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पितरों को जल, सूर्य को दिया अर्घ्य
पितृ पक्ष के दूसरे दिन सोमवार प्रतिपदा की सुबह लोगों ने बड़े व छोटे तालाब समेत विभिन्न जलाशयों के घाटों पर पितरों के निमित्त तर्पण किया। जलार्पण, पिंडदान व श्राद्ध का यह सिलसिला 12 अक्टूबर को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन तक चलेगा।
तर्पण के लिए सुबह सात बजे से शीतलदास की बगिया, गिन्नौरी मंदिर घाट, खटलापुरा, माता कंठाली, शाहपुरा झील स्थित घाटों व गायत्री शक्तिपीठ पर लोग पहुंचे। यहां पितृभ्यो नम: व पितृ देवो भव, मंत्र जाप व हवन आदि किया गया। लोगों ने जौ, तिल और कुशा से पितरों को जल तथा भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। तर्पण करने वालों की सर्वाधिक संख्या शीतलदास की बगिया घाट पर थी। यहां जल में खड़े रहकर लोगों ने पितरों को जलांजलि दी। इसी तरह गिन्नौरी घाट पर पंडित ओमप्रकाश और पंडित शेष नारायण आचार्य ने तर्पण कराया।
पं. रामजीवन दुबे के अनुसार अपने पूर्वजों के निमित्त पिंंड दान करने के लिए शहर से हजारों लोगों का गयाजी तीर्थ जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि का स्मरण नहीं है, वे उनका श्राद्ध और तर्पण कार्यक्रम सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर कर सकते हैं। पितृ पक्ष के चलते तर्पण और श्राद्ध कर्म करने वालों को नियमित रूप से कौए, गाय और कुत्ते को ग्रास देने के बाद ही भोेजन ग्रहण करना चाहिए।
घाट पर गंदगी से लोग नाराज
पितृ पक्ष के दूसरे दिन भी घाटों की सफाई नहीं हुई। लोग तर्पण करने घाटों पर पहुंचे तो यहां फैली गंदगी देखकर वे नाराज हुए। सबसे ज्यादा गंदगी गिन्नौरी, काली मंदिर घाट, व खटलापुरा घाट पर दिखाई दी। पं. तेनगुरिया आचार्य व तर्पण करने पहुंचे कई लोगों का कहना था कि नगर निगम को स्वयं सेवी संगठनों के
लोग ज्ञापन देते हैं, बावजूद इसके घाटों की सफाई नहीं की जाती है। उनका था कि महापौर व निगम अफसरों को सुबह इन घाटोें का निरीक्षण कर पितृ पक्ष के चलते रोजाना साफ- सफाई की उचित व्यवस्था करानी चाहिए।
बड़े तालाब स्थित शीतलदास की बगिया घाट पर सोमवार को पूर्वजों का तर्पण करते लोग।
Pitru Paksha 2022 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार पित पृक्ष इस साल 10 सितंबर 2022 से आरंभ हो रहे हैं. 25 सितंबर 2022 को सर्व पितृ अमावस्या के साथ पितृ पक्ष समाप्त होंगे. इस दौरान पूर्वजों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान किया जाता है. पितृ पक्ष में पितरों को जल देना विशेष माना गया है, इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइए जानते
हैं-
पितरों को जल देते समय क्या बोलना चाहिए?
जल देते समय ध्यान करें और वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों. इसके बाद जल जल दें. साथ ही अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें,
गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः. इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें.
पितृ पक्ष में पितरों
को पानी कैसे दें?
श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है यानी पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है. मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है.
पितरों को जल कितने बजे देना चाहिए?
पितरों को जल देने का समय प्रात: 11:30 से 12:30 के बीच का होता है. पितरों को जल चढ़ाते समय कांसे का लोटा या तांबे के लोटे का प्रयोग करें.
पितरों को पानी कौन दे सकता है?
पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता और वे सभी बुजुर्ग भी शामिल माने गए हैं, जिन्होंने हमें अपना जीवन धारण करने और उसका विकास करने में सहयोग दिया. पितृपक्ष
में मन कर्म और वाणी से संयम रखना चाहिए.
पितरों को तर्पण कैसे देना चाहिए?
तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुख करके बैठना चाहिए. इसके बाद हाथों में जल, कुशा, अक्षत,
पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें और जल को ग्रहण करने की प्रार्थना करें. इसके बाद जल को पृथ्वी पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं.
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Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.