गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं? - garbh giraane ke lie papeeta kaise khaen?

अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने में कारगर हैं पपीते के बीज, ये रहा खाने का तरीका

amarujala.com- Presented by: मंजू ममगाईं Updated Sat, 20 May 2017 12:51 PM IST

पपीता एक ऐसा फल है जिसमे कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं। ये मात्र एक फल ही नहीं बल्कि कई मामलों में तो ये औषधि का भी काम करता है। इसे खाने से पेट संबंधी कई बीमारियों से भी बचा जा सकता है।

लेकिन कम ही लोगों को जानकारी होगी कि पपीता एक नेचुरल बर्थ कंट्रोलर है। बिना डॉक्टर के पास जाए आप पपीते के बीजों की मदद से अनचाही प्रेग्नेंसी को रोक सकते हैं। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को पपीता खाने से रोका जाता है। लेकिन अगर गर्भधारण से बचना है तो भी पपीते के बीज कारगर साबित होते हैं।

इसके लिए पपीते के बीजों को धोकर सुखा लें और उन्हें पीसकर पाउडर बना लें। उन दिनों जब प्रेग्नेंसी की संभावना बन रही हो, नियमित रूप से दो चम्मच पाउडर पानी के साथ सेवन करें।

पपीते के बीज का इस्तेमाल प्रेग्नेंटऔर बच्चे को दूध पिलाने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये बच्चों के विकास में बाधा पहुंचाता है। साथ ही ये नेचुरल बर्थ कंट्रोल में भी मदद करता है। इसमें पेपेन पाया जाता है जो महिलाओं को प्रेग्नेंट होने से बचाता है। साथ ही ये पुरुषों की फर्टिलिटी को भी कम करता है।

लिवर सिरोसिस ऐसी बीमारी है जो शराब के ज्यादा सेवन से होती है। इसमें लिवर सिकुड़कर कठोर हो जाता है। इससे बचने के लिए आप पपीते के बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। पपीते के 4-5 बीजों को सुखाकर पीस लें। इसे नींबू जूस को साथ मिलाकर पीएं। इसे 1 महीने तक दिन में दो बार पीएं, फर्क आप खुद देखेंगे।

अगर आपको पेट से जुड़ी समस्याएं हैं तो भी पपीते के बीज आपकी मदद कर सकते हैं। पपीते के बीज में डाइजेस्टिव एंजाइम्स पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं।

पपीते के बीज कैंसर के सेल्स को और ज्यादा फैलने से भी रोकते हैं। इसमें आइसोथायोसाइनेट पाया जाता है जो ब्रेस्ट, लंग और प्रोस्टेट कैंसर से बचाता है।

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प्रेग्नेंसी के दौरान खानपान का खास ख्याल रखना पड़ता है. मां के खाने से गर्भ में पल रहा बच्चा सीधे तौर पर प्रभावित होता है, इसलिए डॉक्टर्स खानपान में संयम बरतने की सलाह देते हैं. यहां हम कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिसे प्रेग्नेंसी के दौरान नजरअंदाज करना चाहिए. यह अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों पर आधारित है...

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कच्चा पपीता : इसमें कोई दो राय नहीं कि पपीता कच्चा हो या पका हुआ महिलाओं को रोज खाने की सलाह दी जाती है. इसमें मिनरल्स, कैल्श‍ियम, फाइबर, फ्लेवोनॉइड और कैरोटेनॉयड होता है. यह कोलोन कैंसर से बचाता है. पर फिर भी प्रेग्नेंसी में इसे खाने से मना किया जाता है. क्योंकि प्रेग्नेंसी में पपीता खाने से मिसकैरिज यानी गर्भपात का खतरा रहता है.

दरअसल, पपीता उन महिलाओं को खाने की सलाह दी जाती है जिनका पीरियड्स समय पर नहीं होता. पपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराइन कॉनट्रैक्शन शुरू कर देता है. इसकी वजह से प्रेग्नेंसी में समय से पहले ही लेबर पेन शुरू हो सकता है और गर्भपात हो सकता है.

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शराब : अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सट्रीसियन एंड गाइनेकोलोजिस्ट और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के शोधकर्ताओं के अनुसार शराब में ऐसा बहुत कुछ होता है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है. यहां तक कि विशेषज्ञों का दावा है कि प्रेग्नेंसी के दौरान शराब की एक बूंद भी बच्चे को प्रभावित कर सकती है.

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जरूरत से ज्यादा नमक: प्रेग्नेंसी के दौरान जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन ना करें. हालांकि सामान्य तौर पर भी डॉक्टर्स कम नमक खाने की सलाह देते हैं. इससे दिल की बीमारियों का खरा बढ़ जाता है. लेकिन प्रेग्नेंसी में न केवल ब्लड प्रेशर बढ़ता है, बल्क‍ि चेहरा, हाथ, पैर आदि में सूजन आ सकता है.

