बेईमानी की परत की समीक्षा कीजिए - beeemaanee kee parat kee sameeksha keejie

व्यक्ति और समाज के नैतिक एवं सामाजिक दोषों पर मार्मिक प्रहार करने वाले व्यंग्यप्रधान निबन्धों के लेखन में अग्रणी, शब्द और उसके भाव के पारखी परसाई जी की दृष्टि, लेखन में बड़ी सूक्ष्मता के साथ उतरती थी। साहित्य-सेवा के लिए इन्होंने नौकरी को भी त्याग दिया। वर्षों तक आर्थिक विषमताओं को झेलते हुए भी ये ‘वसुधा’ नामक साहित्यिक मासिक पत्रिका का प्रकाशन एवं सम्पादन करते रहे। पाठकों के लिए हरिशंकर परसाई एक जाने-माने और लोकप्रिय लेखक थे। . .

कृतियाँ

परसाई जी ने अनेक विषयों पर रचनाएँ लिखीं। इनकी रचनाएँ देश की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। इन्होंने कहानी, उपन्यास, निबन्ध आदि सभी विधाओं में लेखन-कार्य किया। परसाई जी की रचनाओं का उल्लेख निम्न प्रकार से किया जा सकता है-

कहानी-संग्रह हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे।
उपन्यास रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज।
निबन्ध-संग्रह तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमान की परत, पगडण्डियों का जमाना, सदाचार का ताबीज, शिकायत मुझे भी है और अन्त में ठिठुरता गणतन्त्र, विकलांग श्रद्धा का दौर।

भाषा-शैली
परसाई जी ने क्लिष्ट व गम्भीर भाषा की अपेक्षा व्यावहारिक अर्थात् सामान्य बोलचाल की भाषा को अपनाया, जिसके कारण इनकी भाषा में सहजता, सरलता व प्रवाहमयता का गुण दिखाई देता है। इन्होंने अपनी रचनाओं में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग किया है, जिससे रचना में रोचकता का पुट आ गया है। इस रोचकता को बनाने के लिए परसाई जी ने उर्दू व अंग्रेजी भाषा के शब्दों तथा कहावतों एवं मुहावरों का बेहद सहजता के साथ प्रयोग किया है, जिसने इनके कथ्य की प्रभावशीलता को दोगुना कर दिया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में मुख्यत: व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग किया और उसके माध्यम से समाज की विभिन्न कुरीतियों पर करारे व्यंग्य किए।

हिन्दी साहित्य में स्थान
हरिशंकर परसाई हिन्दी-साहित्य के एक प्रतिष्ठित व्यंग्य लेखक
थे। मौलिक एवं अर्थपूर्ण व्यंग्यों की रचना में परसाई जी सिद्धहस्त थे। हास्य एवं व्यंग्यप्रधान निबन्धों की रचना करके इन्होंने हिन्दी साहित्य के एक विशिष्ट अभाव की पूर्ति की। इनके व्यंग्यों में समाज एवं व्यक्ति की कमजोरियों पर तीखा प्रहार मिलता है। आधुनिक युग के व्यंग्यकारों में उनका नाम सदैव स्मरणीय रहेगा।

पाठ का सारांश

प्रस्तुत निबन्ध निन्दा रस’ निन्दा कर्म में तल्लीन रहने वाले निन्दकों के स्वभाव व प्रकृति पर कटाक्ष करता हुआ एक व्यंग्यात्मक निबन्ध है। इस निबन्ध में लेखक ने निन्दकों के निन्दक बनने के कारण, उनसे बचने के उपाय व उनके विभिन्न प्रकारों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की है, साथ ही निबन्ध में निन्दकों को निन्दा करने से प्राप्त होने वाली आत्मसन्तुष्टि व उनकी निन्दा कर्म में शुद्ध चित्त से तल्लीनता की भी अभिव्यक्ति की गई है।

बेईमानी की परत (Beimani Ki Parat) के लेखक/रचयिता (Lekhak/Rachayitha) "हरिशंकर परसाई" (Harishankar Parsai) हैं।

Beimani Ki Parat (Lekhak/Rachayitha)

नीचे दी गई तालिका में बेईमानी की परत के लेखक/रचयिता को लेखक तथा रचना के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। बेईमानी की परत के लेखक/रचयिता की सूची निम्न है:-

रचना/रचनालेखक/रचयिताबेईमानी की परतहरिशंकर परसाईBeimani Ki ParatHarishankar Parsai

बेईमानी की परत किस विधा की रचना है?

