चित्तौड़ की कहानी हमें क्या सिखाती है? - chittaud kee kahaanee hamen kya sikhaatee hai?

कैसे गीत गाकर की देश की रक्षा” इस कहानी को जरुर पढ़े और जाने महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी एक कहानी जो हमें सिखाती हैं क्या होती हैं देशभक्ति ? और कैसे निभाई जाती हैं देश भक्ति ? यह एक देश भक्ति की कहानी हैं जिसकी शिक्षा हमें बताती हैं कि आज के वक्त में क्या होनी चाहिये देश भक्ति ?जरुर पढ़े और जाने अपने कर्तव्यों को |

“कैसे गीत गाकर की देश की रक्षा”

प्रताप चित्तौड़ के राणा उदय सिंह का बेटा था | इतिहास गवाह हैं प्रताप की देश भक्ति का आइये एक प्रसंग सुनाते हैं |

प्रताप राणा के बेटे थे उन्हें गाने बजाने का बहुत शौक था यूँ तो वो सदैव देश भक्ति गीत की लय में रहते थे लेकिन फिर भी लोग उन्हें कहते थे | तुम एक राजपूत घराने के भविष्य के राणा हो | यह क्या शौक लिए हुए हो | गाना बजाना तो चरणों का काम हैं | तुम्हे तबले या ढोल की नहीं तलवार और बरची की ताल सिखाना चाहिये | इस पर प्रताप एक ही बात बोलते थे देशभक्ति केवल तलवार से ही जाहिर नहीं होती | और मेरा यह कथन में सिद्ध करके बताऊंगा |

उन दिनों चित्तौड़ सबसे शक्तिशाली राष्ट्र था | जिसका लोहा सभी मानते थे और मुग़ल भी एक मात्र चित्तौड़ को चुनौति मानते थे और हमेशा उस पर फ़तेह के लिए हमला करते थे |

एक बार मुगलों ने चित्तौड़ पर हमला किया | किला इतना मजबूत था कि राजपूत सैनिको ने जम कर मुकाबला किया और मुगलों को पीछे हटना पड़ा |उस वक्त प्रताप बस्ती में रहते थे और अपने देश भक्ति गीतों में झूम रहे थे| एक मुग़ल सैनिक प्रताप को पकड़कर अपने तम्बू में ले गया लेकिन मुग़ल प्रताप को एक गाँव वासी समझ रहे थे  |प्रताप की आवाज बहुत सुरीली थी इसलिए उसे गाने के लिए कहा गया और सभी जम कर बैठ गये | जिसमे सभी सेना के विशेष लोग थे | प्रताप को उनकी भाषा में गाने का आदेश दिया गया | लेकिन इसके पीछे मुगलों का एक मकसद था | मुगलों ने यह योजना बनाई थी कि जब ये गाँव का चारण गायेगा तो किले के भीतर आवाज जाएगी और उन्हें लगेगा कि कोई राजपूत मदद के लिए पुकार रहे हैं | और वे दुर्ग का दरवाजा खोल देंगे | लेकिन प्रताप ने अपनी भाषा में ऐसे गीत गाये कि किले के सैनिक सावधान हो गये और सभी ने मुगुलो पर तीरों की वर्षा कर दी | उस वक्त सभी बड़े मुग़ल वहाँ मौजूद थे | वे सभी मारे गये |

अंत में प्रताप फिर अपनी देश भक्ति में लीन अपनी कुटिया को जा रहे थे | तब उन्होंने सभी को कहा देश भक्ति केवल तीरों या तलवारों में नहीं होती |या केवल राजपूतो की मोहताज नहीं होती |  एक साधारण चारण द्वारा भी बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती हैं |

शिक्षा

आज के समय से इसे जोड़े तो यही संदेश हैं कि देशभक्ति केवल सीमा पर जा कर ही नहीं होती | हर व्यक्ति देश के प्रति प्रेम रखता हैं इसके लिए कोई फ़ोर्स ज्वाइन करना जरुरी नहीं |

