जिन वर्णों के उच्चारण में हवा बिना रुकावट के मुख से बाहर निकलती है उन्हें क्या कहते हैं? - jin varnon ke uchchaaran mein hava bina rukaavat ke mukh se baahar nikalatee hai unhen kya kahate hain?

जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वान्स वायु बिना किसी रुकावट के मुख से निकलती है, उसे कहते हैं-

  1. व्यंजन
  2. स्वर
  3. वर्ण
  4. शब्द

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : स्वर

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दिए गए विकल्पों में उचित उत्तर विकल्प 2 'स्वर है। इसके अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं। 

Key Points

  • जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वान्स वायु बिना किसी रुकावट के मुख से निकलती है, उसे स्वर वर्ण कहते हैं। 
  • दूसरे शब्दों में स्वर उन वर्णों को कहते हैं जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है। 
  • अन्य विकल्प इसके अनुचित हैं। 

Additional Information

  1. व्यंजन - जब किसी ध्वनि का उच्चारण करते समय फेफड़ों से उठी हुई प्राण वायु मुख में किसी रुकावट, बाधा या किसी संघर्ष के बाद मुख से बाहर निकलती है, तब वह ध्वनि व्यंजन ध्वनि कहलाती है।
  2. वर्ण - किसी भी भाषा की सबसे छोटी ध्वनि वर्ण कहलाती है, अर्थात ऐसी ध्वनि जिसका विभाजन किया जाना असम्भव हो अतः जिसका अंतिम विभाजन कर दिया गया हो उसे वर्ण कहते हैं। जैसे हिन्दी भाषा में उदाहरण के तौर पे :- अ, ई, उ, क्, ख्, ट्, घ् इत्यादि।
  3. शब्द - दो या दो से अधिक वर्णो से बने समूह को 'शब्द' कहते है जिसका कोई न कोई अर्थ निकलता हो।

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Last updated on Sep 21, 2022

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जिन वर्णों के उच्चारण में वायु बिना रुकावट के मुँह से निकले वह क्या कहलाते हैं?

अनुनासिक – जिस स्वर के उच्चारण में मुख के साथ नासिका की भी सहायता ली जाती है, उसे अनुनासिक स्वर कहते यथा— अँ, एँ इत्यादि समस्त स्वर वर्ण । निरनुनासिक - जो स्वर केवल मुख से उच्चारित होता है, वह निरनुनासिक है। उच्चारण के समय जिह्वा मुख के विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है।

जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी सहायता तथा रुकावट के स्वतंत्र रूप से होता है वह क्या कहलाते हैं?

(1) स्वर (vowel) :- वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाता है। दूसरे शब्दों में- जिन वर्णों के उच्चारण में फेफ़ड़ों की वायु बिना रुके (अबाध गति से) मुख से निकल जाए, उन्हें स्वर कहते हैं

जिस व्यंजन के उच्चारण में हवा व मुख दोनों से निकलती है उन्हें क्या कहते हैं?

व्यंजनों के भी मुख्य दो भेद हैं- मौखिक और नासिक्य। इसी तरह स्वरों के भी मुख्य दो भेद हैं- मौखिक और अनुनासिक। 'मौखिक' उन स्वरों को कहते हैं, जिनके उच्चारण के समय अन्दर से आने वाली हवा मुख के रास्ते बाहर निकलती है और 'अनुनासिक' के उच्चारण के समय हवा मुख और नाक दोनों रास्तों से बाहर निकलती है।

वर्णों के उच्चारण की रीति को क्या कहते हैं?

३२--वर्गों के उच्चारण की रीति को प्रयत्न कहते हैं। ध्वनि उत्पन्न होने के पहले वार्गिद्रिय की क्रिया को आभ्यंतर प्रयत्न कहते हैं। और ध्वनि के अंत की क्रिया को बाह्य प्रयत्न कहते हैं

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