गिलोय को और क्या कहते हैं? - giloy ko aur kya kahate hain?

इसे सुनेंरोकेंगिलोय एक लत्तेदार पौधा है। इसे गुरीच, अमृता, हमलोग के देशी भाषा में अमरलत्ती या गुजरलत्ती भी कहते हैं।

गिलोय का देहाती नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयह भारतीय टीनोस्पोरा (Indian Tinospora) या गुदुची (Guduchi) के रूप में जाना जाता है। गिलोय को अक्सर अमृता बुलाया जाता है, जो अमृत का भारतीय नाम है।

गिलोय की उत्पत्ति कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंइस पौधे के पत्तों का आकार सुपारी के पत्तों के समान दिखाई देता है । आयुर्वेद में इसे महान औषधि माना गया है। धार्मिक मान्यताये है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

गिलोय कहाँ पाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंगिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है।

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गुरुच क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंस्त्री० [सं० गुडूची] पेडों पर चढ़नेवाली एक प्रकार की मोटी लता जो बहुत कड़वी होती और प्रायः ज्वर आदि रोगों में दी जाती है। गिलोय।

गुरुच क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगुरुच Meaning in Hindi – गुरुच का मतलब हिंदी में गुरुच संस्कृत [संज्ञा स्त्रीलिंग] एक प्रकार की कड़वी बेल जो दवा के काम आती है ; गिलोय। गुरुच- संज्ञा स्त्रीलिंग [संस्कृत गुडूची] एक प्रकार की मोटी बेल जो रस्सी के रूप में बहुत दूर तक चली जाती है । विशेष- यह बेल पेड़ों पर चढी़ मिलती है और बहुत दिनों तक रहती है ।

गिलोय का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगिलोय को गुडूची (Guduchi), अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। इसे नीम गिलोय (Neem giloy) के नाम से जाना जाता है।

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गिलोय को गांव में क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकन्नड़ में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, तेलुगू में गोधुची, तिप्प्तिगा, फारसी में गिलाई, तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि नामों से जाना जाता है। अमृत तुल्य उपयोगी होने के कारण इसे आयुर्वेद में अमृता नाम दिया गया है। आचार्य चरक ने गिलोय को वात दोष हरने वाली श्रेष्ठ औषधि माना है।

गिलोय कितने दिन पीना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंगिलोय का काढ़ा आपको रोज़ाना इसका आधा ग्लास दिन में एक बार पीना है।

गिलोय कितने दिन तक पीना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंबुखार में गिलोय का सेवन करने के पाउडर, काढ़ा या रस के रूप में करना चाहिए. गिलोय के पत्ते और तने को एक साथ सुखाकर पाउडर बनाया जाता है. वैसे बाजार में गिलोय की गोली भी मिलती हैं. एक दिन में 1 ग्राम से अधिक गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

गिलोय के पेड़ की पहचान कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंआपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिलोय की पहचान करना बहुत आसान है। इसकी पत्तियों का आकार पान के पत्तों के जैसा होता है और इनका रंग गाढ़ा हरा होता है। आप गिलोय (Giloy in hindi) को सजावटी पौधे के रुप में भी अपने घरों में लगा सकते हैं।

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गिलोय का पेड़ कैसे पहचाने?

इसे सुनेंरोकेंगिलोय का तना करीब 2-2.5 सेंटीमीटर मोटा हो जाता है। गिलोय के तने पर सफेद-भूरी पतली छाल होती है जो आसानी से निकाल जाती है और अंदर गाढ़े हरे रंग का तना दिखने लगता है। गिलोय की बेल किसी पेड़, दीवार आदि के सहारे ऊपर बढ़ती है और बहुत तेजी से फैलती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप गिलोय को किसी पेड़ की जड़ के आस-पास बोयें।

अगर आपको लग रहा है कि इम्यूनिटी को बढ़ाना असंभव है तो, ऐसा नहीं है। आधुनिक जीवनशैली के खानपान और रहन-सहन से हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। लेकिन इसके बावजूद खोई इम्यूनिटी को वापस भी पाया जा सकता है।

क्या ऐसा हो सकता है कि हम बारिश में भीगें लेकिन हमें जुकाम न हो। हम सर्दी में कैप लगाए बिना थोड़ी देर बाहर निकल जाएं तो भी हमें बुखार न हो। गर्मियों की दोपहर में अगर बाहर निकलना पड़े तो हमें लू न लगे। और कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से भी बचे रहें!

आयुर्वेद में मनुष्य की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए कई जड़ी-बूटियों के बारे में बताया गया है। इनमें से सबसे असरदार गिलोय (Giloy) या अमृता (Amrita) को माना जाता है। आइए जानते हैं,

  • गिलोय क्या है
  • गिलोय के फायदे क्या हैं
  • गिलोय के उपयोग क्या हैं? 
  • और कितनी मात्रा में इसका सेवन किया जाना चाहिए?

गिलोय क्या है? (What Is Giloy?)

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गिलोय (Giloy) एक बेल है। ये आमतौर पर खाली मैदान, सड़क के किनारे, जंगल, पार्क, बाग-बगीचों, पेड़ों-झाड़ियों और दीवारों पर उगती है। गिलोय का वैज्ञानिक नाम 'टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया' (Tinospora Cordifolia) है। इसे,

  • अंग्रेजी में Giloy, Gilo, The Root Of Immortality
  • कन्नड़ में अमरदवल्ली
  • गुजराती में गालो
  • मराठी में गुलबेल
  • तेलुगू में गोधुची, तिप्प्तिगा
  • फारसी में गिलाई
  • तमिल में शिन्दिल्कोदी

कहा जाता है।

गिलोय की बेल बहुत तेजी से बढ़ती है। गिलोय के पत्ते पान की तरह बड़े आकार के, चिकने और हरे रंग के होते हैं। अगर इसे पानी युक्त जगह पर लगाया जाए तो पत्तों का आकार बड़ा हो जाता है।

गिलोय के फूल गर्मी के मौसम में निकलते हैं। ये छोटे गुच्छों में ही निकलते और बढ़ते हैं। गिलोय के फल मटर जैसे अण्डाकार, चिकने गुच्छों में लगते हैं। पकने के बाद इनका रंग लाल हो जाता है। गिलोय के बीजों का रंग सफेद होता है। गिलोय को आसानी से घर में भी उगाया जा सकता है।

गिलोय के फायदे (Giloy ke Fayde)

हमने रोज गिलोय का जूस पीने के 20 फायदे हिंदी में नीचे सूचीबद्ध किए हैं (Giloy benefits in hindi) |

1. डायबिटीज के लिए गिलोय (Giloy For Diabities)

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डायबिटीज के ऐसे मरीज जिन्हें टाइप-2 डायबिटीज (Type 2-Diabetes) की समस्या है, उन्हें गिलोय के सेवन से काफी लाभ मिल सकता है। गिलोय में काफी मात्रा में हाइपोग्लाईकैमिक एजेंट पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए अक्सर डॉक्टर गिलोय के जूस का सेवन करने की सलाह देते हैं। आप भी मार्केट से गिलोय जूस को खरीदकर इसका सेवन कर सकते हैं।

2. रयूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए गिलोय (Giloy For Rheumatoid Arthritis)

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रयूमेटाइड आर्थराइटिस को हिंदी में आमवातीय संधिशोथ कहा जाता है। ये एक प्रकार का ऑटो इम्यून गठिया होता है। गिलोय के नियमित सेवन से रयूमेटाइड आर्थराइटिस के कई मरीजों ठीक होते देखा गया है। गिलोय में एंटी ऑर्थराइटिक और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं।

रयूमेटाइड आर्थराइटिस के उपचार के लिए गिलोय और अदरक को एक साथ मिलाकर सेवन किया जाता है। जबकि जोड़ों या गठिया के दर्द के उपचार के लिए गिलोय के तने या पाउडर को दूध के साथ उबालकर पीने की सलाह दी जाती है।

3. इम्यूनिटी बढ़ाए (Immunity Booster)

