कृष्णा दिया जल संरक्षण क्या है इसका उपयोग क्या है इसे किस किस प्रकार की किया जा सकता है यानी कि जल संरक्षण को किस किस प्रकार से कर सकते हैं हमें बताना है तो आइए हम लोग इस प्रश्न का उत्तर देते हैं तो सबसे पहले हम लोग यहां पर समझते हैं कि जल संरक्षण आखिर होता क्या है देखिए जल हमारे लिए जीवन है जल ही जीवन है आप लोग जानते हैं जल के बिना यानी कि पानी के बिना हम नहीं रह सकते हमें पीने नहाने धोने कपड़े साफ करने घर साफ करने के लिए यहां तक कि पौधे उगाने के लिए सब्जी पकाने खाना बनाने के लिए सभी के लिए हमें जल की आवश्यकता होती है तो हमारा जीवन है इसका संरक्षण भी आवश्यक है क्योंकि आज के युग में जल जो है वह जल का स्तर बहुत ही कम हो गया बारिश कम हो रही है यह सब मानवी क्रियाकलाप के वजह से कम हुआ है जिसको हमें आगे हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए और हमारे लिए जल को संरक्षित रखने की जल को हमें प्राप्त करते रहना तो हमें जल को संरक्षित रखना पड़ेगा तो इसके लिए हम लोग क्या कर
जल संरक्षण व पद्धति है जिसमें हम लोग सांप स्वच्छ जल को इकट्ठा करते हैं लेकिन जल को एकत्रित करके रखते हैं फिर हम लोग उसका प्रयोग जो है अपनी आवश्यकता के अनुसार कर सके जैसे कि जल के अभाव में हम लोग इसका उपयोग करेंगे तो इसका पूरे वर्ष हमें हमें जल प्राप्त होगा वही क्या है जल संरक्षण है हमसे पूछा गया कि किस प्रकार से कर सकते हैं जल संरक्षण के बहुत सारे उपाय हैं हम लोग क्या कर सकते हैं जो तालाब हो गए या फिर छोटे हमारे पास कुंड बगैर हो गई सब में हम लोग जल को इकट्ठा कर सकते हैं और छोटे बांध बनाकर छोटे बांध बनाकर नदियों के जल को रोक सकते हैं साथ ही साथ हम लोग जलाते बना सकते हैं जिसमें जल को इकट्ठा कर सकते हैं आजकल तो वाटर हार्वेस्टिंग एक नई तकनीक है जिसमें आप अपने घर में ही इस तरह से गड्ढा करके उसमें छत से जब वर्षा के दिनों में छत से जो आने वाला बारिश का पानी है उसको आप इकट्ठा कर सकते हैं टंकी के सामान
इससे जो प्राप्त जरूरत है उसको आप साल भर अपने प्रयोग में ले सकते हैं आवश्यकतानुसार तो यह जो जल रहता है वह सालभर चल सकता है ठीक है फिर उसको कुछ कुछ पूछे से साफ किया जाता है जैसे क्लोरीन डाला जाता है और बीच-बीच में इसकी सफाई की जाती है ताकि पानी जो है वह स्वच्छ बना रहे और छोटे बांध बना लेंगे तो हमें आसपास सिंचाई में सुविधा होगी और हमारे दैनिक क्रियाकलाप के लिए जल की आवश्यकता जो है वह पूरी हो जाएगी और हमारे पास या तेरी क्या है कि हम लोग वनों की रक्षा करें ठीक है वनों की रक्षा करें तथा इसकी कटाई पर हमें रोक लगाने की आवश्यकता है क्यों जो हरे भरे पेड़ पौधे होते हैं उनको बिल्कुल भी नहीं काटना चाहिए देखें वृक्ष होता है इस तरह से या पौधे होते हैं उनके जड़ क्या होते हैं पृथ्वी में अंदर तक गए होते हैं वर्षा का पानी आता है तो यह वर्षा का पानी की जड़ों के माध्यम से पृथ्वी में जाते हैं और जल स्तर को बढ़ाता है इसीलिए हमें वनों की रक्षा करनी चाहिए ताकि रखरखाव अच्छे से करना चाहिए
और नए पौधे लगाने चाहिए तथा हरे-भरे पौधों की कटाई पर हमें रोक लगाना चाहिए जिससे भूमिगत जल का स्तर बढ़ेगा और हमें ऐसे क्रियाकलाप करनी चाहिए कि जो भूमिगत जलस्तर है ठीक है वह ऊपर रहे ना कि नीचे हो इसलिए हमें पानी को लेकर गया वाटर हार्वेस्टिंग हो गया इसे की तरीके से हम लोग एक और कर सकते हैं यह जो हमें टंकी बनाई है इसको हम लोग रेट और कुत्ता के छोटे-छोटे टुकड़े ग्रेवल से भर देंगे जिसकी वजह से इसमें जो इकट्ठा पानी है वह सीधे ही भूमिगत जल यानी कि पृथ्वी के जल स्रोत में चला जाएगा और भूमिगत जल का स्तर जो है बढ़ेगा तो इस तरह से भी हम लोग वाटर हार्वेस्टिंग कर सकते हैं और फिर हम लोग उसको विविन माध्यम से जैसे कि बोर हो गया या फिर ना लोगे इन सब के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं और जल संरक्षण का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आपके घर में जो याद के आसपास में जोनल है उनकी अगर टूटी खराब हो गई है तो उनको परिवर्तित करें यानी कि पानी के जोनल होते हैं उनका रखरखाव सही से होना चाहिए रख रख
