्रमा की भी यही स्थिति है।
दिन-रात का क्रम-प्रकृति में दिन-रात का एक क्रम बना हुआ है। इसमें थोड़ा भी परिवर्तन नहीं होता है।
सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद
रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-‘स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़े और विचार करें-
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।।
उत्तर
सारी
सुविधाएँ प्राप्त करके भी हम एक कमरे में रहना स्वीकार नहीं करेंगे। हमें सदा स्वाधीनता’ ही प्रिय होगी न कि ‘प्रलोभनवाली पराधीनता’ क्योंकि पराधीनता का अर्थ है ‘पर के आधीन’ अर्थात् अपनी इच्छा से नहीं दूसरे की इच्छा से कार्य करना।
विशेष – अगले भाग का कार्य विद्यार्थियों के स्वयं करने हेतु।
आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने
शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
माँ का वात्सल्य प्रेम और ममत्व की भावना मनुष्यों, जानवरों एवं पशु पक्षियों में भी पाई जाती है। मनुष्यों में माताएँ नौ (9) महीने तक बच्चे को अपने गर्भ में धारण करती हैं, फिर अत्यंत पीड़ा सहकर बच्चों को जन्म देती हैं। बच्चे के लिए। माँ हमेशा फिक्रमंद बनी रहती हैं। माँ का अपने बच्चे से ममता और वात्सल्य का यह रिश्ता इतना गहरा है कि प्रत्येक प्राणी में इसके दर्शन होते हैं। चाहे मनुष्य हो या पशु, अपने बच्चे के लिए माताएँ किसी से भी लड़ सकती हैं।
पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं
(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।
(ख) कभी पर हिलाती थी।
(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
• तीनों ‘पर’ के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी ‘पर’ का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिसमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए ‘पर’ के प्रयोग हुए हों।
उत्तर-
(क) पर-के ऊपर – छत के ऊपर बंदर बैठा है।।
(ख) पर-पंख – कबूतर के बच्चे के पर निकल आए।
(ग)
पर-लेकिन – मैं स्टेशन गया था पर ट्रेन निकल चुकी थी।
पाठ में तैने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिंदी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।
उत्तर
मनैं – मैंने
ले लियो – ले लेना
दियो – देना
खानां
– खाना
(क) ‘चिड़िया की बच्ची’ पाठ के लेखक कौन है?
(i) प्रयाग शुक्ल
(ii) बालकृष्ण शर्मा नवीन
(iii) भवानी प्रसाद मिश्र
(iv) जैनेंद्र कुमार
(i) गरमी कम हो जाती है।
(ii) हवा चलने लगती है।
(iii) आसमान रंग-बिरंगा हो जाता है।
(iv) और (i) और (iii)
(i) वह वहाँ खूब गाए
(ii) वह पेड़ों पर झूमे
(iii) वह वहीं रह जाए
(iv) वह वहाँ से भाग जाए।
(i) सोने के पिंजरे का
(ii) पेड़ की डालियों का
(iii) घोंसले का
(iv) अपने धन/दौलत का
(i) जमीन पर
(ii) फव्वारे पर
(iii) गुलाब की टहनी पर
(iv) टीले के पास
(i) लाल
(ii) पीली
(iii) हरी
(iv) काली
(i) बगीचा की सुंदरता देखने का
(ii) नई कोठी की सुंदरता देखने का
(iii) खिले हुए फूल देखने का
(iv) कुछ देर आराम करने का
(क) (iv)
(ख) (i) और (iii) दोनों
(ग) (iii)
(घ) (iv)
(ङ) (iii)
(च) (i)
उत्तर-
माधवदास ने एक संगमरमर की कोठी और उसके सुहावने बगीचे का निर्माण करवाया।
उत्तर-
चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी। उसके पंख चमकदार थे, शरीर पर चित्रकारी थी।
उत्तर-
माधवदास ने चिड़िया से कहा तुम बड़ी भोली हो। तुम्हें देखकर मेरा मन खुश हो जाता है।
उत्तर-
चिड़िया अपनी माँ को सबसे अधिक महत्त्व देती है, क्योंकि वही उसके लिए दाने लाती है और वही उसके आने का इंतज़ार करती रहती है।
उत्तर-
नहीं भगवानदास ने वह बगीचा अपने लिए बनवाया था। वह तो चिड़िया को अपने जाल में फँसाना चाहता था, इसलिए ऐसा कहा था।
उत्तर-
सेठ माधवदास ने चिड़िया से कहा कि वह घोंसले में जा कर क्या करेगी। वहाँ तो केवल उसकी माँ है और माँ का महत्त्व क्या है। वे कहना चाह रहे थे कि उनके बाहर के बगीचे के सामने उसकी माँ का महत्त्व नहीं है।
उत्तर-
जीवन के अकेलेपन को दूर करने के लिए एक दिन अपने बगीचे में बैठा था कि एक सुंदर चिड़िया आई उसके सौंदर्य व स्वच्छंदता से थिरकने पर वह मुग्ध हो गया। वह चिड़िया को अपने पास रखकर अपने जीवन का सूनापन दूर करना चाहता था, क्योंकि उसे ऐसा लगा कि चिड़िया यदि उसके पास रहेगी तो उसकी कोठी व बगीचे में उसकी चहचहाहट से चहल-पहल बनी रहेगी।
उत्तर-
काफ़ी प्रयासों के बाद जब चिड़िया माधवदास के लोभ लालच में न आई तो उसने उसे अपनी
बातों में उलझा लिया। उससे लगातार बातें करते हुए अपने नौकर को संकेत करके उसे पकड़वाना चाहा लेकिन चिड़िया कठोर स्पर्श पाते ही उड़ गई।
उत्तर-
एक कठोर स्पर्श लगते ही चिड़िया उड़ गई। तब वह उड़ती हुई एक साँस में माँ के पास गई और माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगी ‘ओ माँ, ओ माँ।” माँ ने बच्ची को छाती से चिपकाकर पूछा क्या है मेरी बच्ची क्या है ?” वह इतना डर गई थी कि माँ के पूछने पर भी कुछ बता नहीं सकी। बड़ी देर में उसे ढाढ़स बँधा और वह माँ की छाती
में ही चिपककर सो गई। मानो फिर वह कभी पलक नहीं खोलेगी।
उत्तर-
माधवदास के बार-बार समझाने के बावजूद भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक नहीं था। चिड़िया और माधवदास के मनोभावों में अंतर था। उनकी जरूरतें आकांक्षाएँ तथा खुशियाँ माधवदास के विपरीत थीं। माधवदास की नज़र में सोना-चाँदी,
शक्ति और संपन्नता सब कुछ बड़ी थी। इन्हीं आधारों पर वह हर खुशी हासिल करना चाहते थे। चिडिया के लिए इन सब वस्तुओं का कोई मोल नहीं था। उसके लिए उसकी माँ ही सब कुछ थी। धूप, हवा और फूल में किसी चीज़ का उसके लिए कोई मोल नहीं था। उसको अपना घर और परिवार ही सबसे अच्छा लगता था। उसके लिए सोने-चाँदी, धन संपत्ति का कोई महत्व नहीं था। इसके मायने भी वे नहीं समझती थी। इन सब कारणों से माधवराव के प्रलोभनों के बावजूद चिड़िया उनके बहकावे में नहीं आई।
उत्तर-
इस कहानी के माध्यम से हमें अपनी आज़ादी का पता चलता है। हमें किसी प्रकार के लालच में फँसकर अपनी आज़ादी नहीं खोना चाहिए। आजकल लोग सुविधा संपन्न जीवन जीते हुए भी छोटे-छोटे पशुओं व सुंदर पक्षियों को पालतू बनाकर अपने घर की शोभा बढ़ाना चाहते हैं। वे भूल जाते हैं कि धरती का कोई भी प्राणी परतंत्रता में जीना पसंद नहीं करता। प्रत्येक प्राणी अपनी स्वाभाविक प्रवृत्तियों के अनुसार जीवन जीने में खुश होता है। धन दौलत कभी वास्तविक खुशी नहीं दे सकता। माँ के स्नेह एवं
आत्मीयता को किसी वस्तु से तौला नहीं जा सकता। हमें हर कीमत पर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए।Board
CBSE
Textbook
NCERT
Class
Class 7
Subject
Hindi
Chapter
Chapter 10
Chapter Name
अपूर्व अनुभव
Number of Questions Solved
25
Category
NCERT Solutions
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव
प्रश्न 1.
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
उत्तर-
यासुकी-चान तोत्तो-चान का प्रिय मित्र था। वह पोलियोग्रस्त था, इसलिए वह पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था, जबकि जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था, लेकिन यासुकी-चान ने शारीरिक अपंगता के कारण किसी पेड़ को
निजी नहीं बनाया था। तोत्तो-चान की अपनी इच्छा थी कि वह यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर दुनिया की सारी चीजें दिखाए। यही कारण था कि उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया।
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए। [Imp.]
उत्तर
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से पेड़ पर चढ़ने की सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और
यासुकीचान को अपूर्व अनुभव मिला। इन दोनों के अपूर्व अनुभव का अंतर निम्न रूप में कह सकते हैं
पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार, इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर-
पहली सीढ़ी से यासुकी-चान का पेड़ पर चढ़ने का प्रयास जब असफल हो जाता है तो तोत्तो-चान तिपाई-सीढी खींचकर लाई। अपने
अथक प्रयास से उसे ऊपर चढ़ाने का प्रयास करने लगी तो दोनों तेज़ धूप में पसीने से तरबतर हो रहे थे। दोनों के इस अथक संघर्ष के बीच बादल का एक टुकड़ा छायाकर उन्हें कड़कती धूप से बचाने लगा। उन दोनों की मदद के लिए वहाँ कोई नहीं था। संभवतः इसीलिए प्रकृति को उन दोनों पर दया आ गई थी और थोड़ी खुशी और राहत देन का कोशिश कर रहा था।
‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह………अंतिम मौका था।’ इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर-
‘यासुकी-चान
के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह अंतिम मौका था’ लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा क्योंकि यासुकी-चान पोलियो ग्रस्त था। उसके लिए पेड़ पर चढ़ जाना असंभव था। उसे आगे तोत्तो-चान जैसा मित्र मिल पाना मुश्किल था। तोत्तो-चान के अथक परिश्रम और साहस के बदौलत वह पहली बार पेड़ पर चढ़ पाया था। यह अवसर मिलना और कभी असंभव था। अगर उनके माता-पिता को इसकी जानकारी मिल जाती तो कभी यह काम करने नहीं देते। शायद दोबारा ऐसा कभी नहीं कर पाते।
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से
इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुधि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और वृद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?
उत्तर-
किसी भी काम में सफलता पाने के लिए तीव्र इच्छा, लगन, कठोर परिश्रम, की आवश्यकता होती है। छात्र परीक्षा में उच्च कोटि की सफलता प्राप्त करने के लिए इनका उपयोग करें तथा छात्र स्वयं अपने-अपने विचार
प्रस्तुत कर सकते हैं।
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर
विद्यार्थियों द्वारा स्वयं किए जाने वाला प्रश्न है।
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चाने की नज़रें नीचे क्यों थीं? [Imp.]
उत्तर
तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। यह बात उसने अपनी माँ से छिपाई थी क्योंकि उसे मालूम था कि माँ यह जोखिम भरा कार्य नहीं करने देगी। जब माँ ने उससे पूछा कि वह कहाँ जा रही है तो उसने झूठ कहा कि वह यासुकी-चान से मिलने उसके घर जा रही है। यह कहते समय उसकी नज़रें नीची थीं क्योंकि वह माँ से झूठ बोल रही थी। उसे डर था कि शायद वह माँ से नजरें मिलाकर जब यह बात कहेगी तो उसका झूठ पकड़ा जाएगा।
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरने वाले व्यक्तियों के
लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधा वाली जगहों की सूची बनाइए।
उत्तर-
विद्यालयों मैं अपंग बच्चों के लिए रेप बना रखे हैं। मैट्रो रेल में भी अपंगों को चढ़ने-उतरने के लिए विशेष प्रकार की लिफ्ट लगा रखी है। अस्पतालों में व्हील चेयर होती है। हवाई अड्डों पर भी यह सुविधा उपलब्ध है।
विशाखा शब्द दिव और शाखा के योग से बना है। दिव का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। विशाखा
पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती है। वि की भाँति आप त्रि से बनने वाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। ‘त्रि’ का अर्थ होता है तीन। इस प्रकार चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अक्सर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि वह क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे- हिंदी-आठ संस्कृति-अष्ट, अंग्रेज़ी एट।
उत्तर-
हिंदी | संस्कृत | अंग्रेजी |
दो | दू्वि | दू |
तीन | त्रि | थ्री |
पाँच | पंच | फाइव |
छह | षष्ट | सिक्स |
सात | सप्त | सेवन |
नौ | नवम् | नाइन |
प्रश्न 2.
पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर
घराना, चलाना,
जुर्माना, रोजाना, शर्माना।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) बच्चे किसे अपनी संपत्ति मानते थे?
(i) स्वयं को
(ii) पेड़ को
(iii) अपनी जगह को
(iv) किसी को नहीं
(ख) यासुकी-चान को क्या रोग था?
(i) पोलियो का
(ii) पेड़ पर चढ़ने के लिए
(iii) आपस में मिलने के लिए
(iv) कहीं चलने के लिए
(ग) तोत्तो-चान किस काम को आसान समझ रही थी?
(i) यासुकी-चान के साथ खेलना
(ii) सीढ़ी लाना
(iii) यासुकी-चान
के साथ रहना
(iv) यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाना
(घ) यासुकी-चान का घर इनमें से कहाँ था?
(i) तोमोए में
(ii) डेनेनवोफु में
(iii) कुहोन्बसु में
(iv) हिरोशिमा में
(ङ) तोत्तो-चान ने अपनी योजना का सच सर्वप्रथम किसे बताया?
(i) यासुकी-चान को
(ii) अपनी माँ को
(iii) यासुकी-चान की माँ को
(iv) रॉकी को
(च) तोत्तो-चान यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का कौन-सा तरीका अपना रही थी?
(i) धक्के लगाकर
(ii) हाथ से ऊपर की ओर खींचकर
(iii) सीढ़ी पर धकियाकर
(iv) पेड़ के तने पर सरकाकर
(छ) दोनों के विशाखा पर पहुँचने पर क्या हुआ?
(i) यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को धन्यवाद दिया
(ii) तोतो ने यासुकी-चान का स्वागत किया
(iii) दोनों हँसने लगे
(iv) दोनों बतियाने लगे
(ज) “यह उसकी हार्दिक इच्छा थी’ वाक्य में हार्दिक शब्द है
(i) संज्ञा
(ii) सर्वनाम
(iii) विशेषण
(iv) क्रियाविशेषण
उत्तर
(क) (ii)
(ख) (i)
(ग) (iv)
(घ) (ii)
(ङ) (iv)
(च) (iii)
(छ) (ii)
(ज) (iii)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(क) तोत्तो-चान ने अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता किसे दिया था?
उत्तर-
तोत्तो-चान ने अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता यासुकी-चान को दिया था।
(ख) किसी पेड़ को यासुकी-चान निजी संपत्ति क्यों नहीं मानता था?
उत्तर-
पेड़ पर चढ़ना और उसके साथ लेखना उसके लिए संभव न था इसलिए वह किसी पेड़ को निजी संपत्ति नहीं मानता था।
(ग) तोत्तो चान के गले में रेल पास क्यों लटक रहा था?
उत्तर-
तोत्तो-चान के गले में रेल पास इसलिए लटक रहा था ताकि उसकी योजना पर किसी
को शक न हो।
(घ) बच्चे दूसरे के पेड़ों पर क्यों नहीं चढ़ते थे?
उत्तर-
हर पेड़ किसी न किसी बच्चे की निजी संपत्ति होता था, इसलिए बिना अनुमति के बच्चे दूसरे के पेड़ों पर नहीं चढ़ते थे।
(ङ) यासुकी-चान पेड़ पर क्यों नहीं चढ़ पाता था?
उत्तर-
यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था।
(च) तोत्तो-चान को यासुकी-चान कहाँ मिला?
उत्तर-
उसे यासुकी-चान मैदान में क्यारियों के पास मिला था।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(क)
तोत्तो-चान किस उद्देश्य से घर से निकली थी?
उत्तर-
तोत्तो-चान अपने पोलियोग्रस्त मित्र यासुकी-चान से मिलने स्कूल जा रही थी। तोत्तो-चान ने उससे वादा किया था कि वह उसे अपने पेड़ पर चढ़ाएगी। इसी वायदे को पूरा करने के लिए वह घर से निकली थी।
(ख) तोत्तो-चान सच बताए बिना क्यों नहीं रह सकी।
उत्तर-
झूठ बोलने के अपराध बोध के कारण तोत्तो-चान बेचैन थी। वह सच बोले बिना नहीं रह सकी। स्टेशन तक उसे छोड़ने आए राकी को अंत में उसने बता दिया कि वह आज यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने वाली है।
(ग) तोत्तो-चान कौन थी? उसकी हार्दिक इच्छा क्या थी?
उत्तर-
तोत्तो-चान एक जापानी लड़की थी। इसकी हार्दिक इच्छा थी कि उसका अपंग मित्र यासुकी-चान उसके पेड़ पर जाकर उसकी चीज़ों एवं दुनिया को देखें।
(घ) तोत्तो-चान विशाखा पर खड़ी क्या कर रही थी?
उत्तर-
तोत्तो-चान विशाखा पर खड़ी यासुकी-चान की तिपाई-सीढ़ी को ऊपर पेड़ की ओर खींचने का प्रयास कर रही थी।
(ङ) तोत्तो-चान क्या नहीं समझ पाई ?
उत्तर-
तोत्तो-चान यह नहीं समझ पाई कि यासुकी-चान के लिए घर बैठे किसी चीज़ को देख
लेना क्या मायने रखता है, क्योंकि उसे यासुकी-चान की परेशानियों का सही अनुमान नहीं था।
(च) तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को ऊपर चढ़ाकर ही दम लिया। इसके लिए उसने क्या-क्या प्रयास किया?
उत्तर-
सीढी द्वारा यासुकी-चान को ऊपर चढ़ाने की अपनी प्रथम कोशिश नाकाम होने के बाद, तोत्तो-चान फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़कर गई। यहाँ से एक तिपाई-सीढ़ी घसीट लाई। उसने यासुकी-चान को एक-एक पैर सीढ़ी रखने में सहायता की। जब यासुकी-चान तिपाई सीढ़ी के ऊपर पहुँच गया तो तोत्तो-चान ने दुविशाखा पर चढ़कर बड़े
परिश्रम से उसे ऊपर खींच लिया जिससे वह विशाखा तक पहुँच गया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(क) पेड़ पर बैठे-बैठे यासुकी-चान और तोत्तो-चान क्या करते रहे?
उत्तर-
उस दिन यासुकी-चान डाल के सहारे खड़ा था। कुछ झिझकता हुआ वह मुसकराया। यासुकी-चान ने दुनिया की एक नई झलक देखी, जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। तो ऐसे होता है पेड़ पर चढ़ना यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा। इसके अलावे वे बड़ी देर तक पेड़ पर बैठे-बैठे इधर-उधर की गप्पे लड़ाते रहे। यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को टेलीविजन के
बारे में बताया, जिसके बारे में उसे अपनी अमेरिका में रहने वाली बहन से पता चला था। उसने तोत्तो-चान को बताया था कि जब टेलीविजन जापान में आ जाएगा तो वे घर बैठे सूमो कुश्ती देख सकेंगे। यासुकी-चान यही सारी बातें पेड़ पर बैठा-बैठा तोत्तो-चान को बताए जा रहा था और तोत्तो-चान सोच रही थी कि इतने बड़े सूमो, पहलवान, एक छोटे से डिब्बे जैसे टेलीविजन में कैसे अंदर प्रवेश कर गए।
मूल्यपरक प्रश्न
(क) विकलांगों के प्रति हमारी सोच कैसी होनी चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
विकलांग
हमारे समाज के आवश्यक अंग हैं। उन्हें सम्मानपूर्वक जीने का पूरा-पूरा अधिकार है। हमें उन पर सहानुभूति दिखाने के बजाय उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूर्ण कोशिश करना चाहिए। हमें उनके साथ कुछ समय बिताना चाहिए ताकि उन्हें अकेलापन का अहसास न हो। उनके प्रति हमारा विशेष उत्तरदायित्व है। उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएँ मिलनी चाहिए।
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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर is part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 6 |
Chapter Name | रक्त और हमारा शरीर |
Number of Questions Solved | 31 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ से
प्रश्न 1.
रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए।
उत्तर-
रक्त के बहाव को रोकने के लिए उस स्थान पर कसकर एक साफ़ कपड़ा बाँध देना चाहिए। ताकि दबाव पड़ने से रक्त का बहना कम हो जाता है। फिर घायल व्यक्ति को जल्द ही डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
खून को ‘भानुमती का पिटारा’ क्यों कहा जाता
है? [Imp.]
उत्तर
‘ भानुमती का पिटारा’ यह एक ऐसी लोकोक्ति है जिसका अर्थ है एक पिटारे में भाँति-भाँति की वस्तुएँ। खून को भानुमती का पिटारा कहा गया है क्योंकि यदि सूक्ष्मदर्शी से खून की एक बूंद को जाँचा जाए तो उसमें लाखों की संख्या में लाल रक्त-कण मौजूद होते हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके अलावा सफ़ेद कण व प्लेटलैट कण भी उसमें पाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
एनीमिया से बचने के लिए क्या-क्या खाना चाहिए?
उत्तर-
एनीमिया से बचने के लिए हमें पौष्टिक भोजन का सेवन करना
चाहिए। मसलन हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और मांस का प्रयोग करना चाहिए। इनमें प्रोटीन, लौह तत्व और विटामिन काफ़ी मात्रा में मिलते हैं। ये रक्त के निर्माण में सहायक होते हैं, जिससे एनीमिया रोग होने का खतरा टल जाता है।
प्रश्न 4.
पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है।
उत्तर-
पेट में कीड़े दूषित जल और खाद्य पदार्थों द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। अतः इनसे बचने के लिए खाद्य पदार्थ ग्रहण करना चाहिए। साफ़ जल पीना चाहिए और भोजन करने से पहले हाथ अच्छी तरह धोना चाहिए।
इसके अलावे नंगे पैर हमें नहीं घूमना चाहिए, क्योंकि कुछ कीड़े ऐसे हैं, जिनके अंडों से उत्पन्न लार्वा त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश कर आँतों में पहुँच जाते हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि शौचालय का प्रयोग किया जाए और नंगे पाँव नहीं घूमे।।
प्रश्न 5.
रक्त के सफ़ेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यों कहा गया है?
उत्तर-
रक्त के सफ़ेद कणों को वीर सिपाही इसलिए कहा गया है, क्योंकि ये हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। ये रोग के कीटाणुओं को शरीर में घुसने नहीं देते उनसे डटकर मुकाबला करते हैं।
प्रश्न 6.
ब्लड-बैंक में रक्तदान से क्या लाभ है?
उत्तर-
ब्लड-बैंक में दान दिए गए रक्त को सुरक्षित रूप में रखा जाता है। किसी भी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता पड़े तो उसके लिए किसी भी रक्त समूह को रक्त वहाँ से लिया जा सकता है। इस प्रकार आपातकालीन स्थिति में जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाने में ब्लड-बैंक में किया हुआ रक्तदान काम आता है।
प्रश्न 7.
साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है
सफ़ेद कण साँस नली | लाल कण फेफड़े |
उत्तर-
साँस लेने पर शुद्ध वायु से ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में लाल रक्त कण पहुँचाता है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है
उत्तर-
लोहा।
प्रश्न 2.
बिंबाणु (प्लेटलैट कण) की कमी किस बीमारी में पाई जाती है
टायफ्रायड डेंगू | मलेरिया फ़ाइलेरिया |
उत्तर-
डेंगू।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
(क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते हैं
इस वाक्य को ध्यान से पढ़िए। इस वाक्य में ‘होते-होते’ के प्रयोग से यह बताया गया है कि चार महीने से पूर्व ही ये नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के पाँच वाक्य बनाइए जिनमें इन शब्दों का प्रयोग हो
बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते
उत्तर-
- बनते-बनते–मेरा काम बनते-बनते बिगड़ गया।
- पहुँचते पहुँचते–स्टेशन पहुँचते पहुँचते ट्रेन खुल गई ।
- लेते-लेते-मैं कार लेते-लेते रह गया।
- करते-करते-वह होम वर्क करते-करते थक गया।
(ख) इन वाक्यों को पढ़िए
सड़क के किनारे-किनारे पेड़ लगे हैं।
आज दूर-दूर तक वर्षा होगी।
- इन वाक्यों में होते-होते’ की तरह ‘किनारे-किनारे’ और ‘दूर-दूर’ शब्द दोहराए गए हैं। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न है। किनारे-किनारे का अर्थ है-किनारे से लगा हुआ और दूर-दूर का-बहुत दूर तक।
- आप भी निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए और उनके अर्थ लिखिएठीक-
ठीक, घड़ी-घड़ी, कहीं-कहीं, घर-घर, क्या-क्या
उत्तर-
- ठीक-ठीक (एकदम सही)-वह ठीक-ठीक काब कर लेता है।
- घड़ी-घड़ी (हर पल)-वह घड़ी-घड़ी रुपये माँगता रहता है।
- कहीं-कहीं (कुछ जगहों पर)-रास्ते में कहीं-कहीं पेड़ नज़र आ रहे थे।
- घर-घर (हर घर में)-घर-घर में राम की सफलता की चर्चा हो रही है।
- क्या-क्या (कौन सी)-आज तुमने बाजार से कौन-कौन-सा फल लाया।
प्रश्न 2.
इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग
कीजिए
भानुमती का पिटारा, दस्तक देना, धावा बोलना, घर करना, पीठ ठोकना ।
उत्तर-
भानुमती का पिटारा – भाँति-भाँति की वस्तुएँ-जादूगर की झोली तो मानो भानुमती का पिटारा हो।
दस्तक देना – खटखटाना-रात को जब किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो मैं घबरा गई।
धावा बोलना – आक्रमण करना- यदि पाकिस्तान ने जरा भी सर उठाया तो भारत उस पर धावा बोलने से चूकेगा नहीं।
घर करना
– अपना स्थान बनाना-रोगाणु धीरे-धीरे मनुष्य के शरीर में घर करने लगते हैं।
पीठ ठोकना – शाबाशी देना-कक्षा में प्रथम आने पर पिताजी ने मेरी पीठ ठोकी।
कुछ करने को
प्रश्न 1.
अपने परिवार के अट्ठारह वर्ष से पचास वर्ष तक की आयु वाले सभी स्वस्थ सदस्यों को रक्तदान के लिए प्रेरित कीजिए और समय आने पर स्वयं भी रक्तदान करने का संकल्प लीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
शरीर-रचना का चित्र देखकर उसमें
रक्त-संचार क्रिया को ठीक-ठीक समझिए।
उत्तर
परीक्षोपयोगी नहीं है।
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए प्रश्नों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए
(क) ब्लू बेबी क्या है?
(ख) रक्त के जमाव की क्रिया में बिंबाणु (प्लेटलैट) का कार्य क्या है?
(ग) रक्तदान के लिए कम-से-कम कितनी उम्र होनी चाहिए?
(घ) कितने समय के बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है?
(ङ) क्या स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है?
उत्तर-
(क) नवजात शिशु का अगर हृदय कमज़ोर हो तो उसे पर्याप्त रूप में ऑक्सीजन नहीं
मिल पाता है। धीरे-धीरे उसका शरीर पीला होने लगता है क्योंकि ऑक्सीजन की कमी से खून सही रूप से पूरे शरीर में प्रवाहित नहीं करता।
(ख) रक्त जमाव की क्रिया में बिंबाणु की प्रमुख भूमिका होती है। जब कोई चोट लग जाए या शरीर के किसी अंग में जख्म हो जाए तो रक्त के तरलभाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन, होती है जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में जाला बुन देती है। बिंबाणु इस जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त का बहना बंद हो जाता है।
(ग) रक्तदान के लिए कम
से कम आयु सीमा अट्ठारह वर्ष होनी चाहिए।
(घ) छह महीने बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है।
(ङ) हाँ, स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 4.
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार रुक जाने से क्या-क्या परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर-
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार बंद हो जाए तो मनुष्य का वह अंग सही रूप से काम करना बंद कर देता है। कई बार इतनी गंभीर समस्या पैदा हो जाती है कि जिस स्थान में रक्त संचार नहीं होता वहाँ के रुके हुए खून में जहर फैल जाता
है और उस अंग को काटने तक की नौबत भी आ जाती है।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) इस पाठ के लेखक कौन हैं?
(i) भवानीप्रसाद मिश्र
(ii) भगवतीप्रसाद मिश्र
(iii) भगवतीप्रसाद वाजपेयी
(iv) यतीश अग्रवाल
(ख) दिव्या को क्या महसूस होता है?
(i) भूख में कमी
(ii) याददाशत की कमी
(iii) थकान
(iv) बेचैनी
(ग) दिव्या अनिल के साथ अस्पताल क्यों गई?
(i) भूख न लगने से
(ii) थकान महसूस होने से
(iii)
काम में मन न लगने से
(iv) उपर्युक्त सभी
(घ) दिव्या के शरीर के किस अंग से रक्त लिया गया?
(i) बाजू से
(ii) उँगली से
(iii) पैर से
(iv) हथेली से
(ङ) एनीमिया क्या है?
(i) आँखों की बीमारी
(ii) पेट की बीमारी
(iii) रक्त की कमी से होने वाली बीमारी
(iv) रक्त की अधिकता से होने वाली बीमारी
(च) पेट में पाए जाने वाले कीड़े किस बीमारी का कारण बनते हैं?
(i) दमा
(ii) क्षयरोग
(iii) रतौंधी
(iv) एनीमिया
(छ) डॉक्टर स्लाइड की जाँच किस यंत्र
द्वारा कर रही थी?
(i) दूरदर्शी द्वारा
(ii) सूक्ष्मदर्शी द्वारा
(iii) दूरबीन द्वारा
(iv) उपर्युक्त सभी
(ज) लाल कणों का जीवन काल कितना होता है?
(i) दो महीने
(ii) चार महीने
(iii) छह महीने
(iv) एक साल
उत्तर
(क) (iv)
(ख) (iii)
(ग) (ii)
(घ) (ii)
(ङ) (iii)
(च) (iv)
(छ) (ii)
(ज) (ii)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(क) दिव्या कौन है?
उत्तर-
दिव्या अनिल की छोटी बहन है।
(ख) डॉक्टर ने दिव्या की जाँच
करके क्या कहा?
उत्तर-
डॉक्टर ने दिव्या की जाँच करके कहा कि लगता है इसके शरीर में खून की कमी हो गई है।
(ग) दिव्या किस रोग से ग्रस्त थी?
उत्तर-
दिव्या एनीमिया रोग से ग्रस्त थी।
(घ) एनीमिया क्यों होता है?
उत्तर-
रक्त में लाल कणों की कमी से होता है।
(ङ) बिंबाणु (प्लेटलैट) कहाँ तैरते रहते हैं?
उत्तर-
बिंबाणु प्लाज्मा में तैरते हैं।
(च) लाल कण बनावट में कैसे होते हैं?
उत्तर-
लाल कण बनावट में बालूशाही की तरह होते हैं।
(छ) लाल कणों का
जीवन काल कितना होता है?
उत्तर-
लाल कणों का जीवनकाल चार महीने का होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) अनिल दिव्या को अस्पताल क्यों ले गया?
उत्तर-
दिव्या दिन-प्रतिदिन कमजोर होती चली जा रही थी। उसे हर समय थकान महसूस हो रहा था। किसी काम में मन नहीं लगता था। भूख भी पहले से कम हो गई थी। अतः अनिल उसे डॉक्टर को दिखाने के लिए अस्पताल ले गया था।
(ख) रक्त में कितने प्रकार के कण होते हैं? वे क्या करते हैं?
उत्तर-
मौटे तौर पर रक्त में तीन प्रकार के कण
होते हैं। सफ़ेद रक्त-कण, लाल रक्त-कण, व बिंबाणु
- लाल रक्त कण-लाल रक्त कण के कारण खून का रंग लाल दिखाई देता है। ये रक्त कण दिन-रात शरीर के लिए | काम करते रहते हैं। साँस लेने पर साफ़ हवा से जो ऑक्सीजन शरीर में जाती है ये कण ही उसे पूरे शरीर में फैलाते
- सफ़ेद रक्त कण-ये कण हमारे शरीर को रोगमुक्त रखते हैं और शरीर में रोगाणुओं को प्रवेश नहीं करने देते व बहुत-सी बीमारियों से हमारी रक्षा करते हैं।
- बिंबाणु ( प्लेटलैट कण)-ये कण शरीर के किसी भी भाग में चोट लगने पर रक्त जमाव का कार्य करते हैं।
(ग) टाँके कब लगाए जाते हैं? क्यों?
उत्तर-
जब चोट का घाव गहरा होता है तब टाँके लगाए जाते हैं, इससे खून का बहना रुक जाता है।
(घ) सूक्ष्मदर्शी यंत्र क्या होता है?
उत्तर-
सूक्ष्मदर्शी एक प्रकार का यंत्र है, जिससे छोटी से छोटी चीजें भी बड़े आकार में दिखाई देती हैं।
(ङ) रक्तकणों का निर्माण कहाँ होता है?
उत्तर-
रक्त कणों का निर्माण हड्डियों के बीच के भाग मज्जा में होता है। मज्जा में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो रक्त कणों के निर्माण
कार्य में लगे रहते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(क) रक्त के विभिन्न कण-शरीर में क्या-क्या भूमिका अदा करते हैं? विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर-
हमारे शरीर के लिए रक्त का अत्यधिक महत्त्व है। इसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं। मसलन कुछ लाल, कुछ सफ़ेद तो कुछ ऐसे हैं जिनका कोई रंग नहीं होता। इन्हीं कारणों से रक्त कण बिंबाणु कहलाते हैं। रक्त की एक बूंद में लाल रक्त कण लाखों की संख्या में विराजमान होते हैं। इसी कारण रक्त हमें लाल रंग दिखाई देता है। ये रक्त कण हमारे
स्वास्थ्य के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। इसके ये कण साँसों द्वारा लिए गए ऑक्सीजन को शरीर के अलग-अलग भागों तक पहुँचाने का काम करते हैं। रक्त में सफ़ेद कण का भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये कण रोगाणुओं से हमारे शरीर को रक्षा करते हैं। बिबाणु चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करते हैं। रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में स्थित विशेष तरह का प्रोटीन रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में जाला बुन देती है। जीवाणु इस जाले से चिपक जाते हैं, जिससे दीवार में आई दरार भर जाती है और खून का बहना रुक जाता है।
मूल्यपूरक प्रश्न
(क) स्वस्थ रहने के लिए हमें क्या-क्या उपाय करना चाहिए?
उत्तर-
स्वस्थ रहने के लिए हमें नियमित रूप से व्यायाम; प्राणायाम और प्रात:काल सैर करना चाहिए। पौष्टिक एवं संतुलित आहार ग्रहण करना चाहिए। खाना खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धो लेना चाहिए। शौच जाने के लिए शौचालय का ही प्रयोग करना चाहिए।
(ख) संतुलित आहार में हमें किन-किन चीजों का प्रयोग करना चाहिए, एक चार्ट तैयार करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय is part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 19 |
Chapter Name | आश्रम का अनुमानित व्यय |
Number of Questions Solved | 18 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
लेखा-जोखा
प्रश्न 1.
हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर
यह सत्य है कि हमारे यहाँ अर्थात् भारत में बहुत से काम लोग खुद न करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, वसूले इसलिए खरीदना चाहते
होंगे ताकि लोग कुटीर उद्योग, लुहार व बढ़ईगिरी आदि को बढ़ावा दें। आत्मनिर्भर बनें व छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों का मुँह न ताकें।।
प्रश्न 2.
गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।
उत्तर
गांधी जी कोई भी कार्य बिना हिसाब किताब के नहीं करते थे। वे प्रत्येक विषय के प्रति नकारात्मक व सकारात्मक सोच बराबर रखते थे। निम्ने उदाहरणों
द्वारा इस वक्तव्य को स्पष्टता दे सकते हैं-
- ‘दांडी यात्रा’ के लिए गाँधी जी जब ‘रास’ नामक स्थान पर पहुँचे तो वहाँ निषेधाज्ञा लागू थी अर्थात कोई भी नेता किसी प्रकार के विचार जलूस-जलसे के रूप में नहीं प्रकट कर सकता था। गांधी जी तो लोगों को संबोधित किए बिना रह नहीं सकते थे तो पहले ही यह योजना बना ली गई कि यदि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो अब्बास तैयबजी दांडी यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
- असहयोग आंदोलन के समय भी वे यह हिसाब लगाने में पूर्णतया सक्ष्म थे कि किस स्थान पर किस तरह से ब्रिटिश शासन पर प्रहार करना है। यही कारण था कि लोग उनके हर विचार की कद्र करते थे और उनका कहा पूरी तरह से मानते थे। |
- वे बिल्कुल भी फिजूल खर्च न करते थे एक-एक पैसा सोच समझकरे खर्च करते थे यहाँ तक कि कई बार तो पच्चीस-पच्चीस किलोमीटर एक दिन में पैदल चलते थे। उनका मानना था कि धन को जरूरी कामों के लिए ही खर्च करना चाहिए। शानो-शौकत या वैभवपूर्व जीवन जीने के लिए नहीं।
- किसी भी आश्रम या सभा का हिसाब-किताब वे बहुत कुशलता से लगाते थे। साबरमती आश्रम में भी उन्होंने ऐसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।
प्रश्न 3.
मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसको अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नई मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर-
छात्र इस पाठ से उदाहरण लेकर बाल आश्रम के लिए आवश्यक चीज़ों और उनके अनुमानित-खर्च का बजट तैयार करें।
प्रश्न 4.
आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम ( जैसे- घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना ) करना चाहें तो कर
सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीख कर ही छोड़ेंगे?
