अभ्यास माला
अवतरण-1
वह जन्मभूमि मेरी है, वह मातृभूमि मेरी,
ऊँचा खड़ा हिमालय, आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले पड़, नित सिंधु झूमता है।
गंगा, यमुना, त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली, पग-पग पर छहर रही है।
वह पुण्यभूमि मेरी, वह स्वर्णभूमि मेरी ।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी ।।
प्रश्न 1 कवि ने भारत की प्राकृतिक सुन्दरता में हिमालय का क्या योगदान बताया है?
उत्तर. कवि ने भारत की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करते हुए बताया है कि इसके उत्तर दिशा में खड़ा हिमालय ना सिर्फ देश का अटल रक्षक है बल्कि इसी से सदा वाहिनी नदियांँ निकलती है जो पूरे देश की जलापूर्ति करती है। यहांँ की सुंदर अनमोल और औषधियों से भरे हैं।
प्रश्न 2 त्रिवेणी को पर है? इसमें कोम कोन सी नदियाँ आकर मिलती है तथा इसका हमारे देश के इतिहास में क्या योगदान है?
उत्तर. त्रिवेणी इलाहाबाद में है। इसमें गंगा यमुना तथा सरस्वती नदियों का संगम होता है। जो मनुष्यों के पापों को नष्ट कर लेती है।
प्रश्न 3 कवि ने प्रस्तुत अवतरण में भारतभूमि को कौन-कौन सी भूमि कहा है तथा क्यों?
उत्तर. कवि ने भारतभूमि को पुण्यभूमि, स्वर्णभूमि जन्मभूमि कर्मभूमि, धर्मभूमि तथा मातृभूमि
प्रश्न 4 प्रस्तुत कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. प्रस्तुत कविता का उद्देश्य भारत भूमि का वर्णन करना है और लोगों को अपने देश की विशेषताओं से परिचित कराना है।
अवतरण-2
झरने अनेक झरते. जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं. हो मस्त झाडियो में।
अमराइयाँ घनी है कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है तन-मन सेवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी. वह कर्मभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी
प्रश्न 1. झरने कहाँ झर रहे हैं तथा कौन कहाँ चहक रहा है? इनका वर्णन करके कवि क्या बताना चाहता है?
उत्तर. झरने पहाडियों में करते है तथा चिड़ियों पहाड़ियों में चहक रही है। इनका वर्णन करके कवि प्राकृतिक सुंदरता बताना चाहते है।
प्रश्न 2 अमराइयों से क्या तात्पर्य है? अमराइयों में कौन क्या कर रहा है ?
उत्तर. अमराइयो से तात्पर्य आम के बाग से है। अमराइयो में कोयल की आवाज सुनाई देती है।
प्रश्न 3 प्रस्तुत पंक्तियों में पवन की क्या-क्या विशेषताएँ बताई है? वह क्या सँवारती है?
उत्तर. प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से मलय पर्वत से आने वाली शीतल एवं मंद सुगंध को प्रसन्न कर देती और प्रत्येक मनुष्य का तन मन सवारती है।
प्रश्न 4. कवि ने भारत को धर्म भूमि तथा कर्मभूमि क्यों कहा है।?
उत्तर. कवि ने भारत को धर्म भूमि इसलिए बताया है क्योंकि यहांँ पर प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म के अनुसार चलने की आजादी है। साथ ही यह वह भूमि है जहांँ पर अनेक धन विक्रय कवियों ने कर्म प्रधान संसार में कर्म करने को प्रेरित किया है, यह वह भूमि है जहांँ पर अनेक धर्म विकसित हुए हैं।
अवतरण 3.
जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता,
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।
वह युद्धभूमि मेरी वह बुद्धभूमि मेरी
प्रश्न 1 श्रीराम और सीता जी के जन्म की बात कहकर कवि भारत की किस विशेषता का वर्णन करना चाहता है ?
उत्तर. प्रस्तुत पद्य में कवि ने भारत की विशेषता बताते हुए कहा है कि यह मेरी वह भारत भूमि है जहांँ पर श्री राम ने अपने पुत्र धर्म का पालन किया था और माता सीता ने अपने पतिव्रत धर्म का पालन किया था और संसार को नई दिशा दिखाई थी।
प्रश्न 2 ‘गीता ग्रन्थ’ किसका सार है? गीता का उपदेश किसने किसको किस अवसर पर दिया था?
