घोष एवं अघोष वर्ण में क्या अंतर है?
घोष एवं अघोष वर्ण में अंतर:
(a) घोष वर्णों के उच्चारण में स्वरतंत्रियाँ परस्पर झंकृत होती है। | (a) अघोष वर्णों के उच्चारण में ऐसी झंकृति नहीं होती है। |
(b) घोष में केवल नाद का ही उपयोग होता है। | (b) अघोष में केवल श्वास का उपयोग होता है। |
(c) प्रत्येक वर्ग का 3रा, 4था और 5वाँ वर्ण, सभी स्वर वर्ण, य, र, ल, व और ह, घोष वर्ण हैं। | (c) प्रत्येक वर्ग का 1ला और 2रा तथा श, ष एवं स अघोष हैं। |
घोष और अघोष में क्या अंतर है?
स्वनविज्ञान और स्वनिमविज्ञान में घोष (voiced) वह ध्वनियाँ (विशेषकर व्यंजन) होती हैं जिनमें स्वर-रज्जु में कम्पन होता है, जबकि अघोष वह ध्वनियाँ होती हैं जिनमें यह कम्पन नहीं होता। उदाहरण के लिए "प" एक अघोष ध्वनि है जबकि "ब" एक घोष ध्वनि है। इसी तरह "स" और "श" दोनों अघोष है, जबकि "ज़" घोष है।
सघोष का अर्थ क्या होता है?
दूसरे शब्दों में जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वर यंत्री में अधिक कंपन हो घोष या सघोष वर्ण कहलाते हैं।
घोष वर्ण की संख्या कितनी है?
जिन वर्णों के उच्चारण में केवल नाद का उपयोग होता है, उन्हे घोष वर्ण कहते हैं। इनकी संख्या 31 होती है। य, र, ल, व, ह।
अघोष ध्वनियों की संख्या कितनी है?
जिन वर्णों के उच्चारण में नाद की जगह केवल श्वाँस का उपयोग होता हैं, उन्हे अघोष वर्ण कहते हैं। इनकी संख्या 13 होती है।