उत्तर-
हमारे जीवन में ऐसे बहुत से काम होते हैं जिसे हम चाहकर भी नहीं सीख पाते; जैसे- घर पुताई सफ़ेदीवाला करता है, दूधवाला दूध देता है और खाट (चारपाई) बुननेवाले से बुनवाई जाती है। कुछ ऐसे ही निम्न कार्य हैं, मैं चाहकर भी सीख नहीं पाता; जैसे
कार्य | कारण |
रोटी बनाने का कार्य | लगन की कमी |
सिलाई करने का काम | सिखानेवाला नहीं मिला |
चप्पल जूते में टाँका लगाना – जानकारी का अभाव एवं औजारों की कमी पर मैं इन कामों को सीखने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ। मैं इन कामों को सीखकर ही दम लूंगा।
मैं इन कामों को सिखाने वाले प्रशिक्षित व्यक्ति के तालाश में हूँ। मैं इस काम को सीखकर ही दम लूंगा।
प्रश्न 5.
इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर-
अनुमानित बजट को गहराई से अध्ययन करने के बाद हम आश्रम के
उद्देश्यों को भलीभाँति समझ सकते हैं स्वावलंबन की भावना का विकास करना, अतिथि सत्कार करना, जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना, बेकार लोगों को आजीविका प्रदान करना, श्रम का महत्त्व समझना, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना, चरखे खादी आदि से स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देना। सहयोग की भावना का विकास। इस आश्रम की कार्य प्रणाली का मुख्य आधार आत्मनिर्भरता है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का ‘न’ नित में
परिवर्तित हो जाता है। नीचे इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
प्रमाणित | व्यथित | द्रवित | मुखरित |
झंकृत | शिक्षित | मोहित | चर्चित |
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है; जैसे सप्ताह के इक + साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है
मौखिक | संवैधानिक | प्राथमिक |
नैतिक | पौराणिक | दैनिक |
उत्तर-
इत प्रत्यय युक्त शब्द
मूल शब्द | प्रत्यय |
प्रमाणित झंकृत व्यथित द्रवित मुखरित शिक्षित द्रवित मोहित मुखरित चर्चित मौखिक नैतिक संवैधानिक पौराणिक प्राथमिक दैनिक | प्रमाण + इत झंकार + इत व्यथा + इत द्रव + इत मुखर + इत शिक्षा + इत द्रव + इत मोह + इत मुखर + इत चर्चा + इत मुख + इक नीति + इक संविधान + इक पुराण + इक प्रथम + इक दिन + इक |
प्रश्न 2.
बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर
राहखर्च क्रीडाक्षेत्र
तुलसीकृत घुड़सवार
गंगाजल वनवास
इन
शब्दों में दूसरा शब्द प्रमुख है क्योंकि दूसरा शब्द पहले शब्द की सार्थकता को स्पष्ट कर रहा है।
जैसे-
राहखर्च राह के लिए खर्च
तुलसीकृत तुलसी द्वारा कृत
गंगाजल गंगा का जल
क्रीडाक्षेत्र क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
घुड़सवार घोड़े पर सवार
वनवास वन
में वास
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) गांधी जी क्या बना रहे थे?
(i) आश्रम
(ii) अहमदाबाद के आश्रम का होने वाला खर्च का ब्यौरा
(iii) अंग्रेजों के विरुद्ध योजनाएँ
(iv) उपर्युक्त सभी।
(ख) कुछ समय बाद आगंतुकों की संख्या आश्रम में किंतने होने वाली थी?
(i) 30
(ii) 40
(iii) 50
(iv) 60
(ग) सपरिवार रहने वाले अतिथि की संख्या आश्रम में कितनी होगी?
(i) 2
(ii) 3
(iii) 5
(iv) 3 से
5
(घ) आश्रम में कितनी पुस्तकें रखने की बात हो रही थी?
(i) 1000
(ii) 1500
(iii) 2000
(iv) 3000
(ङ) स्टेशन से अतिथि और सामान को लाने के लिए किस साधन का प्रयोग करने की बात हो रही थी?
(i) कार
(ii) ओटो रिक्शा
(iii) बैलगाड़ी
(iv) रिक्शा।
(च) आश्रम में औज़ारों की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही थी?
(i) ताकि लोग आत्मनिर्भर बनें
(ii) ताकि लोग काम करना सीखें
(iii), ताकि आश्रम के छोटे-मोटे काम स्वयं करें
(iv) दिए गए उपर्युक्त सभी।
(छ) आश्रम में
हर महीने कितने अतिथियों के आने की संभावना थी?
(i) पाँच
(ii) आठ
(iii) दस
(iv) बारह
(ज) आश्रम में कितने रसोईघर बनाने का लेखा-जोखा था?
(i) दो
(ii) तीन
(iii) चार
(iv) पाँच
उत्तर
(क) (ii)
(ख) (iii)
(ग) (iv)
(घ) (iv)
(ङ) (ii)
(च) (iii)
(छ) (iii)
(ज) (iii)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(क) गांधी जी कौन-सा आश्रम बना रहे थे?
उत्तर-
गांधी जी अहमदाबाद में साबरमती आश्रम बना रहे थे।
(ख) आश्रम में
शुरुआत में कितने लोग थे?
उत्तर-
आश्रम में शुरुआत में चालीस लोग थे।
(ग) पुस्तकालय में कितनी पुस्तकें रखी जाती थीं?
उत्तर-
पुस्तकालय में तीन हजार पुस्तकें रखी जाती थीं।
(घ) शिक्षण के सामान में कितने हथकरघों की आवश्यकता होगी?
उत्तर-
पाँच-छह देशी हथकरघों की आवश्यकता होगी।
(ङ) गांधी जी ने आश्रम की स्थापना कब की थी?
उत्तर-
गांधी जी ने आश्रम की स्थापना दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद की थी।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) गांधी जी ने
आश्रम की स्थापना कब करनी चाही?
उत्तर-
गांधी ने सन् 1915 में, जब वे दक्षिण अफ्रीका से लौटे तो अहमदाबाद में आश्रम बनाने की योजना बनाई।
(ख) गांधी जी को आश्रम के लिए कितने स्थान की ज़रूरत थी और क्यों?
उत्तर-
साबरमती आश्रम में लगभग 40-50 लोगों के रहने, इनमें हर महीने दस अतिथियों के आने की संभावना, जिनमें तीन या पाँच सपरिवार आने की उम्मीद थी। अतः आश्रम में तीन रसोईघर तथा रहने के मकान के लिए 50,000 फुट क्षेत्रफल में बने मकान की आवश्यकता थी। इसके अलावे-खेती के लिए पाँच एकड़ जमीन की
ज़रूरत थी, क्योंकि इतने लोगों के भोजन का सामान खरीदना कठिन था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(क) गांधी जी ने आश्रम के अनुमानित खर्च का ब्यौरा क्यों तैयार किया?
उत्तर-
गांधी जी द्वारा लिखे गए पाठ ‘आश्रम का अनुमानित व्यय’ से हमें सीख मिलती है कि यदि हम कोई भी कार्य करना चाहें तो सोच-समझकर पहले ब्यौरा बना लेना चाहिए ताकि उसके अनुमानित खर्च को भी जाना जा सके तथा इस हिसाब से आगे बढ़ने का रास्ता भी साफ़ दिखाई देने लगता है। गांधी जी एक ऐसे आश्रम की स्थापना कर रहे थे। इसके
लिए स्थान की ज़रूरत थी, आवश्यक वस्तुओं, पुस्तकों, भोजन की व्यवस्था करने की जरूरत थी। वहाँ सत्याग्रह तथा स्वदेशी आंदोलन की योजनाएँ तैयार करनी थीं। वह आश्रम एक दो दिन के लिए नहीं, लंबे समय के लिए बनाया जा रहा था। अतः स्थायी व्यवस्था के लिए गांधी ने खर्च का लेखा-जोखा तैयार दिया।
(ख) गांधी जी के अनुसार आश्रम में कौन-कौन से खर्च थे? वह उसे कहाँ से जुटाना चाहते थे?
