मिसाइल बनाने में इस देश का कोई जवाब नहीं. इजरायल इस मिसाइल को बेचकर ही 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का सौदा भारत से कर लेता है. आइए जानते हैं इजराइल के पास हैं ऐसे कौन से हथियार, जिसे पूरी दुनिया भी हासिल करना चाहती है:-
- News18HindiLast Updated :July 06, 2021, 12:59 IST
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इजरायल (Israel) कहने को छोटा सा देश है, मगर इस देश में बने हथियारों को पूरी दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाता है. इजराइल के पास हवा, जमीन, पानी और पानी के अंदर से दुश्मनों के परखच्चे उड़ाने के हथियार हैं. मिसाइल बनाने में इस देश का कोई जवाब नहीं. इजरायल इस मिसाइल को बेचकर ही 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का सौदा भारत से कर लेता है. आइए जानते हैं इजराइल के पास हैं ऐसे कौन से हथियार, जिसे पूरी दुनिया भी हासिल करना चाहती है:- (सभी फोटोज-AP)
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ईएलएम-2238 स्टार की खासियत है हवा और जमीन मे दुश्मनों के हथियार इसी पकड़ में तुरंत आ जाते हैं. दुनिया में सबसे तेज राडारों में से एक माना जाता है. इजरायल कई देशों को इन राडार की सप्लाई करता है.
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फाल्कन एयर वार्निंग सिस्टम की खासियत है कि हवा में किसी भी तरह के खतरे की चेतावनी यह सिस्टम तुरंत देता है. इजरायल भारत के साथ 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौते पिछले कुछ समय से कर चुका है.
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सर्चर एयरक्राफ्ट को इजरायल का सबसे श्रेष्ठ मानव रहित विमान माना जाता है. पिछले सालों में इजरायल ने भारत को यह विमान भी मुहैया कराया है.
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डर्बी मिसाइल देखने में भले ही आपको एक आम मिसाइल लगे, लेकिन ये डर्बी मिसाइल इजरायल की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है. लड़ाकू विमानों में इस मिसाइल का खूब प्रयोग किया जाता है. हवा से हवा में मार करने वाली सबसे बेहतरीन मिसाइलों में से ये एक है.
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वर्ष 1970 के दशक में स्पाइक आर एंटी टैंक गाइडेड वीपेन को बनाया गया था. इस मिसाइल को एंटी टैंक मिसाइल के रूप में प्रयोग किया जाता है. यह मिसाइल 5 फुट और पांच इंच की होती है. इसे 15 सेकेंड रिलोड होने में लगते हैं और 30 सेकेंड के भीतर फायर किया जा सकता है.
First Published: July 06, 2021, 12:58 IST
इसराइल के हथियारों का ज़ख़ीरा कितना बड़ा है?
19 जनवरी 2018
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इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने भारत दौरे के दौरान कहा, "मुझे सॉफ्ट पावर अच्छी लगती है लेकिन हार्ड पावर ज़्यादा बेहतर है."
"आपको एफ-35 फाइटर जेट विमान, साइबर विशेषज्ञता और इंटेलीजेंस चाहिए, और ये सब कहां से आएगा, आर्थिक ताक़त से."
नेतन्याहू का ये बयान साफ़ बताता है कि इसराइल किस नीति पर यक़ीन रखता है. ताक़त के मायने हथियारों से हैं और उसे कोई कनफ़्यूज़न नहीं है.
इसराइल 1948 में बना. 69 साल का इसराइल क्षेत्रफल के मामले में भारत के मणिपुर से भी छोटा है. आबादी भी 85 लाख के आसपास है. लेकिन उसकी ताक़त को इससे नहीं आंका जा सकता है.
इसराइल का गुप्त परमाणु कार्यक्रम
साल 2016 में इसराइल सेना पर सबसे अधिक खर्च करने वाला 15वें पायदान पर है. इसे अमरीका से 30.5 लाख डॉलर की सैन्य सहायता भी मिलती है.
जानकार बताते हैं कि 1985 तक इसराइल दुनिया भर में सबसे बड़ा ड्रोन निर्यातक देश रहा. उसका ड्रोन का 60 फ़ीसदी वैश्विक मार्केट पर क़ब्ज़ा था.
मिसाल के लिए 2010 में पांच नेटो देश अफ़ग़ानिस्तान में इसराइली ड्रोन ही उड़ाते थे. आख़िर जिस देश की उम्र 70 साल भी नहीं हुई है उसने दुनिया की सबसे आधुनिक सेना कैसे तैयार कर ली?
इसका जवाब उसकी राष्ट्रीय संरचना में ही निहित है. पहली बात यह कि छोटा देश होने का बावजूद इसराइल अपनी जीडीपी का 4.5 फ़ीसदी शोध पर खर्च करता है.
इसराइल 1950 से परमाणु गुप्त कार्यक्रम पर काम कर रहा है और दुनिया छिप कर बम बना रहा है. शांत रेगिस्तान में इस देश के पास नेगेव परमाणु रिसर्च सेंटर है जहां ताकतवर हथियार बनने के काम किया जाता है.
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इसराइल का डिमोना परमाणु रिसर्च केंद्र
इसराइल के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े 60 तसवीरें ले कर इन तस्वीरों को एक अख़बार को देने वाले मौर्डेख़ाई वनुनु ने इसराइल के परमाणु हथियारों की बात दुनिया के सामने रखी थी.
1968 में जारी अमरीकी ख़ुफिया एजेंसी सीआईए की एक रिपोर्ट के अनुसार इसराइल परमाणु हथियार बनाने का काम शुरू ही किया था.
