डाकुओं के लिए डाँड़े सबसे अच्छी जगहें क्यों हैं? - daakuon ke lie daande sabase achchhee jagahen kyon hain?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर -

1. वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी-कलिङपोङ का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थीं। यह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसीलिए जगह-जगह फ़ौजी चौकियाँ और किले बने हुए हैं, जिनमें कभी चीनी पलटन रहा करती थी। आजकल बहुत से फ़ौजी मकान गिर चुके हैं। दुर्ग के किसी भाग में, जहाँ किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है, वहाँ घर कुछ आबाद दिखाई पड़ते हैं। ऐसा ही परित्यक्त एक चीनी किला था। हम वहाँ चाय पीने के लिए ठहरे। तिब्बत में यात्रियों के लिए बहुत सी तकलीफें भी हैं और कुछ आराम की बातें भी। वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं। बहुत निम्नश्रेणी के भिखमंगों को लोग चोरी के डर से घर के भीतर नहीं आने देते; नहीं तो आप बिलकुल घर के भीतर चले जा सकते हैं। चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासु को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं। वह आपके लिए उसे पका देगी। मक्खन और सोडा-नमक दे दीजिए, वह चाय चोङी में कूटकर उसे दूधवाली चाय के रंग की बना के मिट्टी के टोटीदार बरतन (खोटी) में रखके आपको दे देगी। यदि बैठक की जगह चूल्हे से दूर है और आपको डर है कि सारा मक्खन आपकी चाय में नहीं पड़ेगा, तो आप खुद जाकर चोङी में चाय मथकर ला सकते हैं। चाय का रंग तैयार हो जाने पर फिर नमक-मक्खन डालने की जरूरत होती है।

(क)नेपाल-तिब्बत मार्ग किस-किस काम आता था?

(ख)तिब्बत में यात्रियों के लिए आराम की बातें क्या थीं?

(ग) नेपाल-तिब्बत मार्ग पर फौजी चौकियाँ और किले क्यों बने हुए हैं?

उत्तर

(क)नेपाल-तिब्बत मार्ग व्यापारिक मार्ग होने के साथ-साथ सैनिक रास्ता भी था| साथ ही यह आम आवागमन का भी मार्ग था|

(ख)तिब्बत में यात्रियों के लिए कई आराम की बातें थीं, जैसे वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं| चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासू को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं| वह आपके लिए उसके पका देगी| 

(ग)नेपाल-तिब्बत मार्ग पर अनेक फौजी चौकियाँ और किले बने हुए हैं क्योंकि पहले कभी यह सैनिक मार्ग था| इसलिए इसमें चीनी सैनिक रहा करते थे| आजकल इन किलों का उपयोग किसान करते हैं| 

2. अब हमें सबसे विकट डाँडा थोङ्ला पार करना था। डाँडे तिब्बत में सबसे खतरे की जगहें हैं। सोलह-सत्रह हजार फीट की ऊँचाई होने के कारण उनके दोनों तरफ़ मीलों तक कोई गाँव-गिराँव नहीं होते। नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को देखा नहीं जा सकता। डाकुओं के लिए यही सबसे

अच्छी जगह है। तिब्बत में गाँव में आकर खून हो जाए, तब तो खूनी को सज़ा भी मिल सकती है, लेकिन इन निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों के लिए कोई परवाह नहीं करता। सरकार खुफ़िया-विभाग और पुलिस पर उतना खर्च नहीं करती और वहाँ गवाह भी तो कोई नहीं मिल सकता। डकैत पहिले आदमी को मार डालते हैं, उसके बाद देखते हैं कि कुछ पैसा है कि नहीं। हथियार का कानून न रहने के कारण यहाँ लाठी की तरह लोग पिस्तौल, बंदूक लिए फिरते हैं। डाकू यदि जान से न मारे तो खुद उसे अपने प्राणों का खतरा है। 

(क) तिब्बत के डाँड़े खतरनाक क्यों हैं?

(ख)डाँड़े डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित जगह क्यों हैं?

(ग)तिब्बत में डाकू आदमियों को लूटने से पहले क्यों मार देते हैं? 

