हम सब सुमन एक उपवन के कविता के कवि कौन हैं? - ham sab suman ek upavan ke kavita ke kavi kaun hain?

हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जन्मे हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम।
पले हुए हैं झूल-झूल कर
पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।

रंग रंग के रूप हमारे
अलग-अलग है क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब
रहते नीचे एक गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।

सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उसकी कली खिलातीं,
एक हमारा चांद चांदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एकसे स्वर हमको हैं,
भ्रमरों के मीठे गुंजन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।

काँटों में मिलकर हम सबने
हँस हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बंधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगन्ध हमारी
हम श्रंगार धनी निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।

हम सब सुमन एक उपवन के लेखक कौन हैं?

हम सब सुमन एक उपवन के / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

हम सब सुमन एक उपवन के कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर : “सुमन एक उपवन के” कविता से हमें यही शिख मिलती हैं कि जाति, धर्म, भाषा आदि अलग-अलग होते हुए भी हम एक ही भारत माता की संतान है। हमारी खुन एक है। एक उपवन में अनेक प्रकार के सुमन रह सकता हैं, पर सभी मिलकर ही उपवन को शोभा बढ़ाती है। उसी प्रकार हम भारतवासी एक है।

हम सब सुमन एक उपवन के का क्या भाव है?

हमारा माली एक ही है और हम एक ही आकाश के नीचे मिलकर रहते हैं। भाव यह है कि अलग-अलग होते हुए भी हम सब एक हैं। भावार्थ: कवि का मानना है कि चाहे हम सबके रूप-रंग अलग-अलग हैं पर हमारा ईश्वर रूपी माली एक ही है।

कवि के अनुसार हमारा माली कौन है?

उत्तर : कवि के अनुसार भगवान हमारा माली है।

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