कुंवर सिंह ने अपना हाथ क्यों काट दिया था? - kunvar sinh ne apana haath kyon kaat diya tha?

1875 की क्रांति के महानायक वीर बांकुड़े बाबू कुंवर सिंह को शौर्य के 160 वें साल पर आयोजित हो रहे भव्य विजयोत्सव पर इस बार विशेष रूप से याद किया जा रहा है। इस बार तीन दिनों तक राजकीय सम्मान के साथ उनकी...

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,आराSat, 21 Apr 2018 11:30 AM

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1875 की क्रांति के महानायक वीर बांकुड़े बाबू कुंवर सिंह को शौर्य के 160 वें साल पर आयोजित हो रहे भव्य विजयोत्सव पर इस बार विशेष रूप से याद किया जा रहा है। इस बार तीन दिनों तक राजकीय सम्मान के साथ उनकी वीरता व पराक्रम को याद किया जायेगा। विजयोत्सव का आगाज इस बार बाबू साहेब के बलिदान को याद करने के साथ होगा। वीर कुंवर सिंह ने जिस शिवपुर घाट पर अपना हाथ काट गंगा को अर्पित कर दिया था, उसी घाट से उनकी विजयोत्सव यात्रा प्रारंभ होगी। इस अवसर पर सोमवार की सुबह सात बजे यूपी व भोजपुर की सीमा पर स्थित शिवपुर गंगा घाट से शोभा यात्रा निकाली जायेगी। कला संस्कृति मंत्री सहित सूबे के कई मंत्रियों की अगुआई में यात्रा करीब 30 किलोमीटर की दूरी तय कर नयका टोला होकर जगदीशपुर स्थित ऐतिहासिक कुंवर सिंह किला तक जायेगी। शोभा यात्रा में बाबू कुंवर सिंह की वेशभूषा में लोग भी शामिल रहेंगे। वहीं पूरे रास्ते शोभा यात्रा में शामिल लोगों पर फूलों की बारिश की जायेगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शोभा यात्रा को रिसीव किया जायेगा। इस कार्यक्रम के जरिये सरकार उनके बलिदान व पराक्रम को विश्व स्तर तक पहंुचाने के प्रयास में जुटी है।

गंगा नदी पार करने में अंग्रेजों ने कर दिया था हमला

1857 में गोरों से भारत से भगाने के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था। बिहार की दानापुर रेजिमेंट, बंगाल के बैरकपुर व रामगढ़ के सिपाहियों ने बगावत कर दी थी। मेरठ, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी व दिल्ली में भी आग भड़क उठी। 27 अप्रैल 1857 को कुंवर सिंह ने आरा नगर पर कब्जा कर लिया। अंग्रेजी फौज ने आरा पर हमला करने की कोशिश की तो बीबीगंज व बिहिया के जंगलों में घमासान लड़ाई हुई। बहादुर स्वतंत्रता सेनानी जगदीशपुर की ओर बढ़ गये। उसके बाद अंग्रेजों ने जगदीशपुर पर आक्रमण कर दिया। वीर कुंवर सिंह रामगढ़ के बहादुर सिपाहियों के साथ बांदा, रीवा, आजमगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर व गोरखपुर में विप्लव के नगाड़े बजाते रहे। अप्रैल 1958 में नाव के सहारे गंगा नदी पार करने के दौरान अंग्रेजों ने उन पर हमला कर दिया। इस क्रम में उनके हाथ में गोली लग गयी। तब वीर कुंवर सिंह की उम्र 80 साल थी। गोली लगने के बाद उन्होंने अपने ही तलवार से हाथ काट गंगा नदी में अर्पित कर दिया। बुरी तरह घायल होने पर भी उसी दिन रणबांकुरे ने जगदीशपुर किले से अंग्रेजों का ‘यूनियन जैक नाम का झंडा उतार कर ही दम लिया।

पूरे विश्व ने माना था वीर कुंवर सिंह का लोहा

अस्सी साल में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले वीर कुंवर सिंह के पराक्रम का पूरे विश्व ने लोहा मान लिया था। उनकी बहादुरी से प्रभावित होकर एक ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी। यह गनीमत थी कि युद्ध के समय कुंवर सिंह की उम्र अस्सी के करीब थी। अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता।

गृहमंत्री अमित शाह स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर 23 अप्रैल (आज) को बिहार के आरा के जगदीशपुर जा रहे हैं. इस दौरान करीब एक लाख राष्ट्रीय ध्वज लहराकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है. बता दें कि बाबू कुंवर सिंह का नाम बेहद अदब और सम्मान के साथ लिया जाता है. उन्होंने न सिर्फ 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि गुरिल्ला तकनीक का इस्तेमाल कर अंग्रेजी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया था. 

कौन थे बाबू कुंवर सिंह

1857 के क्रांतिकारियों में से एक थे जगदीशपुर के जागीरदार बाबू कुंवर सिंह. वह बिहार के उज्जैनिया परमार क्षत्रिय और मालवा के प्रसिद्ध राजा भोज के वंशज हैं. इसी वंश में महान चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य भी हुए थे. 80 साल की उम्र में बाबू कुंवर सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लिया था. हाथ में गोली लगने के बाद अपना हाथ खुद ही काट लिया था.