उत्तर

(क)तिब्बत के डाँड़े सोलह-सत्रह फुट की ऊँचाई पर स्थित हैं, जहाँ दूर-दराज तक कोई गाँव नहीं है| ये डाकुओं के छिपने की अच्छी जगह है, जिसके कारण वे खतरनाक हैं| 

(ख)डाँड़े डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित जगह हैं क्योंकि यहाँ दूर-दूर तक गाँव नहीं हैं, आबादी नहीं है| नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को देखा नहीं जा सकता| यहाँ पुलिस का भी कोई डर नहीं है, यही कारण है कि डाकू इन्हें अपने लिए सुरक्षित जगह मानते हैं|

(ग)तिब्बत में हथियार रखने या न रखने के संबंध में कोई कानून-व्यवस्था नहीं है| डाकुओं को पता है कि यहाँ लोग पिस्तौल या बंदूक रखते हैं| इसलिए उन्हें अपनी जान का खतरा बना रहता है, इसलिए वे आदमियों को लूटने से पहले मार देते हैं|

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर -

1. नेपाल-तिब्बत मार्ग की विशेषताओं का वर्णन करें|

उत्तर

नेपाल-तिब्बत मार्ग व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था| इस मार्ग से ही नेपाल और हिंदुस्तान की चीजें तिब्बत जाया करती थीं| सैनिक मार्ग होने के कारण जगह-जगह फौजी चौकियाँ और किले बने हुए थे| इसमें चीनी सेना रहा करती थी| आजकल बहुत-से फौजी मकान गिर चुके हैं और किले के कई भागों में किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है|

2. लेखक के अनुसार, तिब्बत में यात्रियों के लिए कौन-सी आरामदायक सुविधाएँ हैं?

उत्तर

लेखक के अनुसार, तिब्बत में यात्रियों के लिए कई आरामदायक सुविधाएँ हैं| तिब्बत के समाज में जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं| चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासू को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं| वह आपके लिए उसके पका देगी| बस निम्नश्रेणी के भिखमंगों को छोड़कर कोई भी अपरिचित व्यक्ति घर के अंदर जा सकता है| 

3. तिब्बत में हथियार का कानून न होने के कारण यात्रियों को किस खतरे का सामना करना पड़ता था?

उत्तर

लेखक की यात्रा के समय तक तिब्बत में हथियार रखने से संबंधित कोई कानून नहीं था| लोग वहाँ खुलेआम हथियार रखते थे| निर्जन और वीरान जगहों पर डाकुओं का खतरा मंडराता रहता था क्योंकि वहाँ पुलिस का कोई प्रबंध नहीं था| वे यात्रियों को लूटने से पहले मार दिया करते थे|

4. तिब्बत में प्रचलित जागीरदारी व्यवस्था का वर्णन करें|  

उत्तर

तिब्बत की जमीन बहुत अधिक छोटे-बड़े जागीरदारों में बंटी है| इन जागीरों का बहुत ज्यादा हिस्सा मठों के हाथ में है| अपनी-अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है, जिसके लिए मजदूर बेगार में मिल जाते हैं| खेती का प्रबंध देखने के लिए वहाँ कोई भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के लिए किसी राजा से कम नहीं होता|  

डाकुओं के लिए डंडे सबसे अच्छी जगह क्यों है?

उत्तरः तिब्बत में डाँड़े डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित जगह है क्योंकि वहाँ ऊँचाई के कारण मीलों तक आबादी नहीं है और नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण दूर तक आदमी दिखाई नहीं देता।

तिब्बत के लोग अपनी सुरक्षा के लिए क्या रखते हैं?

Answer. Answer: अपनी सुरक्षा व हथियार का कानून रहने के कारण वहां लोग लाठी की तरह बंदूक व पिस्तौल रखते थे।

तिब्बत में कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा की क्या स्थिति थी?

उत्तरः तिब्बत में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब होने के कारण यात्रियों की स्थिति दयनीय थी। पिस्तौल और बन्दूक का इस्तेमाल यहाँ डाकू लोग प्रायः करते हैं क्योंकि ये आसानी से उपलब्ध हैं। यहाँ की सरकार, खुफिया-विभाग और पुलिस पर ज्यादा खर्चा नहीं करती। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण गवाह व सुरक्षा भी उपलब्ध नहीं हैं।

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