गले में इंफेक्शन से क्या होता है? - gale mein imphekshan se kya hota hai?

परिचय

गले में इन्फेक्शन वायरस या बैक्टीरिया की वजह से होता है, जिसके कारण गले में दर्द, सूजन व जलन होने लगती है। गले में संक्रमण के मुख्य लक्षणों में गले में दर्द, खांसी, नाक बहना, बुखार और गर्दन में स्थित लसीका ग्रंथि की सूजन आदि शामिल है। यदि गले में इन्फेक्शन बैक्टीरिया के कारण हुआ है तो उसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा किया जाता है। यदि वायरस के कारण हुआ है तो उसका इलाज करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती वह अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि फिर भी इसके लक्षणों का इलाज करवाना जरूरी होता है। 

गले के इंफेक्शन का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों से जुड़े कुछ सवाल पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। इसके अलावा आपको ब्लड टेस्ट और थ्रोट स्वैब कल्चर आदि जैसे टेस्ट करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। गले के इन्फेक्शन का इलाज करने के लिए कई घरेलू उपाय भी उपलब्ध हैं जैसे लहसुन, अदरक और शहद का सेवन करना और हल्के गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारे करना आदि शामिल है।

यदि बैक्टीरिया के कारण हुए गले के इन्फेक्शन का समय पर इलाज ना किया जाए तो इसके कारण रूमेटिक फीवर हो जाता है, जो हृदय को प्रभावित करता है।

गले में इन्फेक्शन के कारण व जोखिम कारक - Throat Infection Causes & Risk Factors in Hindi

गले में इन्फेक्शन क्यों होता है?

गले का इन्फेक्शन आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के द्वारा संक्रमण फैलाने से होता है।

गले में इन्फेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया या वायरस अक्सर किसी ऐसे दूसरे व्यक्ति से संपर्क करने से प्राप्त होते हैं, जो पहले ही संक्रमित होता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता,खांसता या बोलता है तो उसके मुंह से द्रव की सूक्ष्म बूंदें निकलती हैं जो हवा में मिल जाती हैं, इन बूंदों में वायरस या बैक्टीरिया होते हैं।

सांस लेने के दौरान जब ये सूक्ष्म बूंदे किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में चली जाती हैं तो उन्हें भी यह संक्रमण हो जाता है। इसी तरह संक्रमित जगह को छूकर अपने मुंह को छू लेने से भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। 

गले में बैक्टीरियल इन्फेक्शन:

वायरल इन्फेक्शन के मुकाबले बैक्टीरियल इन्फेक्शन कम ही हो पाता है, लेकिन गले में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कुछ ध्यान देने योग्य लक्षण होते हैं:

  • स्ट्रेप थ्रोट - यह गले में बैक्टीरियल इन्फेक्शन का सबसे मुख्य कारण होता है।
  • काली खांसी - खांसी करने के दौरान “हू-हू” की आवाज निकलना काली खांसी का मुख्य लक्षण होता है।

गले में वायरल इन्फेक्शन:

वायरस के द्वारा गले में फैलाए जाने वाले इन्फेक्शन के मुख्य कारण निम्न हैं:

  • सर्दी जुकाम (और पढ़ें - जुकाम के उपाय)
  • फ्लू (और पढ़ें - फ्लू का इलाज)
  • बच्चों में होने वाले संक्रमण जैसे चेचक और चिकन पॉक्स

गले में इंफेक्शन होने की आशंका किन वजहों से बढ़ जाती है?

  • कम उम्र - बैक्टीरिया के कारण होने वाले टॉन्सिल का संक्रमण खासकर 5 से 15 साल के बच्चों को ही होता है। 
  • बार-बार संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आना - स्कूल में या डे केयर सेंटर, जहां पर कई बच्चें एक साथ होते हैं वहां रहने पर स्वस्थ बच्चें में इसके संक्रमण की आशंका रहती है। इसी तरह जो लोग शहरों में रहते हैं और पब्लिक बसों या अन्य वाहनों में यात्राएं करते हैं, उनमें भी टॉन्सिल के रोगाणुओं के संपर्क में आने का जोखिम अधिक बढ़ जाता है। 
  • विशेष मौसम - बैक्टीरिया द्वारा फैलाया जाने वाले गले का संक्रमण आमतौर पर पतझड़ और शुरूआती वसंत ऋतू में ही अधिक होता है। 
  • कोई गंभीर संक्रमण होने का जोखिम बढ़ जाना - उदाहरण के लिए एचआईवी एड्स या डायबिटीज जैसे किसी रोग के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक कमजोर हो जाना। 
  • प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक कमजोर हो जाना - रोगों के अलावा कुछ दवाएं भी हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना देती हैं, जैसे कैब्रिमाजोल। इस दवा का उपयोग थायराइड बढ़ने का इलाज करने के लिए किया जाता है। (और पढ़ें - थायराइड में परहेज)

गले में संक्रमण यानी थ्रोट इन्फेक्शन बेशक आम समस्या है, लेकिन बढ़ जाए तो काफी गंभीर हो जाती है। खासकर बदलते मौसम के दौरान काफी लोग इसके शिकार होते हैं। बेहद तकलीफ देने वाली इस बीमारी के बारे में बता रही हैं सुमन

गले में संक्रमण की मुख्य वजह बैक्टीरिया (जीवाणु) व वायरस (विषाणु) के संपर्क में आना है। गले में दोनों तरफ झिल्लीयुक्त ऊतक होते हैं, जिन्हें टॉन्सिल कहते हैं। इनमें बैक्टीरिया या वायरस का हमला होने पर सूजन आ जाती है और दर्द होता है। 

