जन्म से मृत्यु तक कितने संस्कार होते हैं? - janm se mrtyu tak kitane sanskaar hote hain?

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डौंडीलोहारा9 महीने पहले

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सत्संग में संत रामबालक दास ने विद्यारंभ संस्कार के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि हिंदू धर्म में सोलह संस्कार होते हैं। महाराज मनु ने जब अपनी संतानों को उपदेश दिया तो उन्होंने सोलह संस्कार की विस्तृत व्याख्या की। जिस तरह से एक सैनिक को युद्ध में जाने से पूर्व शस्त्र के साथ-साथ कवच की भी आवश्यकता होती है, वैसे ही हमारे जीवन के लिए संस्कार हमारा कवच होता है। दुर्भाग्य की बात है कि आजकल हमारी पीढ़ी अवनति की ओर जा रही है, क्योंकि संस्कारों का महत्व ही नहीं दिया जाता है।

जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 तरह के संस्कार किए जाते हैं। हिंदू धर्म में सभी संस्कार जरूरी होते हैं। गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमन्तोन्नयन संस्कार, जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, चूड़ाकर्म संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, कर्णवेध संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, वेदारंभ संस्कार, केशांत संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार, अंत्येष्टि संस्कार।

भरे दरबार में राजा का गुणगान करता था भाट
गिरधर सोनवानी ने जिज्ञासा रखी की भगवान भाट किसे कहते हैं एवं उसका क्या महत्व है। बाबा ने बताया कि भाट वर्ग सभी समाज चाहे वह क्षत्रिय, ब्राह्मण चाहे कोई भी समाज वर्ग हो सभी में होता हैं। एक भाट वह होता है जो राजाओं के दरबार में होता था जो राजा का गुणगान करता था।

हिंदू धर्म में कितने तरह के होते हैं संस्कार और क्या होता है महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: योगेश जोशी Updated Wed, 04 Dec 2019 03:05 PM IST

संस्कारों का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक कहीं तरह के संस्कार किए जाते हैं। हिंदू धर्म में सभी संस्कार जरूरी होते हैं। कुल 16 तरह के संस्कारों का शास्त्रों में वर्णन है। कुछ संस्कार जन्म से पूर्व ही कर लिए जाते हैं और कुछ जन्म के समय पर और कुछ बाद में किए जाते हैं। अब आपको बताते हैं कौन-से हैं वे 16 संस्कार...

गर्भाधान संस्कार
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मनचाही संतान के लिए गर्भधारण संस्कार किया जाता है।

पुंसवन संस्कार
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गर्भधारण के दो-तीन महीने बाद किया जाने वाला संस्कार पुंसवन संस्कार कहलाता है। गर्भ में पल रहे शिशु की सुरक्षा के लिए यह संस्कार किया जाता है।

सीमन्तोन्नयन संस्कार
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार यह संस्कार गर्भ के छठे या आठवें महीने में किया जाता है। यह संस्कार गर्भ की शुद्धि के लिए किया जाता है। 

जातकर्म संस्कार
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शिशु का जन्म होते ही जातकर्म संस्कार करने का विधान है।
 

  • गर्भाधान

    चारों वर्ण में बंटा हुआ यह समुदाय 16 संस्कारों से निर्मित है जिनमे से पहला संस्कार है गर्भाधान-  यह संस्कार चरों वर्णों के लिए सामान माना गया है यह...

  • पुंसवन

    गर्भाधान की तरह यह पुंसवन संस्कार भी चारों वर्णों के लिए सामान होता है गर्भस्थ शिशु के बौद्धिक और मानसिक विकास के लिए यह संस्कार किया जाता है। पुंसव...

  • सीमन्तोन्नयन

    यह संस्कार गर्भ में पल रहे बच्चे के चौथे, छठवें और आठवें महीने में किया जाता है। यह संस्कार सभी वर्ण जाती के लिए सामान होता है  इस समय गर्भ में पल रहा...

  • जातकर्म

    इस भू भाग में बालक जन्म लेते ही भौतिक जीवन से जुड़ने लग जाता  बालक का जन्म होते ही जातकर्म संस्कार को किया जाता है। इस संस्कार को करने से शिशु के कई प्...

  • नामकरण

    शिशु यानि बच्चे के जन्म के बाद 11 या 21वें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है। इस दिन घर में आकर ब्राह्मण द्वारा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बच्चे का नाम त...

  • निष्क्रमण

    निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना। जन्म के चौथे महीने में यह संस्कार किया जाता है। हमारा शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जिन्हें पंचभूत कहा जाता...

  • अन्नप्राशन

    यह संस्कार बच्चे के दांत निकलने के समय अर्थात 6-7 महीने की उम्र में किया जाता है। इस संस्कार के बाद बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत हो जाती है। इस दिन...

  • मुंडन

    जब शिशु की आयु एक वर्ष हो जाती है तब या तीन वर्ष की आयु में या पांचवे या सातवे वर्ष की आयु में बच्चे के बाल उतारे जाते हैं जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता...

  • विद्यारंभ

    विद्या आरंभ संस्कार के माध्यम से शिशु को उचित शिक्षा दी जाती है। शिशु को शिक्षा के प्रारंभिक स्तर से परिचित कराया जाता है। और जीवन के भौतिक वस्तुओं से...

  • कर्णवेध

    सभी वर्ण व्यवस्थाओं में कर्णवेध संस्कार प्रचलित है। इस संस्कार में कान छेदे जाते है। इसके दो कारण हैं, एक - आभूषण पहनने के लिए। दूसरा- कान छेदने से...

  • यज्ञोपवीत

    उप यानी पास और नयन यानी ले जाना। गुरु के पास ले जाने का अर्थ है उपनयन संस्कार। आज भी यह परंपरा है। जनेऊ यानि यज्ञोपवित में तीन सूत्र होते हैं। ये तीन...

  • वेदारंभ

    वेदारंभ संस्कार के अंतर्गत व्यक्ति को वेदों का ज्ञान दिया जाता है।विद्यया लुप्यते पापं विद्यायाऽयुः प्रवर्धते।विद्याया सर्वसिद्धिः स्याद्विद्...

  • केशांत

    केशांत संस्कार अर्थ है केश यानी बालों का अंत करना, उन्हें समाप्त करना। विद्या अध्ययन से पूर्व भी केशांत किया जाता है। मान्यता है गर्भ से बाहर आने के ब...

  • समावर्तन

    समावर्तन संस्कार अर्थ है फिर से लौटना। आश्रम या गुरुकुल से शिक्षा प्राप्ति के बाद व्यक्ति को फिर से समाज में लाने के लिए यह संस्कार किया जाता था। इसका...

  • विवाह

    यह धर्म का साधन है। विवाह संस्कार सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। इसके अंतर्गत वर और वधू दोनों साथ रहकर धर्म के पालन का संकल्प लेते हुए विवा...

  • अन्त्येष्टि

    अंत्येष्टि संस्कार इसका अर्थ है अंतिम संस्कार। शास्त्रों के अनुसार इंसान की मृत्यु यानि देह त्याग के बाद मृत शरीर अग्नि को समर्पित किया जाता है। आज भी...


जन्म से लेकर मृत्यु तक कितने संस्कार होते हैं?

हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) का उल्लेख किया जाता है जो मानव को उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अन्त्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं। इनमें से विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वर्तमान समय में सनातन धर्म या हिन्दू धर्म के अनुयायी में गर्भाधन से मृत्यु तक १६ संस्कारों होते है।

16 संस्कार कौन कौन से हैं?

(1)गर्भाधान संस्कार, (2)पुंसवन संस्कार, (3)सीमन्तोन्नयन संस्कार, (4)जातकर्म संस्कार, (5)नामकरण संस्कार, (6)निष्क्रमण संस्कार, (7)अन्नप्राशन संस्कार, (8)मुंडन संस्कार, (9)कर्णवेधन संस्कार, (10)विद्यारंभ संस्कार, (11)उपनयन संस्कार, (12)वेदारंभ संस्कार, (13)केशांत संस्कार, (14)सम्वर्तन संस्कार, (15)विवाह संस्कार और (16) ...

बच्चों के कितने संस्कार होते हैं?

इन्हें 16 संस्कार कहा जाता है। इनमें से हर एक संस्कार एक निश्चित समय पर किया जाता है। अर्थात: व्यक्ति में गुणों का आरोपण करने के लिए जो कर्म किया जाता है, उसे संस्कार कहते हैंसंस्कार कितने होते हैं ?

संतान के जन्म के समय कौन सा संस्कार किया जाता है?

उत्तम संतान कि प्राप्ति और गर्भाधान से पहले तन-मन को पवित्र और शुद्ध करने के लिए यह संस्कार करना आवश्यक है। पुंसवन: पुंसवन गर्भाधान के तीसरे माह के दौरान होता है। इस समय गर्भस्थ शिशु का मस्‍तिष्‍क विकसित होने लगता है। इस संस्‍कार के जरिए गर्भस्थ शिशु में संस्कारों की नीव रखी जाती है।

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