जैसे बाढ़ी कास्ट ही काटै अगिनि न काटे कोई इस पंक्ति का क्या अर्थ है? - jaise baadhee kaast hee kaatai agini na kaate koee is pankti ka kya arth hai?

कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है कि क्योंकि संसार के लोग सच को सहन नहीं कर पाते और न उस पर विश्वास करते हैं। उन्हें झूठ पर विश्वास हो जाता है। कबीर संसार के लोगों को ईश्वर और धर्म के बारे में सत्य बात बताता है, ये सब बातें परंपरागत ढंग से भिन्न हैं, अत: लोगों को अच्छी नहीं लगतीं। लगता है यह संसार बौरा गया है अर्थात् पागल-सा हो गया है।

908 Views

“जैसे बाड़ी काष्ठ ही का, अगिनि न काटे, कोई।

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।”

-इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?

इस काव्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि ईश्वर सर्वव्यापक है, उसे काटा या मिटाया नहीं जा सकता। ईश्वर सभी के हृदयों में आत्मा के रूप में व्याप्त है। वह व्यापक स्वरूप धारण करता है।

-ईश्वर निराकार है

-ईश्वर सर्वव्यापक है

-ईश्वर अजर-अमर है

-ईश्वर आत्मा रूप में प्राणियों में समाया है।

1043 Views

कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है? इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए है?

कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने निम्नलिखित तर्क दिए हैं:

-पवन (हवा) एक है

-पानी एक है

-एक ही ज्योति सभी में समाई है।

-एक ही मिट्टी से सब बरतन (व्यक्ति) बने हैं।

-एक ही कुम्हार मिट्टी को सानता है।

3500 Views

कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?

कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है।

1863 Views

मानव शरीर का निर्माण किन पाँच तत्त्वों से हुआ है?

मानव शरीर का निर्माण इन पाँच तत्वों से हुआ है-

1. वायु  2. जल 3. मिट्टी (पृथ्वी) 4. अग्नि  5. आकाश।

2377 Views

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग