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पेरिटोनियल क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंइपथिकल कोशिकाओं से बनी आकृति को पेरिटोनियल कहा जाता है। यह ऐसे द्रव्य का निर्माण करता है जिससे पेट के अंदर के अंग आसानी से गतिविधि कर सकें।
डायलिसिस में क्या क्या खाना चाहिए?
उच्च विटामिन और फाइबर का सेवन
- पानी और तरल पदार्थ : डॉक्टर द्वारा दी गई सुचना के अनुसार इतनी ही मात्रा में पेय पदार्थ लेना चाहिए।
- कार्बोहाइड्रेटस:
- प्रोटीन :
- चर्बीवाले पदार्थ (वसायुक्त पदार्थ):
- नमक:
- अनाज:
- दालें :
- साग-सब्जी :
इसे सुनेंरोकेंयह पेट के ऊपरी हिस्से के ऊतकों के पतली परत के अंदर विकसित होता है। यह गर्भाशय, ब्लैडर व रेकटम को प्रभावित करता है। इपथिकल कोशिकाओं से बनी आकृति को पेरिटोनियल कहा जाता है। यह ऐसे द्रव्य का निर्माण करता है जिससे पेट के अंदर के अंग आसानी से गतिविधि कर सकें।
पेरिटोनियम कहाँ पाया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंपेरीटोनियम सीरस झिल्ली है जो अम्नीओट्स में पेट की गुहा या कोलोम की परत और कुछ अपरिवर्तनीय, जैसे कि एनालिड्स बनाती है। इसमें अधिकांश इंट्रा-पेटी (या कोलोमिक) अंग शामिल होते हैं, और संयोजी ऊतक की पतली परत द्वारा समर्थित मेसोथेलियम की एक परत से बना होता है।
डायलिसिस होने पर क्या खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंडायलिसिस के रोगी को प्रतिदिन कम से कम 8-10 औंस प्रोटीन का सेवन करने की सलाह दी जाती है। प्रोटीन युक्त आहार जैसे फिश, मीट और अंडे का सेवन नियमित तौर पर किया जा सकता है परन्तु इसकी मात्रा को नियंत्रित रखना चाहिए। अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन करने से अन्य प्रभाव हो सकते हैं।
डायलिसिस कितनी बार करना चाहिए *?
इसे सुनेंरोकेंएक हेमोडायलिसिस सत्र 4-5 घंटे का और सप्ताह में 3 बार होता है। यह एक दिन की प्रक्रिया है जहाँ आपको उसी दिन छुट्टी मिल जाती है।
क्रिएटिनिन बढ़ने पर क्या नही खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंअगर आपका क्रिएटिनिन बढ़ गया है तो अपनी डाइट में ऐसी चीजें कम शामलि करें जिसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। ऐसे में आप अंडा, मीट, दालें, सोयाबीन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ज्यादा नमक का इस्तेमाल करने ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
अगर क्रिएटिनिन ज्यादा है तो क्या होगा?
इसे सुनेंरोकेंकिडनी क्रिएटिनिन को खून से फिल्टर कर अंत में पेशाब के जरिए बाहर निकाल देती है. हालांकि, कभी-कभी, क्रिएटिनिन का लेवल शरीर में बढ़ जाता है और ये किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत होता है. हाई क्रिएटिनिन लेवल बताता है कि आपकी किडनी सही तरीके से काम नहीं कर रही है. बेकाबू क्रिएटिनिन का लेवल किडनी रोग की निशानी भी हो सकता है.
किडनी डायलिसिस की जरूरत कब होती है?
इसे सुनेंरोकेंअपोहन (डायलिसिस) रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है।
डायलिसिस में कितना समय लगता है?
इसे सुनेंरोकेंमुझे आज भी याद है कि डायलिसिस की इस पूरी प्रक्रिया में कुल 6 घंटे का वक्त लगता था। पूरे 4 घंटे तक मम्मी अस्पताल के बिस्तर पर रक्त शुद्ध करवाती रहती थी और यह काम हफ्ते में 2 दिन हुआ करता था।
डायलिसिस की प्रक्रिया कैसे होती है?
डायलिसिस कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंडायलिसिस दो प्रकार के होते हैं- हेमोडायलिसिस और पेरिटोनियल डायलिसिस। हेमोडायलिसिस एक प्रकार का डायलिसिस है जहां एक कृत्रिम गुर्दा (जिसे हेमोडायलॉजर कहा जाता है) रक्त से विषाक्त पदार्थ, पानी और अतिरिक्त द्रव को निकालने में मदद करती है।
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फिस्टुला कैसे बनाया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंकिडनी रोगियों के डायलिसिस के लिए शरीर में फिस्टुला बनाया जाता है। शरीर के अलग-अलग हिस्से में फिस्टुला बनाए जाने से मरीज को काफी दिक्कत होती है, लेकिन एवी फिस्टुला एक ऐसी तकनीक है जो हाथ में परमानेंट बनाई जाती है। इससे मरीज के शरीर में बार-बार छिद्र करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
डायलिसिस मशीन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअपोहन (डायलिसिस) रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के वृक्क यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है।
डायलिसिस कब तक करना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंआप कब तक डायलिसिस पर रह सकते हैं? गुर्दे की विफलता के मामले में, आपको या तो जीवनभर के लिए डायलिसिस उपचार से गुजरना होगा या आपको गुर्दा प्रत्यारोपण कराना होगा। आमतौर पर डायलिसिस से गुजरने वाले व्यक्ति के लिए औसत जीवन जीने की दर 5-10 वर्ष है लेकिन कुछ मामलों में जीवन प्रत्याशा 20 वर्ष या उससे अधिक हो जाती है।
हीमोडायलिसिस में क्या नहीं होता है?
कत्रिम वृक्क में अर्धपारगम्य झिल्ली की सहायता से विसरण (diffusion) द्वारा रुधिर में घुलित विषैल पदार्थों को अलग करना हीमोडायलिसिस (haemodialysis) या डायलिसिस (dialysis) कहलाता है।…हीमोडायलिसिस क्या है?
Chapter Name | जैव प्रक्रम |
Subject | Biology (more Questions) |
Class | 10th |
Type of Answer | Video & Image |
गले से डायलिसिस कैसे होता है?
इसे सुनेंरोकेंहीमोडायलिसिस डायलिसिस इस प्रक्रिया द्वारा बहुत सरल तरीके से शरीर के भीतर मौजूद खराब रक्त को फिल्टर करके निकाला जाता है और नकली किडनी द्वारा रक्त को वापस साफ करके शरीर में पहुंचाया जाता है। हीमोडायलिसिस करते समय शरीर से करीब 200 से 400 मिली प्रतिमिनट के हिसाब से रक्त बाहर निकाला जाता है।
डायलिसिस से छुटकारा कैसे पाएं?
इसे सुनेंरोकेंलोहिया की फार्मेसी में पुनर्नवा, भुई आंवला, मकोय और गोखुरू के साथ कुछ अन्य •ाड़ी-बूटियां मिलाकर यह दवा तैयार की जाती है। जो गुर्दे में नेफ्रान को एक्टिव करके गुर्दे की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। नेफ्रान का काम विषाक्त तत्वों को छानकर शरीर के बाहर निकालना है।
किडनी डायलिसिस में कितना खर्च आता है?
इसे सुनेंरोकेंएक किडनी मरीज को महीने में आठ बार डायलसिस करवाना पड़ता है। एक बार डायलिसिस पर तीन हजार से अधिक का खर्च होता है। ऐसे में एक मरीज पर एक माह में 20 से 30 हजार रुपये खर्च होते हैं।
क्रिएटिनिन कितना होने पर डायलिसिस होता है?
इसे सुनेंरोकें- क्रॉनिक रिनल डिजीज या क्रॉनिक किडनी डिजीज के कारण क्रिएटिनिन क्लियरेंस रेट 15 फीसदी या उससे भी कम हो जाए तो डायलिसिस करना पड़ता है।
डायलिसिस से छुटकारा कैसे पाये?
डायलिसिस कितनी बार करना चाहिए *?
इसे सुनेंरोकेंमरीज को हीमोडायलिसिस एक सप्ताह में करीब तीन बार करवाना होता है, जिसमें एक बार में लगभग चार घण्टे का टाइम लगता है। इसके अलावा आपके शरीर में कितने बेकार पदार्थ हैं और आपका शरीर कितना सहने में सक्षम है ये देखते हुए डायलिसिस की समय सीमा बढ़ाई और घटाई जाती है।
किडनी पेशेंट को कौन सा नमक खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंसेंधा नमक यह आमतौर पर नमक की खानों और भूमिगत खनिज जमाव में पाया जाता है। सेंधा नमक क्रिस्टल रेगुलर टेबल नमक का सबसे अच्छा विकल्प है।
दोनों किडनी खराब होने पर आदमी कितना दिन जिंदा रह सकता है?
इसे सुनेंरोकेंकिडनी ट्रांसप्लांट के बारे में कुछ तथ्य – ट्रांसप्लांट किए गए मरीज, डायलिसिस के सहारे रहने वाले मरीजों की अपेक्षा ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं। ट्रांसप्लांट के बाद पहले तीन महीने भले ही उन्हें इंफेक्शन का ज्यादा खतरा होता है लेकिन इसके बाद वे सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं।