हरिहर काका का परिवार से अलग होकर एकाकी जीवन व्यतीत करने का क्या कारण था? - harihar kaaka ka parivaar se alag hokar ekaakee jeevan vyateet karane ka kya kaaran tha?

अपने भाइयों के परिवार के प्रति हरिहर काका के मोहभंग की शुरुआत कैसे हुई?

कभी हरिहर काका की तबीयत खराब हो जाती तो वह मुसीबत में पड़ जाते। इतने बड़े परिवार के रहते हुए भी कोई उन्हें पानी देने वाला तक नहीं था। बच्चे या तो पढ़-लिख रहे होते या धमाचौकड़ी मचाते। भाई खेतों पर गए रहते और औरतें हाल पूछने भी नहीं आतीं। दालान के कमरे में अकेले पड़े हरिहर काका को स्वयं उठकर अपनी ज़रूरतों की पूर्ति करनी पड़ती। ऐसे वक्त अपनी पत्नियों को याद कर-करके हरिहर काका की आँखें भर आतीं। भाइयों के परिवार के प्रति मोहभंग की शुरुआत इन्हीं क्षणों में हुई थी।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 B)

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हरिहर काका का अपने परिवार से मोहभंग होने का क्या कारण था?

हरिहर काका का अपने भाइयों के परिवार से मोहभंग होना बिल्कुल उचित था, क्योंकि उन्हें अपने भाइयों के परिवार से जिस तरह की अपेक्षा थी वह अपेक्षा पूरी नहीं हुई। उम्र के उस पड़ाव पर उन्हें भी किसी के सहारे की जरूरत थी, लेकिन उनके भाइयों के परिवार वालों ने उनकी अनदेखी कर उन्हें बेसहारा छोड़ दिया था।

हरिहर काका के परिवार वालों का बदलता व्यवहार आपको क्या सोचने के लिए विवश करता है कहानी के आधार पर बताएं?

Answer: मित्र हरिहर काका के परिवार वालों का व्यवहार केवल लालच के लिए बदला था। उनके परिवार वाले यह सोचते थे कि यदि वह उनके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे, तो हरिहर काका उन्हें ज़मीन देगें। इस कारणवश उनका बदला व्यवहार सोचने को विवश करता है।

I अपने भाइयों के परिवार के प्रति हरिहर काका के मोहभंग की शुरुआत कैसे हुई ?`?

भाई खेतों पर गए रहते और औरतें हाल पूछने भी नहीं आतीं। दालान के कमरे में अकेले पड़े हरिहर काका को स्वयं उठकर अपनी ज़रूरतों की पूर्ति करनी पड़ती। ऐसे वक्त अपनी पत्नियों को याद कर-करके हरिहर काका की आँखें भर आतीं। भाइयों के परिवार के प्रति मोहभंग की शुरुआत इन्हीं क्षणों में हुई थी।

हरिहर काका की अपने परिवार के साथ हुई लड़ाई का लाभ कौन उठाना चाहता था और उसने हरिहर काका को क्या समझाया?

उनका कहना था कि काका की जमीन पर हक तो उनके परिवार वालों का बनता है। काका को अपनी ज़मीन-जायदाद अपने भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए, ऐसा न करना अन्याय होगा। दूसरे पक्ष के लोगों का मानना था कि महंत हरिहर की ज़मीन उनको मोक्ष दिलाने के लिए लेना चाहता है। काका को अपनी ज़मीन ठाकुरजी के नाम लिख देनी चाहिए।

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