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अगर कोई इंसान लगातार बीमार रहता है तो, इसकी वजह उसकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता या कमजोर इम्यूनिटी भी हो सकती है।

इन समस्याओं की ओर तुरंत ही ध्यान दिया जाना चाहिए। खून को साफ करके, बैक्टीरिया को मारकर, हेल्दी कोशिकाओं को मेंटेन करके, शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है।

ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए समय और पैसे खर्च करने की जगह, आप गिलोय के जूस का सेवन भी शुरू कर सकते हैं। गिलोय के अन्य फायदों में शामिल है,

  • शरीर से टॉक्सिन को निकालता है।
  • नपुंसकता की समस्या को दूर करता है।
  • मूत्रनली के संक्रमण को दूर करता है।
  • लिवर से जुड़ी बीमारियों से लड़ता है।

4. स्ट्रेस से राहत देता है (Stress Relief)

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क्या आपका सामना कभी गंभीर एंग्जाइटी और स्ट्रेस से हुआ है? अगर हां, तो निश्चित रूप से जानते होंगे कि ये कितना दुखदायी अनुभव होता है। गिलोय और अन्य जड़ी-बूटियों से तैयार किया हुआ टॉनिक एंग्जाइटी और स्ट्रेस के लेवल को कम कर सकता है। ये टॉनिक शरीर में मौजूद टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकाल देता है। ये शरीर और दिमाग को शांति देने के साथ मेमोरी को भी अच्छा बूस्ट देता है।

5. पीलिया को ठीक करता है (Cure For Jaundice)

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अगर आप या आपका कोई परिचित पीलिया की बीमारी से परेशान है तो आप गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय के 20-30 पत्ते लेकर पीस लें। एक गिलास ताजी छांछ लेकर पेस्ट को उसमें मिला लें। दोनों को एक साथ छानने के बाद उसे मरीज को पिला दें।

6. ईयर वैक्स की समस्या दूर करता है (Stubborn Ear Wax)

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कई बार कान से मैल या ईयर वैक्स निकालना काफी मुश्किल प्रक्रिया हो सकती है। ऐसे में सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले ईयर बड्स भी किसी काम नहीं आते। ऐसी स्थिति में गिलोय का प्रयोग करना सही विकल्प हो सकता है।

गिलोय ईयर ड्रॉप बनाने के लिए, थोड़ी सी गिलोय लेकर उसे पानी में पीस लें और गुनगुना गर्म कर लें। अब इसे ईयरड्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। दिन में दो बार इसकी कुछ बूंदों को कान में डाला जा सकता है। इससे कान में जमा हुआ पुराना और जिद्दी मैल या ईयर वैक्स भी बाहर निकल आएगा।

7. बुखार में गिलोय (Giloy For Fever)

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ऐसे लोग जो जीर्ण ज्वर (Chronic Fever) या अन्य बीमारी से परेशान हैं, उनके लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होती है। ऐसा इसके ज्वरनाशक गुणों (Anti-Pyretic Nature) के कारण होता है।

ये ब्ल्ड प्लेटलेट्स को बढ़ाने में, जानलेवा बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। डेंगी बुखार की समस्या होने पर भी ये उसके लक्षणों को दूर करता है। गिलोय के सत को थोड़ी मात्रा में शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने पर मलेरिया की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।

8. बवासीर की दवा है गिलोय (Medicine For Piles)

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बवासीर या पाइल्स बेहद दर्दनाक होते हैं और इनसे जितनी जल्दी छुटकारा मिले, उतना ही बेहतर है। गिलोय के इस्तेमाल से बनने वाली दवाएं हर प्रकार के बवासीर को ठीक कर सकती हैं। ध्यान सिर्फ इस बात का रखना है कि निर्देशों और परहेज का विशेष ध्यान दिया जाए।

बवासीर की दवा बनाने के लिए, धनिया के पत्ते, गिलोय और हरड़ को एक साथ बराबर मात्रा में पीस लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा लेकर आधा लीटर पानी में मिलाएं और उबालें। उबल जाने के बाद थोड़े से गुड़ के साथ इसका दिन में दो बार सेवन करें।

