एक पत्र छााँि भह माँग मत माँग मत इस पंखे का आशय स्पष्ट कहनिए अनिपि कनिता के आधार पर निखखए - ek patr chhaaaani bhah maang mat maang mat is pankhe ka aashay spasht kahanie anipi kanita ke aadhaar par nikhakhe

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?


कविता में कवि द्वारा प्रयोग किए गए इन शब्दों की पुनरावृत्ति मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को संघर्षमय जीवन में स्वयं के लिए सुखों की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सुविधाभोगी मनुष्य का संघर्ष शक्ति समाप्त हो जाती है। कर शपथ की पुनरावृत्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य को लक्ष्यप्राप्ति के पथ पर बाद में आने वाली कठोर परिस्थितियों से पीछे नहीं हटना चाहिए तथा लथपथ के प्रयोग द्वारा वह यह कहना चाहता है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य केंद्रित कर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। बार-बार इन शब्दों का प्रयोग कवि ने अपने लक्ष्य पर बल देने लिए किया है इसके अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न हो गया है।

'एक पत्र छाह भी माँग मत' − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए।

'एक पत्र छाह भी माँग मत' − पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार माँगने लगता है और अपनी परिस्थितियों से घबराकर दूसरों की सहायता माँगने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसलिए अपनी कठिनाइयों का सामना स्वयं ही करना चाहिए। यदि थोड़ा भी आश्रय मिल जाए तो उसकी अवहेलना न करके धन्य मानना चाहिए।