जमीन का सर्वे कैसे किया जाता है? - jameen ka sarve kaise kiya jaata hai?

2020 से विधिवत तरीके से शुरू हुए जमीन सर्वे कार्य के तहत अब तक यानी दो सालों में सिर्फ 150 गांवों का ही सर्वे पूरा हो सका है। दिसंबर 2022 तक पांच हजार गांवों में सर्वे का काम पूरा होने की संभावना है।

Jayesh Jetawatलाइव हिन्दुस्तान,पटनाSat, 24 Sep 2022 06:16 AM

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में 2024 तक जमीन सर्वेक्षण पूरा करने के आदेश दिए हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को 2024 तक सभी 40 हजार से ज्यादा राजस्व ग्राम में जमीन का सर्वे पूरा करना होगा। यह विभाग के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि 2020 से विधिवत तरीके से शुरू हुए जमीन सर्वे कार्य के तहत अब तक यानी दो सालों में सिर्फ 150 गांवों का ही सर्वे पूरा हो सका है। दिसंबर 2022 तक पांच हजार गांवों में जमीन सर्वे का काम पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में आगामी दो सालों में 35 हजार से अधिक गांवों के सर्वे को पूरा करने का लक्ष्य होगा। इसे हासिल करने के लिए विभाग सात हजार 595 नए कर्मियों की बहाली करेगा, जिसमें विशेष सर्वे अमीन, कानूनगो, सर्वेक्षण पदाधिकारी शामिल हैं। इनके बहाली की प्रक्रिया इसी महीने शुरू होने जा रही है। 

वर्तमान में 20 जिलों के 89 अंचलों के 4989 गांवों में सर्वे का काम चल रहा है। प्रथम चरण में अब तक 3942 गांवों में किस्तवार, 1182 गांवों में खानापुरी, 761 गांवों में खेसरा पंजी तैयार कर 690 गांवों में रैयतों या जमीन मालिकों के बीच खानापूरी पर्चा और एलपीएम (जमीन का नक्शा) वितरण किया जा चुका है। 390 गांवों में प्रारूप अधिकार अभिलेख और 152 गांव में अंतिम अधिकार अभिलेख एवं मैप प्रकाशित किया जा चुका है। इनमें जमीन का सर्वे अंतिम रूप से इस वर्ष दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा 4861 गांवों में अगस्त 2023 तक सर्वे पूरा करने का अनुमान है। 

राजस्व ग्राम 40 हजार से अधिक

बिहार में राजस्व ग्राम की संख्या 40 हजार से अधिक है। जबकि बेचिरागा ग्राम की संख्या करीब पांच हजार है। राजस्व ग्राम में सर्वे का काम पूरा होने के बाद ही बेचिरागा गांवों में जमीन का सर्वे किया जाएगा। ये मुख्य रूप से काफी छोटे गांव या टोले हैं।

यह आ रही समस्या

सर्वे कार्य में जमीन विवाद के मामले सर्वाधिक होने के कारण सबसे ज्यादा समस्या आ रही है और इन मामलों की दावा-आपत्ति में काफी समय लग रहा है। परिवार और पटीदार से विवाद के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। कई रैयत वाले यहां नहीं रहते, जिससे भी समय पर निपटारा नहीं होता। 

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15 हजार कर्मियों की होगी बहाली

सर्वे कार्य को पांच चरण में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 2024 तक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए विभाग सर्वे कार्य के लिए 15 हजार कर्मियों की जरूरत महसूस कर रहा है। इसमें विशेष सर्वे अमीन, कानूनगो, सर्वेक्षण पदाधिकारी समेत अन्य कर्मी शामिल हैं। पहली बार में छह हजार 875 कर्मियों की बहाली निकाली गयी थी, जिसमें 4130 कर्मी बहाल हुए। 2745 की बहाली दिसंबर 2022 तक पूरी होने की संभावना है।

इसके अलावा इसी महीने 7595 अतिरिक्त कर्मियों की बहाली शुरू होने जा रही है। इनकी बहाली भी दिसंबर या जनवरी 2023 तक पूरी कर लेने की उम्मीद है। इसके बाद विभाग को सर्वे कार्य करने के लिए 15 हजार कर्मी मिल जाएंगे। तब सभी जिलों में एक साथ सर्वे शुरू हो सकेगा। बिहार में सर्वे कार्य पांच चरण में पूरा होना है। दिसंबर तक दो चरण का कार्य पूरा हो जाएगा। शेष तीन चरण अतिरिक्त कर्मियों की बहाली के बाद पूरे किये जाएंगे।