हम सभी अपने कार्यों के जरिये देश के लिए काम कर सकते हैं | जैसे क्राइम को काम करने के लिए जागरूक हो जाये, एक दुसरे का साथ दे क्यूंकि देश की धरोहर वहाँ के लोग हैं | अतः जब तक प्रजा सुखी ना होगी किसी देश की साख न बढ़ेगी |

आज के वक्त में अन्याय के  खिलाफ  आवाज उठाना ही देश भक्ति हैं |और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना ही देश के प्रति हमारा लक्ष्य हैं | वक्त के हिसाब से देश भक्ति के मायने बदल गये हैं | अब किसी से भूमि के लिए नहीं अपितु देश के भीतर अपनों से भ्रष्ट आचरण के लिए लड़ना देश भक्ति हैं | गरीबो के साथ मिलकर महंगाई के लिए लड़ना, उनका साथ देना देश भक्ति हैं | किसी अनपढ़ को पढ़ाना देश भक्ति हैं | नंगे के तन को ढकना देश भक्ति हैं | अपने खून के रिश्तों को छोड़ कर किसी निसहाय की सेवा देश भक्ति हैं |

हमने  राणा प्रताप के बारे में एक कहानी आपसे कही जिसमे उसने बताया कि देश भक्ति केवल तलवार भाला लेकर लड़ना ही नहीं हैं या केवल राजपूतों का ही धर्म नहीं हैं कि वो देश की रक्षा करे अपितु अभी को देश की रक्षा का हक़ भी हैं और कर्तव्य भी |

इसको पढ़कर हमें जागने की जरूरत हैं कि हम मैं की भावना से हट कर देश के निसहाय लोगो का साथ दे | जरुरी नहीं धन से सेवा करे | पर उन्हें सही रास्ता दिखा कर, उनके साथ खड़े रहे उन्हें तकलीफों से लड़ने के काबिल बनाये | यही आज हम सब की सच्ची देश भक्ति होगी |

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 महाराणा प्रताप की कहानी - कैसे गीत गागर की देश की रक्षा 

महाराणा प्रताप की कहानी - कैसे गीत गागर की देश की रक्षा

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कैसे गीत गाकर की देश की रक्षा" इस कहानी को जरूर पढ़ें और जानें महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी एक कहानी जो हमें सिखाती हैं क्या होते हैं देश भक्ति ? और कैसे निभाए जाते हैं देशभक्ति? यह एक देश भक्ति की कहानी है जिसकी शिक्षा हमें बताती है कि आज के वक्त में क्या होनी चाहिए देश भक्ति जरूर पढ़ें और जानें अपने कर्तव्यों को।

"कैसे गीत गाकर की देश की रक्षा"

प्रताप चित्तौड़ के राजा उदय सिंह का बेटा था। इतिहास गवाह है प्रताप की देशभक्ति का आइये एक प्रसंग सुनाते हैं।

प्रताप राणा के बेटे थे उन्हें गाने बजाने का बहुत शौक था यूं तो वो सदैव देश भक्ति गीत की लय में रहते थे लेकिन फिर भी लोग उन्हें कहते थे। तुम एक राजपूत घराने के भविष्य के राणा हो। यह क्या शौक लिए हुए हो। गाना बजाना तो चरणों का काम है। तुम्हें तबले या ढोल की नहीं तलवार और बरची की ताल सिखाना चाहिए। इस पर प्रताप एक ही बात बोलते थे देश भक्त केवल तलवार से ही जाहिर नहीं होती। और मेरा यह कथन में सिद्ध करके बताऊंगा।

उन दोनों चित्तौड़ सबसे शक्तिशाली राष्ट्र था। जिसका लोहा सभी मानते थे और मुगल भी एक मात्र चित्तौड़ को चुनौती मानते थे और हमेशा उस पर फतेह के लिए हमला करते थे।