9. पाचन को ठीक करता है (Improves Digestion)

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गिलोय के नियमित सेवन का एक अन्य लाभ ये भी है कि ये पाचन और पेट से संबंधित किसी भी समस्या को ठीक करता है। डाइजेशन की समस्या को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्रकार से गिलोय का सेवन करना चाहिए।

  • गिलोय
  • अतीश या अतिविषा
  • अदरक की जड़

को समान मात्रा में लें। तीनों सामग्रियों को एक साथ उबालकर काढ़ा बना लें। रोज 20-30 ग्राम की मात्रा में इस काढ़े का सेवन करने से पेट और पाचन संबंधी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं।

10. अस्थमा को ठीक करती है (Treating Asthma)

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आजकल अस्थमा या दमा से पीड़ित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अगर किसी को अस्थमा की समस्या हो तो, उसे गिलोय की जड़ चबाने की सलाह दी जाती है। इससे सीने का कड़ापन दूर होता है और गले में घरघराहट, कफ आना और सांस से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है।

11. आंखो की रोशनी बेहतर करता है (Better Vision)

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आंखों के डिसऑर्डर होना इन दिनों काफी आम बात है। महंगे उपचारों पर पैसा बहाने की जगह इन कम खर्च वाले ट्रीटमेंट्स को भी आजमाया जा सकता है। ये कॉर्निया डिसऑर्डर, मोतियाबिंद और स्कलेरल जैसी समस्याओं को भी ठीक कर सकता है। 11.5 ग्राम गिलोय का जूस लेकर उसमें 1 ग्राम शहद और 1 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को आंखों के ऊपर लगाया जा सकता है।

12. फीलपांव/ हाथीपांव को ठीक करता है (Elephantiasis Cure)

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फीलपांव, हाथी पांव या एलिफेंटेसिस (Elephantiasis) बेहद सामान्य लेकिन गंभीर समस्या है। इस समस्या में इंसान के शरीर के अंग बुरी तरह से सूज जाते हैं। ऐसा फिलेरियल वर्म (Filarial Worm) के कारण होता है। 

इस समस्या को गिलोय के सेवन से आसानी से ठीक किया जा सकता है। 10 से 20 ग्राम गिलोय के जूस में 50 ML कड़वे बादाम का तेल या बिटर ऑयल (Bitter Oil) मिलाएं। इस मिश्रण को सुबह खाली पेट पीने से आपको आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक फायदे मिलने लगेंगे।

13. लिवर डिसऑर्डर को ठीक करता है (Treatment For Liver Disorders)

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इस उपाय का इस्तेमाल लिवर के डिसऑर्डर होने पर किया जा सकता है। खासतौर पर जब आप एलोपैथिक दवाओं का सेवन करते-करते थक चुके हों।

इस दवा को बनाने के लिए आपको 

  • 2 ग्राम धनिए के बीज
  • काली मिर्च के दो बीज
  • नीम की दो पत्तियां 
  • 18 ग्राम ताजी गिलोय

की जरूरत पड़ेगी। इन सारी सामग्रियों को एक साथ पीसकर 250 ml पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में भर लें।

इस मिश्रण को रातभर के लिए छोड़ दें और अगली सुबह इस मिश्रण को फिर से पीसें और छान लें। कारगर नतीजों के लिए इस मिश्रण को 15-20 दिन के लिए इस्तेमाल करें। 

14. यौनेच्छा को बढ़ाता है (Aphrodisiac)

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क्या आप अपनी सेक्स लाइफ को ज्यादा मजेदार बनाने के तरीके तलाश रहे हैं? क्या आप अपने पार्टनर को इंप्रेस करना चाहते हैं? अगर आप भी अपने लिबिडो या यौनेच्छा को नेचुरल तरीके से बढ़ाना चाहते हैं तो, गिलोय जूस का सेवन कीजिए। 

ये साबित किया जा चुका है कि गिलोय में एफ्रोडिजिक या यौनेच्छा को बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं। ये आपकी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।

