हेलो दोस्तों हमारे पास एक प्रश्न है क्या प्रकाश करें या वर्ण प्रकाश तरंगों की तरंग धैर्य पर निर्भर करता है आयुष प्रश्नों को हम एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं इस चित्र में एक कांच के ब्रिज में द्वारा से प्रकाश का विक्षेपण को दर्शाया गया है विशेष क्षेत्र से तात्पर्य जयप्रकाश किसी विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो अपने सात रंगों में विभक्त हो जाती है प्रकाश के इस घटना को प्रकाश का विशेषण कहते हैं आइए हम देखते हैं किस वेद प्रकाश कैसे अपने-अपने अलग-अलग रंगों में विभक्त हो जाती है तो हमें पता है जो से प्रकाश होती है वह सात रंगों से मिलकर बनी होती है यानी कि जब इन सात रंगों को हम मिलाएंगे तो हमें श्रीप्रकाश प्राप्त होगा तो हमें पता है जो प्रकाश तरंग की चाल होती है वह निर्माण किया भाइयों में लगभग समान होती है लेकिन जैसे ही यह सिर्फ प्रकाश वायु या निर्माण से किसी भी उसमें यानी कि विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो प्रकाश के वेग में
बर्तन आता है और वेग में परिवर्तन होने के कारण अपने साथ अलग-अलग रंगों में विभक्त हो जाती है मेक में परिवर्तन इसलिए प्राप्त होते हैं क्योंकि यह जो श्वेत प्रकाश है इनके अंदर के जो साथ अलग-अलग रंग के प्रकाश होते हैं इन का तरंग धैर्य अलग अलग होता है यानी कि अगर हम लाल रंग की तरंग धैर्य की बात करें तो लाल रंग का तरंग धैर्य सबसे सर्वाधिक प्राप्त होता है यानी कि लाल रंग का तरंग धैर्य लंबा होता है और उसका विरल सघन माध्यम में एक भी सर्वाधिक होता है इसलिए जैसे ही हरा लाल रंग सघन माध्यम में प्रवेश करता है तो इसका तरंग में तरंग धैर्य लंबा होने के कारण इसका बैग भी सर्वाधिक होता है और इस लाल रंग का विक्षेपण सबसे कम होता है इस कारण हमें लाल रंग ऊपर की ओर प्राप्त होता है अगर इसी प्रकार हम सबसे नीचे बैगनी कलर की बात करें तो यह जो बैगनी रंग होता है इसका तरंग धैर्य सबसे छोटा होता है इस कारण जैसे ही है वैद्य रंग सगन से विरल माध्यम में प्रवेश करता है
के बीच में भी कमी आ जाती है और तरंग धैर्य कम होने के कारण यानी छोटे होने के कारण अपने मार्ग में सर्वाधिक विचलित होता है जिससे हमें सात अलग-अलग रंग के की घटना के बारे में पता चलता है तो बीच में कि इस घटना के द्वारा हम कह सकते हैं कि प्रकाश का रंग क्यों होता है प्रकाश की तरंगों के निर्णय पर निर्भर करता है धन्यवाद