उत्तर-
गांधी जी के अनुसार यदि अन्य खर्च अहमदाबाद उठा ले, तो वह खाने का खर्च जुटा लेंगे। उनके अनुसार आश्रम के मद में
निम्नलिखित खर्च थे।
- मकान और जमीन का किराया।
- किताबों की अलमारियों का खर्च ।
- बढ़ई के औजार।।
- मोची के औजार।
- चौके के सामान।
- एक बैलगाड़ी या घोडागाड़ी।
- एक वर्ष में भोजन का खर्च- 6000 रु०।।
मूल्यपूरक प्रश्न
(क) क्या आप इस बात से सहमत हैं कि गांधी जी द्वारा आश्रम संबंधी दृष्टिकोण व्यावहारिक था?
उत्तर-
हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ कि गांधी का आश्रम संबंधी दृष्टिकोण व्यावहारिक था। वे स्वावलंबन पर जोर देते
थे, अतः खर्च को न्यूनतम बनाने का प्रयास किया गया है। ऐसा उन्होंने संभव कर दिया था।
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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के is part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | हम पंछी उन्मुक्त गगन के |
Number of Questions Solved | 21 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
कविता से
प्रश्न 1.
हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?
उत्तर-
हर प्रकार की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते, क्योंकि उन्हें वहाँ उड़ने की आजादी नहीं है। वे तो खुले आसमान में ऊँची उड़ान भरना, नदी-झरनों का बहता जल पीना, कड़वी निबौरियाँ खाना,
पेड़ की ऊँची डाली पर झूलना, कूदना, फुदकना अपनी पसंद के अनुसार अलग-अलग ऋतुओं में फलों के दाने चुगना और क्षितिज मिलन करना ही पसंद है। यही कारण है कि हर तरह की सुख-सुविधाओं को पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते।
प्रश्न 2.
पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?
उत्तर-
पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी इन इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं
(क) वे खुले आसमान में उड़ना चाहते हैं।
(ख) वे अपनी गति से उड़ान भरना चाहते हैं।
(ग) नदी-झरनों का बहता जल पीना
चाहते हैं।
(घ) नीम के पेड़ की कड़वी निबौरियाँ खाना चाहते हैं।
(ङ) पेड़ की सब ऊँची फुनगी पर झूलना चाहते हैं।
वे आसमान में ऊँची उड़ान भरकर अनार के दानों रूपी तारों को चुगना चाहते हैं। क्षितिज मिलन करना चाहते हैं।
प्रश्न 3.
भाव स्पष्ट कीजिए-
या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी।
उत्तर
इस पंक्ति में कवि पक्षी के माध्यम से कहना चाहता है कि यदि मैं स्वतंत्र होता तो उस असीम क्षितिज से मेरी होड़ हो जाती। मैं इन छोटे-छोटे पंखों से उड़कर या तो उस क्षितिज से
जाकर मिल जाता या फिर मेरा प्राणांत हो जाता।
कविता से आगे
प्रश्न 1.
कई लोग पक्षी पालते हैं
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपने विचार लिखिए।
(ख) क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है? उसकी देखरेख किस प्रकार की जाती होगी, लिखिए।
उत्तर-
(क) हमारे दृष्टिकोण से पक्षियों को पालना उचित नहीं है, इससे हम उनकी आजादी पर रोक लगा देते हैं। उनकी इच्छाओं, सपनों तथा अरमानों पर पाबंदी लग जाता है। अतः पक्षियों को पालना सही नहीं है।
उन्हें प्रकृति में स्वच्छंद विचरण करने देना चाहिए। उन्हें वहीं प्रसन्नता मिलती है।
(ख) हमारे एक पड़ोसी ने तोता पाला था। उस पड़ोसी ने उसे मेले से खरीदकर लाया था। उसके परिवार के सभी सदस्य मन से उसकी देखरेख किया करते थे। प्रतिदिन उसके पिंजरे की सफ़ाई किया करते थे। एक कटोरी में पानी पीने के लिए तथा खाने के लिए चना दिया जाता था। इसके अलावे तोते को मौसमी फल तथा मिर्च भी खाने को दिया जाता था। मेरा पडोसी घंटों उस तोते से बातें किया करता था और उसे लेकर उसे घुमाने पार्क में जाया करता था। तोते ने घर के
सभी सदस्यों के नाम रट लिए थे, लेकिन तोता खाना भारी मन से खाता था। जब मैं पड़ोसी के घर पिंजरे के पास जाता था तो वह हमारी ओर आशा भरी दृष्टि से देखता था।
प्रश्न 2.
पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर
पक्षियों को पिंजरे में बंद करके उनकी आजादी का हनन होता ही है क्योंकि उनकी प्रकृति है ‘उड़ना। पिंजरे में बंद करके हम उन्हें पराधीन बना लेते हैं। जिससे उनकी
आज़ादी तो समाप्त हो ही जाती है साथ ही पर्यावरण भी प्रभावित होता है क्योंकि पर्यावरण को संतुलित करने में भी पक्षियों का सहयोग रहता है। पक्षी आहार श्रृंखला को नियमित करते हैं। जैसे-घास को टिड्डा खाता है, टिड्डे को पक्षी खाते हैं और यदि पक्षी न हों तो टिड्डों की संख्या अत्यधिक हो जाएगी जो फसलों को नष्ट कर देंगे। यदि टिड्डे न हों तो घास इतनी बढ़ जाएगी कि मनुष्य परेशान हो जाएगा।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
क्या आपको लगता है कि मानव की वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण से
जुड़ी योजनाएँ पक्षियों के लिए घातक हैं? पक्षियों से रहित वातावरण में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए? उक्त विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर
यह कहना गलत नहीं कि मानव की वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण से जुड़ी योजनाएँ पक्षियों के लिए घातक हैं क्योंकि शहरों में औद्योगीकरण के कारण विषैली गैसें और प्रदूषित जल पक्षियों के लिए हानिकारक होता है। दूसरी ओर अधिक-से-अधिक भवन निर्माण के कारण वनों व हरियाली वाले इलाकों को काटकर
बड़े-बड़े भवन बना दिए जाते हैं, जिससे पक्षियों का आश्रय स्थल समाप्त हो जाता है। साथ ही वृक्षों से प्राप्त खाद्य पदार्थ, फल-फूल आदि उन्हें नहीं मिल पाते। ऐसा होने पर उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
पक्षियों से रहित वातावरण में आहार श्रृंखला प्रभावित हो जाएगी। पर्यावरण संतुलित नहीं रहेगा। इसके लिए हमें अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहिए व बाग-बगीचों का निर्माण करना चाहिए। फैक्टरियों को भी शहरों से दूर लगाकर धुएँ व प्रदूषित जल हेतु उचित प्रबंध करने चाहिए। (नोट-इन्हीं विचारों के आधार में वाद-विवाद कीजिए)।
प्रश्न 2.
यदि आपके घर के किसी स्थान पर किसी पक्षी ने अपना आवास बनाया है और किसी कारणवश आपको अपना घर बदलना पड़ रहा है तो आप उस पक्षी के लिए किस तरह के प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे? लिखिए।
उत्तर-
यदि हमारे घर में किसी पक्षी ने अपना घोंसला बनाया हो और किसी कारणवश हमें घर बदलना पड़ रहा हो, तो हम प्रयास करेंगे कि जब तक घोंसलों में रखे अंडों से बच्चे न निकल जाएँ और पक्षी उन्हें उड़ना न सिखा ले तब तब घोसलों को न छेड़ा जाए। यदि फिर भी घर छोड़ना अनिवार्य हुआ तो उस घर
में जाने वाले नए परिवार से मिलकर यह अनुरोध करेंगे कि वे घोसलों को यथावत रहने दें और न छेड़े तथा उनका ध्यान रखें।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
स्वर्ण-श्रृंखला और लाल किरण-सी में रेखांकित शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। कविता से हूँढ़कर इस प्रकार के तीन और उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
(क) कनक-तिलियाँ,
(ख) कटुक-निबौरी,
(ग) तारक-अनार
प्रश्न 2.