15. बढ़ती उम्र के लक्षण (Signs Of Aging)

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एक समस्या जिससे हर उम्र के इंसान को गुजरना पड़ता है, वह है बढ़ती उम्र के लक्षण। इन लक्षणों में स्किन पर झुर्रियां आना, महीन लाइनें बन जाना सबसे बड़ी समस्या होती है। झुर्रियां, डॉर्क स्पॉट हटाने के बेस्ट उपाय की खोज कभी खत्म नहीं होती है। 

इस बात को ध्यान में रखते हुए एक दवा ऐसी भी है जिससे आप आजमा सकते हैं। ये आजमाई और साबित की हुई बात है कि गिलोय में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं। ये डार्क स्पॉट्स, झुर्रियां, पिंपल्स या मुंहासे और महीन लाइनों को हटाने में मदद कर सकता है।

16. सांस लेने में समस्या (Respiratory Problems)

सांस लेने से जुड़ी समस्याएं जैसे सर्दी-जुकाम, टॉन्सिल, कफ आदि गिलोय के सेवन से आसानी से ठीक हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं। ये गुण सांस की समस्याओं को कंट्रोल करने और दूर करने में मदद करता है।

17. उल्टी को ठीक करता है (Cure For Vomiting)

अगर किसी को उल्टी आने, ब्रोन्काइटिस या ब्रोंनकिल अस्थमा की शिकायत है तो इस उपाय का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस काढ़े को बनाने के लिए 

  • गिलोय (Giloy)
  • कंटकारी (Yellow Berried Nightshade) 
  • अडूसा की छाल (Bark Of Malabar Nut)

की जरूरत पड़ती है। इन तीनों को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर सेवन करें। इस काढ़े को पीते समय इसमें थोड़ी मात्रा में शहद भी मिलाया जा सकता है।

18. मूत्र विकार की समस्या (Urinary Disorders)

मूत्र विकार या पेशाब की नली में होने वाली समस्याओं जैसे जलन का अनुभव होना या पेशाब करने में दर्द होने में गिलोय का सेवन बहुत फायदेमंद है।

मूत्र विकार की समस्या होने पर 

  • गिलोय (Giloy)
  • चित्रक (Leadwort)

की 20-30 ग्राम मात्रा लेकर उसका काढ़ा बना लें और दिन में दो बार सेवन करें। इसके अलावा 1 gm गिलोय का सत लेकर उसमें 3 gm शहद मिलाकर सेवन करें। इस नुस्खे को एक बार सुबह और एक बार शाम को किया जा सकता है। 

19. वात रोग को ठीक करता है (Treatment For Gout)

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यह प्राकृतिक औषधि वात रोगों को दूर करने की बेस्ट औषधियों में से एक है। इस समस्या से स्थायी लाभ के लिए गिलोय के सत के साथ अरंडी का तेल मिलाएं और जहां जरूरत हो वहां लगाएं। कुछ ही दिनों में आपको मनचाहे नतीजे मिलने लगेंगे।

20. रक्ताल्पता / अनीमिया (Anemia)

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शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की कम हो जाने से अनीमिया की समस्या होती है। अनीमिया के लक्षणों में सुस्ती, आलस, सांस उखड़ना आदि शामिल है। इन लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए गिलोय के पाउडर से बने काढ़े का सेवन किया जा सकता है।

आयुर्वेद में गिलोय का क्या महत्व है? (Giloy In Ayurveda)

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गिलोय की उत्पत्ति के संबंध में कहा जाता है कि, समुद्र मंथन के समय अमृत कलश छलकने से उसकी बूंदें जहां भी गिरीं, वहीं गिलोय या अमृता का पौधा निकल आया। आयुर्वेद में गिलोय को बहुत उपयोगी और गुणकारी बताया गया है। इसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, गुर्च, मधुपर्जी, जीवन्तिका कई नामों से जाना जाता है।