एक बार मुगलों ने चित्तौड़ पर हमला किया। किला इतना मजबूत था कि राजपूत सैनिकों ने जमकर मुकाबला किया और मुगलों को पीछे हटाना पड़ा। उस वक्त प्रताप बस्ती में रहते थे और अपने देश भक्ति गीतों में झूम रहे थे। एक मुगल सैनिक प्रताप को पकड़कर अपने तंबू में ले गया लेकिन मुगल प्रताप को एक गांव वासी समझ रहे थे। प्रताप की आवाज बहुत सुरीली थी इसलिए उसे गाने के लिए कहा गया। और सभी जमकर बैठे गए जिसमें सभी सेना के विशेष लोग थे। प्रताप को उनके भाषा में गाने का आदेश दिया गया। लेकिन इसके पीछे मुगलों का एक मकसद था। मुगलों ने यह योजना बनाई थी कि जब यह गांव का चरण गाएगा तो किले के भीतर आवाज जाएगी। और उन्हें लगेगा कि कोई राजपूत मदद के लिए पुकार रहे हैं। और वे दुर्ग पर दरवाजा खोल देंगे। लेकिन प्रताप ने अपनी भाषा में ऐसे गीत गाये की किले के सैनिक सावधान हो गए और सभी ने मुगलों पर तीनों की वर्षा कर दी उस वक्त सभी बड़े मुगल वहां मौजूद थे वे सभी मारे गये।

अतः मैं प्रताप फिर अपनी देशभक्ति में लीन अपनी कुटिया को जा रहे थे। तब उन्होंने सभी को कहा देश भक्त केवल तीरो या तलवारों में नहीं होती। या केवल राजपूतों की मोहताज नहीं होती। एक साधारण चरण द्वारा भी बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है।

शिक्षा

आज के समय से इस जोड़े तो सही संदेश है कि देश भक्त केवल सीमा पर जाकर ही नहीं होती। हर व्यक्ति देश के प्रति प्रेम रखता है इसके लिए कोई फोर्स ज्वाइन करना जरूरी नहीं।

हम सभी अपने कार्यों के जरिए देश के लिए काम कर सकते हैं। जैसे क्राइम को काम करने के लिए जागरूक हो जाएं, एक दूसरे का साथ दें क्योंकि देश की धरोहर वहां के लोग हैं। अतः जब तक प्रजा सुखी ना होगी किसी देश की साख ना बढ़ेगी।

आज के वक्त में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ही देशभक्ति है और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना ही देश के प्रति हमारा लक्ष्य है वक्त के हिसाब से देशभक्त के मायने बदल गए हैं अब किसी से भूमि के लिए नहीं अपितु देश के भीतर अपनों से भ्रष्ट आचरण के लिए लड़ना देशभक्ति है गरीबों के साथ मिलकर महंगाई के लिए लड़ना उनका साथ देना देशभक्ति है किसी अनपढ़ को पढ़ाना देशभक्ति है नंगे के तन को ढकना देश भक्ति है अपने खून के रिश्तो को छोड़कर किसी ने सहाय की सेवा देशभक्ति है।

हमने राणा प्रताप के बारे में एक कहानी आपसे कहीं जिसमें उसने बताया कि देश भक्त केवल तलवार भाला लेकर लड़ना ही नहीं है या केवल राजपूतों का ही धर्म नहीं है कि वह देश की रक्षा करें अपितु अभी को देश की रक्षा का हक भी है और कर्तव्य भी।

इसको पढ़कर हमें जगाने की जरूरत है कि हम मैं की भावना से हटकर देश के निस्सहाय लोगों का साथ दें जरूरी नहीं धन से सेवा करें। पर उन्हें सही रास्ता दिखा कर, उनके साथ खड़े रहे उन्हें तकलीफों से लड़ने के काबिल बनाए यही आवाज हम सबकी सच्ची देशभक्ति होगी।

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चित्तौड़ के प्रताप की कहानी हमें क्या सिखलाती है?

प्रश्न 3. चित्तौड़ के 'प्रताप' की कहानी हमें क्या सिखलाती है ? उत्तर – चित्तौड़ के 'प्रताप' की कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि गुलामी का स्वर्गिक सुख नरक से भी अधिक दुखदायी होता है और स्वतंत्रता का दुख या कष्ट गुलामी के स्वर्गिक सुख से बेहतर होता है।

कविता को पढ़ने के बाद अपने मन में कौन सा भाव उत्पन्न होता है?

उत्तर: कविता को पढ़ने के बाद हमें स्वतंत्र होने तथा स्वतंत्र नवीन कल्पना करने का भाव उत्पन्न होता है।

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