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Land Survey Update: बिहार में विशेष भूमि सर्वेक्षण में गैर मजरूआ आम जमीन को अवैध कब्जे से मुक्ति का प्रविधान तो है, लेकिन इसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के लिए राहत की गुंजाइश रखी गई है। अगर इस श्रेणी की जमीन पर इन वर्गों का आवास है तो उन्हें बेदखल करने के बदले उसे वैध तरीके से अधिकार देने के उपाय किए जा रहे हैं। भले ही वैध स्वामित्व के लिए पहले से कोई कागजी प्रक्रिया पूरी न की गई हो। 

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बिहार भूमि सर्वेक्षण की मार्गदर्शिका में इसका प्रविधान किया गया है। सर्वे कर्मी देखेंगे कि गैर मजरूआ जमीन पर कानूनी तौर पर बंदोबस्ती के बिना भी लंबे समय से अजा एवं अजजा वर्ग के लोगों का आवास है तो उसे रिकार्ड में दर्ज किया जाएगा। फिर विधि सम्मत निर्णय लेने के लिए सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के पास भेजेगा। कोशिश यह होगी कि इस जमीन पर आवास बनाने वाला परिवार बेदखल न हो। इस तरह की शिकायत लंबे समय से आ रही है कि अनुसूचित जाति और जन जाति के परिवार किसी गैर मजरूआ जमीन पर घर बना कर रह रहे हैं, मगर उन्होंने कानूनी अधिकार नहीं मिला है। 

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खतियान में दर्ज होगा नाम

राज्य सरकार भूमिहीनों के आवास के लिए जमीन देती है। इसके लिए वासगीत का पर्चा दिया जाता है। वासगीत पर्चा निर्गत होने के आधार पर स्वामित्व बदलता है। जमाबंदी में पर्चाधारी का नाम दर्ज होता है। लेकिन, खतियान से मूल भू स्वामी का नाम कायम रहता है। निर्देश में कहा गया है कि सर्वे के दौरान खतियान में भी वासगीत पर्चाधारी का नाम दर्ज किया जाए।  

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एक और समस्या का निदान

वासगीत पर्चा सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जारी किया जाता है। हाल के वर्षों में सरकार ने कई ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र में अधिसूचित किया है। सर्वे में इस श्रेणी के पर्चाधारियों का पहले से आवंटित आवासीय भूमि पर दावा बना रहेगा। शहरी क्षेत्र होने के बाद भी सर्वे में भू स्वामी के रूप में पर्चाधारी का नाम दर्ज रहेगा। इसे खतियान में भी शामिल किया जाएगा। 

सर्वे करने की प्रक्रिया क्या है?

सर्वे बनाने की प्रक्रिया में सवाल और जवाब तैयार करने के लिए आप कई बहुत काम के टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब जवाबों के विकल्प एक बिना किसी क्रम के दिखाए जाते हैं, तब एक ऑप्ट-आउट जवाब को (जैसे, "इनमें से कोई नहीं", "लागू नहीं") सूची में सबसे नीचे पिन करके दिखाने का सुझाव दिया जाता है.

सर्वेक्षण कितने प्रकार के होते हैं?

कई प्रकार के सर्वे चलन में हैं जैसे कंट्रोल सर्वेइंग, लैण्ड सर्वेइंग, सिटी सर्वेइंग, टोपोग्राफ़िकल सर्वेइंग, रूट सर्वेइंग, खनन सर्वेइंग, इंजीनियरिंग सर्वेइंग, सैटेलाइट सर्वेइंग, जियोलॉजिकल सर्वेइंग, कंस्ट्रक्शन सर्वेइंग आदि-आदि।

बिहार में सर्वे कैसे होता है?

बिहार के सभी अंचलों में शुरू हुआ जमीन सर्वे इसके साथ ही सूबे में सर्वेक्षण का दायरा 220 अंचलों में विस्तारित हो गया। भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने इन नये अंचलों में जमीन सर्वे के लिए शिविरों का गठन कर लिया है। प्रत्येक शिविर में 20-25 राजस्व गांवों को रखा गया है।

सर्वे में क्या क्या होता है?

[सं-पु.] - 1. भूमि आदि की पैमाइश; मापन 2. निरीक्षण; अवलोकन।

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