काले हिरण का अस्तित्व वर्ग क्या है? - kaale hiran ka astitv varg kya hai?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए

प्रश्न:1भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।

उत्तर: कई स्थानीय समुदायों ने इस बात को जान लिया है कि संरक्षण से उनका जीवनयापन लंबे समय तक के लिए सुरक्षित रह सकता है। ऐसे समुदाय कई स्थानों पर सरकार के संरक्षण प्रयासों के साथ भागीदारी कर रहे हैं। भारत के विभिन्न समुदायों में वनों के संरक्षण में योगदान के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।

राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में गाँव के लोगों ने खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ी है।

अलवर जिले के पाँच गाँवों ने 1,200 हेक्टेअर वन को भैरोदेव डाकव ‘सोनचुरी’ घोषित कर दिया है।

हिंदू धर्म और कई आदिवासी समुदायों में प्रकृति की पूजा की पुरानी परंपरा रही है। जंगलों में पवित्र पेड़ों के झुरमुट इसी परंपरा के द्योतक हैं। वनों में ऐसे स्थानों को मानव गतिविधियों से अक्षुण्ण रखा जाता है।

राजस्थान के बिश्नोई गाँवों में चिंकारा, नीलगाय और मोर को पूरे समुदाय का संरक्षण मिलता है और कोई उनको नुकसान नहीं पहुँचाता है।

संरक्षण कार्य में समुदाय की भागीदारी का एक अच्छा उदाहरण है चिपको आंदोलन।

प्रश्न:2वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबंध लिखिए।

उत्तर: भारत में वन और वन्य जीव संरक्षण में रीति रिवाजों का बड़ा सहयोग रहा है। हिंदू धर्म और कई आदिवासी समुदायों में प्रकृति की पूजा की पुरानी परंपरा रही है। हिंदू धर्म में हनुमान की पूजा होती है जो प्राणिजात की महत्व को दर्शाता है। हमारे यहाँ कई रस्मों में पीपल और आम के पेड़ की पूजा की जाती है। इससे पता चलता है कि लोग सदा से वृक्षों को पवित्र मानते रहे हैं। इसका ये भी मतलब है कि प्राचीन काल से ही लोग हमारे जीवन के लिये पेड़ों के महत्व को समझते थे। आदिवासी लोग तो जंगलों में पवित्र पेड़ों के झुरमुट को मानव गतिविधियों से अनछुआ रखते हैं। गाँवों में अभी भी त्योहारों के अवसर पर पशुओं की पूजा की जाती है। ऐसी परंपरा पशुओं के महत्व को मानने और समझने को दिखाती है। राजस्थान का बिश्नोई समाज काले हिरण के संरक्षण के लिये किसी भी हद तक जा सकता है। शायद यही कारण है कि आज भी दूर दराज के गाँवों; खासकर जो वनों के निकट हैं; वनों को स्थानीय लोगों द्वारा भी संरक्षण मिलता है। इससे वन विभाग का काम भी आसान हो जाता है।

निम्नलिखित प्राणियों/पौधों का उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें।

A. काला हिरण (i) लुप्त
B. एशियाई हाथी (ii) दुर्लभ
C. अंडमान जंगली सुअर (iii) संकटग्रस्त
D. हिमालयन भूरा भालू (iv) सुभेद्य
E. गुलाबी सिरवाली बत्तख  (v) स्थानिक

Solution

A.

काला हिरण

(i)

संकटग्रस्त

B.

एशियाई हाथी

(ii)

सुभेद्य

C.

अंडमान जंगली सुअर

(iii)

स्थानिक

D.

हिमालयन भूरा भालू

(iv)

दुर्लभ

E.

गुलाबी सिरवाली बत्तख 

(v)

लुप्त

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1. भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।

उत्तर: अब कई स्थानीय समुदायों ने भी इस बात को मान लिया है कि संरक्षण से उनके जीवनयापन को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए अब स्थानीय लोग कई जगहों पर सरकार के संरक्षण के प्रयासों के साथ भागीदारी कर रहे हैं।

राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में गाँव के लोगों ने खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ी है।

अलवर जिले के पाँच गाँवों ने 1,200 हेक्टेअर वन को भैरोदेव डाकव ‘सोनचुरी’ घोषित कर दिया है। वहाँ के लोगों ने वन्यजीवन की रक्षा के लिये अपने ही नियम और कानून बनाये हैं।

बंदरों के बारे में ऐसी मान्यता है कि वे हिंदुओं के देवता हनुमान के वंशज हैं। इसलिए अधिकतर जगहों पर बंदरों और लंगूरों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाता है। राजस्थान के बिश्नोई गाँवों में चिंकारा, नीलगाय और मोर को पूरे समुदाय का संरक्षण मिलता है।

स्थानीय समुदाय द्वारा संरक्षण में भागीदारी का एक और उदाहरण है ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट। यह कार्यक्रम उड़ीसा में 1988 से चल रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गाँव के लोग अपनी संस्था का निर्माण करते हैं और संरक्षण संबंधी क्रियाकलापों पर काम करते हैं। उसके बदले में सरकार से उन्हें कुछ वन संसाधनों के इस्तेमाल का अधिकार मिल जाता है।

प्रश्न 2. वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबंध लिखिए।

उत्तर: भारत में कई ऐसे रीति रिवाज हैं जिनसे वन और वन्य जीव संरक्षण को बल मिलता है। हमारे यहाँ प्रकृति पूजा की पुरानी परंपरा रही है। कई समुदायों में पेड़ों और पशुओं की पूजा की जाती है। भारत के कई स्थानों पर पीपल, आम और महुआ जैसे पेड़ों की पूजा की जाती है। बंदर को हनुमान का वंशज मानने के कारण कोई भी उसे नुकसान नहीं पहुँचाता है। कई जंगलों में पेड़ों के कुछ झुरमुटों को पवित्र माना जाता है और वैसे स्थान पर कोई भी मानव गतिविधि नहीं की जाती है। काले हिरण के संरक्षण में राजस्थान के बिश्नोई समाज की मुख्य भूमिका रही है।

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