Home/इतिहास/मध्यकालीन भारत/फिरोजशाह तुगलक ( 1351-1388 ई. ) मध्यकालीन भारतइतिहासतुगलक वंशदिल्ली सल्तनतफिरोजशाह तुगलक ( 1351-1388 ई. ) IndiaOldDays .comअप्रैल 30, 2018 3,874 6 minutes read अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण लेख-
फिरोज शाह तुगलक दिल्ली सल्तनत में तुगलक वंश का शासक था। यह भारत पर अन्तिम मुस्लिम शासक था। यह , दिपालपुर की हिदूं राजकुमारी का पुत्र था।इसने अपनी हूकूमत के दौरान कई हिन्दूयों को मुस्लिम धर्म अपनाने पर मजबूर किया। उसने अपने शासनकाल में ही चांदी के सिक्के चलाये| फिरोजशाह तुगलक मुहम्मद बिन तुगलक का चचेरा भाई एवं सिपहसलार ‘रजब’ का पुत्र था। उसकी माँ ‘बीबी जैजैला’ (‘भड़ी’ रजामल की पुत्री) राजपूत सरदार रजामल की पुत्री थी। मुहम्मद बिन तुगलक की मुत्यु के बाद 20 मार्च 1351 को फिरोजशाह तुगलक का राज्याभिषेक थट्टा के निकट हुआ। पुनः फिरोज शाह का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 में हुआ। सुल्तान बनने के बाद फिरोजशाह तुगलक ने सभी कर्ज (लगभग 24) माफ कर दिए, जिसमें ‘सोंधर ऋण’ भी शामिल था, जो मुहम्मद बिन तुगलक के समय किसानों को दिया गया था। फिरोज तुगलक ने शरीयत द्वारा स्वीकृत 4 करों – खराज ( लगान ), जजिया ( गैर-मुस्लिमों से वसूला जाने वाला कर), खम्स ( युद्ध में लूट का माल ), जकात ( मुस्लमानों से लिया जाने वाला कर ) आदि को ही प्रचलन में मुख्य रूप से रखा। इसने सिंचाई कर हक-ए-शर्ब लगाया, जो सिंचित भूमि की कुल उपज का 1/10 था। इसने सर्वप्रथम राज्य की आय का ब्यौरा तैयार करवाया। फिरोज तुगलक को विरासत में मिली समस्यायें निम्नलिखित हैं-
फिरोज तुगलक ने इन समस्याओं का तात्कालिन समाधान ढूंढा व तुष्टीकरण की नीति अपनाई जिसके परिणामस्वरूप प्रशासनिक व सैनिक भाग कमजोर हो गया, जो सल्तनत के पतन का कारण रहा। फिरोजशाह तुगलक ने उपर्युक्त समस्याओं का समाधान निम्मलिखित तरीकों से किया-
उसने जनता की सहानुभूति प्राप्त करने के लिये कठोर दंड को मानवीय बनवाया तथा राज्य के विद्रोहियों को माफी दी। इनमें मुहम्मद बिन तुगलक का वजीर ख्वाजा-ए-जहाँ भी शामिल था।
फिरोज तुगलक ने उलेमाओं का सहयोग पाने के लिये कट्टर धार्मिक नीति अपनाई, उलेमाओं को विशेषाधिकार पुनः प्राप्त किये तथा सरीयत को ने केवल प्रशासन का आधार घोषित किया बल्कि व्यवहार में भी उसे लागू किया ऐसा करने वाला यह सल्तनत का पहला शासक था। Note: शरीयत – प्रशासन को चलाने के लिये बनाये गये नियम -कानून कायदे। फिरोज तुगलक ने इसलिए भी कट्टर धार्मिक नीति अपनाई, क्योंकि उसकी मां भीटू राजपूत थी तथा उसके सुल्तान बनने पर उलेमा वर्ग फिरोज तुगलक को शंका की दृष्टि से देखते थे। फिरोज तुगलक ने शरीयत के अनुसार केवल 4 प्रकार के कर वसूले थे। ( अपवाद सिंचाई कर ), उसने खम्स के अनुपात को शरीयत के आधार पर वसूला तथा पहली बार ब्राह्मणों से भी जजिया(गैर मुस्लमानों से लिया जाने वाला कर) कर वसूला। वह पहला शासक था, जो जजिया को खराज ( भू राजस्व ) से पृथक रूप से वसूलता था। ( यह बात अर्थात् ब्राह्मणों से जजिया लेता था, शरीयत में शामिल है) फिरोज तुगलक ने एक ब्राह्मण को जिंदा जलाया (क्योंकि वह मुस्लमानों के बीच हिन्दुओं की प्रशंसा कर रहा था।)