‘भूखे-प्यासे’ में द्वंद्व समास है। इन दोनों शब्दों के बीच लगे चिह्न को सामासिक चिह्न (-) कहते हैं। इस चिह्न से ‘और’ का
संकेत मिलता है, जैसे-भूखे-प्यासे = भूखे और प्यासे।
इस प्रकार के दस अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
दाल-रोटी – दाल और रोटी
अन्न-जल – अन्न और जल
सुबह-शाम – सुबह और शाम
पाप-पुण्य – पाप और पुण्य
राम-लक्ष्मण – राम और लक्ष्मण
सुख-दुख – सुख और दुख
तन-मन – तन और मन
दिन-रात – दिन और रात
दूध-दही – दूध और दही
कच्चा-पक्का – कच्चा और पक्का
अन्य पाठेतर है हल प्रश्न
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन
के’ पाठ के रचयिता हैं
(i) भवानी प्रसाद मिश्र
(ii) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(iii) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
(iv) महादेवी वर्मा
(ख) पक्षी कहाँ का जल पीना पसंद करते हैं?
(i) नल का जल
(ii) वर्षा का जल
(iii) नदी-झरनों का जल
(iv) पिंजरे में रखी कटोरी का जल
(ग) बंधन किसका है?
(i) स्वर्ण का
(ii) श्रृंखला का
(iii) स्वर्ण श्रृंखला का
(iv) मनुष्य का
(घ) लंबी उड़ान में क्या-क्या संभावनाएँ हो सकती थीं?
(i) क्षितिज की सीमा मिल जाती
(ii) साँसों
की डोरी तन जाती
(iii) ये दोनों बातें हो सकती थीं
(iv) कुछ नहीं होता
(ङ) पक्षी क्यों व्यथित हैं?
(i) क्योंकि वे बंधन में हैं।
(ii) क्योंकि वे आसमान की ऊँचाइयाँ छूने में असमर्थ हैं।
(iii) क्योंकि वे अनार के दानों रूपी तारों को चुगने में असमर्थ हैं।
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(क) (iii)
(ख) (iii)
(ग) (iii)
(घ) (iii)
(ङ) (iv)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(क) इस कविता तथा कवि का नाम लिखिए।
उत्तर-
कविता का नाम- ‘हम
पंछी उन्मुक्त गगन के
कवि का नाम- शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
(ख) पक्षी कैसा जीवन जीना चाहते हैं?
उत्तर-
पक्षी एक स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं।
(ग) पक्षी ऊँची उड़ान के लिए क्या-क्या बलिदान देते हैं?
उत्तर-
पक्षी ऊँची उड़ान के लिए अपना घोंसला, डाली का सहारा आदि सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं। उनका मानना है। कि ईश्वर ने उन्हें सुंदर पंख दिए हैं इसलिए उनकी उड़ान में कोई बाधक न बनें।
(घ) अपनी किन इच्छाओं को पूरा करने के लिए पिंजरे से आजाद होने के लिए व्याकुल हैं।
उत्तर-
पक्षी नदी-झरनों का बहता जल पीने, तेज़ गति से उड़ान भरने नीले आसमान की सीमा तक उड़ने, पेड़ की फुनगी पर झूलने, कड़वी निबौरियाँ खाने और अनार रूपी दाने चुगने के लिए पिंजरे के बाहर निकलने के लिए व्याकुल होते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) पिंजरे में पक्षियों को क्या-क्या कष्ट है?
उत्तर-
पिंजरे में पक्षी खुले आसमान में उड़ान नहीं भर सकते, नदी-झरनों का बहता जल नहीं पी सकते, कड़वी निबौरियाँ नहीं खा सकते, फुदक नहीं सकते, अपने पंख नहीं फैला सकते, अनार के दानों
रूपी तारों को चुग नहीं सकते। इसके अतिरिक्त पिंजरे में पक्षियों को वह वातावरण नहीं मिलता, जिसमें रहने के वे आदी हैं।
(ख) पक्षियों के सपने और अरमान क्या हैं?
उत्तर-
पक्षियों का सपना है कि वह वृक्ष की सबसे ऊँची फुनगी पर बैठकर झूला झूलें उनका अरमान है कि वे नीले आसमान में दूर-दूर तक उड़ते हुए आकाश की सीमा तक पहुँच जाएँ। इस कोशिश में क्षितिज से मुकाबला करते हुए उसका अंतिम छोर ढूंढ़ निकालें या अपने प्राण त्याग दें।
(ग) पक्षी मनुष्यों से क्या चाहते हैं?
उत्तर-
पक्षी मनुष्यों
से चाहते हैं कि उसे स्वतंत्र होकर उड़ान भरने दें। वह इसके बदले अपना घोंसला और टहनी का अपना आश्रय भी देने को तैयार हैं। वे हम लोगों से यह प्रार्थना करते हैं कि उन्हें ईश्वर ने जब उड़ने के लिए पंख दिए हैं तो मानव उनकी उड़ान में विघ्न न डालें और उन्हें स्वतंत्र रूप से उड़ने दें।
(घ) यह कविता हमें किस बात के लिए प्रेरित करती है?
उत्तर-
यह कविता हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि बंधन में रखकर हमें कितनी भी सुविधाएँ क्यों न दी जाएँ, सभी व्यर्थ होती हैं। स्वतंत्र जीवन में ही हम अपनी
इच्छा से सभी काम कर सकते हैं, जबकि पराधीनता में दूसरों की इच्छाओं को मानना पड़ता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(क) पक्षी को मैदा से भरी सोने की कटोरी से कड़वी निबौरी क्यों अच्छी लगती है?
उत्तर-
परतंत्र जीवन सदैव कष्टमय होता है। ऐसे समय में मन की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है। स्वतंत्र जीवन में कठिनाइयाँ भी कितनी अधिक क्यों न हों, वह गुलामी के जीवन से अच्छा होता है। अतः पक्षी भी खुले में रहकर मैदा से भरी सोने की कटोरी की अपेक्षा नीम के कड़वे फल खाना अधिक पसंद करते
हैं।
(ख) कवि ने इस कविता के माध्यम से हमें क्या संदेश देना चाहा है?
उत्तर-
कवि ने इस कविता के माध्यम से संदेश देना चाहा है कि पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं। यानी स्वतंत्रता सबसे अच्छी है। स्वतंत्र रहकर ही अपने सपने और अरमान पूरे किए जा सकते हैं। पराधीनता में सारी इच्छाएँ खत्म हो जाती हैं। पराधीन रहने से हमें अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी दूसँरों पर निर्भर हो जाना पड़ता है। अतः कवि ने इस कविता के माध्यम से स्वतंत्रता के महत्त्व को दर्शाया है। अतः हमें पक्षियों को बंदी बनाकर नहीं रखना
चाहिए। उन्हें आजाद कर आसमान में उड़ान भरने देना चाहिए।
मूल्यपरक प्रश्न
(क) स्वतंत्रता के महत्व को लिखिए?
उत्तर-
स्वतंत्रता सर्वोपरि होता है। स्वतंत्र व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है, खा-पी सकता है,
कहीं घूम – फिर सकता है तथा विचारों को अभिव्यक्त कर सकता है। गुलामी का जीवन कष्टमय होता है। हमें अंग्रेजों ने दो सौ वर्षों तक गुलाम बनाकर रखा जिसमें हमें काफ़ी यातनाएँ झेलनी पड़ी। हमें काफ़ी संघर्ष के बाद आजादी मिली। अतः स्वतंत्रता को सँभालकर रखना हम सभी का दायित्व है। इसी प्रकार की स्वतंत्रता पक्षियों पर भी लागू होती है।
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