(क) मातृ शरीर में गर्भ भोजन लेता हैं। - (ka) maatr shareer mein garbh bhojan leta hain.

नमस्कार दोस्तों प्रश्न है मां के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है तो दोस्तों मां के शरीर मां के शरीर से जो गर्भस्थ शिशु होता है गर्भस्थ शिशु या भ्रूण इसे हम कहेंगे भूल जो होता है इससे पोषण माता के रक्त द्वारा प्रदान होता है तो माता का रक्त सीधे तो भ्रुण तक पहुंचता नहीं है तो इसके लिए प्रकृति द्वारा माता के शरीर में एक विशिष्ट संरचना प्रदान की गई है जिससे प्लेसेंटा या अपरा कहा जाता है यह प्लेसेंटा या अपराध होती है यह एक तश्तरी के समान संरचना होती है जो गर्भाशय की विधि के अंदर दबी होती है

तथा इसका निर्माण एलेनट्रस टैलेंट तो यस जिले के द्वारा होता है तो दोस्तों यह जो प्लेसेंटा होती है यह भ्रूण के नाभि रज्जु या अंबिलिकल कॉर्ड से जुड़ी होती है जिसकी सहायता से माता के शरीर से रक्त द्वारा पोषण पूर्ण के शरीर में जाता है अब प्लेसेंटा द्वारा एक तो कार्बोहाइड्रेट या ग्लूकोस जिसे हम कह सकते हैं कि रुको तथा ऑक्सीजन ऑक्सीजन तथा अन्य पोषक तत्व जो है वरुण के शरीर में जाते हैं प्लेसेंटा यात्रा की सहायता से

आशा करते हैं आप कुछ प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

माँ के शरीर के अंदर भ्रूण को पोषण कैसे मिलता है?

उत्तर : भ्रूण को माँ के रुधिर से ही पोषण मिलता है, इसके लिए एक विशेष संरचना होती है, जिसे प्लेसेंटा कहते हैं । यह एक तश्तरीनुमा संरचना है, जो गर्भाशय की भित्ति में धेसी होती है । इसमें भ्रूण की ओर के ऊतक में प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रक्त स्थान होते हैं, जो प्रवर्ध को आच्छादित करते हैं।

भ्रूण किसकी सहायता से माँ के शरीर से जुड़ा रहता है?

माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण एक रस्सी जैसी संरचना के साथ अपरा के माध्यम से जुड़ा होता है। अपरा गर्भाशय की भित्ति पर विकसित होता है।

गर्भाशय के अंदर भ्रूण का पोषण कौन करता है?

Solution : गर्भस्थ भ्रूण को माँ के रूधिर से पोषण प्राप्त होता है । इसके लिए प्लेसेंटा की संरचना प्रकृति के द्वारा की गई है । यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है ।

गर्भ में बच्चे को भोजन कैसे मिलता है?

गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़ने का काम करती है. मां जो कुछ भी खाती है, आहार नाल के माध्यम से उसका पोषण बच्चे को भी मिलता है. गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर की तरह भी काम करती है. यह उस तक सिर्फ पोषण पहुंचाती है और विषैले पदार्थों को भ्रूण तक नहीं जाने देती.

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