तथा नगरकोट के मंदिर को नष्ट किया। प्रशासन में हिन्दुओं को शामिल करना अत्यंत सिमित कर दिया। उलेमाओं को प्रशन्न करने के लिये उसने मुस्लिम महिलाओं के पीरों की मजार जाने पर पाबंदी लगाई। पर्दा प्रथा को प्रोत्साहन दिया तथा अनेक मस्जिदों व मदरसों का निर्माण करवाया।
इसी प्रकार फिरोज तुगलक ने फलों के 1200 बगीचे लगाये तथा फलों के निर्यात पर बल दिया। अंगूर का यह शौकीन था तथा अलग-2 किस्म के अंगूर के बगीचे लगवाये।उसने 36 प्रकार के कारखानों की स्थापना की।इन कारखानों में वेतनभोगी गुलामों को नियुक्त किया। सल्तनत काल में कारखानों का सर्वाधिक विकास इसी के काल में हुआ था। Note: कारखानों की स्थापना मुहम्मद बिन तुगलक के समय में हुई थी तथा विकास फिरोज तुगलक के काल में हुआ था।
बंगाल के दूसरे अभियान से लौटते समय फिरोज तुगलक ने उङिसा के गंग शासक जाजपुर(उङिसा) पर आक्रमण कर उसे लूटा। तथा उत्तर प्रदेश में जौनपुर नामक नगर की स्थापना की और इस नगर का नाम जौनाखाँ (मुहम्मद बिन तुगलक) के नाम पर रखा। तीसरा अभियान 1360-61ई.में नगरकोट(बंगाल) पर किया तथा ज्वालामुखी मंदिर पर लूटपाट कर मंदिर को नष्ट कर दिया तथा मंदिर में स्थित पुस्तकालय के संस्कृत ग्रंथों का फारसी में अनुवाद करवाया। इनमें प्रमुख ग्रंथ था दलालत- ए- फिरोजशाही ( यह ग्रंथ दर्शन व नक्षत्र विज्ञान से संबंधत फारसी में अनुवाद हैं। इसका अनुवादक था आजुद्दीन खालिदखानी। सिंध के शासक जैमवबानिया के विरुद्ध 1362ई. में युद्ध किया । इस अभियान के दौरान फिरोज तुगलक की सेना रास्ता भटक गई। बाद में तुगलक का वजीर खान-ए-जहां-मकबूल द्वारा सहायता भेजने पर फिरोज तुगलक द्वारा सिंध के शासक पर नाममात्र की अधीनता स्वीकार करवाई। फिरोज तुगलक द्वारा निर्मित नगर –
Note : इल्तुतमिश द्वारा निर्मित नासीरिया मदरसा, हौज-ए-शम्सी की मरम्मत फिरोज तुगलक ने करवाई थी। इसके साथ ही अलाउद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित हौज-ए-खास की मरम्मत भी फिरोज तुगलक ने ही करवाई थी। फिरोज तुगलक ने अनेक नगरों का निर्माण करवाया जैसे – फिरोजपुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, हिसार(हरियाण)-फिरोजा, जौनपुर। इसके काल में दो प्रमुख स्थापितविद थे- मलिक-ए-सहना तथा इसी का शिष्य अहमद। दासों के निर्यात पर पाबंदी-
मुस्लिम लोगों के कल्याण के लिये उठाये गये कदम-
कुछ इतिहासकार फिरोज तुगलक को सल्तनत काल का अकबर भी कहते हैं। आधुनिक इतिहासकारों ने फिरोज तुगलक को कल्याणकारी निरंकुश काल का शासक बताया है। फिरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फुतुहात-ए-फिरोजशाही लिखी थी। फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु-
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