हालांकि वनुनु के अनुसार 1968 में इसराइल के पास अंडरग्राउंड प्लूटोनियम सेपरेशन सुविधा थी और उसके पास लगभग 150-200 परमाणु हथियार थे.
लेकिन आज के वक्त में इसराइल के पास कितने परमाणु हथियार हैं?
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इसराइल के गुप्त परमाणु कार्यक्रम के बारे में दुनिया को बताने वाले शख़्स का नाम था मौर्डेख़ाई वनुनु. वनुनु को पकड़ने के लिए इसराइल ने एक गुप्त अभियान चलाया और एक महिला जासूस को उन्हें प्रेम जाल में फंसाने के लिए भेजा गया. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर सज़ा दी गई.
मुश्किल है सच्चाई जान पाना
न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव के अनुसार इसराइल ने 1973 में अपने पहला परमाणु बम ले जा सकने वाला बैलिस्टिक मिसाइल तैयार किया था.
साल 1975 में अख़बारों में आई ख़बरों के अऩुसार अमरीकी ख़ुफ़िया विशेषज्ञों का मानना था कि इसराइल के पास 10 परमाणु हथियार हैं और उन्हें दाग़ने के लिए ज़रूरी लड़ाकू विमान और मिसाइल सिस्टम भी है.
परमाणु हथियारों पर रोक लगाने की अंतरराष्ट्रीय मुहिम आईकैन के अनुसार दुनिया के नौ देशों के पास 15 हज़ार परमाणु हथियार हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक परमाणु हथियार रूस और अमरीका के पास हैं. रूस के पास 7 हज़ार और अमरीका के पास कुल 6 हज़ार 8 सौ परमाणु हथियार हैं.
इसराइल अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी साझा नहीं करता और इसीलिए उसके पास कितने हथियार हैं इसका आकलन लगाना मुश्किल है. इस सूची के अनुसार इसराइल के पास कुल 80 परमाणु हथियार हैं.
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'80 बम और कई मिसाइलें हैं'
स्टॉकहोम इंतरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीस्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार इन 80 में से 30 ग्रेविटी बम हैं जिन्हें लड़ाकू विमानों के ज़रिए निशाने पर गिराया जा सकता है.
बचे 50 हथियार मध्यम दूरी तक मार कर सकने वाली जेरिको-2 बैलिस्टिक मिसाइल पर लगाए जा सकने वाले बम हैं.
माना जाता है कि ये बम यरूशलम के नज़दीक एक सैन्य अड्डे की गुफाओं में मोबाइल लॉन्चर्स के साथ रखे गए हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार इसराइल जेरिको-2 बैलिस्टिक मिसाइल बना रहा है, लेकिन वो बना या नहीं इसकी जानकारी पुख्ता तौर पर उपलब्ध नहीं है.
साथ ही जर्मनी के सहयोग से इसराइल 6 डॉलफिल क्लास पनडुब्बियां भी बना रहा है जिनमें परमाणु बम ले जाने की क्षमता होगी.
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मेहदी शर्रम अपनी किताब 'न्यूक्लियर लाइज़, डिसेप्शन एंड हिपोक्रेसी' में लिखते हैं कि अक्तूबर 1973 में अरब-इसरइली युद्ध के दौरान इसराइ को हर का डर सता रहा था और इस दौरान उन्होंने 13 बीस किलो के परमाणु बम बनाए थे.
लेकिन 1990 के आख़िर तक अमरीकी खुफ़िया तंत्र से जुड़े जानकारों ने इसराइल का परमाणु उत्पादन क्षमता के आधार पर आकलन लगाया कि उनके पास कम से कम 75-130 तक परमाणु हथियार हो सकते हैं.
हालांकि इस दौरान छपे कुछ अन्य आकलनों के अनुसार ये आंकड़ा करीब 400 तक हो सकता था.
बुलेटिन ऑफ़ ऐटोमिस साइंटिस्ट के सितंबर 1997 के अंक के अनुसार 1990 में छपी डिफेंस इंटेलिजंस एजेंसी की एक रिपोर्ट का कहना था कि अरब के रसायनिक हथियार के हमले के ख़तरे को देखते हुए इसराइल ने रसायनिक हथियार बनाने की क्षमता हासिल कर ली है.
इस रिपोर्ट के अनुसार इसराइल के पास रसायनिक हथियारों के परीक्षण के लिए भी सुविधा मौजूद है जो कि हो सकता है कि नेगेव रेगिस्तान में ही हो.
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इसराइल के पास है जासूसी उपग्रह
विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2000 में इसराइली एयरफ़ोर्स को पहली ऑपरेशनल एरो मिसाइल बैटरी मिली थी. इस ऑपरेशनल सिस्टम के साथ ही इसराइल दुनिया का पहला देश बन गया था जिसने दुश्मन देश की मिसाइल को रास्ते में ही नष्ट करने क्षमता हासिल कर ली.
इसराइल के एरो का आइडिया अपने आप में कमाल का था. इसराइल क्षेत्रफल के मामले में बहुत छोटा देश है जिसके पास ख़ाली ज़मीन का अभाव है. यह बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में काफ़ी प्रभावी है.
1989 में इसराइल ने अंतरिक्ष में पहला जासूसी उपग्रह छोड़ा. इसके साथ ही इसराइल आठ देशों के उस ख़ास समूह में शामिल हो गया जिनके पास स्वतंत्र रूप से उपग्रह प्रक्षेपण की क्षमता है.
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