गले की स्थिति
हमारा गला शरीर का ऐसा हिस्सा है, जो सबसे ज्यादा बाहरी स्थितियों से प्रभावित होता है। जैसे मौसम में परिवर्तन, प्रदूषण, दूषित हवा में सांस लेना, विषाक्त भोजन करना आदि। इसकी वजह से विभिन्न जीवाणु हमला करते हैं, जिसकी वजह से गले का संक्रमण हो जाता है। ये जीवाणु मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं-बैक्टीरिया, वायरस व फंगी। 

बैक्टीरियल थ्रोट इन्फेक्शन 
बैक्टीरियल थ्रोट इन्फेक्शन सबसे आम है और अकसर स्ट्रेप्टोकोक्कल, स्टैफीलोकोक्कल जैसे बैक्टीरिया की वजह से होता है। वायरल थ्रोट इन्फेक्शन इंफ्लुएंजा वायरस की वजह से होता है और आमतौर पर इसमें सर्दी, जुकाम, छींकना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। फंगल इन्फेक्शन उन्हें होता है, जिन्हें डायबिटीज की बीमारी होती है या जो एंटी बायोटिक का सेवन काफी करते हैं।
यह इन्फेक्शन रोगी के छींकने या खांसने से एक से दूसरे व्यक्ति तक फैल जाता है। बहुत से रोगियों का गला दर्द के कारण लाल पड़ जाता है और पानी तक पीने में परेशानी होती है। संक्रमण से गले के अंदर दाने उभर आते हैं या घाव भी बन जाते हैं। अगर दवा से आराम नहीं मिल रहा है, दर्द लंबे समय तक बना हुआ है और घाव भी है, तो यह गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है।

लक्षण को पहचानें
संक्रमण के लक्षण आमतौर पर 1 से 3 दिनों में दिखाई देने लग जाते हैं और हर व्यक्ति में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। संक्रमण के समय गले में सूजन दिखाई देती है और खाना खाने में काफी कठिनाई महसूस होती है। गले में किसी प्रकार का दर्द, खराश, कांटे जैसे चुभना आदि गले के संक्रमण के लक्षण हैं। ठंड के साथ बुखार, गले में दर्द, गले का सूखना, बार-बार छींकना, खांसी, सांस लेने में परेशानी होना, निगलने में परेशानी भी इसके लक्षण हो सकते हैं। अचानक जीभ और गले में सूजन आ जाए या तेज बुखार हो जाए तो भी लापरवाही बिल्कुल न बरतें। 

घट रही है प्रतिरोधक क्षमता
बदलती जीवनशैली इस संक्रमण के होने की खास वजह बन गई है। आजकल हर उम्र के लोगों की जीवनशैली असंतुलित सी हो गई है। वे समय बचाने के चक्कर में जंक फूड से काम चला रहे हैं। पौष्टिक आहार उनके भोजन से गायब हो रहा है, जिससे उनमें कीटाणुओं से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और वह बार-बार इस संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जो इस समस्या को बहुत ही हल्के तरीके से लेकर खुद ही दवा ले लेते हैं और समस्या को गंभीर कर लेते हैं।
(मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के डॉ. आलोक जोशी से की गई बातचीत पर आधारित)


उपायों पर दें ध्यान
’गले में खराश होने पर गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करना बहुत फायदेमंद होता है। साथ ही स्टीम भी ली जा सकती है। 
’दूध में हल्दी मिलाकर पिएं, क्योंकि उसमें एंटीबायोटिक गुण होते हैं।  रात में सोने से पहले गर्म दूध में हल्दी और थोड़ी-सी काली मिर्च मिलाकर पिएं। 
’लहसुन की कली को मुंह में रखकर चूसने से भी आराम मिलता है। 
’अदरक, तुलसी, काली मिर्च और लौंग डली मसाला चाय का सेवन करें। 

गले में इन्फेक्शन होने का क्या लक्षण है?

गले में इंफेक्शन (संक्रमण) के लक्षण (Symptoms of Throat Infection in Hindi).
गले में दर्द और खराश.
खानपान की चीजों को निगलने में दर्द और कठिनाई.
टॉन्सिल में दर्द और सूजन.
आवाज कर्कश होना.
कुछ मामलों में बुखार और खांसी.
गले का सूखना.
जबड़े और गर्दन में दर्द.
सिर में दर्द.

गले का इन्फेक्शन कितने दिनों में ठीक होता है?

गले का संक्रमण एक आम बीमारी है, जो बदलते मौसम में लगभग हर व्यक्ति को हो जाती है। यह बीमारी 3-4 दिन में उपचार करने पर ठीक हो जाता है।

गले में इंफेक्शन होने पर क्या करें?

गले में संक्रमण और दर्द से हैं परेशान, इन उपायों से पा सकते हैं....
नमक और पानी के गरारे नमक और पानी से गरारे करने से गले में संक्रमण और इसके कारण होना वाली दिक्कतों से छुटकारा पाया जा सकता है। ... .
हल्दी और दूध का सेवन ... .
लहसुन से मिलता है फायदा ... .
भाप लेने से भी होता है फायदा.

गले में कितने प्रकार के इंफेक्शन होते हैं?

ये जीवाणु मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं-बैक्टीरिया, वायरस व फंगी। बैक्टीरियल थ्रोट इन्फेक्शन सबसे आम है और अकसर स्ट्रेप्टोकोक्कल, स्टैफीलोकोक्कल जैसे बैक्टीरिया की वजह से होता है। वायरल थ्रोट इन्फेक्शन इंफ्लुएंजा वायरस की वजह से होता है और आमतौर पर इसमें सर्दी, जुकाम, छींकना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं

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