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कलाकार अगस्ते की एक कलाकृति के बारे में लिखिए व उसके माध्यम से क्या संदेश देना चाहते हैं?
वे इस कृति के माध्यम से निम्नलिखित संदेश देना चाहते थे ।…
- कलाकार आगस्ते एक रोमन मूर्तिकार थे।
- उन्हें मूर्तिकला का संस्थापक कहा जाता है।
- वे अपनी बनाई हुई मूर्तियों के माध्यम से संदेश दिया करते थे।
- आगस्ते रोडिन को पेरिस के नियोजित सजावटी कला संग्रहालय के लिए एक पोर्टल बनाने के लिए 1880 में एक कमिशन दिया गया था।
कला के मुलभूत तत्व कितने है?
इसे सुनेंरोकेंकला, संस्कृति की वाहिका है। भारतीय संस्कृति के विविध आयामों में व्याप्त मानवीय एवं रसात्मक तत्त्व उसके कला-रूपों में प्रकट हुए हैं। कला का प्राण है रसात्मकता। रस अथवा आनन्द अथवा आस्वाद्य हमें स्थूल से चेतन सत्ता तक एकरूप कर देता है।
कला से हम क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंकला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। सीधे शब्दों में कहें तो, आम तौर पर मानव द्वारा उसकी खोपड़ी में चल रही हजारो प्रकार की कल्पनाओ को अन्य सभी भाई बन्धुवों के सामने दिखने की क्रिया को ही “कला” या “आर्ट” बोलते हैं।
सभी कलाओं का मूल स्रोत क्या है?
इसे सुनेंरोकेंलोक कलाओं का जन्म भावनाओं और परम्पराओं पर आधारित है क्योंकि यह जनसामान्य की अनुभूति की अभिव्यक्ति है। यह वर्तमान शास्त्रीय और व्यावसायिक कला की पृष्ठभूमि भी है।
कोलम पेंटिंग में क्या मोटिफ का उपयोग किया जाता है चित्रकला को बनाने की विधि समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंकॉलम बनाने के लिए सूखे चावल के आटे को अँगूठे व् तर्जनी के बिच रखकर एक निश्चित आकर में गिराया जाता है। इस प्रकार धरती पर सुन्दर नमूना बन जाता है। लगातार अनुभव प्राप्त करते रहने से यह कलाकृति अच्छे तरीकर से बन जाती है कोलम पेंटिंग एक गृहिणी बनती है। इससे कलाकार स्वतंत्र रूप से कलाकृति बनाना सीखता है।
कोलम पेंटिंग में क्या मोटिफ का उपयोग किया जाता है चित्रकला को बनाने की विधि समझाइए पाठ 4 देखें?
इसे सुनेंरोकेंयह एक लोक कला है जो शुभअवसरों पर घर के फ़र्श को सजाने के लिए की जाती है। कोलम बनाने के लिए सूखे चावल के आटे को अँगूठे व तर्जनी के बीच रखकर एक निश्चित आकार में गिराया जाता है। इस प्रकार धरती पर सुंदर नमूना बन जाता है। कभी कभी इस सजावट में फूलों का प्रयोग किया जाता है।
कला के मूलभूत सिद्धांत क्या है *?
इसे सुनेंरोकेंइसके अनुसार कला का उद्देश्य किसी नैतिक या धार्मिक उद्देश्य की प्राप्ति नहीं बल्कि स्वंय अपने पूर्णता की तलाश है। कला सौन्दर्यानुभूति का वाहक है इसलिये इसे उपयोगिता की कसौटी पर नहीं परखा जाना चाहिये। समाज, नीति, धर्म, दर्शन आदि के नियमों का पालन कला की स्वच्छंद तथा स्वतः स्फूर्त अभिव्यक्ति में बाधक होते हैं।
कला शब्द स्रोत से क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकें(coherent and incoherent sources in hindi) कला सम्बन्ध स्रोत और कला असम्बन्ध स्रोत : जब दो प्रकाश स्रोत समान आवृत्ति की तरंग उत्पन्न करे और दोनों तरंगों के मध्य समय के साथ समान कलान्तर रहे अर्थात कलांतर का मान समय के साथ परिवर्तित न हो तो ऐसे स्रोत जिनसे ये तरंगे उत्पन्न हो रही है उन्हें कला सम्बंध स्रोत कहते है।