चांद में दाग क्यों दिखाई देता है? - chaand mein daag kyon dikhaee deta hai?

नासा के नए शोध से चांद के रहस्यमयी टैटू के बारे में जानकारी मिली है जो इसकी सतह के 100 से ज्यादा हिस्सों में अंधेरों और रोशनी के पैटर्न के रूप में नजर आती है. नासा के मैरीलेंड के ग्रीनबेल्ट में स्थित गोदार्द स्पेस फ्लाइट सेंटर के जॉन केलर ने बताया, “इन पैटर्न को ‘लूनर स्वर्ल्स’ कहा जाता है. ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने चांद पर चित्रकारी कर दी हो. ये अनूठे हैं. इसकी खोज के बाद से ही इसे लेकर एक रहस्य था कि यह कैसे बना”

दाग नहीं, चांद का टैटू?

केलर नासा के ‘चंद्र टोही परिक्रमा अभियान’ परियोजना वैज्ञानिक हैं जिन्होंने इसका राज खोला है.

चंद्रमा की सतह पर ये लहरें बड़े पैमाने पर दिखती हैं. कई बार ये समूह में होती हैं तो कई बार अलग-अलग दिखाई देती हैं. पिछले के अध्ययनों में इनके दो कारण बताए गए थे. पहला तो ये चुंबकीय क्षेत्र के चंद्रमा के क्रस्ट के साथ मिलने से बनता है. वहीं, दूसरा ये चंद्रमा के मौसम घनत्व में असमानता के कारण दिखाई देता है.

शायद चंद्रमा का चुंबकीय क्षेत्र इसकी सतह के सौर हवा से उखड़ने से रोकता है. नए मॉडल से यह खुलासा हुआ है कि चुंबकीय क्षेत्र एक बेहद शक्तिशाली विद्युतीय क्षेत्र का निर्माण करता है जब चंद्रमा की सतह पर तेज सौर हवाएं चलती हैं.

इन विद्युतीय क्षेत्र की क्षमता हजारों वोल्ट की होती है, जो सौर हवा के तत्वों को सतह से विक्षेपित कर देती है. इससे सौर हवा से अपक्षय कम होता है और संरक्षित क्षेत्र चमकते दिखाई पड़ते हैं.

यह नया मॉडल तीन अलग-अलग पेपरों में इकारस, जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च : स्पेस फिजिक्स और जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च : प्लेनेट्स में प्रकाशित किया गया है.

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चाँद में दाग क्यों होता है?

असल में यही गड्ढे और उनकी परछाइयां ही चांद के चेहरे पर काले धब्बे से दिखाई पड़ते हैं. कैसे बनते हैं चांद की सतह पर ये गड्ढे? चांद की सतह पर अक्सर दर्जनों या उससे ज्यादा की संख्या में उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु टकराते रहते हैं. इनके टकराने की वजह से ही हजारों वर्षों से चांद की सतह पर ऐसे गड्ढे बन रहे हैं.

चंद्रमा की कितनी औरतें हैं?

इन्होंने अपनी 10 कन्याओं का विवाह धर्म से करवाया, 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा से और इन्हीं की पुत्री सती से भगवान शिव का विवाह हुआ था।

चाँद के अंदर क्या होता है?

सन् १९७२ में अपोलो-१७ मिशन के बाद से चंद्रमा का दौरा केवल मानवरहित अंतरिक्ष यान के द्वारा ही किया गया जिसमें से विशेषकर अंतिम सोवियत लुनोखोद रोवर द्वारा किया गया है। सन् २००४ के बाद से जापान, चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में से प्रत्येक ने चंद्र परिक्रमा के लिए यान भेजा है।

क्या चांद पर इंसान रह सकता है?

चंद्रमा पर इंसानों के रहने लायक जगह मिल गई है. ये ऐसे गड्ढे हैं जहां इंसानों के रहने लायक उपयुक्त तापमान है. इन गड्ढों को नासा (NASA) के लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर (LRO) की मदद से खोजा गया है. इन गड्ढों के अंदर 17 डिग्री सेल्सियस तापमान है.

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