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चाइनीज फूड : इसमें एमएसजी होता है. यानी मोनो सोडियम गूलामेट, जो फीटस के विकास के लिए हानिकारक है और इसके चलते काई बार जन्म के बाद भी बच्चे में डिफेक्ट्स दिख सकते हैं. इसमें मौजूद सोया सॉस में नमक की भारी मात्रा होती है, जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती है. प्रेग्नेंट वुमन के लिए बेहद खतरनाक है.

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कच्चा अंडा : प्रेग्नेंसी के दौरान कच्चा अंडा न खाने की सलाह दी जाती है. दरअसल, अंडे में सालमोनेला बैक्टीरियम होता है, जिसके कारण फूड प्वॉयजनिंग हो सकता है. प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. इसलिए इस बैक्टीरिया के कारण वो फूड प्वॉयजनिंग की शिकार हो सकती हैं. यहां तक कि सालमोनेला बैक्टीरियम गर्भ में पल रहे बच्चे को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. गर्भवती महिला को इससे उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, सिर में दर्द, बुखार आदि हो सकता है.

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अनानास : प्रेग्नेंसी में अनानास खाने को लेकर कई भ्रांतियां हैं. कुछ लोगों का मानना है कि प्रेग्नेंसी में अनानास नहीं खाना चाहिए इससे मिसकैरिज का खतरा रहता है. लेकिन ऐसा सभी केस में नहीं होता. यदि आपको अनानास से एलर्जी है या अनानास खाने के बाद आपकी सेहत सामान्य तौर पर भी खराब हो जाती है तो प्रेग्नेंसी में इसे बिल्कुल ना खाएं.

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आर्टिफिशियल स्वीटनर: ये स्वीटनर पैकेट बंद होते हैं, इसलिए इन्हें खाने में वैसे तो कोई परेशानी नहीं है, पर अगर आपको phenylketonuria (PKU) नाम का जेनेटिक रोग है तो इसे नजरअंदाज करें.

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फ्रोजेन फूड : पोषक तत्वों के मामले में फ्रोजेन फूड बिल्कुल ठीक नहीं होते. इसमें विटामिन सी, विटामिन बी1, बी2 और विटामिन ए नहीं होते. फलों और सब्ज‍ियों को ताजा खाया जाए तो ही अच्छा होता है. ये बात भी मायने रखती है कि फ्रोजेन फूड को किस तरह से रखा गया है. प्रेग्नेंसी में यह फूड प्वॉयजनिंग की वजह भी बन सकता है.

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एलोवेरा : एलोवेरा में anthraquinones होता है. इसके कारण प्रेग्नेंसी में सेहत खराब हो सकती है और गर्भपात हो सकता है. हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान बाहरी त्वचा पर एलोवरा क्रीम लगाने से कोई नुकसान नहीं होता.

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तुलसी का पत्ता : हालांकि इस पर भी स्पष्ट नहीं हैं डॉक्टर, पर तुलसी के पत्तों में मरक्यूरी का लेवल बहुत ज्यादा होता है. ऐसे में यह माना जाता है कि यह फीटस के लिए ठीक नहीं है.

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें घरेलू उपाय हिंदी?

अगर आपको प्रेगनेंसी पॉजिटिव लगती है तो आप रोजाना सुबह और शाम को पार्सले की कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर इसकी चाय बनाकर पिएं। ये प्रक्रिया आप एक महीने तक लगातार करें। 2. गर्भ ठहरने की वजह हार्मोन आॅक्स्टिॉक्सिन का रिलीज होना होता है, लेकिन इसे कपास की जड़ के छिलके से रोका जा सकता है।

कच्चे पपीते से गर्भ कैसे गिराए?

क्योंकि प्रेग्नेंसी में पपीता खाने से मिसकैरिज यानी गर्भपात का खतरा रहता है. दरअसल, पपीता उन महिलाओं को खाने की सलाह दी जाती है जिनका पीरियड्स समय पर नहीं होता. पपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराइन कॉनट्रैक्शन शुरू कर देता है. इसकी वजह से प्रेग्नेंसी में समय से पहले ही लेबर पेन शुरू हो सकता है और गर्भपात हो सकता है.

कौन सी चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

प्रेंग्नेट महिलाओं को पपीता नहीं खाने की सलाह दी जाती हैं. क्योंकि पपीता खाने से मिसकैरेज यानी गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है. बता दें कि पपीता उन महिलाओं को खाने की सलाह दी जाती है जिन्हें पीरियड्स समय पर नहीं होते हैं. पपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराइन कॉनट्रैक्शन शुरू कर देता है.

पपीता खाने के कितने दिन बाद गर्भपात हो जाता है?

तकनीकी रूप से कहें तो पपीता गर्भपात करने वाला फल है, यही वजह है कि हम गर्भावस्था के दौरान पपीते से बचने के लिए कहते हैं। प्रेग्‍नेंसी के पहले तीन महीनों में गर्भपात हो सकता है और बाकी महीनों में अंदर ब्लीडिंग हो सकती है।

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