हमें सही से करना चाहिए अगर कोई नल से पानी टपक रहा है तो हम इस की टूटी तुरंत परिवर्तित करनी चाहिए कोई खराबी है तो उसे ठीक करना चाहिए और जिस स्तर पर आने की जैसे भूमि के प्रत्येक में जो है जल सामान नहीं है क्योंकि पहाड़ पठार और मैदान इस तरह से बढ़ी हुई है तो जहां पर जैसी भूमिगत जल की सुविधा है या फिर जहां पर जैसा जन उपस्थित है उसके अनुसार हमें अपनी फसल को लगाना चाहिए फसल उगाना चाहिए ताकि हम लोग उचित प्रयोग कर सकें और हमें मुख्य रूप से टपक सिंचाई का ही प्रयोग करना चाहिए ताकि पानी जो कम से कम खर्च हो हम लोग पानी की रक्षा कर सकें जल चक्र को बनाए रखने के लिए वनस्पतियों की वृद्धि पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि अगर पेड़ पौधे नहीं होंगे तो वर्षा ही नहीं होगी क्योंकि सूर्य की गर्मी से जो पानी रहता है वह वाष्पन बन के ऊपर जाता है पहाड़ और पेड़-पौधों से जब व्यवस्था हो जाता है तो बादल के रूप में आकर्षित होते और वापस पुनः पृथ्वी पर आ जाते हैं
से 40 तक फिर बताया कि जो पृथ्वी का जल है वह पूरा एक चक्र पूरा करने के बाद वापस पृथ्वी पर आ जाता है तो इसको भी बनाए रखने के लिए हमें अच्छे से फसल उगाना चाहिए साथ ही साथ वनों की रक्षा करनी है चाहिए आसपास के पेड़ पौधों की रक्षा करनी चाहिए धन्यवाद
Source भगीरथ - जनवरी-मार्च 2011, केन्द्रीय जल आयोग, भारत भारत में उपलब्ध जल संसाधन की दृष्टि से आकलन करें तो यह बात सामने आती है कि 2001 में प्रति व्यक्ति 1800 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध था जो 2050 ई. में घटकर 1000 क्यूबिक मीटर हो जाएगा। भारत इस समय
कृषि उपयोग हेतु तथा पेयजल के गंभीर संकट से गुजर रहा है और यह संकट वैश्विक स्तर पर साफ दिख रहा है। हर विकसित और विकासशील देश इस संकट को दूर करने हेतु हर तरह से उपाय पर विचार कर रहा है। इस संकट के निवारण हेतु हमें तीन स्तरों पर विचार करना होगा-पहला यह कि अब तक हम जल का उपयोग किस तरह से करते थे? दूसरा भविष्य में कैसे करना है? तथा जल संरक्षण हेतु क्या कदम उठाए? पूरी स्थिति पर नजर डालें तो यह तस्वीर उभरती है कि अभी तक हम जल का उपयोग अनुशासित ढंग से नहीं करते थे तथा जरूरत से ज्यादा जल का नुकसान करते
थे। संरक्षण की जागरूकता रहने से इस स्थिति में जल संरक्षण हेतु हमें कई कदम उठाने होंगे जो इस प्रकार हैं- ये भी पढ़े :- जल संरक्षण क्या है ये भी पढ़े :- कृषि भूमि पर जल संरक्षण
इस परियोजना को देखने पूरे देश से लोग आते हैं। अगर स्वजलधारा कार्यालय या कोई दूसरी संस्था इस संदेश का ठीक से प्रचार-प्रसार करें तो रेनवाटर हार्वेस्टिंग के बारे में जागरूकता फैलाने में ज्यादा मदद मिल सकती है। आज इस तकनीक का उपयोग धीरे-धीरे सभी जागरूक नागरिक करने लगे हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने एक मुकदमें में फैसला देते हुए कहा है कि तालाब, पोखर, गड़ही, नदी, नहर, पर्वत, जंगल और पहाड़ियों आदि सभी जलस्रोत पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखते हैं। इसलिये पारिस्थितिकी
संकटों से उबरने और स्वस्थ पर्यावरण के लिये इन प्राकृतिक देनों की सुरक्षा करना आवश्यक है ताकि सभी संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिए गए अधिकारों का आनंद ले सकें। इतना ही नहीं अदालत ने राज्य सरकार को प्रत्येक गाँव में एक विशेष जाँच दल नियुक्त करने का भी आदेश दिया। जलस्रोतों पर हुए अतिक्रमण हटाने का भी निर्देश हाईकोर्ट ने दिया साथ ही निर्णय में यह भी कहा गया है कि प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक स्थानों पर अन्यत्र जमीन आवंटित कर दिया जाए। प्रत्येक झील तालाब या अन्य स्रोत के आस-पास किसी भी प्रकार के
