जंतुओं की त्वचा से उतारे गए बालों से कैसे बनाते समय अभी मार्जन की आवश्यकता क्यों होती है? - jantuon kee tvacha se utaare gae baalon se kaise banaate samay abhee maarjan kee aavashyakata kyon hotee hai?

प्रश्न - जांतव रेशे किसे कहते है?

उत्तर - ऊन और रेशम के रेशे जंतुओं से प्राप्त होते हैं। जंतुओं से प्राप्त किए जाने वाले रेशों को जांतव रेशे कहते हैं।

प्रश्न - ऊन के रेशे किस जानवर से प्राप्त होते है?

उत्तर - ऊन के रेशे (फाइबर) भेड़ अथवा याक के बालों से प्राप्त किए जाते हैं।

प्रश्न - रेशम के फाइबर रेशम कीट के कोकून किस से प्राप्त होते हैं?

उत्तर - रेशम के फाइबर रेशम कीट के कोकून (कोश) से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न - हमें ऊन किन-किन जंतुओं से प्राप्त होता है?

उत्तर - हमें ऊन भेड़, बकरी, याक और कुछ अन्य जंतुओं से ‘ऊन’ प्राप्त की जाती है। ऊन प्रदान करने वाले इन जंतुओं के शरीर बालों से ढके होते है।

प्रश्न - मनुष्य की तरह भेंड़ की रोयेदार त्वचा पर दो प्रकार के रेशे कौन-कौन से है?

उत्तर - हमारी ही तरह भेड़ की रोयेंदार त्वचा पर दो प्रकार के रेशे होते हैं- 

(i) दाढ़ी के रूखे बाल, और 

(ii) त्वचा के निकट अवस्थित तंतुरूपी मुलायम बाल।

प्रश्न - ‘वरणात्मक प्रजनन’ क्या है?

उत्तर - भेड़ों की कुछ नस्लों में केवल तंतुरूपी मुलायम बाल ही होते हैं। इनके जनकों का विशेष रूप् से ऐसी भेड़ों को जन्म देने के लिए चयन किया जाता है, जिनके शरीर पर र्सिफ मुलायम बाल हों। तंतुरूपी मुलायम बालों जैसे विशेष गुणयुक्त भेड़ें उत्पन्न करने के लिए जनकों के चयन की यह प्रक्रिया ‘वरणात्मक प्रजनन’ कहलाती है।

प्रश्न - पश्मीना शालें किसे कहते है?

उत्तर - अंगोरा ऊन को अंगोरा नस्ल की बकरियों से प्राप्त किया जाता है जो जम्मू एवं कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं। कश्मीरी बकरी की त्वचा के निकट मुलायम बाल (फर) होते हैं, इनसे बेहतरीन शॉलें बनाई जाती हैं, जिन्हें पश्मीना शालें कहते हैं।

प्रश्न - दक्षिणी अमेरिका में पाए जाने वाले दो जंतुओं के नाम लिखिए। जिससे हमें ऊन प्राप्त होता है? 

उत्तर - दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले लामा और ऐल्पेका से भी ऊन प्राप्त होती है।

प्रश्न - ऊन प्राप्त करने के लिए हमें क्या क्या करना चाहिए?

उत्तर - ऊन प्राप्त करने के लिए हमें भेड़ों को पालना चाहिए। उनके बालों को काटकर और फिर उन्हें संसोधित करके ऊन बनाई जाती है।

प्रश्न - सर्दियों में भेड़ों को कहाँ रखा जाता है? तथा उन्हें इस मौसम में क्या खिलाया जाता है?

उत्तर - सर्दियों में, भेड़ों को घरों के अंदर रखा जाता है और उन्हें इस मौसम में पत्तियाँ, अनाज और सूखा चारा खिलाया जाता है।

प्रश्न - रेशों को ऊन में संसोधित किस प्रकार किया जाता है? 

उत्तर - रेशों कोे ऊन में संसोधित स्वेटर बुनने अथवा शॉल बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊन, एक लंबी प्रक्रिया द्वारा प्राप्त उत्पाद होती है।

प्रश्न - भेड़ पालन और प्रजन्न किस किस राज्य में होता है? उन राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर - भेड़ पालन और प्रजन्न निम्नलिखित राज्यों में किया जाता है- जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्रों अथवा हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के मैदानों की यात्रा करने पर हम पाते है कि गडरियें भेड़ों किए झुंडों को चराने के लिए ले जाते हैं। इन देशों में भेड़ों का पालन और प्रजनन किया जाता है।

प्रश्न - भेड़ किस प्रकार के जन्तु होते है? और वह क्या खाना पसंद करते है?

उत्तर - भेड़ शाकाहारी होती है और वह घास और पत्तियाँ पसंद करती है। भेड़ पालक (पालने वाला) उन्हें हरे चारे के अतिरिक्त दालें, मक्का, ज्वार, खली (बीज में से तेल निकाल लेने के बाद बचा पदार्थ) और खनिज भी खिलाते हैं।

प्रश्न - रेशों को ऊन में संसोधित करने के लिए कितने प्रकार के चरणों को दर्शाया गया है?

उत्तर - रेशों को ऊन में संसोधित करने के लिए निम्नलिखित छ: चरणों को दर्शाया गया है:-

चरण 1- भेड़ के बालों को त्वचा की पतली परत के साथ शरीर से उतार लिया जाता है। यह प्रक्रिया ऊन की कटाई कहलाती है।

चरण 2- त्वचा सहित उतारे गए बालों को टंकियों में ड़ालकर अच्छी तरह से धोया जाता है, जिससे उनकी चिकनाई, धूल और निकल जाए। यह प्रकम अभिमार्जन कहलाता है। आजकल अभिमार्जन मशीनों द्वारा किया जाता है।

चरण 3- अभिमार्जन के बाद छँटाई की जाती है। रोमिल अथवा रोयेंदार बालों को कारखानों में भेज दिया जाता है, जहाँ विभिन्न गठन वाले बालों को छाँटा या पृथक किया जाता है।

चरण 4- बालों में से छोटे-छोटे कोमल व फुले हुए रेशों को छाँट लिया जाता है, जो बर कहलाते हैं। ये वही बर होते हैं, जो कभी-कभी आपके स्वेटर पर एकत्रित हो जाते हैं।

चरण 5- रेशों की विभिन्न रंगों में रंगाई की जाती है, क्योंकि भेड़ अथवा बकरी की सामान्य ऊन काली, भूरी अथवा सफ़ेद होती है।

चरण 6- अब रेशों को सीध करके सुलझाया जाता है और फिर लपेटकर उनसे धगा बनाया जाता है। लंबे रेशों को कातकर स्वेटरों की ऊन के रूप में और अपेक्षाकृत छोटे रेशों को कात कर ऊनी वस्त्र बुनने में उपयोग किया जाता है।

प्रश्न - रेशम किट पालन ;सेरीकल्चरद्ध क्या कहलाता है?

उत्तर - रेशम (सिल्क) के रेशे भी ‘जांतव रेशे’ होते हैं। रेशम के कीट रेशम के फाइबरों को बनाते हैं। रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीटों को पालना रेशम किट (सेरीकल्चर) कहलाता है।

प्रश्न - कोकून किसे कहते है ?

उत्तर - कैटरपिलर वृद्दि कर स्वयं कों रेशम के रेशों से बने आवरण से ढ़का होता है इस आवरण को कोकून कहते है। 

प्रश्न - रेशम कीट के जीवनचक्र की उन दो अवस्थाओं के चित्र बनाइए जो प्रत्यक्ष रूप से रेशम के उत्पादन से संबंधित हैं।

उत्तर -

प्रश्न - रेशम की रीलिंग से आप क्या समझते हो ?

उत्तर - रेशम के रूप में उपयोग के लिए कोकून में से रेशे निकालने की प्रक्रिया रेशम की रीलिंग कहलाती है।

प्रश्न - रेशम पफाइबर किस पदार्थ के बने होते है ?

उत्तर - रेशम फाइबर प्रोटिन के बने होते है।

प्रश्न - रेशम कीट के जीवन चक्र का वर्णन करों । 

उत्तर - मादा रेशम कीट अंडे देती है जिनसे लार्वा निकलते हैं जो कैटरपिलर/इल्ली या रेशम कीट कहलाते हैं। ये आकार में वृद्वृदि करते हैं और जब कैटरपिलर अपने जीवनचक्र की अगली अवस्था में प्रवेश करने के लिए तैयार होता है, तो यह प्यूपा/कोशित कहलाता है, प्युपा जल्दी ही स्वयं को पूरी तरह से रेशम के रेशों से ढक लेता है। यह आवरण कोकून कहलाता है। कीट का इसके आगे का विकास कोकून के भीतर होता है।

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