उत्तर. गीता ग्रंथ महाभारत का सार है। गीता का उपदेश श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया ताकि वे धर्म की रक्षा कर सकें।
प्रश्न 3. गौतम बुद्ध कौन थे? उन्होंने संसार को किस भाव का उपदेश दिया था? उनके जीवन में क्या विशिष्ट घटना घटित हुई?
उत्तर. गौतम बुद्ध धर्म के संस्थापक थे।उन्होंने मनुष्य के अंदर से अज्ञानवापी अंधकार को हटाकर जानरूपी प्रकाश उजगर किया । उन्होने सांसारिक लोभ को त्याग दिया।
प्रश्न 4. कवि ने भारत को युद्धभूमि तथा बुद्धभूमि क्यों कहा है? समझाकर लिखिए।
उत्तर. कवि ने भारत को युद्धभूमि इसलिए कर है क्योंकि यहांँ पर सत्य की असत्य पर विजय के लिए बहुत से युद्ध हुए है।
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Vah Janm Bhumi Meri Synopsis
सारांश
प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत भूमि की विशेषताओं का गुणगान किया है। कवि ने भारत के उत्तर में खड़े हिमालय पर्वत जो भारत के गौरव का प्रतीक है। दक्षिण दिशा में स्थित हिंद महासागर भारत माँ के चरणों का स्पर्श करके मानो अपने सौभाग्य पर इतराता है। इस देश में गंगा यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदी का अनोखा संगम है भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में कल कल बहते हुए झरने यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं।
कवि ने इस भूमि पर जन्म देने वाले वीर महापुरुषों जैसे राम-सीता, कृष्ण, गौतम आदि तथा उनके कार्यों का उल्लेख किया है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम और आदर्श सीता ने अपने चरित्र से मानव जाति को प्रेरणा दी है। श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग तथा बुद्ध के ज्ञान और दया ने इस देश को महिमाशाली बनाया है।
यहाँ अनेक धर्मों की स्थापना हुई जिससे मनुष्य को एक नई जीवन दृष्टि मिली यह देश कर्म प्रधान देश है। ये वह मातृभूमि है जो सदैव कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। कवि कहते हैं कि यह भारत भूमि ऐसी भूमि है जो शांति और अहिंसा की वाहक है तथा धर्म और न्याय की रक्षक है।
कवि ने भारत को अनेक नामों जैसे जन्मभूमि, मातृभूमि, पुण्यभूमि, युद्धभूमि, धर्मभूमि, कर्मभूमि, स्वर्णभूमि आदि अनेक नामों से संबोधित किया है।
भावार्थ / व्याख्या
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुना त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्ण भूमि मेरी।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने भारत भूमि की विशेषताओं का गुणगान किया है। कवि ने भारत के उत्तर में खड़े हिमालय पर्वत जो आकाश को चूमता है हमारे भारत के गौरव का प्रतीक है। दक्षिण दिशा में स्थित हिंद महासागर भारत माँ के चरणों का स्पर्श करके मानो अपने सौभाग्य पर इतराता है। इस देश में गंगा यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदी का अनोखा संगम है। इसी कारण कवि को अपनी जन्मभूमि पर गर्व है। यह उसकी पुण्यभूमि और स्वर्ण भूमि भी है।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़िया चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है, तन मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
कवि कहते हैं कि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में कल कल बहते हुए झरने यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं। इसी देश की झाड़ियों में चिड़िया निरंतर चहकती रही है तथा वातावरण को आनंदमय बनाती है। देश में बड़े-बड़े आमों के पेड़ है जहाँ पर कोयल सदा पुकारती रहती है। मलय पर्वत से आने वाली सुगंधित वायु तन-मन को सँवारती रहती है। इसी कारण कवि अपनी जन्मभूमि को धर्मभूमि और कर्मभूमि भी मानता है।
वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।
जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।
कवि ने इस भूमि पर जन्म देने वाले वीर महापुरुषों जैसे राम-सीता, कृष्ण, गौतम आदि तथा उनके कार्यों का उल्लेख किया है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम और आदर्श सीता ने अपने चरित्र से मानव जाति को प्रेरणा दी है। श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग तथा बुद्ध के ज्ञान और दया ने इस देश को महिमाशाली बनाया है।
यहाँ अनेक धर्मों की स्थापना हुई जिससे मनुष्य को एक नई जीवन दृष्टि मिली यह देश कर्म प्रधान देश है। ये वह मातृभूमि है जो सदैव कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। कवि कहते हैं कि यह भारत भूमि ऐसी भूमि है जो शांति और अहिंसा की वाहक है तथा धर्म और न्याय की रक्षक है।
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