पानवाले ने कैप्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है। परन्तु कैप्टन में एक सच्चे देशभक्त के वे सभी गुण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी बुद्धिजीवी में नहीं है। वह भले ही अपाहिज है पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी नेताजी को बग़ैर चश्मे के नहीं रहने देता है। वह भले ही पागल है पर उसमें इतना विवेक तो है कि जिसने हमें आज़ादी दिलाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, उसका सम्मान करना चाहिए। अत: कैप्टन पानवाले से अधिक सक्रिय तथा विवेकशील है।
कैप्टन चश्मे वाले पर पानवाले की टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
पानवाले ने कैप्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है। परन्तु कैप्टन में एक सच्चे देशभक्त के वे सभी गुण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी बुद्धिजीवी में नहीं है। वह भले ही अपाहिज है पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी नेताजी को बग़ैर चश्मे के नहीं रहने देता है।
वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में पागल है पागल कैप्टन के प्रति पान वाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए?
Answer: यह टिप्पणी पानवाले ने हालदार साहब को कैप्टन के पूछे जाने पर दी थी जो बिल्कुल गलत थी। कैप्टन शारीरिक रूप से अपंग था परंतु उसके मन में देश प्रेम की भावना भरपूर थी, वह किसी फौजी से कम नहीं थी और कैप्टन के इसी देश प्रेम की भावना को देखकर पानवाला उसे पागल कहता है जो गलत है।
वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में पागल है पागल?
पानवाले का यह कहना की "वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!" गलत है क्यूंकि कैप्टन में एक सच्चे देशभक्त होने के सभी गुण हैं। वह इतना विवेकशील है कि वह हमारे स्वतंत्रता सेनानी नेताजी की मूर्ति को कभी बिना चश्मे के रहने नहीं देता है। वह उनका सम्मान करता है और उनका आदर करता है।
वह लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में पागल है पागल यह कथन किसका है?
वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल! '-ये शब्द किसने कहे हैं? *पानवाले ने.