भारत के प्राचीन वैद्य आचार्य चरक (Acharya Charak) को भारतीय औषधि विज्ञान का पिता (Indian Father Of Medicine) भी कहा जाता है। आचार्य चरक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता (Charak Samhita) में गिलोय के गुणों का खूब वर्णन किया है।

आचार्य चरक के अनुसार,  गिलोय, वात दोष हरने वाली, त्रिदोष मिटाने वाली, खून को साफ करने वाली, रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने वाली, बुखार / ज्वर नाशक, खांसी मिटाने वाली प्राकृतिक औषधि है।

आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय का उपयोग टाइफाइड, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, एलिफेंटिएसिस / फीलपांव या हाथीपांव, विषम ज्वर, उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातु विकार, यकृत निष्क्रियता, तिल्ली बढ़ना, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ रोग आदि के उपचार में किया जाता है।

इसके अलावा, डायबिटीज के रोगियों के लिए ये शरीर में नेचुरल इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ा देती है। इसे कई डॉक्टर इंडियन कुनैन (Indian Quinine) भी कहते हैं।

गिलोय के जूस का नियमित सेवन करने से बुखार, फ्लू, डेंगू, मलेरिया, पेट में कीड़े होने की समस्या, रक्त में खराबी होना, लो ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारियों, टीबी, मूत्र रोग, एलर्जी, पेट के रोग, डायबिटीज और स्किन की बीमारियों से राहत मिल सकती है। गिलोय से भूख भी बढ़ती है। गिलोय में ग्लूकोसाइड (Glucoside) , गिलोइन (Giloin), गिलोइनिन (Giloininand), गिलोस्टेराॅल तथा बर्बेरिन (Berberine) नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं।

वैसे तो गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन भारत में कड़वी गिलोय का ही उपयोग दवा बनाने में किया जाता है। गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसी के गुणों को ग्रहण कर लेती है। इसीलिए नीम के पेड़ पर लगने वाली गिलोय को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ऐसी गिलोय को ''नीम गिलोय (Neem Giloy)'' भी कहा जाता है।

ऐसा भी कहा जाता है कि गिलोय जिस पेड़ पर उगती है, न तो उसे मरने देती है और न ही सेवन करने वाले को, शायद इसीलिए योग और आयुर्वेद के विद्वानों ने उसे अमृता कहा है।

गिलोय का सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए? 

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गिलोय शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी है। इसका सेवन बिना डॉक्टर या आयुर्वेद के वैद्य की सलाह लिए बिना नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, एक दिन में स्वस्थ मनुष्य गिलोय की 20 gm मात्रा का अधिकतम सेवन कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति गिलोय का जूस पी रहा है तो भी इसकी मात्रा 20 ml से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे ज्यादा सेवन करने पर गिलोय नुकसान भी कर सकती है।

निष्कर्ष (The Takeaway)

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गिलोय को आयुर्वेद में अमृता (Amrita) कहा जाता है। इतने गुणों को पढ़ने के बाद तो आप भी ये जान ही गए होंगे कि इसे ये नाम क्यों मिला है? अगर आपको भी गिलोय के सेवन के बाद फायदे हुए हैं तो क्यों न आपके अनुभव पूरी दुनिया को बताए जाएं? आप अपने अनुभव हमसे शेयर करें, हम उन्हें लोगों से शेयर करेंगे। 

गिलोय का देहाती नाम क्या है?

गिलोय को गुडूची (Guduchi), अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। इसे नीम गिलोय (Neem giloy) के नाम से जाना जाता है।

गिलोय को गांव में क्या कहते हैं?

गिलोय को आयुर्वेद में अमृता, गुडुची, चनांगी, आदि कई नामों से जाना जाता है।

गिलोय का कुल नाम क्या है?

इसका वानस्पतिक नाम ( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia) है। जमशेदपुर, जासं। गिलोय को सौ मर्ज की एक दवा कहा जाता है। संस्कृत में इसे अमृता कहा जाता है।

गिलोय को इंग्लिश में क्या बोला जाता है?

Tinospora cordifolia पत्ते हृदय के आकार के, खाने के पान जैसे एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं।

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