बेईमानी की परत (Beimani Ki Parat) की विधा का प्रकार "रचना" (Rachna) है।

आशा है कि आप "बेईमानी की परत नामक रचना के लेखक/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको बेईमानी की परत के लेखक/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

बेईमानी की परत : हरिशंकर परसाई द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक – साहित्य | Beimani Ki Parat : by Harishankar Parsai Hindi PDF Book – Literature (Sahitya)

  • Pustak Ka Naam / Name of Book : बेईमानी की परत  / Beimani Ki Parat Hindi Book in PDF
  • Pustak Ke Lekhak / Author of Book : हरिशंकर परसाई / Harishankar Parsai
  • Pustak Ki Bhasha / Language of Book : हिंदी / Hindi
  • Pustak Ka Akar / Size of Ebook : 3 MB
  • Pustak Mein Kul Prashth / Total pages in ebook : 132
  • Pustak Download Sthiti / Ebook Downloading Status : Best

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Pustak Ka Vivaran : Mai Utha Aur Shal Lapetakar Bahar Baramade mein Aaya. Hajaron salon ke sanchit sanskar mere man par lade hai; Tanon kavi-kalpanaon jami hai. Socha, Vasant hai to koyal hogi hee. Par Na Kahi koyal dikhi na Usaki kook sunayi dee. Samane kee haveli ke kangoore par baitha kaua kauv-kauv kar utha. Kala , Kuroop, Karkash kaua-Meri Saundary-bhavana ko thes lagi. Mainne use bhagane ke liye Kankad…………

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Description about eBook : I got up and wrapped the shawl and came out to the verandah. The accumulated rites of thousands of years have been on my mind; Tons and poets are frozen. Thought if it is spring, it will be cuckoo. But no cuckoo was seen nor heard its cry. The crow sitting on the spur of the front mansion ‘crow-crow’. Black, ugly, ravenous crow – my beauty-sense was hurt. I pebble him to run away …………

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“शिक्षा का ध्येय है एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में बदलना।”

‐ मेल्कम फोर्ब्स

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“Education’s purpose is to replace an empty mind with an open one.”

‐ Malcolm Forbes

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बेईमानी की परत क्या है?

एक ओर जहाँ शैली की विविधता और पुराने मिथकों और पौराणिक पात्रों का नये सन्दर्भो और समसामयिक परिस्थितियों में सोश्य एवं सफल प्रयोग हुआ है, वहीं पाठक की रुचियों से स्त्री, नौकर की स्थितियों से उत्पन्न होनेवाले भौंडे हास्य-व्यंग्य को स्थापित किया गया है।

बेईमानी की परत के लेखक कौन हैं?

Beyimaani Ki Parat - Hindi book by - Harishankar Parsai - बेईमानी की परत - हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई का निबंध संग्रह कौन सा है?

उनकी कृतियों में उपन्यास- रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, ज्वाला और जल; कहानी-संग्रह- हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे; व्यंग्य निबंध संग्रह- तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, वैष्णव की फिसलन, 'पगडण्डियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, प्रेमचंद के फटे जूते, आवारा भीड़ के खतरे, ...

हरिशंकर परसाई जी की रचनाएं कौन से नाम से संकलित है?

प्रमुख रचनाएं कहानी–संग्रह: हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, भोलाराम का जीव। उपन्यास: रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, ज्वाला और जल। संस्मरण: तिरछी रेखाएँ।

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