लोगों के बीच कैसी थी शख्सियत

समकालीन ब्रिटिश लेखक सर जॉर्ज ट्रेवेलयां ने कुंवर सिंह की वीरता और उनकी सेना की छापामार शैली से ब्रिटिश साम्राज्य के भयंकर नुकसान को अपने शब्दों में कुछ इस तरह बयान किया था.समकालीन ब्रिटिश अधिकारियों के मुताबिक, कुंवर सिंह 6 फुट से अधिक लंबे, मृदुभाषी और अपने लोगों के बीच देवतुल्य व्यक्तित्व वाले शख्सियत थे. वीर कुंवर सिंह एक शानदार घुड़सवार थे और शिकार करना उनका शौक था. 1857 की क्रांति में कुंवर सिंह, उनके भाई अमर सिंह और उनके सेनापति हरे कृष्णा सिंह ने गुरिल्ला तकनीक का इस्तेमाल कर अंग्रेजी सेना को काफी नुकसान पहुंचाया था. 

गुरिल्ला तकनीक का सटीक उपयोग 

बीएचयू से पीएचडी होल्डर और प्रख्यात इतिहासकार डॉ. श्री भगवान सिंह कहते हैं कि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी के बाद गुरिल्ला तकनीक का सबसे सटीक उपयोग बाबू कुंवर सिंह ने ही किया था. उन्होंने आरा से निकलकर आजमगढ़, कानपुर और बलिया तक अंग्रेजी हुकूमत से छापामार युद्ध शैली के जरिए लोहा लिया था. इसीलिए आरा के क्षेत्र को पूर्व का मेवाड़ कहा जाता है.

अंग्रेजों की सेना को सिखाया सबक

इतिहासकार डॉ. श्री भगवान सिंह के मुताबिक विद्रोह का दमन करने के लिए अंग्रेजी सेना की सिख रेजीमेंट और स्कॉटिश हाई लैंडर भेजे गए, लेकिन बाबू कुंवर सिंह की सेना ने उन्हें धूल चटा दी थी. इसकी याद में झारखंड के रामगढ़ में स्थित सिख रेजीमेंटल सेंटर के बाहर बाबू कुंवर सिंह की मूर्ति लगाई गई है. इतिहासकार कहते हैं कि 1857 के विद्रोह की तैयारी बाबू कुंवर सिंह ने बहुत पहले ही कर ली थी. इसके लिए जगदीशपुर में बारूद बनाने का कारखाना भी लगा रखा था.

अपना हाथ क्यों काटा कुंवर सिंह ने

आरा वापस लौटते समय वीर कुंवर सिंह को गंगा नदी पार करते समय हाथ में गोली लग गई थी. उनकी कलाई में गंभीर चोट आई थी. ऐसे में शरीर में ज़हर फैल जाने का ख़तरा भांपते हुए कुंवर सिंह ने अपनी ही तलवार से अपना हाथ काट दिया और गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. इसके बाद कुंवर सिंह की सेना ने अंग्रेजी सेना को परास्त कर आरा को हासिल कर लिया था. 

अत्यधिक खून बह जाने की वजह से कुंवर सिंह की हालत बिगड़ गई. 2 दिन तक बेहोशी की हालत में रहने के बाद 26 अप्रैल 1858 को उन्होंने आखिरी बार अपनी आंखें खोलीं और गढ़ पर लगा झंडा देखा. ब्रिटिश यूनियन जैक की जगह जगदीशपुर का झंडा लहराता देखने के बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए. 

वीर कुंवर सिंह ने अपना हाथ क्यों काटा?

अपना हाथ क्यों काटा कुंवर सिंह ने आरा वापस लौटते समय वीर कुंवर सिंह को गंगा नदी पार करते समय हाथ में गोली लग गई थी. उनकी कलाई में गंभीर चोट आई थी. ऐसे में शरीर में ज़हर फैल जाने का ख़तरा भांपते हुए कुंवर सिंह ने अपनी ही तलवार से अपना हाथ काट दिया और गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया.

कुंवर सिंह ने क्या अफवाह फैला दी?

कहा जाता है एक बार वीर कुँवर सिंह को अपनी सेना के साथ गंगा पार करनी थी। अंग्रेज़ी सेना निरंतर उनका पीछा कर रही थी , पर कुँवर सिंह भी कम चतुर नहीं थे। उन्होंने अफवाह फैला दी कि वे अपनी सेना को बलिया के पास हाथियों पर चढ़ाकर पार कराएँगे।

वीर कुंवर सिंह के कौन से हाथ में गोली लगी थी?

इस गोलीबारी में उनके बाएं हाथ पर गोली लग गई। गोली का जहर उनके पूरे शरीर में फैलता जा रहा था। वे नहीं चाहते थे जिंदा या मुर्दा अंग्रेजों के हाथ उनका शरीर लगे। इसलिए उन्होंने तलवार से अपनी गोली लगी बांह को काटकर गंगा में समर्पित कर दिया।

कुंवर सिंह को बचपन में किन कामों में मजा आता था क्या उन्हें?

उत्तर: कुँवर सिंह को बचपन में कुछ कार्य में बहुत मजा आता था जैसे – घुड़सवारी, तलवारबाजी और कुश्ती लड़ने में। हां, उन्हें इन कामों को करने से स्वतंत्रता सेनानी बनने में बहुत मदद मिली ।

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