सरकारी या निजी निर्माण कार्य की अनुमति तब तक नहीं दी जाए जब तक कि यह सुनिश्चित न हो जाए कि वे निर्माण जल स्रोतों पर अतिक्रमण नहीं करते।
1. हर नागरिक में जल संरक्षण हेतु जागरूकता लानी होगी।
2. हर नागरिक शावर की जगह बाल्टी में पानी भरकर स्नान करें।
3. सेविंग करते समय नल बंद रखें।
4. बर्तन धुलते समय
नल के स्थान पर टब का प्रयोग करें।
5. उत्तराखंड जल संसाधन के अनुसार, ‘‘टॉयलेट में लगी फ्लश की टंकी में प्लास्टिक की बोतल में पानी भरकर रख देने से हर बार एक लीटर जल बचाया जा सकता है।
6. गाँव और शहरों में पहले तालाब हुआ करते थे जिनमें जल एकत्र रहता था जो न केवल पानी के स्तर को आस-पास बचाये रखता था बल्कि दैनिक उपयोग के काम आता था। आज गाँवों और शहरों के तालाबों को पाट कर घर बना लिये गए हैं। अतः जरूरी है कि जल संरक्षण हेतु गाँव और शहरों में तालाब फिर से खोदे जाएँ।
7. गंदे जल का सिंचाई में
उपयोग करके भी जल संरक्षण किया जा सकता है।
8. वर्षा का जल छत पर संरक्षण कर उसका उपयोग करना। इसलिये छत पर पानी टंकी बनाना होगा।
9. सार्वजनिक स्थल के नल की टोटी अक्सर खराब रहती है उसकी मरम्मत कर तथा लोगों में जागरूकता लाकर हजारों लीटर पानी संरक्षित किया जा सकता है।
10. पर्यावरण के प्रति जागरूकता जरूरी है क्योंकि पर्यावरण संतुलन का सकारात्मक प्रभाव जल संरक्षण पर पड़ता है। कटते वृक्षों के कारण भूमि की नमी लगातार कम हो रही है जिससे भूजल स्तर पर बुरा असर पड़ रहा है। अतः जरूरी है कि
वृक्षारोपण कार्यक्रम हेतु जागरूकता लाई जाए।
11. नदियों के जल में गंदा पानी कदापि नहीं छोड़ा जाय जिससे जरूरत पर उस जल का प्रयोग पीने तथा अन्य उपयोगों हेतु किया जा सके।
12. ‘जल संरक्षण’ विषय को व्यापक अभियान की तरह सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तरों पर प्रचारित करने की जरूरत है। जिससे छोटे, बड़े सभी इस विषय की गंभीरता को समझें और इस अभियान में अपनी भूमिका अदा करें।
13. जल संरक्षण हेतु केंद्र और राज्य सरकारें कानून बनाएँ।
14. विद्यालय और महाविद्यालयों में निरंतर प्रचार-प्रसार की
जरूरत है। जिससे युवा पीढ़ी समय रहते इसकी गंभीरता को अच्छी तरह से समझ सकें।
15. जल संरक्षण हेतु रेनवाटर हार्वेस्टिंग तकनीक का सहारा लेना चाहिए। यह तकनीक पानी की कमी से निपटने का तरीका भर नहीं है, कई बार तो ऐसा देखने में आया है कि इस तकनीक से इतना जल एकत्र हो जाता है कि दूसरे स्रोत की आवश्यकता ही नहीं पड़ती और यहाँ तक कि दूसरे को पानी उधार देने में सक्षम हो जाते हैं। इस तरह का उदाहरण हमें केरल में जिला पंचायत के कार्यालय में देखने को मिला है। सूत्रों से ज्ञात होता है कि 9 अगस्त, 2005 से केरल
के कासरागोड जिला पंचायत का सरकारी भवन न तो बोरवेल पर निर्भर है न तो जलापूर्ति या भूजल पर, पानी की जरूरतों के लिये इसका भरोसा सिर्फ बारिश से मिले पानी पर है। इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि अपनी आवश्यकता का सारा पानी यह छत पर एकत्र वर्षा जल से हासिल कर लेता है।
निष्कर्षतः ‘जल संरक्षण’ आज के पूरे विश्व की मुख्य चिंता है। प्रकृति हमें निरंतर वायु, जल, प्रकाश आदि शाश्वत गति से दे रही है लेकिन हम विकास की आंधी में बराबर प्रकृति का नैसर्गिक संतुलन बिगाड़ते जा रहे हैं। जल संरक्षण हेतु समय रहते चेत जाने की जरूरत है क्योंकि-
‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून
पानी गए न उबरे, मोती, मानुस, चून’।
लेखक परिचय
डॉ. तीर्थेश्वर सिंह
विभागाध्यक्ष- हिंदी विभाग, कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय भिलाई नगर (छ.ग.)